ग्वार की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? | Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai

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ikhedutputra ब्लॉग में आप सभी किशान मित्रो का दिल से स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम ग्वार की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? (Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai) इन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

ग्वार एक सब्जी वर्गीय फसल है। सब्जी वर्गीय फसल में ग्वार का एक खास स्थान है। ग्वार को साया मोटिसस टेट्रागोनोलोबस नाम से भी जाना जाता है।

ग्वार की फसल दो मौसम में कर शकते है। एक खरीफ और जायद दोनों मौसम में किशान ग्वार की खेती करते है। ग्वार की खेती सब्जी, दाने, और चारे के लिए की जाती है।

ग्वार की फलियों को कई दिनों तक रखा भी जा शकता है। ग्वार की फलियों में नमक मिला के संग्र कर शकते है। और कई दिनों तक इन फलियों को उपयोग में भी ले शकते है।

ग्वार की सब्जी मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। ग्वार की फलिया में कई पोषक तत्व और विटामिन मौजूद होता है।

ग्वार में विटामिन सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, रेसा, खनिज, आयरन, कैल्शियम, थाइमिन, फास्फोर, फोलिन, जैसे पोषक तत्व भी अधिक मात्रा में मौजूद होते है।

Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai

ग्वार की फलियों का सेवन करने से कई लाभ भी होते है। जैसे की ग्वार की फलियों में कैल्शियम अधिक मात्रा में पाए जाते है। कैल्शियम मानव शरीर की हड्डियों को मजबतू बनाते है।

ग्वार के सेवन करने से फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में मिलते है। वे भी हड्डियों को मजबूत करने में मददगार है। ग्वार का सेवन करने से शरीर में मौजूदा कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने में भी काफी मदद करता है। और कई दिल की बीमारी में भी ग्वार का सेवन अधिक उत्तम माना जाता है।

ग्वार के फलियों में इस प्रकार के कई पोषक तत्व एवं विटामिन और कई बीमारी में भी लाभकारी होने के कारण ग्वार की मांग बाजार में आज कल बढ़ती ही जाती है।

Table of Contents

ग्वार की बुवाई कौन से महीने में की जाती है (Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai)

ग्वार की खेती आज के ज़माने में कर के अच्छा मुनाफा किशान प्राप्त कर शकते है। ग्वार की बुवाई कौन से महीने में की जाती है (Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai) इस आर्टिकल में आप को ग्वार की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है।

ग्वार की उन किस्मे की बुवाई के लिए कौन सी मिट्टी की पसंदगी करेंगे। ग्वार की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट। ग्वार की फसल में कौन कौन से खाद देना होगा।

बात करे तो ग्वार की खेती की संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के अंत तक मिल जाएगी। इस लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक हमारे साथ बने रहना होगा।

गुआर की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? (Guar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai)

ग्वार की बुवाई दो मौसम में किशान करते है। ग्वार के बीज की बुवाई जून से जुलाई महीने में किशान करते है और वही समय ग्वार की खेती के लिए उचित माना जाता है।

ग्वार की बुवाई जून या जुलाई महीने में की है तो बुवाई के बाद तीन महीने तक ग्वार फलियों की पैदावार देता है। और इन से अधिक पैदावार लेने के लिए योग्य समय पर खाद और सिंचाई करनी होगी।

ग्वार की खेती में लगत कम और मुनाफा अधिक प्राप्त कर शकते है। ग्वार की फसल की बुवाई बीज रोपाई से करते है। और बीज रोपाई से पहेले ग्वार के बीज का उपचार भी जरूर कर लेना चाहिए।

ग्वार की फसल कौन सी मिट्टी में अधिक उपज देती है?

ग्वार की फसल आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में कर शक्ति है। जैसे की बलुई दोमट मिट्टी, कक्रेजी मिट्टी, और काली दोमट मिट्टी में भी ग्वार की फसल अच्छी पैदावार देते है।

गवर की फसल के लिए इस प्रकार की मिट्टी और मिट्टी की जल निकास अच्छी होनी चाहिए। ग्वार की खेती के लिए दो से तीन बार गहरी जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए।

मिट्टी में सड़ी गोबर की खाद अच्छी मात्रा में डाल के अच्छे से मिट्टी में मिला देनी चाहिए। बाद में पाटा चला के जमीन को समतल कर लेना चाहिए ताकि पानी भराव की समस्या टल जाए।

