खरबूजे की खेती 2023 (Kharbuje Ki Kheti Kaise Ki Jaati Hai) : खरबूजे को एक कद्दू वर्गीय फसल भी कहा जाता है। खरबूजा भारत में खरबूजे की खेती कई राज्यों में की जाती है।
हमारे देश भारत में हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, और गुजरात इस राज्यों में खरबूजे की खेती सबसे ज्यादा की जाती है और अधिक उपज भी किशान करते है।
खरबूजे जी फसल से कम समय में अधिक मुनाफा पा शकते है। आज के वक्त में राज्य एवं केन्द सरकार भी कृषि विकास में किशान को बहुत मदद कर रही है।
जैसे के फसल बिमा, बीज सब्सिडी, कृषि यंत्र सब्सिडी, एवं अच्छी उपज के लिए विविध (प्रसिद्ध किस्में) बीज यादि मदद सरकार द्वारा की जाती है और खरबूजे के बीज पर सरकारने 35% सब्सिडी भी उपलब्ध की है।
खरबूजे खाना बेहत जरुरी है खरबूजा गर्मीं के कोसम में आने वाला एक स्वादिष्ट फल है। खरबूजे में विटामिन ए एवं विटामिन सी अच्छी मात्रा में पाये जाने है।
खरबूजे में 90% पानी और 9% कार्बोहाइड्रेट होता है और कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए बहु हेल्थ फूल मन जाता है। खरबूजे की खेती अगर एक आप एक हेक्टरमे करे तो 200 से 250 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर शकते है।
खरबूजे की उपज की बात करे तो एक बार की फसल से आपको 4 से 5 लाख का मुनाफा कर शकते है इसी लिए कम समय में अधिक मुनाफा पा शकते है।
खरबूजे की खेती करे के अगर वैज्ञानिक तकनीक से खरबूजे की खेती की जाये तो किशान को भारी मात्रा में लाभ मिल शकता है खरबूजे को आमतौर पर खाने के लिए इस्तेमाल करते है और इस के फलका उपयोग जूस एवं सलाद में भी करते है
खरबूजे ज्यादातर गर्म मौसम में वृद्धि अच्छी करते है और अति बारिश या बहुत ठंड के मौसम में खरबूजे बहुत कम वृद्धि करते है और रोग एवं कीट से ग्रह सीत हो जाता है।
इस आर्टिकल के भाध्यम से आपको खरबूजे की खेती कैसे करे एवं खरबूजे की अच्छी वेराइटी, कैसे बुवाई करे, कौन कौन से खाद डाले, रोग एवं कीट और कीट या रोग से नियंत्रण कैसे करे।
इन सबके बारेमे विस्तार से बात करेंगे इस लिए ए पेरेग्राफ खरबूजे की खेती करने वाले किशान भइओ को बहुत मदद गार हो शकता है खरबूजे की उत्तम खेती करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़े।
खरबूजे की खेती (Kharbuje Ki Kheti Kaise Ki Jaati Hai) Overview
फसल का नाम | खरबूजे की खेती (Kharbuje Ki Kheti Kaise Ki Jaati Hai) |
इस आर्टिकल का उदेश्य | किशान भाई ओ को खरबूजे की खेती में मदद मिले |
प्रसिद्ध वेराइटी | “पंजाब सुनहरी” “पूसा मधुरस” “हरा मधु” “पूसा शरबती” “आई.वी.एम.एम.3” |
बुवाई कब और केसे करे | फरवरी महीने में की जाती है और ठंडे प्रदेश में अप्रैल और मई महीने में की जाती है |
बीज से बीज की दुरी | 1 फिट से 2 फिट की दुरी रखे |
जमीन में बीज की गहराई | 1.5 से 2.0 से.मी करे |
तापमान और वातावरण | 18°C से 30°C और कस्तूरी एक गर्म और शुष्क मौसम |
खाद कौन सा और कितना डाले | देशी खाद (सड़ा हुआ गोबर) एक हेक्टर में 15 से 20 टन डाले |
आनेवाले रोग | एन्थ्रेक्नोज, अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट,पाउडरी फफूंदी,वर्टिसिलियम विल्ट,कुकुम्बर मोज़ेक वाइरस |
एक हेक्टरमे उपज | एक हेक्टर में से तक़रीबन 200 से 250 क्विंटल उपज हो शक्ती है |
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तरबूज कौन सी मिट्टी में उगता है?
