गन्ने की फसल में रोग एवं कीट की रोकथाम कैसे करे और इन की खेती कर के बंपर मुनाफा कैसे प्राप्त करे

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गन्ने की खेती तो हमारे देश में कई सारे राज्य में किसान भाई करते है पर कई किसान ऐसे है जो गन्ने की खेती मे बहुत अच्छी कमाई करते है तो कई किसान को बहुत नुकसान भी होता है। पर को किसान को नुकसान होता है उन किसान भाई को गन्ने की खेती की सही जानकारी नहीं होती है इस लिया गन्ने की फसल में रोग एवं कीट का नियंत्रण नहीं कर पाते और बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की गन्ने में रोग एवं कीट का नियंत्रण (Ganne Me Rog Evam Keet Ka Niyantran) कर के अच्छा उत्पादन प्राप्त कर शकते है।

Ganne Me Rog Evam Keet Ka Niyantran

गन्ने की फसल में जब मोनसूर का आगमन होता है तब कई किसान भाई की धड़कन तेज हो जाती है और अति चिंतित हो जाते है। और मन में एक ही सवाल होता है की अब गन्ने की फसल को रोग एवं कीट से कैसे बचाया जाए। ज्यादातर किसान भाई ऐसे है जो गन्ने की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट को पहेचानते ही नही है इस लिए इन के रोकथाम नही कर शक्ते है इस लिया इन किसान भाई को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस लिया तो यह आज के आर्टिकल में हम गन्ने की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार केसे करे इन के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त करेंगे।

गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं कीट

गन्ने की फसल जब अच्छे से वृद्धि कर के बड़ी हो जाती है तब कटाई से पहले कई प्रकार के रोग एवं कीट अटैक करते है। पर इन का सही दवाई का छिड़काव कर के इन रोग एवं कीट से छुटकारा पा सकते है।

लाल सड़न रोग : गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग एक फफूंद जनित रोग है। यह रोग लगने से पौधे की पत्तो किनारे से सूखने लगती है और एक दिन पूरी पतिया सुख के नष्ट हो जाती है। और यह रोग ज्यादातर अगस्त के महीने में दिखाई देते है। यह रोग से ग्रसित पौधा लाल रंग का दिखाई देता है। और बात करे तो सफेद रंग के धब्बे भी दिखाई देते है। इन के अलावा आलकोहोल की गंध आती है।

नियंत्रण कैसे करे : गन्ने की फसल से अच्छा उत्पादन और अच्छी कमाई प्राप्त करनी है तो इन की फसल की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। जो गन्ने का पौधा इस रोग से ग्रस्त हो गया है उस पौधे को जमीन से काट के नष्ट कर देना चाहिए। इन के अलावा नैटिवो 75 डब्ल्यूडीजी या कैब्रियो 60 डब्ल्यूडीजी 500 पीपीएम का छिड़काव करना चाहिए।

कंडुआ रोग : गन्ने की फसल में कंडुआ रोग एक प्रमुख रोग है। और यह रोग अस्टलीगो सिटामिनिआ नामक फफूंद से लगता है। यह रोग लगने से गन्ना पतला और बौना हो जाता है।

नियंत्रण : गन्ने की फसल में जब यह रोग लग जाए तब संक्रमित गन्ने के पौधे को सावधानी से एकठा कर के इन सारे पौधे को नष्ट कर देना चाहिए। सके अलावा प्रोपिकोनाजोल 25 EC का छिड़काव करना चाहिए।

पायरिला कीट : गन्ने की फसल में यह पायरिला कीट पतों पर अटैक करते है। जिन के कारण गन्ने के पौधे के पते पीले रंग के हो जाते है। और धब्बे दिखाई देते है। बाद में पौधा धीरे धीरे सुख के नष्ट हो जाता है।

नियंत्रण : जिस गन्ने की फसल में ऐसे पौधे दिखाई दे उस पौधे की निकल के नष्ट करदे और नाट्रोजन युक्त खाद से फसल को बचाए

काली कीड़ी : गन्ने की फसल में इस कीट के प्रकोप से फसल पीली पड़ने लगती है। और कुछ दिन बाद पौधे मुरझाने लगते है और पौधा नष्ट हो जाता है।

नियंत्रण : गन्ने की फसल में जब इन का प्रकोप दिखाई दे तब पास इमिडाक्लोप्रिड 17.8 EC का छिड़काव करे। और गन्ने की फसल की रोपाई में भी सुधर कर के वसंत ऋतु में जल्द रोपाई करे।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को गन्ने में रोग एवं कीट का नियंत्रण (Ganne me rog evam keet ka niyantran) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को गन्ने की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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