अर्ली गन्ने की प्रजाति
गन्ने की उन्नत किस्में (Ganne Ki Unnat Kism) : विश्व में गन्ने उत्पादन में ब्राजील प्रथम स्थान पर है। और इसके बाद दूसरा स्थान भारत का आता है। इसी तरह चीनी के उत्पादन में भी ब्राजील प्रथम स्थान पे है। और चीनी में भारत का दूसरा स्थान है। भारत में अर्ली गन्ने की प्रजातियां बहुत ज्यादा बोए जाने वाली और ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजातियां है। गन्ने का रास लाभ दायक होता है। लेकिन कभी कभी गन्ने के जूस के फायदे और नुकसान भी होते रहते है।
गन्ने की कुछ ऐसी भी प्रजाति है जो अधिक बारिश के मौसम में या कम बारिश के विस्तार में भी अच्छा उत्पादन देती है। हल में कई किसान बसंतकालीन गन्ने की बुवाई में लग गई है। हमारे कृषि वैज्ञानिकों के गन्ने की कई उन्नत प्रजाति यानि के उन्नत किस्मे तैयार की है। जो किसान को अच्छा उत्पादन के लिए जानी जाती है।
आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की गन्ने की टॉप 5 प्रजाति और इन की बुवाई खास तकनीक से करेंगे तो उत्पादन अधिक मिलेगा तो आई ए जानते है गन्ने की टॉप 5 उन्नत किस्में के बारे में यह सब जानने के लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक जरूर बने रहे।
गन्ने की टॉप 5 प्रजातियां (Ganne Ki Top 5 Prajatiya)
हमारे भारत देश में गन्ना और चीनी उत्पादन में दूसरा स्थान है। इसलिए भारत के कई सारे किसान गन्ने की खेती पार निर्भय है। भारत में गन्ने का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरला, हरियाणा, और पंजाब में होता है। विश्व में गन्ना की खेती बार मासी फसल के रूप में उगाई जाती है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको गन्ने की टॉप 5 प्रजातियां के बारेमे बताने वाले है, जो देती है अधिक उत्पादन और मुनाफा भी अधिक देती है। तो सले जानते है के ए कोनसी है प्रजातियां।
गन्ना 12207 (अर्ली)
यह गन्ने की प्रजातियां (गन्ना 12207) भारत में उतर पूर्व विस्तार जैसे की उतर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे विस्तार माँ बाये जाती है। इस प्रजाति के परीक्षण के दौरान गन्ने की उपज 80 टन प्रति हेक्टेयर होती है। जो क्षेत्रीय मानक किस्मों से 10-15% अधिक थी। इस प्रजाति की 10 माह की फसल में सुक्रोज प्रतिशत 17% एवं पोल प्रतिशत (केन) 13.17% पाया गया। इस प्रजाति की कटाई करने पर पेड़ी अच्छी पाई जाती है।
COLK 14201 गन्ना प्रजाति
गन्ना की यह COLK 14201 गन्ना प्रजाति हमारे देश भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने तैयार की गई एक किस्म है। गन्ने की इस किस्म में कोई रोग का अटैक नहीं होता है। इस लिए यह रोग रहित किस्म है। गन्ने की यह उन्नत किस्म को किसान अक्टूबर महीने से मार्च महीने तक मुख्य खेत में बिजाई कर शकते है। इन की फसल बड़ी हो जाने के बाद भी ऐसे ही खड़ी रहती है गिरने की समस्या नहीं रहती। इन की लंबाई कम होती है और निचे से इन की साइज चौड़ी होती है एक गन्ने का वजन 2 से लेकर 2.8 किलोग्राम तक के होते है। इन में 17 से 18 प्रतिशत शर्करा पाई जाते है और एक एकड़ से 400 से 430 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
COPB 95 गन्ना प्रजाति