मिट्टी की आवश्यकताएं खरबूजे की खेती अच्छी मात्रा में प्राप्त करना चाहते है तो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है की मिट्टी की आवश्यकताएं क्या होनी चाहिए।
खरबूजे की फसल को अनुकूल मिट्टी रेतीली है और हल्की रेतीली बलुई दोमट मिट्टी भी अच्छी मानी जाती है और जमीन का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। खरबूजे की खेती जल निकासी (जलगलन) जमीन पर करना चाहिए।
क्यों की जब जमीन में जल्द जल निकास नहीं हो शकता तब खरबूजे की फसल में बहुत रोग एवं कीट पाये जाते है खरबूजे की खेती के लिए खरी या नमक की मात्रा ज्यादा हो और जहा जल निकासी कम मात्रा में हो वैसी जमीन खरबूजे की खेत के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।
मिट्टी तैयारी खरबूजे की खेती के लिए जमीन को 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए। क्योकि 2 से 3 बार गहरी जुताई से जमीन अच्छी भुरभुरी जाती है और जमीन में वायु संचार और जल निकासी में अधिक सुधार हो जाता है।
गहरी जुताई कर के जो मिट्टी में कंकड़-पत्थर है वे बहार निकल फेके वे भी मुख्य फसल को नुकसान पहोचाते है और जब जमीन की जुताई हो जाये तब इस में देशी खाद जरूर डाले।
देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर एक हेक्टर में 15 से 20 टन सड़ा हुआ गोबर का खाद डाले एवं खाद डाल के एक बार फिर जुताई कर ले तो बहुत अच्छा रिजल्ट देख ने को मिलेगी ए सब हो जाने के बाद एक बार पाटा चलाकर जमीन को समतल कर लीजिए। बाद में आप खरबूजे की बुवाई दो तरीके से कर शकते हे एक क्यारी बना के और दूसरी नालियों में भी बीज की बुवाई कर शकते है
तापमान और जलवायु
खरबूजे की खेती के लिए गर्म शुष्क तामपान बहुत अच्छा माना जाता है खरबूजे के बीज को 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में बीज सबसे अच्छी तरह से अंकुरित होते है।
और जब 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है तब अच्छी तरह से बढ़ाते है एवं जब ज्यादा बारिश या ज्यादा ठंड के कारण रोग और कीट भी ज्यादा आते है और फूल फल में भारी गिरावट देखने को मिलीगी।
खरबूजे की कौन सी किस्म लोकप्रिय है?
