मीठे बांस की खेती (Mithe Bans Ki Kheti) : बांस (Bamboo) एक सदाबहार एक पौधा है। बांस घास परिवार से संबधित है। बांस एक घास है जो दिन में सबसे तेजीसे बढ़ने वाला पौधा माना जाता है।बांस की ऐसी कई प्रजातियां है जो दिन में 80 से 90 सेमि तक बढ़ सकती है। मीठे बांस की खेती का दक्षिण एशिया, पूर्व एशिया में बहुत ज्यादा महत्त्व माना जाता है। बांस को दो हिस्सों में बाटा गया है। जो पहला हिस्सा उष्ण कटिबंधीय और दूसरा हिस्सा समशीतोष्ण कटिबंधीय में है। कबर अनुसार ऐसा माना जाता है की विश्व में बांस की 1500 से भी ज्यादा प्रजातियां है।
बांस का पौधा उष्ण कटिबंधीय और समशीतोष्ण जलवायु क्षेत्रों के मूल स्थान है। कई साडी बांस की प्रजातियां ठंडे पहाड़ी क्षेत्र में भी पाई जाती है। ज्यादातर बांस की प्रजातियां वन क्षेत्रो में पाई जाती है। बांस का पौधा 35% अधिक ऑक्सीजन जारी करके और वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को कम करके जंगलों को संरक्षित करने में मदद करता है।
आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की मीठे बांस की खेती (Mithe Bans Ki Kheti) और इन की बुवाई खास तकनीक से करेंगे तो उत्पादन अधिक मिलेगा तो आई ए जानते है मीठे बांस की खेती (Mithe Bans Ki Kheti) के बारे में यह सब जानने के लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक जरूर बने रहे।
बांस की पुरे पूरी जानकारी यहाँ है (Bamboo Information)
बांस को हरे सोने के नाम से भी जाना जाता है। बांस (Bamboo) की ऊँचाई लगभग 5 से 12 मीटर तक जा सकती है। हालांकि यह एक फूल वाला पौधा है। लेकिन फूलों की आवृत्ति सभी प्रजातियों में भिन्न होती है। इसके अलावा फूलों का अंतर बहुत बड़ा है, और 70 से 120 साल तक हो सकता है। यह देखा गया है कि एक बार जब बांस का पौधा फूल आने लगता है तो वह धीरे धीरे सड़ने लगता है और मर जाता है।
मीठे बांस का उपयोग चीनी द्वारा ईमानदार होने और भारतीय समुदाय द्वारा मित्रता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। बांस (Bamboo) भी चीनी संस्कृति के अनुसार एक सज्जन के व्यवहार को दर्शाता है और बौद्ध धर्म का एक हिस्सा है। युवा बांस के शूट बौद्ध भिक्षुओं को भोजन के रूप में परोसते हैं।बांस की यह परियोजना रिपोर्ट पौधे, उसके महत्व, खेती के तरीकों और जरूरतों आदि के बारे में बताती है। रिपोर्ट के अंत में, एक एकड़ में बांस के रोपण के लिए लागत और लाभ का विश्लेषण संदर्भ के लिए प्रस्तुत किया गया है।
बांस से कई तरह की जरूरी चीजें बनाई जाती है। जैसे की बांस की टोकरी, बांस से चटाई, अगरबत्ती, बांस के फर्नीचर। इसके अलावा बांस बहुत से कामों को आसान करता है। बांस की प्रजातियों में अब मीठे बांस की प्रजाति भी शामिल हो गई है। शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मीठे बांस की एक विशेष प्रजाति तैयार की है।
भारत में बांस की खेती (Bamboo Cultivation In India In Hindi)
भारत की केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में बांस को “पेड़” की श्रेणी से हटाने के लिए भारतीय वन अधिनियम 1927 से संसोधन किया और से लघु वन उपज के रूप में नामांकित किया है। इस रिपोर्ट अनुसार कोई भी व्यक्ति बांस की खेती कर सकता है, किसी भी लाइसेंस बगर बांस की खेती कर सकता है।
भारत में बांस की खेती भारतीय वन सर्वेक्षण 2022 की रिपोर अनुसार मध्य प्रदेश भारत में बांस का सबसे बड़ा उत्पादन राज्य है। इसके बाद महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा हैं। किसान भाई बांस की 50% से अधिक प्रजातियां अकेले पूर्वोत्तर भारत में पाई जाती हैं।
