मसूर की खेती इस तरीके से करेंगे तो अधिक उत्पादन के साथ अच्छा मुनाफा मिलेगा

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हमारे देश भारत में किसान कई विविध दलहनी फसल की खेती करते है इन में से एक है मसूर की दाल आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की मसूर की खेती करने का सही तरीका (Masoor Ki Kheti Karne Ka Sahi Tarika) और इस तरीके से मसूर की खेती करने से किसान को कितना मुनाफा होगा इन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।

Masoor Ki Kheti Karne Ka Sahi Tarika

मसूर की दाल को कई लोग लाल दाल के नाम से भी जानते है। इस मसूर की दाल का उत्पादन हमारे देश भारत के कई राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है और उत्पादन की बात करे तो विश्व के देशो में भारत का दूसरा स्थान आता है। इसे मुख्यत्वे दाल बना के सब्जी बनाने में उपयोग में लिए जाता है। अगर किसान इन की खेती अच्छे से और सही तरीके से उन्नत किस्में के बीज की बुवाई करे तो अच्छी कमाई हो शक्ति है।

मसूर की दाल की बाजारी मांग भी पूरा साल भर रहती है इस लिए किसान के लिए यह मसूर की दाल की खेती एक फायदे का सौदा साबित हो शकता है। इन की खेती करने का सही समय या उचित महीना अक्टूबर महीना या दिसंबर महीना सब से अच्छा माना जाता है। इस समय भारत के कई विस्तार में किसान मसूर की उन्नत किस्में के बीज की बुवाई शुरू हो गई है और कई किसान इन की खेत तैयारी भी कर रहे है। इस समय बीज बुवाई करने से कम सिंचाई में और कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।

मसूर की खेती कैसे करे

मसूर की खेती (How To Cultivate Lentils) से अच्छी उत्पादन और अधिक मुनाफा के लिए किसान को इन बातो का ध्यान रखना चाहिए। जैसे की मिट्टी की पसंदगी, तापमान और जलवायु इन के अलावा बुवाई करने का सही समय और तरीका, उन्नत किस्में के बीज बात करे से इन सब बातो का अच्छे से ध्यान रखे किसान तो उत्पादन अधिक प्राप्त होता है और किसान को मुनाफा भी बंपर मिलता है।

मसूर की खेती अक्टूबर के 15 दिन बाद करे और दिसंबर महीने में भी कर सकते है। मसूर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। और इस के अलावा लाल मिट्टी में इन की खेती अच्छी होती है। पर जमीन का पी.एच मान 5.5 से 7.5 के बिच का अच्छा रहता है। इन के पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए ठंडे जलवायु की जरूरत होती है। पर जब पौधे बड़े हो जाते है और पक ने के समय उच्च तापमान की भी आवश्यकता होती है। मसूर की खेती के साथ आप आन्तर फसल की भी बुवाई कर शकते है जैसे की सरसो की फसल है इस प्रकार एक साथ दो फसल की खेती करने से किसान को बहुत फायदा होता है।

मसूर की खेती तैयारी

मसूर की खेत तैयारी में दो से तीन बार अच्छे से गहरी जुताई करे बाद में पाटा चला के जमीन को समतल करे इन के बाद जब मिट्टी भुरभुरी हो जाए तब मसूर के उन्नत किस्में के बीज की बुवाई करे। और एक हैक्टर जमीन में 55 से 60 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है और जब आप इन के बीज की बुवाई देर से करते है तो आप को 35 से 40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। और जब आप कोई मिश्रित फसल की बुवाई करना चाहते है तो इन बीज की मात्रा आधी कर देनी है। इन बीज की मुख्य खेत में बुवाई करने से पहले बीज को उपचारित जरूर करे। इन बीज की बुवाई सुबह या शाम के समय पर करे।

मसूर के बीज की बुवाई करने का सही तरीका

मसूर की खेती से अधिक उपज के लिए पोरा विधि से और कतार में इन के उन्नत किस्में के बीज की बुवाई करे। इन के अलावा आप सीड ड्रिल का भी उपयोग कर शकते है। इस दोनों विधि से मसूर के बीज उचित गहराई और योग्य दुरी पर गिरते है और बुवाई अच्छी होती है। जब आप अगेती मसूर की बुवाई करते है तब पंक्ति 30 सैमी की दुरी रखी जाती है। और जब पिछेती मसूर की फसल की बुवाई करे तब 20 से 25 सैमी की दुरी रखनी चाहिए।

मसूर की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?