ग्वार की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

ग्वार की फसल में आज कई उन्नत किस्मे प्रसिद्ध है। इन में से कुछ उन्नत किस्मे के नाम कुछ इस प्रकार के है। आरजीसी-936, बुन्देल ग्वार 3, आरजीसी 1002, गोरा 80, शरद बहार, आरजीसी-1003, है।

पूसा नवबहार, पूसा मौसमी, आरजीसी-1066, पूसा सदाबहार, एचजी-365, जीसी-1, आरजीसी 1017, बुन्देल ग्वार 1, एचजीसी 563, एचएफजी 119, आरजीएम 112,आरजीसी 1038 और आरजीसी 986, आईआर 1395-2, मक ग्वार, इन के अलावा भी कई सारी ग्वार की उन्नत किस्मे है।

ग्वार की एचजी 365 एवं एचजी 563 और एचजी 2-20 इन कस्मे की बुवाई किशान ज्यादा तर करते है और अच्छी मात्रा में उपज भी प्राप्त करते है।

ग्वार के बीजोपचार और रोग नियंत्रण कैसे करें? 

ग्वार की फसल में बीज बुवाई से पहेले इन बीज का उपचार जरूर कर केना चाहिए। बीज उपचार कर के बुवाई करने से बीज अच्छे से अंकुरित होते है और कई रोग बीमारी से ग्वार की फसल को बचाई जाती है

ग्वार के बीज उपचार में बाविस्टिन 2.5 ग्राम का माप एक किलोग्राम ग्वार के बीज के उपचार के लिए काफी है। इन के अलावा अंकुरित बीज में कोई रोग का कीट का अटेक नो हो शके इस लिए।

स्ट्रैप्टोसाइक्लिन 200 पीपीएम या एग्रोमाईसीन 250 पीपीएम का घोल बना के बीज को 2 घंटे तक बीज को भिगोदेना चाहिए। और सुरुवाती समय में जड़ को कोई रोग का अटेक नो हो शेक इस लिए कार्बेण्डाइजिम या थाओफोट मिथाइल 70 W/P 2 ग्राम एक किलोग्राम ग्वार के बीज को उपचारित करे।

ग्वार के बीज की बुवाई कब करें

ग्वार के बीज की बुवाई ज्यादा तर किशान जून से जुलाई महीने में करते है। पर कई किसान जनवरी महीने के आखरी सप्ताह में भी ग्वार की खेती करते है। ग्वार के बीज की बुवाई करने से पहेले खेत की तैयारी अच्छे से कर के जमीन को समतल कर लेना चाहिए।

इन समतल जमीन में ग्वार के बीज की बुवाई करने के लिए क्यारी या कतार तैयार कर लेनी चाहिए बाद में इन क्यारी या कतार में गुवार के बीज की बुवाई करनी चाहिए।

ग्वार की खेती में कतार से कतार की दुरी 30 सैमी की रखे और बीज से बीज की दुरी योग्य दुरी पर कर शकते है। आज के ज़माने में ग्वार के बीज बुवाई के लिए भी कई आधुनिक यंत्र उपलभ्ध है।

ग्वार की फसल की बुवाई करने से पहेले सड़ी गोबर की खाद, नाइट्रोजन, यूरिया, फास्फोर, और एसएसपी खाद की योग्य मात्रा में डेल बाद में ग्वार के बीज की बुवाई करे।

ग्वार की खेती में कौन से खाद डालना चाहिए

ग्वार की खेती में ग्वार की फलिया की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खाद देना बेहद जरूरी है। ग्वार की फसल की बुवाई से पहेले गोबर की खाद एक हेक्टर के हिसाब से 12 से 15 टन काफी है।

इन के अलावा नाइट्रोजन 25 किलोग्राम और फास्फोरस 45 किलोग्राम की मात्रा में डालनी चाहिए। क्यों की ग्वार एक दलहनी फसल है। इस लिए फास्फोरस और नाइट्रोजन बीज बुवाई के समय में ही डाले।

ग्वार की खेती में इस प्रकार के खाद देने से ग्वार की फसल की अच्छी विकास होती है और अधिक मात्रा में ग्वार की फलिया भी प्राप्त कर शकते है।