खरबूजे की कई प्रसिद्ध किस्में है इन में से पंजाब सुनहरी” पूसा मधुरस” हिसार मधुर” आई.वी.एम.एम.3″ सागर 60 एफ 1″ हरा मधु” अर्का राजहंस” पूसा शरबती (एस-445)” मृदुला” और भी है इन सब वेराइटी में से कोई बी बुवाई कर शकते है इन वेराइटी की बुवाई कर के किशान अच्छा खच्चा मुनाफा पा शकता है।
पंजाब सुनहरी खरबूजे की इस वेराइटी की बात करे तो ए वेराइटी कृषि “विश्वविद्यालय” लुधियाना द्वारा प्रोवाइड की जा रही है। और इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस किस्में में 65 से 80 दिन के बाद फल देने लगाती है। इस के फल में गूदा भरपूर मात्रा में पर्याप्त है और फल भी बहुत स्वादिस्ट ( मीठे ) होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 250 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
पूसा मधुरस खरबूजे की इस वेराइटी की बात करे तो ए वेराइटी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा अमेरिकन वेराइटी के साथ संकरण कर के तयार की गई वेराइटी है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस किस्में में 80 से 100 दिन के बाद फल देने लगाती है। इस का फल स्वादिस्ट और मीठे होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 250 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
हिसार मधुर खरबूजे की इस वेराइटी को हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा तैयार की गई वेराइटी है।इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी के फल में छिलका धारीनुमा और बहुत पतला देखने को मिलता है। इस के फल नारंगी रंग के होते है। गूदा भरपूर मात्रा में पर्याप्त है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 200 से 250 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
आई.वी.एम.एम.3 खरबूजे की इस वेराइटी को जयपुर ने दुर्गापुरा मधु कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा दुर्गापुरा और पूसा मधुरस के संकरण कर के तैयार की गई वेराइटी है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी की बुवाई के ठीक 80 से 100 दिन के बाद पहेली तुड़ाई कर शकते है। इस वेराइटी के फल खुबज (अधिक ) मीठे होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 200 से 220 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
सागर 60 एफ 1 खरबूजे की इस वेराइटी को मुस्कमेलों सीड फॉर एग्रीकल्चर द्वारा प्रोवाइड की जाता है। गई वेराइटी है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी की बुवाई ज्यातर गुजरात के विविध राज्यों में की जाती है। इस वेराइटी की पहेली उपज 80 से 95 दिन के बाद आती है। इस वेराइटी के फल धारीदार पतला छिलका वाला होता है अवं स्वाद की मात्रा खुबज अच्छी होरी है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 240 से 280 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
हरा मधु खरबूजे की इस वेराइटी को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के द्वारा तैयार की गयी वेराइटी है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी की उपज 90 से 100 दिन के बाद आती है। इस वेराइटी की एक खास बात हे इस वेराइटी में फल पर चूर्णित आसीता और मृदुरोमिल आसिता का रोग नहीं लगता। इस फल का गूदा हरा रंग का है और फल बहुत मीठे होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 180 से 200 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
अर्का राजहंस खरबूजे की इस वेराइटी को बेंगलुरु कर्नाटक के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रोवाइड की जाने वाली वेराइटी है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी में फल 90 से 100 दिन के बाद आते है। इस क़िस्म में फल गोल वर्तुल आकर के एते है। इस के फल खाने में स्वादिस्ट होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 140 से 180 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
पूसा शरबती (एस-445) खरबूजे की इस वेराइटी के फल वर्तुल (गोल)आकर के होते है। एवं फल का छिलका जालीदार एवं हलके पीले रंग का होता है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस के फल में गूदा पर्याप्त मात्रा में मिली है। और एक बेल पर 4 से 7 फल लगते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 160 से 200 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
मृदुला खरबूजे की इस वेराइटी में फल 90 से 100 दिन के बाद फल आते है। इस पैकेज की नेट Quantity 50 ग्राम है। इस वेराइटी के फल में गुदा बहुत मात्रा में पाया जाता है। अवं इस का फल लम्ब आकर के होते है। और फल में बीज भी कम होते है। इस वेराइटी में किशान को एक हेक्टर में से 240 से 260 क्विंटल उपज प्राप्त होती है
बीज उपचार कौन सी दवाई से करें?
खरबूजे की खेती के लिए बीज दर की बात करे तो एक हेक्टर में 800 से 850 ग्राम बीज की बुवाई कर शकते है। एक बीज से दूसरे बीज की दुरी 1 फिट से 2 फिट रखनी चाहिए। एवं बीज की जमीन में बुवाई 1.5 से 2.0 से.मी कर नई होगी। इस प्रकार खरबूजे की खेत में बीज के दर रखे।
जब आप खरबूजे की खेत करे तब बीज उपचार में बीज की बुवाई करने से पहले एक किलोग्राम बीजको कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम से मिलाके उपचार करे। और रासायनिक उपचार के बाद एक किलोग्राम बीजको ट्राइकोडरमा विराइड 4 ग्राम से मिलाके उपचार करे। ए सब उपचार कर के खुल्ले वातावरण में बीजको सुख ने को रख दे और सूख जाने के बाद बीज को बुवाई कर शकते है।
खरबूजे के बीज कब बोना चाहिए?
