रजनीगंधा फूल की खेती कैसे करे|रजनीगंधा की खेती कब और कैसे की जाती है|Rajniganda Ki Kheti

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रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) : यानि के फूलो की खेती। फूल को हम कई नाम से बोलते है जैसे की फूल, पुष्प, कुसुम और प्रसून नाम से भी बोलते है। फूल शब्द बोलते ही हमारे मन में कई प्रकार के फूल की कल्पना होने लगती है और कई सारे फूल तो आखो के सामने दिखाई भी देते है।

हमारे देश भारत में कई राज्य में बड़े पैमाने में किशान रजनीगंधा के फूल की खेती करते है। और रजनीगंधा की खेती में कम खर्च और ज्यादा मुनाफा मीलता है। रजनीगंधा को स्वोर्ड लिल्ली एवं निशिगंधा के नाम से भी हम सब जानते है।

मानव जीवन में फूल का महत्त्व कुश खास है। फूल को हम प्यार एवं स्नेह और आस्था का प्रतीक मानते है। इन के आलावा जो फूलो से सुगंध (खुसबू) आती है इस सुगंध से मन को ताजगी और शांति का अनुभव होता है।

रजनीगंधा के फूल सफ़ेद रंग के होते है और फूल की लम्बाई भी काफी ज्यादा होती है। रजनीगंधा के फूल का उपयोग बहुत होता है रजनीगंधा के फूल में से तेल, माला, गजरा, तोरण, वेणी, और कई धुप सली (अगरबत्ती) तेमज देवी देवता के पूजा में भी रजनीगंधा के फूल उपयोग में हम लेते है।

रजनीगंधा के फूल से अतर एवं परफ्यूम भी बनाते है। रजनीगंधा के फूल कई दिनों तक ताजा रहते है। इस लिए आज के ज़माने में रजनीगंधा के फूल की बाजार में बहुत मांग रहती है इस लिए रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) कर के किशान अच्छी मात्रा में इनकम कर शकते है।

Rajniganda Ki Kheti
Rajniganda Ki Kheti

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) कैसे करे और कब इस के पौधे की बुवाई करनी चाहिए। इस की खेती के लिए कैसी मिट्टी की पसंदगी करनी चाहिए। इस के उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। इस के पौधे को अनुकूल तापमान एवं वातावरण केसा होना चाहिए।

इस रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में लगने वाले रोग एवं कीट कौन कौन से है। इन रोग एवं कीट के उपचार या नियंत्रण के लिए कौनसी दवाई का इस्तेमाल करना होगा। और बात करे तो रजनीगंधा की खेती एक हेक्टर में की है तो उपज कितनी मिलेगी और फूलो की तोड़ाई कब करनी होगी।

इन सब के बारे में बारीक़ से आज इस आर्टिकल के माध्यम से जानेगे और समजेगे। रजनीगंधा की खेती की सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे। धन्यवाद

Table of Contents

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) Overview

आर्टिकल का नामरजनीगंधा की खेती | Rajniganda Ki Kheti
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को रजनीगंधा की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीप्रज्‍जवल, अर्थ डबल, रजत रेखा, धारीदार, एकहरा
बुवाई कब और केसे करेफरवरी से मार्च माह और जून से जुलाई
पौधे से पौधे की दुरी15 से 20 सेंटीमीटर की दुरी
तापमान और वातावरण15℃ से 30℃ तक का तापमान
खाद कौन सा डालेवर्मीकम्पोष्ट एवं गोबर और नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश
आने वाले रोग एवं कीटतना गलन, निमेटोड, धब्बे और झुलस रोग, ग्रास हॉपर, चेपा, थ्रिप्स
एक हेक्टरमे उपजपहेले साल 4.5 से लेकर 5 लाख इन के बाद 8 से 10 लाख
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Rajniganda Ki Kheti | Rajnigandha Ki Kheti Kaise Karen | Rajnigandha Phool Ki Kheti |

रजनीगंधा की खेती के उपयुक्त मिट्टी और तैयारी

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) के लिए खुली हवाई और अच्छे प्रकाश वाली जमीन का चुनाव करना चाहिए। इस की खेती के लिए बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में रजनीगंधा की खेती करनी चाहिए इस तरह की मिट्टी में रजनीगंधा के पौधे और पौधे पर आने वाला फूल अच्छे से विकास करते है।

इस रजनीगंधा की खेती जीस जमीन पर करे इस जमीन की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। और पानी भराव जमीन में रजनीगंधा की खेती नहीं करनी चाहिए। क्यों की जल भराव जमीन में रजनीगंधा की खेती करने से जड़ गलन जैसे रोग लगते है

