फसलों में पोषक तत्वों की कमी एवं उसका फसलों पर प्रभाव

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नमस्ते किसान बंधू आज का यह आर्टिकल कुछ खास है जो किसान फसल को देख ते ही समाज जाएंगा की इस पौधे को कौन से तत्व की जरूरत है और इसे कैसे पूरा करे, इस आर्टिकल में फसलों में पोषक तत्वों की कमी एवं उसका फसलों पर प्रभाव (Fasalo Me Poshak Tatvo Ki Kami avm Uska Fasalo Par Parbhav) सब जानकारी मिल जाएंगी।

Fasalo Me Poshak Tatvo Ki Kami avm Uska Fasalo Par Parbhav

हम सब जानते है की मानव शरीर को तंदुरस्त रखने के लिए बहुत सारे पोषक तत्व की जरूरत होती है। वैसे ही पौधे की अच्छी विकास और प्रजनन के लिए कई सारे पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। कोई भी पौधा हो उसे कोई ना कोई पोषक तत्व की आवश्यकता होती ही है।

अगर पौधे को योग्य समय पर जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलता तो पौधे पर विपरीत असर होती है और कई बार तो पौधा सुख के नष्ट भी हो जाता है। हमारे कृषि वैज्ञानिक ने बताया है की पौधे को 17 तत्वों की आवश्यकता होती है और इस तत्वों लो तीन केटेगिरी में डिवाइड किया है

मुख्य तत्व : नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन,

गौण तत्व : कैल्शियम, मैग्नेशियम, सल्फर

सूक्ष्म तत्व : जिंक, लोहा, बोरोन, तांबू, मोलिब्डम, मेगनीज,

फसलों में पोषक तत्वों की कमी एवं उसका फसलों पर प्रभाव

नाइट्रोजन

इस तत्व की कमी से पौधे की पुराने पत्तो पिले रंग के हो जाते है और इन अंकुरित पतिया हरे रंग की दिखाई देती है इस के कारण पौधे की विकास धीमी हो जाती है।

अगर पौधे को नाइट्रोजन की कमी अधिक है तो पौधे पर फूल एवं फल कम वृद्धि करते है और उत्पादन बहुत कम प्राप्त होता है, और पौधे की विकास रुक जाती है और प्रोटीन में भी कमी होती है।

फॉस्फोरस

इस तत्व की कमी से पौधे की पत्तिया गहरे हरे रंग की हो जाती है और पतिया छोटे आकर की और धीरे धीरे बैंगनी रंग की हो जाती है। और पौधे की जड़ो कमजोर और छोटी हो जाती है। इन के अलावा पौधे की ऊपरी छाल मोटी हो जाती है।

इस की कमी से फल भी बहुत देर से पक ते है और फल की अंदर का बीज की विकास बिलकुल रुक जाती है। और फसल में उत्पादन कम होता है और पौधे का विकास भी रुक जाता है।

पोटाश

इस तत्व की कमी से पौधे की जड़ और तना कमजोर रहता है इस लिए पेड़ या पौधा बड़ी आसानी से गीर जाने की संभावना रहती है और पौधे के फल और बीज सड़ जाते है।

इस के कारण पौधे की विकास भी रूक जाती है और पेड़ पौधे की पत्तिया किनारो से सूखने लगाती है और पतों की बिच की नस्ले हरे रंग की रहती है।

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कैल्शियम

पौधे में इस तत्व की कमी से पौधे में पोषक तत्व और पानी आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाते इस लिए पौधे की ऊपरी पतियों में इस की कमी अधिक दिखाई देती है।

इस की कमी से फूल और कली झड़ ने लगती है। फल का रंग कला जो जाता है और झड़ जाता है। इन के अलावा फल का डठल कमजोर हो जाता है और पौधे से फल गिर जाता है।

पौधे की जड़ का विकास रूक जाता है और जड़ के सिरे को प्रभावित करता है, सौ प्रथम पौधे की पतिया पिले रंग की हो जाती है और जड़ के ऊपर भी बहुत प्रभाव होता है।