खरबूजे की खेत की बुवाई फरवरी मास में की जाती है। क्यों की फरवरी मास में खरबूजे की फसल को अनुरुप वातावरण माना जाता है एवं तापमान भी अच्छा माना जाता है।
खरबूजे के बीजको अंकुरित होने के लिए तापमान 18°C से 30°C और कस्तूरी एक गर्म और शुष्क मौसम में खरबूजे का पौधा अच्छे से वृद्धि करते है। और ठंडे प्रदेश में अप्रैल और मई महीने में भी की जाती है।
एक बीज से दूसरे बीज की दुरी 1 फिट से 2 फिट रखनी चाहिए। एवं बीज की जमीन में बुवाई 1.5 से 2.0 से.मी कर नई होगी।
आप खरबूजे के पौधे की देखभाल कैसे करते हैं?
खरबूजे की फसल की देखभाल बहुत अच्छे से करे नहीं तो खरबूजे की खेत में कई रोग एवं वाइरस लग जाते है और बाद में सारी फसल बर्बाद हो जाती है। और किशान भइओ को उपज में भारी गिरावट देख ने को मिलेगी।
बाद में किसान को कम नुनाफ़ा और ज्यादा नुकसान होगा। इस लिए खरबूजे की फसल में जब कोई कीट या कोई रोज का अटेक दिखे तब तुरत योग्य दवाई का छिटकाव करे और सारी फसल को रोग मुक्त करे।
तरबूज के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?
खरबूजे की खेती में खाद डाल ना बेहद जरूरी है। कोई भी फसल करे खाद तो जरुर डाले। खरबूजे की खेत में मिट्टी की गहरी जुताई कर ने के बाद एक हेक्टर में 15 में 20 टन देशी खाद डाले।
यानि के अच्छे से सड़ा हुआ गोबर डाले। खरबूजे की खेती में 1 एक हैक्टर में खाद सिडयुल 72 दिन तक टपक सिंचाई में दीजिए। जब खरबूजे की बीज की बुवाई हो जाये और फसल 18 दिन की हो जाये तब एक हैक्टर में खाद सिडयुल कितना देना चाहिए। इस खाद की माहिती नीचे दिए गए है।
- 1) जब फसल 18 दिन की हो जाए तब पहली खाद मरिनो 2 लीटर +थायमेथोकझाम 250 ग्राम +20:20:20 एच-डी 800 ग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 2) जब फसल 24 दिन की हो जाए तब दूसरी खाद यूरिया 3 किलोग्राम +एग्रोमीन मेक्ष 2.5 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 3) जब फसल 27दिन की हो जाए तब 11:52:00 एच-डी + फरटिशोल 3 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 4) जब फसल 33 दिन की हो जाए तब तीसरी खाद 11:52:00 एच-डी 800 ग्राम + चेलामीन 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 5) जब फसल 38 दिन की हो जाए तब चौथी खाद” एकवाकल 2.5 लीटर बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 6) जब फसल 42 दिन की हो जाए तब 00:52:34 एच-डी + हाइड्रोप्रो गोल्ड 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
- 7) जब फसल 46 दिन की हो जाए तब 00:52:34 एच-डी + एग्री प्रो 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 8) जब फसल 51 दिन की हो जाए तब एकवाकल 2.5 लीटर बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 9) जब फसल 56 दिन की हो जाए तब फरटिशोल 6 किलोग्राम + मरिनो 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
- 10) जब फसल 60 दिन की हो जाए तब “कोंबीकेल 6 किलोग्राम + बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए
- 11) जब फसल 64 दिन की हो जाए तब 13:00:45 एच-डी 800 ग्राम + हाइड्रो प्रो 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
- 12) जब फसल 66 दिन की हो जाए तब 13:00:45 एच-डी 800 ग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 13) जब फसल 70 दिन की हो जाए तब 00:00:50 एच-डी 1600 ग्राम पानी के साथ दीजीए
- 14) जब फसल 72 दिन की हो जाए तब 00:00:50 एच-डी 1600ग्राम पानी के साथ दीजीए।
- 72 दिन की खाद सिडयुल देते ही आपकी फसल पक जाती है।ओर बड़े बड़े फल की कटाई करके आप नजदीकी बाजार में बेचने के लिए ले जा शकते है।
खरबूजे का रोग क्या है?