हमारे देश भारत में मसूर की उन्नत किस्में कई साडी है जो भारत के विविध विस्तार में किसान बोते है। भारत के उत्तरपश्चिमी विस्तार में एलएल 147, शिवालिक, पंत एल 639, पूसा वैभव, एल 4076, पंत एल 406, डीपीएल 15, डीपीएल 62, एलएच 84 8, पंत लेंटिल-5, आदि प्रमुख किस्में की बुवाई किसान करते है। और भारत के उत्तरपूर्व विस्तार में इन किस्में की बुवाई किसान बड़े पैमाने में करते है जैसे की मलिका के-75, एडब्लूबीएल 58, एचयूएल 671, पंत एल 406, एडब्लूबीएल 58, एलएस 218, आदि किस्में की बुवाई करते है। और मध्य भारत के विस्तार की बात करे तो आईपीएल81, सीहोर 74 3, पंत एल 639, मलिका के 75, एल 4076, जवाहर लेंटिल-3, आदि उन्नत किस्में की बुवाई करते है।

मसूर की फसल में खाद और सिंचाई

मसूर की फसल हो या कोई अन्य फसल हो किसी भी फसल की अच्छी विकास के लिए और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इन फसल में खाद डालना बेहद जरुरी है। इस लिए मसूर की खेती में भी इस प्रकार की खाद देनी चाहिए। और मसूर की खेती एक हैक्टर में की है तो इस हिसाब से खाद डाले नाइट्रोजन 20 से 25 किलोग्राम, पोटाश 20 से 25 किलोग्राम, सल्फर 35 से 40 किलोग्राम, यह सब खाद जब आप मसूर के बीज की बुवाई करते है तब डाले और जिंक सल्फेट भी जमीन की परीक्षण कर के डाल शकते है। इस प्रकार खाद देने से फसल की वृद्धि अच्छी होती है और उत्पादन समता भी बढ़ जाती है।

मसूर की खेती में सिंचाई की अधिक जरुरत नहीं होती है पर जब उन्नत किस्में के दाने की बुवाई हो जाए तब एक सिंचाई करे ताकि सभी बीज अच्छे से अंकुरित हो जाए और इन के बाद जब पौधे की शाखा अच्छे से निकलने लगे तब और पौधे पर जब फूल किलने लगे और फूल में से जब फलियों दाने बनने लगे तब योग्य समय पर सिंचाई करते रहे पर इस बात का भी ध्यान रखे की ज्यादा सिंचाई करने से पानी का निकास भी हो जाना चाहिए अधिक जल भराव से पौधे सुख जाते है इस लिए योग्य समय पर नमी बनी रहे इस लिए हल्की सिंचाई करे।

मसूर की फसल की कटाई और उत्पादन

मसूर की फसल में उन्नत बीज की बुवाई के बाद लगभग 110 से 130 दिन बाद पूरी तरह से फलिया पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मसूर के बीज बुवाई अक्टूबर या दिसंबर महीने में की जाती है और इन की कटाई फरवरी महीना या मार्च महीने में करते है। मसूर के पौधे पर जब फलिया में अच्छे से दाने पक जाए और फलियों के रंग हरे से भूरे रंग में बदल जाए और पौधे के पते पीले रंग के हो जाए तब इन की कटाई कर लेनी चाहिए।

मसूर की फसल की उत्पादन की बात करे तो वे आप की महेनत पर अधिक निर्भर है। पर इन की खेती सही महीने में और सही तरीके से करे तो उत्पादन अच्छा ही मिलता है। मसूर की फसल अगर आप ने एक हैक्टर में की है तो उपज के रूप में 20 से 25 क्विंटल तक का प्राप्त होता है और चारे के लिए भूसे की बात करे तो 30 से 35 क्विंटल तक का प्राप्त होता है। इस प्रकार मसूर की खेती से किसान को दो लाभ मिलते है। चारे के लिए भूसा और बाजार में बेचने के लिए दाल इन की खेती से किसान को अच्छा फायदा होता है।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को मसूर की खेती करने का सही तरीका (Masoor Ki Kheti Karne Ka Sahi Tarika) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को मसूर की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

हमारे इस ब्लॉग ikhedutputra.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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