जीरा एक मसाला फसल है और इन का एक अनोखा स्थान है। हम सब जानते ही है की जीरा का इस्तेमाल मसाले के रूप में सब से अधिक किया जाता है। कोई भी सब्जी या दाल बना के इन में जीरा का मसाला डाला जाता है इस ली इन का स्वाद भी अच्छा हो जाता है। इन के आलावा जीरा का पावडर बना के छाछ, दही आदि में डाल के भी खाया जाता है।तो आई ए जानते है की इस जीरा की खेती करने का सही तरीका (jeera ki kheti karne ka sahi tarika) और बुवाई करने की विधि।
जीरा की उन्नत किस्में की खेती करेंगे तो अच्छा उत्पादन के साथ अधिक कमाई भी कर शकते है। जीरा की फसल से अच्छी उपज और अधिक मुनाफा करने के लिए कई बातो का ध्यान देना होगा वार्ना इन की खेती से किसान को बहुत नुकशान भी हो शकता है। हमारे देश के गुजरात, राजस्थान राज्य में किसान जीरा की खेती बड़े पैमाने में करते है और बंपर उत्पादन प्राप्त करते है। अगर आप भी एक किसान है और आप भी जीरा की खेती कर के अच्छी कमाई करना चहिते है तो आप सही आर्टिकल पर है।
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की जीरा की खेती करने के लिए कौन सी मिट्टी की आवश्यकता होगी, और तपमान और जलवायु केसा अनुकूल आता है। जीरा की उन्नत किस्में और इन के अलावा सिंचाई कब करे और इन की उत्पादन और होने वाली कमाई बात करे तो जीरा की फसल की विस्तार में जानेगे।
जीरा की खेती कैसे करे
जीरा की खेती आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में कर शकते है पर जीरा के पौधे की अच्छी विकास और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी की पसंदगी करे। पर जमीन का जल निकास अच्छा होना चाहिए। और जमीन का पी.एच मान भी सामान्य होना चाहिए। यह जीरे की फसल रबी की फसल है।
जीरा का पौधा शुष्क एवं सामान्य ठंडी जलवायु में अच्छे से वृद्धि करता है। पर जब पौधा पक जाने की अवस्था में आये तब गर्म एवं शुष्क मौसम की जरूरत होती है। जो अच्छी पैदावार प्राप्त करने में सहायक होते है। शर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला जीरे की फसल को बहुत नुकशान पहुंचाता है।
जीरे की फसल में न्यूतम तापमान 20℃ तक का और अधिकतम तापमान 30℃ तक का अच्छा माना जाता है इन के उपरका तापमान जीरे की फसल को नुकशान पहुचा शकता है।
जीरा की खेती करने का सही तरीका
जीरा की खेती अक्टूबर महीने में की जाती है। जीरा की खेती करने के लिए पहेले तो खेत तैयारी अच्छे से करे। जैसे की ट्रेक्टर एवं हल की मदद से मिट्टी को अच्छे से पलट दे बाद में पाटा चलके ज़मीन को अच्छे से समतल करे। इन के बाद 8 से 10 फिट की क्यारी तैयार करे। इन तैयार क्यारी में एक बीघा के हिसाब से दो किलोग्राम उन्नत किस्में के बीज लेकर इन बीज को दो ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से उपचारित करे इन के बाद ही इन बीज का मुख्य खेत में तैयार क्यारी में बुवाई करे। बुवाई हमेशा 30 सैमी की दुरी पर कतार में करे इन के आलावा आप सीड ड्रिल से भी बुवाई कर शकते है।
जीरा की उन्नत किस्में और खासियत
आज के समय में जीरा की कई सारि उन्नत किस्में मौजूद है। जो अधिक उपज के लिए जानी जाती है। जैसे की
आर जेड 19 : जीरे की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद 120 से 125 दिन में पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और किसान ने एक हैक्टर जमीन में से तक़रीबन 9 से 10 क्विंटल तक का उत्पादन होता है। जीरा की यह किस्में झुलसा रोग एवं उकठा, छछिया रोगो के सामने प्रतिरोधक है।
आर जेड 209 : जीरा की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद 120 से 125 दिन में पुरितरीके से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाता है। इस किस्में के दाने की साईज बड़ी होती है और एक हेक्टर में से 7 से 8 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। इन में भी छाछिया व झुलसा रोग नहीं लगता है।
आर जेड 223 : जीरे की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद 110 से 115 दिन में पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और एक हैक्टर मे से तक़रीबन 6 से 8 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। इन के दाने में तेल अधिक होता है।
जी सी 1 : जीरे की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद 100 से 110 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और एक हैक्टर जमीन मे से 7 से 7.5 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। इस में उकठा रोग नहीं लगता है।
जी सी 4 : जीरा की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई बाद 100 से 110 दिन में पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और एक हैक्टर में से तक़रीबन 8 से 9 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
जीरा की फसल में चिंचाई कब करे
जीरा की फसल में सिंचाई एक अहेम भूमिका निभाती है। इन की फसल में अधिक सिंचाई करने से सारि फसल बर्बाद हो जाती है और किसान को इन का नुकशान भुगतना पड़ता है। इस लिए जीरे की फसल में योग्य समय पर हल्की सिंचाई करे। जैसे की बीज बुवाई के बाद एक हल्की सिंचाई करे जीरा की खेती में 6 से 8 सिंचाई की जरूरत होती है पर जमीन की नमी देख कर सिंचाई करे और जब जीरा के दाने पौधे पर दिखाई दे तब बिलकुल सिंचाई ना करे। और पहेली सिंचाई के बाद 8 से 10 दिन बाद सिंचाई करे।
जीरा के पौधे की कटाई और उत्पादन
जीरा की उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद विविध किस्में का पक ने का समय भी अलग़ अलग़ होता है। जीरे का पौधा जब हरे रंग से भूरे रंग का हो जाए और दाने अच्छे से भरावदार हो जाए तब इन के पौधे अच्छे से पक जाते है तब इन के पौधे के पौधे की कटाई कर लेनी चाहिए। बाद में कुछ समय तक धुप में सूखने के लिए रखा जाता है। जब अच्छे से सुख जाता है तब थ्रेशर की मदद से इन के दाने को अलग कर के बोरी में भर लिया जाता है।
जीरा के उत्पादन की बात करे तो यह आप की महेनत और जमीन, तापमान एवं जलवायु पर निर्भर है। फिर भी आप की जान की खातिर बता दे की एक हैक्टर ज़मीन में किसान ने इन की खेती की है तो 7 से 8 क्विंटल तक का उत्पादन मिलता है। और एक हैक्टर जमीन में जीरे की खेती करने के लिए तक़रीबन 30 से 35 हजार रुपए का खर्च होता है। और जीरे का बजरी भाव एक किलोग्राम के 100 रुपए या इन से भी अधिक होता है। फिर भी जीरे की एक बार की फसल से और एक हैक्टर जमीन से किसान को 40 से 50 हजार रुपए का मुनाफा प्राप्त होता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को जीरा की खेती करने का सही तरीका (jeera ki kheti karne ka sahi tarika) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को जीरे की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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