चकोरी की खेती कब और कैसे करें यह खेती कर के किसान बन शकता है मालामाल जाने कैसे करे

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हमारे देश भारत एक खेती प्रधान देश है और यहां पर विविध सब्जियां, फल, और औषोधिक पौधे आदि उगाई जाते है और किसान अच्छी कमाई करते है। आज ऐसे ही एक नकदी फसल की बात करेंगे जो आज कल बहुत चर्चा में है इस फसल का नाम है चकोरी की खेती कैसे होती है (chakori ki kheti kaise Hoti hai) इन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।

chakori ki kheti kaise Hoti hai

चकोरी की खेती एक नकदी फसल है और इस की खेती को कई लोग कासनी की खेती के नाम से भी जानी जाती है। आज के समय में हमारे देश भारत के कई ऐसे राज्य है जो कई सब्जी वर्गी फसल को छोड़कर इस चकोरी की खेती (Chicory cultivation) करने में लग गई है और इस खेती से किसान इनकम भी अच्छी मात्रा में प्राप्त करते है।

चकोरी के पौधे कम समय में अधिक उपज देते है। इस का उपयोग हरे चारे के लिए करते है इन के अलावा यह पौधे औसधिक दवाई में भी बहुत उपयोगी है जैसे की कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी यह पौधे का बहुत उपयोग होता है। इस पौधे की जड़ो को भूनकर कॉफी में डाल के भी पिया जाता है। इस को कॉफी में डालने से कॉफी का स्वाद मज़ेदार लगता है। इस की जड़ो देखने में तो मूली की तरह दिखती है। और इस पौधे पर नील रंग के फूल खिलते है। यही फूल में बीज भी होते है। यह बीज छोटे आकर के और भूरे रंग के होते है।

चकोरी की खेती (chicory farming in hindi) का उत्पादन आप दो तरीके से प्राप्त कर शकते है एक तो इन के कंद और दाने दोनों का उत्पादन होगा। इस का सेवन करने से कई बीमारी में फायदा होता है जैसे की दिल की बीमारी, पेट में परेशानी, कब्ज, आदि में बहुत उपयोगी है।

चकोरी की खेती (chakori ki kheti) हमारे देश के कई सारे राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है। जैसे की पंजाब, उत्तराखंड, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कश्मीर, आदि राज्य में इन की खेती की जाती है। अगर आप भी एक किसान है और आप भी चकोरी की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आप सहि आर्टिकल पर हो आज के इस आर्टिकल में हम आप को चकोरी की खेती की संपूर्ण जानकारी देंगे जैसे की चकोरी की फसल के लिए कैसी मिट्टी पसंद करेंगे। इन को अनुरूप तापमान और जलवायु इस खेती में किसान को कितनी कमाई होगी बात करे तो चकोरी की खेती कैसे करे इन की सभी जानकारी मिल जाएगी।

चकोरी की खेती के लिए मिट्टी की पसंदगी

चकोरी की खेती आम तो सभी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में कर शकते है पर इन की खेती से अच्छी उपज और पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए आप इन की खेती बलुई दोमट मिट्टी में कर शकते है। और जिस मिट्टी में इन की खेती करे उस मिट्टी में जल भराव नहीं होना चाहिए। और जमीन का पी.एच मान भी सामान्य होना चाहिए।

खेत तैयारी में दो से तीन बार गहरी जुताई करे और आखरी हटाई से पहले अच्छे से सड़ी गोबर की खाद को डाले और अच्छे से मिट्टी में मिला दे बाद में पाटा चला के जमीन को समतल कर ले ताकि जब सिंचाई करे तब को जलभरव जैसी समस्या ना रहे। और यह सब हो जाने के बाद क्यारी तैयार कर लेनी चाहिए।

कसनी की फसल को अनुरूप तापमान और जलवायु

चकोरी की खेती सामान्य तापमान में अच्छे से विकास करती है इन की खेती में न्यूतम तापमान 10°C तक का और अधिकतम 25°C तक का अच्छा माना जाता है। और जलवायु की बात करे तो इन के पौधे शर्दी के मौसम में अच्छे से वृद्धि करता है और जो शर्दी के मौसम में पाला पड़ता है इन्हे भी इन के पौधे बड़ी आसानी से सहन कर शकता है। यह चकोरी के पौधे ठंड जलवायु का पौधा है।

चकोरी की उन्नत किस्में

चकोरी की आम तो दो प्रजाति है एक जंगली और व्यापारिक इन का इस्तेमाल भी विविधता से किया जाता है।

जंगली प्रजाति : मुख्यत्वे चारे के लिए उगाई जाती है। इन पौधे के कंद छोटे होते है और इन के पते कई बार कटाई कर शकते है। इन का स्वाद भी कड़वा होता है।

व्यापारिक प्रजाति : इस प्रजाति के पौधे किसान व्यापारिक रूप में उगाते है। और यह पौधे बुवाई के बाद 130 से 140 दिन में पूरी तरह से पक के खुदाई के लिए तैयार हो जाते है। और यह कंद (जड़े) स्वाद में मीठे होते है।

के1 (K1) : चकोरी की यह किस्में के पौधे की उचाई अधिक या थोड़ी बड़ी होती है। इस के कंद की साईज भी बड़ी होती है और लंबाई भी ज्यादा होती है। और जो कंद है वे खुरदुरे चमड़ी के होते है।