ग्वार की खेती में देखभाल कैसे करे

ग्वार की खेती में ग्वार के पौधे की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। ग्वार की खेती में खरपतवार नियंत्रण रखना चाहिए। जब कोई रोग या कीट का अटेक दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के ग्वार के पौधे को रोग मुक्त करना चाहिए।

ग्वार की फसल में योग्य समय पर खाद और जरूरियात मुजब सिंचाई भी करनी चाहिए। ग्वार की फसल में इस प्रकार देखभाल कर के अच्छी पैदावार प्राप्त कर शकते है।

ग्वार की फसल में निदाई गुड़ाई करने से ग्वार के पौधे की विकास अच्छी होती है और कई रोग एवं कई कीट के अटेक से भी बचा जा शकता है।

ग्वार की खेती में मुख्य रोग एवं कीट

ग्वार की फसल में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है। इन में से तेला, जेसिड, सफेद मक्खी, चेपा, झुलस रोग, इस प्रकार के रोज एवं कीट ज्यादा तर देखने को मिलता है।

ग्वार की फसल में इन प्रकार के रोग एवं कीट के अटेक से उपज में बहुत कम प्राप्त होती है इस लिए जब भी कोई रोग या कीट का अटेक दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के ग्वार के पौधे को रोग या कीट मुक्त करना चाहिए।

ग्वार की फसल में रोग एवं कीट का नियंत्रण योग्य समय पर नहीं किया जाए तो उपज में बहुत कम प्राप्त होती है और किशान को अधिक मात्रा में नुकशान होता है।

ग्वार की फसल में उपज

ग्वार की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज के रूप में 10 से 15 क्विंटल तक की उपज मिल शक्ति है। और ग्वार के पौधे में फलिया भी बुवाई के बाद 35 से 40 दिन बाद फलियों की कटाई भी कर शकते है।

एक हेक्टर में चारे के लिए कटाई करे तो 270 से 300 क्विंटल तक की कटाई कर शकते है। ग्वार की खेती में इस प्रकार उपज प्राप्त कर शकते है।

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FAQ’s

ग्वार कितने दिनों में पकती है?

ग्वार की फसल दो मौसम में किशान करते है एक रबी मौसम और खरीफ मौसम में ग्वार की बुवाई करते है। ग्वार के बीज बुवाई के बाद 35 से 40 दिन में फूल में से फलिया तोड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।

एक बीघा में ग्वार कितना होता है?

ग्वार की फसल एक बीघा में करे तो 3.5 से 4.5 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर शकते है।

ग्वार की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

ग्वार की कई सारी वेराइटी है। इन में से एचजी 365 एवं एचजी 563 और एचजी 2-20 इस वेराइटी की बुवाई ज्यादा तर किशान करते है और अधिक उपज के साथ साथ मुनाफा भी ज्यादा करते है।

ग्वार उत्पादन में प्रथम राज्य कौन सा है?

भारत के कई राज्य में ग्वार की फसल किशान करते है और अच्छी मात्रा में उपज भी प्राप्त करते है पर सभी राज्य में से राजस्थान राज्य में ग्वार की खेती बहुत किशान करते है और पैदावार भी भारी मात्रा में प्राप्त करते है।

भारत में ग्वार कहां उगाया जाता है?

भारत में ग्वार कई राज्य में उगाई जाते है इन में से गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाना, उतर प्रदेश, इन के अलावा भी ग्वार की खेती भारत के कई राज्य में होती है।

सारांश – Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai

नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको ग्वार की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? (Gawar Ki Buvai Kon Se Mahine Me Ki Jati Hai) इन के बारे में बारीक़ से जानेगे और ग्वार की खेती के लिए कैसी मिट्टी की पसंदगी करनी चाहिए, ग्वार के पौधे को कैसा जलवायु एवं तापमान अनुकूल होता है,

ग्वार के बीज कब बुवाई करे, ग्वार की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे के नाम, ग्वार की फसल में कौन कौन सा रोग एवं कीट अटेक करते है, और इन रोग एवं कीट के नियंत्रण कैसे करे और ग्वार की खेती एक हेक्टर में करे तो किशान कितनी उपज प्राप्त कर शकते है।इस आर्टिकल में ग्वार की खेती की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी।

हमे पता है की ए आर्टिकल आप को ग्वार की खेती के लिए बहुत हेल्पफुल होगा। और ए आर्टिकल आपको बहुत पसंद भी आया होगा इस लिए इस आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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