मुंग की खेती बुवाई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी?

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Moong Ki Kheti Ki Puri Jankari

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मूंग की खेती की पूरी जानकारी (Moong Ki Kheti Ki Puri Jankari) : मुंग की खेती बुवाई से लेकर कटाई तक की पुरे पूरी जानकारी इदर दी गई है। दलहनी फसलों में मूंग का विशेष स्थान है। मूंग की फसल खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में सफलतापूर्वक कर सकते है। मूंग में भारी मात्रा में प्रोटीन मौजूद होते है। मुंग हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक है। बल्कि खेत की मिट्टी के लिए भी बहुत ही फायदेमंद है।

किसान भाई दलहनी फसलों में मूंग की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मूंग में वासो की मात्रा कम होती है। और यह विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फाइबर और पोटेशियम से भरपूर होता है। गर्मियों में मूंग की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे फलियां तोड़ने के बाद फसल को जमीन में पलटने से हरी खाद बन जाती है।

मूंग की खेती की पूरी जानकारी (Moong Ki Kheti Ki Puri Jankari)

मूंग के पौधे की अच्छी विकास और फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान बंधू को कई बातो का ध्यान रखना चाहिए जो निचे की तरफ दिए गई है। जैसे की मिट्टी की तैयारी, मूंग की उन्नत किस्मे की बुवाई, खाद और उर्वरक, खरपतवार, फसल में लगने वाले रोग एवं किट का नियंत्रण, उत्पादन और होनेवाली कमाई सभी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।

भूमि की तैयारी कैसे करें

मूंग की खेती (Mung Ki Kheti Ki Puri Jankari) के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। भूमि में उचित जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिये। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो चलाकर करनी चाहिए। और फिर एक क्रौस जुताई हैरो से एवं एक जुताई कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर भूमि समतल कर देनी चाहिये।

मुंग की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है?

आर.एम.जी – 62 : सिचिंत एवं असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। राइजक्टोनिया ब्लाइट, कोण व फली छेदक कीट के प्रति रोधक, फलियां एक साथ पकती हैं। इस मुंग को पकने की अवधि 65 से 70 दिनों की होती है। मुंग का प्रति हैक्टर उत्पादन 8 से 9 क्विंटल होता है।

आर.एम.जी – 268 : सूखे के प्रति सहनशील रोग एवं कीटो का कम प्रकोप । फलियाँ एक साथ पकती हैं। इस किस्म में प्रति हैक्टर उत्पादन 8 से 9 क्विंटल होता है। पकने की अवधि 60 से 70 दिनों की होती है।

आर.एम.जी – 344 : खरीफ एवं जायद के लिए उपयुक्त । ब्लाइट को सहने की क्षमता। चकमदार एवं मोटा दाना। इस मुंग को पकने की अवधि 62 से 70 दिनों की होती है। मुंग का प्रति हैक्टर उत्पादन 8 से 9 क्विंटल होता है।

Moong Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai

मूंग की बुवाई का सही समय क्या है?

मूंग की बुवाई 15 जुलाई तक कर देनी चाहिए। देरी से वर्षा होने पर शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुवाई 30 जुलाई तक की जा सकती है। स्वस्थ एवं अच्छी गुणवत्ता वाला तथा उपचारित बीज बुवाई के काम लेना चाहिये। बुवाई कतारों में करनी चाहिये। कतारों के बीच की दूरी 45 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेन्टीमीटर उचित होती है।

मूंग की खेती में खाद एवं उर्वरक

दलहनी फसल होने के कारण मूंग को कम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। मूंग के लिए 20 किलो नाइट्रोजन तथा 40 किलो फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है।

नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की समस्त मात्रा 87 कि.ग्रा. डी.ए.पी. एवं 10 कि.ग्रा. यूरिया के द्वारा बुवाई के समय देनी चाहिये। मूंग की खेती हेतू खेत में दो तीन वर्षों में कम से कम एक बार 5 से 10 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद देनी चाहिये।

इसके अतिरिक्त 600 ग्राम रोइजोबियम कल्चर को एक लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ के साथ गर्म कर ठंडा होने पर बीज को उपचारित कर छाया में सुखा लेना चाहिये और बुवाई कर देनी चाहिये। खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से पहले मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिये।

मूंग की खेती में खरपतवार नियंत्रण

फसल की बुवाई के एक या दो दिन पश्चात् तक पेन्डीमैथालीन (स्टोम्प) की बाजार में उपलब्ध 3.30 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये।

फसल जब 25-30 दिन की हो जाये तो एक गुड़ाई कस्सी से कर देनी चाहिये या इमेजीथाइपर (परसूट) की 750 मि. ली. मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिये।

मूंग की खेती में रोग तथा कीट नियंत्रण

दीमक रोग :- दीमक फसल के पौधों की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं। बुवाई से पहले अन्तिम जुताई के समय खेत में क्यूनालफोस 1.5 प्रतिशत या क्लोरोपाइरोफोस पाउडर की 20 से 25 किलो मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में मिलानी चाहिये। बोने के समय बीज को क्लोरोपाइरीफोस कीटनाशक की 2 मि.ली. मात्रा से प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर बोना चाहिये।

कातरा रोग :- कातरा का प्रकोप विशेष रूप से दलहनी फसलों में बहुत होता है। इस कीट की लट पौधों को आरम्भिक अवस्था में काटकर बहुत नुकसान पहुँचाती है। इसके नियंत्रण हेतु खेत के आस पास कचरा नहीं रहना चाहिये। कातरे की लटों पर क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत पाउडर की 20-25 किलो मात्र प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव कर देनी चाहिये।

मूंग की खेती से होनेवाला उत्पादन

मूंग की फसल में अच्छे से देखभाल कर के की जाए तो उत्पादन किसान को एक हैक्टर जमीन के हिसाब से 7 से लेकर 8 क्विंटल तक मिलता है। और यह उत्पादन आप की महेनत पर निर्भर है। जब कोई रोग या किट का अटैक दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के इन रोग और किट का नियंत्रण करे ताकि उत्पादन अधिक प्राप्त हो

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को मूंग की खेती की पूरी जानकारी (Moong Ki Kheti Ki Puri Jankari) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

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