तरबूज में कौन सी दवाई देना चाहिए?
खरबूजे की खेती में आने वाले रोग अचानक सूखा होजाना एन्थ्रेक्नोज एवं पत्तों के निचली तरफ धब्बे हो जाना और भी खरबूजे की फसल में लगाने वाला रोग है। जैसे की अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट,पाउडरी फफूंदी,वर्टिसिलियम विल्ट,कुकुम्बर मोज़ेक वाइरस ए सब रोग ज्यादा तर खरबूजे की फसल में दिखते है
एन्थ्रेक्नोज : खरबूजे की खेती में जब एन्थ्रेक्नोज रोग ए जाता है तब खरबूजे की फसल में पटिया पर भूरे धब्बे दिखते है। ए रोग लगने का मुख्य कारण बहुत ठंड या ज्यादा बारिश का कारण है। ए रोग कलेटोट्रीचम लगेनरियम फफूंदी के माध्यम से फैलता है। ए रोग ज्यादा तर पुराने (वड्डे ) पति पर देखने को मिलेगा। एन्थ्रेक्नोज रोग का उपचार के लिए हम फसल में जो भी जंगली घास हे वे निकल दीजिए और दूसरा उपचार ऑमिस्तार टॉप (AMISTAR TOP) अजॉक्सिटोबिन 18.2% डब्ल्यू / डब्ल्यू +डायफेनोकोनाजोल 11.4% डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 16 लीटर पानीके साथ 20 मिली मिलाके छिटकाव कीजिए। और एन्थ्रेक्नोज रोग से फसल को मुक्ति दीजिए।
अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट : इस रोग से पतियों पर धब्बे दिखाई देते है और इस बीमारी से पाटिया धीरे धीरे सूखने लगाती है। इस रोग के मुख्य कारण है कुकुमेरिना जैसी अल्टरनेरिया फफूंदी इस के कारण ए रोग फैलते है इस रोग को नियंत्रण रखने के लिए उच्च स्तर का तापमान बहुत अच्छा माना जाता है। और ऑमिस्तार टॉप (AMISTAR TOP) अजॉक्सिटोबिन 18.2% डब्ल्यू / डब्ल्यू +डायफेनोकोनाजोल 11.4% डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 16 लीटर पानीके साथ 20 मिली मिलाके छिटकाव कीजिए। और एन्थ्रेक्नोज रोग से फसल को मुक्ति दीजिए।
पाउडरी फफूंदी : इस रोग लगने का मुख्य कारण विविध प्रजाति की फफूंदी है। जब हम खरबूजे की फसल में देखते हे तब सफ़ेद पाउडर जैसी फफूदी दिखती है। जैसे की पाउडर फफूंदी ज्यादा तर वाहिकाओं के कारण फैलती है। इस के कारण फसल की पाटिया भूरे रंग की देखने को मिलेगी। और इस के कारण पाटिया धीरे धीरे जमीन पर गिरने लगाती है। इस के उपचार के लिए हम फसल को कीटाणु मुक्त करना चाहिए। और TATA का Contaf Plus हेक्साकोनाजों 5%SC W/W प्रोपालीन ग्लाइकाल 5.00 %W/W एमल्सिफायर-ए 3.00 %W/W,एमल्सिफायर-बी 3.00 %W/W 16 लीटर पानी में 40 मिली मिला के छिटकाव करे
वर्टिसिलियम विल्ट : इस रोग का मुख्य लगाने का कारण वर्टिसिलियम डहेलिया नामक फफूंदी है। इस रोग के संपर्क में आने वाले सभी कीट संक्रमण के लिए पैदा करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह रोग के जीवाणु जमीन में मिट्टी के साथ रहते है और कही बर्ष तक जीवित भी रहते है। और किसी भी वक्त सारी फसल में लग शकता है। जब ज्यादा बारिश या ज्यादा ठंड पड़ती हे तब इस रोग को फैलने में मदद मिलती है। इस रोग का प्रभाव ज्यादा तर वसंत ऋतु में देखने को मिलेगा।