सारी फसल बरबाद हो जाती है। रजनीगंधा की खेती जीस मिट्टी में करना चाहते है उस मिट्टी का पहले जांस परख करवा लिजिए। रजनीगंधा के पौधे जीस मिट्टी (जमीन) में करे उस मिट्टी का P.H मान 6.5 से लेकर 7.5 के बिच का होना चाहिए।

इस प्रकार की मिट्टी में रजनीगंधा की खेती की जाई तो पौधे और फूल दोनों की वृद्धि अच्छे से होती है और फूल के रुप में पैदावार अच्छी प्राप्त होती है।

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में जमीन की तैयारी में एक से दो बार गहरी जुताई करनी चाहिए। जमीन को समतल करने के लिए पाट्टा चलाना चाहिए।

जमीन समतल अवश्य कर लेना चाहिए जमीन समतल करने से जल भराव की समस्या ख़त्म हो जाती है। जमीन की आखरी जुताई से पहेले वर्मीकम्पोस्ट और सड़ा हुआ गोबर एक हेक्टर में 12 से 15 टन खाद डाले और मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए। इस के बाद जमीन को भुरभुरी कर लीजिए।

रजनीगंधा के पौधे को अनुरूप तापमान और जलवायु (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में तापमान 15℃ से 30℃ तक का तापमान रहना खुबज जरूरी है। रजनीगंधा के पौधे और फूल इस तापमान में अच्छे से वृद्धि करते है। रजनीगंधा के पौधे को अनुरूप जलवायु शीतोष्ण अच्छी मानी जाती है।

हमारे देश भारत में इस रजनीगंधा की खेती गर्म एवं आर्द्र विस्तार में की जाती है। इस की खेती भारत के कई राज्यों में करते है इन में से पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, और उतरा खंड और हिमाचल प्रदेश में रजनीगंधा की खेती बड़े पैमाने में करते है

किशान और अच्छे मात्रा में पैदावार प्राप्त करते है और मुनाफा भी अधिक करते है इस प्रकार रजनीगंधा की खेती पहाड़ी विस्तार में बहुत किशान करते है।

रजनीगंधा की उन्नत किस्में (वेराइटी) (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में कई सारी प्रसिद्ध किस्मे है इन में से प्रज्‍जवल, अर्थ डबल, रजत रेखा, धारीदार, एकहरा, शृंगार, इस प्रकार के उन्नंत किस्मे रजनीगंधा की है। इन किस्मे की कुछ खासियत भी इस प्रकार की है जो निचे दी गई है।

  • प्रज्‍जवल : रजनीगंधा की इस प्रसिद्ध किस्मे को बैंगलोर में NBRI द्वारा मेक्सिकन सिंगल के संकरण कर के तैयार की गई प्रसिद्ध किस्मे है। इस किस्मे के पौधे में फूल की मात्रा अधिक होती है और इन किस्मे के फूलो में वजन भी बहुत ज्यादा होता है इस लिए वजन में भी काफी भारी होता है।
  • अर्थ डबल : इस प्रसिद्ध किस्मे के फूलो की पंखुडिया दो या चार पंक्तियों में देखी जाती है। इस किस्मे में और भी किस्मे मिलती जुलती है इन में से कलकत्ता डबल और मेक्सिकन सिंगल भी सामिल है।
  • रजत रेखा : इस प्रसिद्ध किस्मे को NBRIN के द्वारा तैयार की गई किस्मे है। इस किस्मे के पौधे पर सफ़ेद एवं सिल्वर रंग के होते है और पत्तिया के रंग सुरमई है
  • धारीदार : इस किस्मे में फूल डबल एवं सिंगल दो प्रकार के दिखाई देते है। इस फूल के पखुड़िया सफेद एवं सुनहरे रंग के होते है इस रंग के कारण फूल बहुत मन मोहक लगते है।
  • एकहरा : इस प्रसिद्ध किस्मे में और भी किस्मे सामिल है जैसे की प्रज्जवल एवं लोकल। इस किस्मे में फूल सफेद रंग के होते है और फूल के पंखुडिया एक ही होते है
  • शृंगार : इस प्रसिद्ध किस्मे को NBRI बैंगलोर द्वारा मेक्सिकन सिंगल एवं डबल के संकरण कर के उत्पन की गई किस्मे है। इस किस्मे के फूल बड़े साइज के होते है। इस के फूल की काली आछो गुलाबी रंग के होते है इस किस्मे में पैदावार अच्छी मिलती है