इस किस्में के चकोरी के कंद का रंग सफ़ेद होता है। और खुदाई करते वक्त यह भी ध्यान रखे नहीं तो यह कंद की खुदाई करते समय टूट जाने की सम्भावना अधिक रहती है।

K13 (K13) : इस चकोरी की किस्में को ज्यादातर ठंडे इलाके में बुवाई करते है जैसे की हिमाचल प्रदेश, कश्मीर जैसे विस्तार में इस किस्में की खेती अधिक होती है। इस के कंद साईज में बड़े और अधिक मात्रा में गुदे पाए जाते है।

इस कंद का रंग भी सफ़ेद और जब खुदाई करते है तब अधिक ध्यान रखने की जरूरत नहीं है क्यों की इस किस्में के कंद आसानीसे टूटते नहीं है।

चकोरी के बीज की बुवाई कैसे करे

आम तो चकोरी के बीज की बुवाई साल भार के किसी भी महीने में कर शकते है। पर इस बात का भी ध्यान रखे की ज्यादा गर्मी नहीं होनी चाहिए। इन की अच्छी विकास और अधिक उत्पादन के लिए अक्टूबर महीना या नवंबर महीना सब से अच्छा माना जाता है। इन महीने में इन के बीज की बुवाई करते है तो अप्रैल से मई महीने में इन की फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। और यह बीज बुवाई में बीज से बीज की दुरी 30 सैमी की रखनी चाहिए और जमीन में इन बीज की गहराई 3 सैमी से 4 सैमी की राखी जाती है।

खाद और उर्वरक

चकोरी की फसल की अच्छी विकास और अधिक उत्पादन के लिए योग्य समय खाद डालना बेहद जरूरी है। इन की फसल में सड़ी गोबर की खाद एक हैक्टर के हिसाब से 14 से 15 टन इन के अलावा रासायनिक खाद की बात करे तो यूरिया, फास्फोरस, और पोटाश का भी इस्तेमाल कर शकते है।

चकोरी की फसल बुवाई के बाद जब 30 दिन की हो जाती है तब यूरिया 50 किलोग्राम, ह्यूमिक एसिड 1 किलोग्राम दोनों को अच्छे से पानी में घोलमिला के सिंचाई करे और जब फल फट जाते है तब बोरिन 500 ग्राम एक एकड़ के हिसाब से सिंचाई करे।

फसल की सिंचाई

चकोरी की फसल में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है क्यों की इस की खेती ज्यादातर शर्दी के मौसम में की जाती है पर जब इन के बीज की बुवाई करे तब नमी की जरूरत होती है इस लिए एक हल्की सिंचाई जरूर करे और जो आप ने चारे के लिए इन की खेती की है तो 6 से 7 दिन के अंतर में सिंचाई करे और व्यापारिक रूप में इन की खेती की है तो 15 से 20 दिन के अंतर में सिंचाई करनी चाहिए।

चकोरी की फसल में खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरुरी है इन की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आप खुरपी का इस्तेमाल करे। जब चकोरी की फसल 20 से 25 दिन की हो जाती है तब एक निदाई गुड़ाई खुरपी की मदद से जरूर करे। खरपतवार नियंत्रण करने से उत्पादन तो अधिक मिलता है पर कई रोग एवं किट भी इस फसल पर अटैक नहीं करता। चकोरी की फसल में ज्यादातर बालदार सुंडी और जड़ गलन जैसे रोग दिखाई देता है।

चकोरी की फसल की खुदाई और इन से होने वाला लाभ

चकोरी की फसल अगर किसान ने चारे के लिए की है तो बुवाई के बाद 25 से 30 दिन बाद इन के पतों की कटाई कर शकते है। और चारे के रूप में एक पौधे से 8 से 10 बार पतों की तुड़ाई कर शकते है। इन के पौधे में पतों की पहेली तुड़ाई में थोड़ा समय लगता है बाकि तो 12 से 15 दिन के अंतर में इन के पतों की तुड़ाई कर शकते है।

अगर किसान ने चकोरी की खेती व्यापारिक तोर पर की है तो बुवाई के बाद 120 से 135 दिन बाद कंद की खुदाई कर शकते है। इस के बीज प्राप्त करने के लिए इन जड़ो को मशीन की मदद से अलग करते है। इस की खेती अगर किसान ने एक हैक्टर में की है तो तक़रीबन 20 टन तक का कंद उत्पादन होता है और बीज की बात करे तो 5 क्विंटल तक के बीज मिलते है।

चकोरी के कंद का मार्किट भाव 350 से 400 तक का रहता है। और एक क्विंटल बीज के भाव की बात करे तो 8 हजार तक के होते है। इस की खेती से किसान कंद का 80 हजार और बीज का 40 हजार दोनों मिला के बात करे तो 1.20 हजार की कमाई कर के एक अच्छा मुनाफा प्राप्त कर शकता है।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को चकोरी की खेती कैसे होती है (chakori ki kheti kaise Hoti hai) इन के बारे में बहुत कुछ बताया है। यह आर्टिकल आप को चकोरी की खेती (chakori ki kheti) के लिए बहुत ही हेल्प फूल होगा और यह आर्टिकल आप को बेहद पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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