लौकी की फसल में करे इन रोग का नियंत्रण तो उत्पादन तगड़ा प्राप्त होगा

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Louki Mai Koun Koun Se Rog Lagate Hai

लौकी में कौन कौन से रोग लगते हैं (Louki Mai Koun Koun Se Rog Lagate Hai) : लौकी (Bottle Gourd) भारत में स्वादिष्ट सब्जियों में से एक है। लौकी विटामिन और फाइबर भरपूर होती है। लौकी कुकुरबिट्स (Cucurbits) परिवार की सब्जी है। लौकी का बेल गर्म तापमान में उगता है। हालांकि यह पौधा कम देखभाल के कारण आसानी से घरों में उगाया जाता है। लेकिन कुछ परिस्तिथियों में लौकी के पौधे में रोग या बीमारी हो जाती है। जिसके कारण वह ठीक तरह से वृद्धि नहीं कर पाता और फल भी नहीं लग पाते है।

लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) यदि आप भी अपने टेरेस, होम गार्डन और खेत में लगे हुए लौकी के पौधे को स्वस्थ और रोग मुक्त रखना चाहते है। तो आइए जानते हैं की लौकी में लगने वाले रोग कौन-कौन से हैं। और इन रोगों से लौकी के पौधे को कैसे बचाए। लौकी के पौधे में लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण कैसे करे। इसकी पूरी जानकारी हम इस आर्टिकल में देने वाले है। इस लिए इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

लौकी की फसल में कौन कौन से रोग लगते हैं (What Diseases Are Caused By Bottle Gourd)

किसान भाई यदि आप लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) करते है तो आपको खबर होनी चाहिए के लौकी में कौन कौन से रोग लगते हैं। (What Diseases Are Caused By Bottle Gourd) और उसका नियंत्रण कैसे किया जाता है। आज हम आपको बताने वाले है की लौकी की खेती में कौन कौन सा रोग लगते है। जैसे की डाउनी फफूंदी (Downy Mildew), कुकुम्बर मोजेक वायरस (Cucumber Mosaic Virus), सेप्टोरिया पत्ती का धब्बा और कोणीय पत्ती धब्बा आदि कई सारे रोग है जो लौकी की खेती में लगते है। और यह सारे रोग का नियंत्रण करने का उपाय भी दिया गया है।

(1) डाउनी फफूंदी (Downy Mildew)

लक्षण : लौकी के पत्तो की ऊपरी सतह पर हल्के पीले या हरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जो बाद में भूरे रंग में बदल जाते हैं। हलाकि अक्सर कोणीय पत्तो वाले स्थान को यह कवक रोग समझ लिया जाता है। लेकिन इनके बीच बहुत कम अंतर होता है। डाउनी फफूंदी गीली और नम स्थितियों में अधिक प्रचलित है। यह हवा, पानी के छींटों और यहां तक ​​कि मानव हाथों और बागवानी उपकरणों के माध्यम से भी फैल सकता है।

डाउनी फफूंदी का नियंत्रण : इस रोग वाले पौधे को अपने खेत में से निकाल दे और उस पौधे को नाले वाली जगह पर फेक दे। यह पौधे को अपने पशु को मत खिलाना वरना पशु को भी रोग लग सकता है। फोलियो गोल्ड कवकनाशी मेटलैक्सिल से बना है और इसमें संपर्क और प्रणालीगत क्रिया होती है। यह फंगल बिल्डअप को रोकता है जो 1.5 से 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या 300 से 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ के पतलापन पर प्रभावी होता है।

(2) कुकुम्बर मोजेक वायरस (Cucumber Mosaic Virus)

लक्षण : इस वायरस के साथ देखे जाने वाले लक्षणों में पत्ती मोज़ेक या धब्बेदार पीलापन, रिंगस्पॉट, बौनापन और पत्ती, फूल और फल विकृति शामिल हैं। सीएमवी पत्तियों पर एक प्रकार का लक्षण भी उत्पन्न करता है जिसे कई मेजबान प्रजातियों पर “शूस्ट्रिंग” प्रभाव के रूप में जाना जाता है। इसके प्रभाव से नई पत्तियाँ संकरी दिखाई देती हैं और पूरा पौधा बौना हो जाता है।

कुकुम्बर मोजेक वायरस का नियंत्रण : वर्तमान में ऐसा कोई रसायन नहीं है जो किसी संक्रमित पौधे से इस वायरस को हटा सके और इस लिए सबसे अच्छा नियंत्रण करने का तरीका खेत से खरपतवार और रोगग्रस्त पौधों को हटाना महत्वपूर्ण है। साथ ही साफ और स्वच्छ उपकरणों का उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।

(3) सेप्टोरिया पत्ती का धब्बा

लक्षण : किसान बही लौकी में रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर छोटे गहरे पानी से लथपथ धब्बे होते हैं। जो शुष्क परिस्थितियों में मटमैले से सफेद रंग में बदल जाते हैं। घावों में पतली भूरे रंग की सीमाएँ विकसित हो जाती हैं। और केंद्र भंगुर हो सकते हैं। और टूट सकते हैं। संक्रमित बटरनट और एकोर्न स्क्वैश और कद्दू फल की सतह पर छोटे सफेद धब्बे उभर सकते हैं।

सेप्टोरिया पत्ती का धब्बा का नियंत्रण : किसान बही किसी भी स्थितियों के दौरान धब्बों के किसी भी लक्षण के लिए पौधों की जांच करें। यदि धब्बे पाए जाते हैं। तो उपयुक्त सुरक्षात्मक कवकनाशी का शीघ्र प्रयोग रोग के विकास को सीमित करने में मदद कर सकता है। इनोकुलम के निर्माण को रोकने के लिए हर 2 साल में खीरे को अन्य फसलों के साथ मिलाया जाना चाहिए। कटाई के बाद फसल के अवशेषों को हटाकर नष्ट कर देना चाहिए।

(4) कोणीय पत्ती धब्बा

लक्षण : पत्तियों पर पानी से लथपथ छोटे-छोटे घाव जो पत्ती की शिराओं के बीच फैलते हैं और आकार में कोणीय हो जाते हैं। आर्द्र परिस्थितियों में घावों से एक दूधिया पदार्थ निकलता है। जो सूखकर घावों पर या उसके बगल में एक सफेद परत बना देता है। जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है। घाव भूरे हो जाते हैं और उनके किनारे पीले हरे हो सकते हैं। घावों के केंद्र सूख जाते हैं और पत्ती में छेद छोड़कर गिर सकते हैं।

कोणीय पत्ती धब्बा का नियंत्रण : रोगमुक्त बीज का प्रयोग करें। उस खेत में पौधे न उगाएं जहां पिछले 2 वर्षों में कद्दूवर्गीय पौधे उगाए गए हों। सुरक्षात्मक कॉपर स्प्रे गर्म, आर्द्र जलवायु में बीमारी की घटनाओं को कम करने में मदद कर सकता है। प्रतिरोधी किस्मों का रोपण करें।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को लौकी में कौन कौन से रोग लगते हैं (Louki Mai Koun Koun Se Rog Lagate Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

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