रजनीगंधा की बुवाई कब और कैसे करे ? (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) हमारे देश में फरवरी से मार्च माह में शुरू हो जाती है और कई विस्तार में जून और जुलाई माह में भी करते है। इस माह में रजनीगंधा के पौधे की बुवाई कर ने से पौधे को प्रयाप्त धूप एवं नमी अच्छे से मिलती है

रजनीगंधा के पौधा अच्छे से विकास करते है और पौधे पर आने वाले फूल की संख्या में बड़ोतरी देखने को मिलेगी। इस की बुवाई दो प्रकार से की जाती है एक तो बीज की बुवाई कर के और कलम (कंद) की बुवाई कर के ज्यादा तर किशान कलम की बुवाई करते है इस में आसानी से रोपाई हो शक्ती है।

रजनीगंधा की खेती क्यारी में या बेड तैयार कर के कर शकते है। रजनीगंधा की बुवाई हम 15 से 20 सेंटीमीटर की दुरी पर पौधे से पौधे की बुवाई कर शकते है।

रजनीगंधा की खेती में खरपतवार कैसे करे ? (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरूरी है नहीं तो पौधे की वृद्धि रूक जाती है और पौधे से फूल के रुप में मिलने वाली उपज भी कम मिलेगी। इस लिए रजनीगंधा की खेती में खरपतवार दो प्रकार से कर शकते है

एक तो निदाई गुड़ाई खुरपी से और एक रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के इस इन में से हमारा सुजाव है की निदाई गुड़ाई खुरपी से ही करे क्यों की रासायनिक दवाई का उपयोग से जमीन की उपजाव या P.H मान कम हो जाती है और तीन या चार साल के बाद इस जमीन में कोई भी फसल की बुवाई करे उपज कम ही मिलती है।

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में निदाई गुड़ाई दो से चार बार की आवश्यकता होती है। इस के बाद पौधे बड़े हो जाने पर जमीन में प्रकाश बहुत कम मिलता है इस लिए बिन जरूती घास फुस भी बहुत कम अंकुरित होते है।

रजनीगंधा के पौधे की देखभाल कैसे करे ? (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में देखभाल में आप योग्य समय पर जमीन की नमी बना ए रखने के लिए योग्य समय पर सिंचाई करनी चाहिए। और जब पौधे पर फूल की कलि दिखाई दे तब सिंचाई कर ने से कलि से फूल अच्छे से अंकुरित होते है।

जब रजनीगंधा के पौधे पर कोई रोग एवं कीट दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिटकाव कर के पौधे को रोग या कीट से मुक्त करना चाहिए। इस प्रकार आप रजनीगंधा की खेती में देखभाल कर शकते है।

रजनीगंधा की खेती में सिंचाई कब करनी चाहिए ? (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में सिंचाई मिट्टी की नमी रखने के लिए योग्य समय पर करनी चाहिए जब गर्मी के मौसम में रजनीगंधा के पौधे को पानी की आवश्यकता बहुत रहती है इस लिए 8 से 10 दिन में दो बार हल्की सिंचाई करे और शर्दी के मौसम में 10 से 15 दिन में दो बार करनी चाहिए।

रजनीगंधा के पौधे पर फूल दिखाई दे तब सिंचाई की आवश्यकता ज्यादा होती है और एक बात का ध्यान रखे की जब रजनीगंधा की कलम (गांठे) बुवाई की है तो जब तक ए गांठे पूर्ण रूप से अंकुरित हो के जमीन में से बहार नो निकल जाए तब तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए

और गांठे में से पौधा दो या तीन पतों के हो जाए तब एक सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।

रजनीगंधा की खेत में उर्वरक की मात्रा?

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में योग्य समय में खाद देना बेहद जरूरी है क्यों की रजनीगंधा के पौधे से अच्छी उपज के हेतु योग्य खाद देनी चाहिए।

रजनीगंधा की खेत तैयारी के समय उचीत मात्रा में वर्मीकम्पोष्ट एवं अच्छे से सड़ा हुआ गोबर एक हेक्टर के हिसाब से 12 से 15 टन अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए इन के आलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, एवं पोटाश भी योग्य मात्रा में देनी चाहिए।