गन्ने की यह COPB 95 गन्ना प्रजाति काफी लोकप्रिय है यह अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है। गणना की यह किस्म लाल सड़न रोग और चोटी बेधक रोग के सामने प्रतिरोधक है। गन्ना की यह उन्नत किस्म किसान को अच्छा मुनाफा करा शक्ति है क्यों की इस किस्म में लगत कम और मुनाफा अधिक है। इन के एक गन्ने का वजन भी 4 किलोग्राम तक का होता है और इन की बिजाई किसान ने एक एकड़ जमीन में की है तो 400 से 430 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
COLK 15201 गन्ना प्रजाति
गन्ना की यह COLK 15201 उन्नत किस्म हमारे देश के लखनऊ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई है। यह भी बड़ी हो जाने के बाद गिरती नहीं है। इस लिए इन की बिजाई आप किसी भी विस्तार में कर शकते है। गन्ने की इस किस्म की बिजाई नवंबर महीने से मार्च महीने तक किसान करते है और ज्यादातर इन की बिजाई पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश इन राज्य में होती है। इन की खेती एक एकड़ में की है तो आसानी से 490 से 500 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। इन के कल्ले का फुटाव भी गन्ने की अन्य किस्मे से ज्यादा होता है इस लिए उत्पादन ज्यादा मिलता है।
CO 11015 गन्ना प्रजाति
गन्ने की CO 11015 उन्नत किस्में की बिजाई हमारे देश भारत में सब से ज्यादा तमिलनाडु के लिए तैयार की गई है। पर आज कल इस किस्म की बिजाई अन्य राज्य में भी अधिक हो रही है। गन्ने की यह उन्नत किस्म की बिजाई का सही समय अक्टूबर महीने से नवंबर महीने तक की है पर कई किसान अक्टूबर से मार्च महीने तक इन की बिजाई करते है। गन्ने की यह किस्म एक अर्ली किस्म है। इस किस्म को कोई रोग नहीं लगता है। गन्ने की इस किस्म की एक आंख से 14 से लेकर 16 गन्ने बड़ी आसानी से अंकुरित होते है। इन के एक गन्ने का वजन 2.5 से 3 किलोग्राम तक का होता है और एक एकड़ में इन की बिजाई करें तो 400 से लेकर 450 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
गन्ने की बिजाई करने की खास तकनीक
गन्ने की बिजाई अलग अलग समय पर अलग अलग विधि से किसान करते है। गन्ने बिजाई की रिंग पिट विधि, वर्टिकल विधि, ट्रैच विधि, और कई किसान नर्सरी से भी पौधे खरीद के बिजाई करे है। गन्ना की हर तकनीक का फायदा भी अलग अलग होते है। हाल के समय में ज्यादातर किसान गन्ने की बिजाई वर्टिकल विधि से करते है। गन्ने की खेती में यह नई विधि सब से पहले उत्तरप्रदेश राज्य के किसान ने अपनाई इस विधि से गन्ने की खेती करने से बीज की आवश्कता कम होती है। फिर भी उत्पादन अधिक प्राप्त होता है। इस लिए आज कल किसान इस वर्टिकल विधि से ज्यादा गन्ने की बिजाई करते है।
किसान को गन्ने की खेती वर्टिकल विधि से बिजाई करना बड़ा आसान है। इस विधि से गन्ने की उचित दूरी पर पोरी लगाई जाती है। इस विधि से बिजाई करने से कम मजदूर की जरूरत होती है। और जो कल्ले निकलते है इन की भी संख्या अधिक होती है। गन्ने की एक आंख से कम से कम 9 से 10 कल्ले निकलते है। और एक एकड़ में 4 से 5 क्विंटल बीज की जरूरत होती है।
गन्ने की खेती इस वर्टिकल विधि से करने से खर्च कम होता है और मुनाफा अधिक होता है। इस में गन्ने की आंख को कांची कटकर सीधे लगा सकते है। इस में जब कल्ले का फुटव होता है तब एक समान और बराबर निकलते है। इस विधि से गन्ने की बिजाई करेंगे तो एक एकड़ में से 500 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को गन्ने की उन्नत किस्में (Ganne Ki Unnat Kism) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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