कुकुम्बर मोज़ेक : इस रोग का मुख्य कारण है सीएमवी के कारण ए रोग लगते है। इस रोग का फैलने में एफिड्स मदद गार होते है। इस रोग के कारण फसल में पाटिया सिकुड़ने लगाती है। इस रोग के कारण पाटिया पर पीले रंग का मोजेक विकसित होते है। इस रोग में फसल एवं फल भी प्रभावित हो शकते है इन के कारण फसल की पंखुड़ियां हरे रंग की और विकृत हो जाती है। इस रोग उपचार के लिए हमे पहले तो एफिड्स पर नियंत्रण करना चाहिए और जो पौधे इस रोग से प्रभावित (संकरित )हो गई हे वे फसल में से निकाल दीजिए और खरपतवार पर नियंत्रण करे। इस रोग के प्रतिरोधक झमता वाली वेराइटी की बुवाई कीजिए और धानुका धनप्रीत (Acetamiprid 20% SP) 10 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करे। एवं धानुका अरेवा (Acetamiprid 20% SP) 10 मिली 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करे।अथवा बायर कॉन्फिडोर (Imidacloprid 17.8% SL) 10 मिली 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करे। धानुका पेजर (Diafenthiuron 50% WP) 25 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करे।
खरबूजे की खेती में लगने वाले कीट एवं उपचार
खरबूजे की खेती में किट भी विविध लगते है जैसे की चेपा और थ्रिप्स,पत्ते का सुरंगी कीड़ा और फल की मक्खी इस प्रकार के कीट खरबूजे में देखने को मिलेगा। इस कीट का सहि वक्त पर नियंत्रण नहीं किया तो सारी फसल बेकार हो जाती है और उपज कम और नुकसान ज्यादा हो शकता है इस लिए निचे बता कीट उपचार कर के खरबूजे की फसल में से किशान अधिक मुनाफा कर शकते है।
चेपा और थ्रिप्स : इस कीट के कारण पौधे की पाटिया पिले रंग की हो जाती है। इस कीट की कारण पाटिया में जो रस होता है वो रस कीट चूस लेते है इस कीट की वजे से पाटिया ऊपर की तरफ मोड़ जाती है अगर इस कीट का नियंत्रण के उपचार करना है तो आपको थाइमैथोक्सम 5 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा। और इस छिटकाव के बाद 10 से 15 दिन में डाइमैथोएट 10 मि.ली. + टराइडमोरफ 10 मिली दोनों को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना चाहिए
पत्ते का सुरंगी कीड़ा : इस कीट खरबूजे को लगाने से खरबूजे के पौधे की पतियों में छोटे छोटे या लम्बी सुरंग (छिद्र ) देखने को मिलेगा। और पौधे को वातावरण में से प्रकाश संश्लेषण प्रकिया पर मुश्केली होती है और जब कोई भी पौधे को संश्लेषण प्रकिया में मुश्केली आती है तब फूल एवं फल अच्छे से विकसित (वृद्धि ) नहीं हो शकता इस कीट के उपचार के लिए आप को एबामैक्टिन 6 मिली 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगापानी।
फल की मक्खी : इस कीट से खरबूजे की फसल को बहुत नुकसान होता है। मादा मक्खी ज्यादा तर फल पर अंडे देती है और अंडे से जब सूजे निकल ते है वे सूजे सीधे फल पर अटैक करते है। और फल के गूदा खाते है इस के कारण फल बहुत ख़राब होते है। इस लिए खरबूजे की फसल से ऐसे सारे फल तोड़ या उखाड़कर के बहार फेक देनी चाहिए। अगर इस प्रकार के किट दिखे तो तुरंत नीम सीड करनाल एकसट्रैट 50 ग्राम को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना चाहिए। और 8 से 10 दिन के बाद 2 से 4 बार मैलाथियॉन 40 मिली+100 ग्राम गुड़ 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगापानी।
खरबूजा के पौधे पर उपज कितनी होती है?