भारत के किसान हाल ही में मीठे बांस की खेती (sweet bamboo cultivation) और चल पड़े है। क्योकि मीठे बांस की खेती करने से किसान को बड़ा मुनाफा मिलता है। मीठे बांस की मार्केट में बहुत ज्यादा मांग है। भारत के पूर्वोतर विस्तार में मीठे बांस खाने में बहुत ज्यादा उपयोग होता है।
मीठे बांस की खेती में किसानो को इतना होगा मुनाफा
किसान बांस की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कर सकते है। बांस को एक बार लगाने के बाद बांस में से कई सालो तक कमाई की जा सकती है। खास बात तो यह है की बांस में कोई रोग और कीट नहीं लगता है। इसलिए बांस को हरे सोने के नाम से भी जाना जाता है। किसान हर साल प्रति हैक्टर 8 से 10 लाख रुपये कमा सकते है। बांस को एक बार बोन के बाद कई साल तक बांस सालता है।
किसान अपने ही बांस से कई तरह की जरुरी चीजों को अपने हाथो से बना सकते है। जय से की बांस की टोकरी, बांस से चटाई, अगरबत्ती, बांस के फर्नीचर। इसके अलावा बांस बहुत से कामों को आसान करता है। और इसी वस्तु को मार्केट में काफी अच्छा दाम मील जाता है।
मीठे बांस की खेती हर मौसम और हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है
वैज्ञानिक अनुसार बताया जा गया है कि मीठे बांस की इस प्रजाति की खेती किसी भी मौसम और किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। भरा के परीक्षण के दौरान NTPC से निकले रख के ढेर में भी मीठे बांस के पौधे को उगने में भी सफलता मिली है। मेडिकल में दवाइया और कृषि में खाध बनाने में भी मीठे बांस का उपयोग किया जाता है।
चीन, जापान,थाइलैंड, ताईवान, सिंगापुर और फिलीपींस देशों में तो इससे अचार, चिप्स आदि खाने की वस्तुएं बनाकर बाजार में बेची जाती है।भारत में बांस की खेती (Bamboo Farming) को व्यावसायिक रूप से किया जाने लगा है। भारत ने मीठे बांस की प्रजाति उगाने में सफलता पा ली है। बांस की प्रजातियों में अब मीठे बांस की प्रजाति भी शामिल हो गई है।
मीठे बांस के पौधे यहाँ होते है तैयार
किसान भाई कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक यह शोध बिहार राज्य के भागलपुर जिल्ले में TNB कॉलेज में स्थित टिश्यू कल्चर लैब प्लांट में मीठे बांस के पौधे तैयार किया जाता है।
मीठे बांस से ऐसे तैयार किया जाता है इथेनॉल
मीठे बांस से इथेनॉल बनाने के काम शुरू करने के लिए शोध चल रहा है। यह शोध पूरी तरह से कामयाब होती है, तो भारत में इथेनॉल के उत्पादन में मीठे बांस का प्रयोग होना शुरू हो जाएगा। इससे किसानो को बड़ा मुनाफा होगा। बांस के पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अच्छी तरह से अवशोषित कर के कार्बनिक पदार्थ का निर्माण करते हैं।ये पदार्थ मिट्टी में मिलकर उसे उपजाऊ बनाते हैं।
बांस के उपयोग से इथेनॉल, बायो सीएनजी, बायो डीजल और बायोगैस उत्पादन को लेकर वैज्ञानिक शोध कार्य में लगे हुए हैं। उम्मीद है इसमें जल्द ही सफलता प्राप्त हो जाएगी और भारत में भी इथेनॉल, सीएनजी और बायोगैस उत्पादन में इसका प्रयोग हो सकेगा।
बांस की खेती में किसानो को इतनी मिलती है सब्सिडी
भारत सरकार की और से राष्ट्रिय बांस मिशन योजना के तहत किसान भाइयो को बांस की खेती पर सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। बांस की खेती के लिए किसानो को भारत सरकार बांस के प्रति पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी दे रहे है।
इस योजना के तहत तीन साल में बांस के एक पौधे की लगत 240 रुपये निर्धारित की गई है। इस पर भारत सरकार की और से 50% सब्सिडी दी जाती है। यानि 120 रुपये किसान को प्रति पौधे पर सब्सिडी दी जाती है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को मीठे बांस की खेती (Mithe Bans Ki Kheti) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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