मेग्नेशियम

इस तत्व की कमी से पते पीले रंग के हो जाते है और पतों की नस्ल हरे रंग की रहती है इस तत्व की अधिक कमी होने से पतों का रंग लाल हो जाता है।

अगर आप ने पौधे को अधिक मात्रा में नाइटोजन दे दिया तो मेग्नेशियम की कमी हो जाती है। इस मेग्नेशियम की कमी सब से पहेले निचले पतों पर दिखाई देती है।

पौधे को मेग्नेशियम की कमी होने से पत्तिया, शाखा, कलिया, फलिया, कमजोर हो जाती है

सल्फर

इस तत्व की कमी से पौधे के पतों पीले रंग के हो जाते है और ऊपर का हिच्छा कटोरी जैसा दिखाई देता है, और पौधे की विकास रूक जाती है और तना और शाखा पतली हो जाती है।

पौधे में सल्फर की कमी ज्यादा होने के कारण पूरा पौधा पीला पड़ जाता है और ज्यादा फल भी नहीं लगते और अजान की फसल हे तो अनाज भी काफी देर से पकता है।

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जिंक

इस तत्व की कमी से पौधे की नई पत्तिया छोटे आकार की और गुच्छेदार होती है। और ऊपरी दिशा में मूड जाते है, और पते के बिच का मध्य हिच्छा सफ़ेद रंग का हो जाता है और पीला भी हो जाता है बाद में सुख जाता है।

इस की वजे से दो इंटरनोड्स के बीच की दुरी कम हो जाती है और पौधे की उचाई भी कम रहती है। और इस की कमी होने के कारण अनाज में उत्पादन भी बहुत कम होता है।

लोहा

इस तत्व के कारण पौधे में नई पते पीले हो जाते है और नस्ले हरे रंग की हो जाती है, अगर इस तत्व की कमी अधिक मात्रा में हे तो पौधे के सारे पतों का रंग पीला और सफ़ेद हो जाता है। इस के कारण पौधे की विकास रूक जाती है।

बोरोन

इस तत्व की कमी सर्वप्रथम छोटी शाखा और इस के आस पास के पतों पर दिखाई देता है, बोरोन की अधिक कमी से सब्जी और फल फटने लगती है,

इस की कमी से पौधे की प्रागण क्रिया कम हो जाती है और फूल और फल गीर जाते है पतिया की नोंके और किनारे जलने लगती है और पौधे की विकास भी रूक जाती है।

तांबू

इस तत्व की कमी से पौधे के पतों में हरे रंग की कोशिकाए कम हो जाती है, पौधे की पतिया किनारी सुख जाती है और ऊपर की तरफ मूड जाती है।

पौधे के पतों का रंग गहरा हरा और अल्का भूरा हो जाता है, पौधे पर जब फूल और फल लगने की अवस्था है तब इस की कमी होने के कारण बहुत नुकशान होता है।

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मोलिब्डम

इस तत्व की कमी होने से पतों का अगला हिच्छा चाबुक के आकर का हो जाता है, और पतिया हल्के हरे एवं पीले रंग की दिखाई देती है।

कभी कभी पौधे की शाखा के निचले हिच्चे से चिपचिपा रस दिखाई देता है और गिरता है, और पतों मूड जाते है और पतों के किनारे टूट जाते है।

मेगनीज

इस तत्व की कमी से मुख्य एवं मध्य भाग में शिरा हो जाता है और बिछ का हिच्छा पीला हो जाता है, जड़ो के विकास में अवरोध पड़ता है।

पौधे पर फूलो की कम आते है और पौधे की विकास रूक जाती है पौधे की बड़ी और छोटी नसे गहरे हरे रंग की दिखाई देती है

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम ने आप को फसलों में पोषक तत्वों की कमी एवं उसका फसलों पर प्रभाव (Fasalo Me Poshak Tatvo Ki Kami avm Uska Fasalo Par Parbhav) बारे में विस्तार से बताया है।

अगर आप इस आर्टिकल को अच्छे से समाज लेते है तो आप को किसी भी फसल की खेती करने में बड़ी आसानी रहेंगी और आप खुद ही डिसाइड कर शकेंगे की इस पौधे को कोनसे तत्व की कमी है।

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इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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