खरबूजे की खेती की उपज कम वक्त में ज्यादा मिलती है। इस की खेती कर के किशान को बहुत अच्छा मुनाफा मिल शकता है। खरबूजे की उपज एक हेक्टर में से तक़रीबन 200 से 250 क्विंटल उपज हो शक्ती है और इस की खरबूजे की कटाई का आधार विविध वेराइटी ऊपर आधार रखता है। ऍमतोर पर खरबूजे की फसल कई वेराइटी बीज बुवाई के 90 से 100 दिन के बाद कटाई देने की काबिलियत हो जाते है। और खरबूजे के फल को देख कर भी किशान कटाई कर शकते है। एवं फल को देख ते ही पता चल जाता हे की फल कटाई के लिए परिपक्त हो गया है
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सारांश
नमस्ते किशान भइओ इस पेरेग्राफ के माध्यम से आपको खरबूजे की खेती कैसे करे (Kharbuje Ki Kheti Kaise Ki Jaati Hai) में इस के बारे में बहुत कुछ जनने को मिलेगा।
खरबूजे की खेती में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे खरबूजे की खेती में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए। खरबूजे की खेती के पौधे पे लगने वाला रोग एवं वाइरस इन रोग और वाइरस से नियंत्रण कैसे करे।
खरबूजे की खेती की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो खरबूजे की खेती के वारे में इस पेरेग्राफ में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।
ए आर्टिकल आपको खरबूजे की खेती करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए पेरेग्राफ आप को बेहद पसंद आया होगा। इस लिए ए पैरेग्राफ को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस पेरेग्राफ में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद
FAQ’s
Q-1. खरबूजे की खेती कहा की जाती है ?
Answer : खरबूजे की खेती गर्म तथा शुष्क क्षेत्रों में की जाती है
Q-2. खरबूजे की खेती कर के किशान एक हेक्टर में से कितना मुनाफा कर शकता है ?
Answer : खरबूजे की खेती कर के किशान एक हेक्टर में से 9 से लेकर 10 लाख का मुनाफा कर शकता है
Q-3. खरबूजे की कौन कौन सी वेराइटी (किस्मे ) सबसे अच्छी है ?
Answer : खरबूजे की पंजाब सुनहरी” पूसा मधुरस” हिसार मधुर” आई.वी.एम.एम.3″ सागर 60 एफ 1″ हरा मधु” अर्का राजहंस” पूसा शरबती (एस-445)” मृदुला ए सब वेराइटी (किस्मे ) सबसे अच्छी है
Q-4. खरबूजे की खेती कब की जाती है ?
Answer : खरबूजे की खेती फरवरी महीने में की जाती है और ठंडे प्रदेश में अप्रैल और मई महीने में की जाती है
Q-5. खरबूजे की खेती में एक हेक्टर में से कितनी उपज प्राप्त कर शकते है ?
Answer : खरबूजे की खेती में एक हेक्टर में से 200 से 250 क्विंटल उपज प्राप्त कर शकते है
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