नाइट्रोजन : नाइट्रोजन पौधे को वातावरण में से 80% किलता है और 4% पानी के माध्यम से मिलता है। इस के आलावा एक हेक्टर में हम 100 से 110 किलोग्राम नाइट्रोजन दे शकते है। नाइट्रोजन का मुख्य कार्य है पौधे या बेल अच्छे से वृद्धि करना।
फास्फोरस : हम एक हेक्टर में फास्फोरस 50 से 60 किलोग्राम दे शकते है। इस का माप जमीन की पी.एच मान के हिसाब से कम या ज्यादा दे शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे या बेल पर फूल की वृद्धि, फल की वृद्धि और पौधे में रोग प्रति कारक शक्ती बढ़ा देना। इस के आलावा भी ए तत्व कार्य करते है फल के आकर को बढ़ाता है।
पोटाश : हम एक हेक्टर में पोटाश 25 से 30 किलोग्राम दे शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे के जड़ो को विक्षित ता वृद्धि करना और कई रोग एवं कीट से पौधे को बचाते है। इस के कारण पौधे या बेल की जड़ मजबूती से जमीन के साथ जुड़ जाती है। पोटाश देने से पौधे की कोशिका की दीवारे मजबूत होती है और तने या बेल के कोष्ट की बड़ोतरी करते है।

रजनीगंधा के पौधे में लगने वाले रोग एवं कीट उपचार (Rajniganda Ki Kheti)

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में कई सारे रोग एवं कीट अटेक करते है इन में से तना गलन, निमेटोड, धब्बे और झुलस रोग, ग्रास हॉपर, चेपा, थ्रिप्स, भुंडी, टिड्डे, कली छेदक, जैसे रोग एवं कीट ज्यादा तर दिखाई देते है

रोग एवं कीट का सही वक्त पर उपचार (नियंत्रण) करना खुबज जरूरी है। वार्ना सारी फसल को बर्बाद कर देते है ए रोग एवं कीट इस लिए योग्य समय पर दवाई का इस्तेमाल कर के रजनीगंधा के पौधे को रोग एवं कीट से बचाना चाहिए।

  • तना गलन : इस रोग के लगने का मुख्य कारण है सक्लेरोशिअम रोलफसाई इन के कारण लगते है। इस बीमारी से रजनीगंधा के पतों पर फंगस दिखाई देते है। और रजनीगंधा के पौधे के पतों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और पतों धीरे धीरे पौधे से गीर के जमीन बिखर जाते है।
  • इस के उपचार में : इस के नियंत्रण में हम BASF का सेर्कडीस प्लस में फ्लुक्सापायरोक्साड 75 G/L और डाइफेनोकोनाजोल 50 G/L इस का मान 30 ML 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए इन से अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा।
  • निमेटोड : रजनीगंधा की खेती में ”निमोटेड” रोग जड़ के अंदर लगने वाला रोग है। निमोटेड रोग लगने से जड़ो की अंदर छोटी छोटी गांठ हो जाती है और पौधे को जमीन में से जरूरी पोषक तत्व नहीं ले पाते और बाद में पौधा धीरे धीरे सुख ने लगता है और एक दिन पौधा नष्ट हो जाता है
  • इस के उपचार में : आप निम् का खाद एवं अरंडी की खाद जमीन तैयारी में डाल शकते है और मेरीगोल्डका पौधे बिच बिच में बुवाई कर के नियंत्रण कर शकते है। और दवाई में बायर कम्पनी का वेलम प्राइम को एक हेक्टर के हिसाब से एक लीटर सिंचाई के माध्यम से देना चाहिए।
  • धब्बे और झुलसा रोग : इस रोग को मुख्य तवे बारिश के मौसम में दिखाइ देते है और इस रोग के कारण फूल के ऊपर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और फूल के सारे भाग सुख जाते है।
  • इस के उपचार में : इस के नियंत्रण में हम कोर्टेवा कंपनी का गैलीलियो पिकोकसिस्टोबिन 22.52 % W/W SC 16 मिलीग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए 15 दिन में दो बार छिटकाव करना चाहिए।
  • ग्रास हॉपर : इस किट का मुख्य कार्य है पौधे में नै अंकुरित होने वाले पतों एवं फूल की काली को खाते है। और पौधे को और फूल दोनों को नुकशान करते है
  • इस के उपचार में : दयूपॉन्ट कंपनी का टोपलीने क्लोरपायरीफास 20 % E.C. 25 ग्राम + शिव कंपनी का उत्तम इमिडाक्लोप्रिड 70 % W/G 10 ग्राम 16 लीटर पानी में इन दोनों को अच्छे से मिल घोल के छिटकाव करना चाहिए।
  • चेपा : इस के कीट पौधे के पोतो एवं फूल और फूल के काली को कहते है और नुकशान भी कर ते है।
  • इस के उपचार में : इस के नियंत्रण में पहले तो थ्रिप्स पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है।
  • थ्रिप्स : इस कीट की वजे से पौधे के पतों जमीन की तरफ मुड़ ने लगती है और बाद में धीरे धीरे पौधे से गिरने लगती है।
  • इस के उपचार में : इस किट के उपचार में हम बायार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • इस के उपचार में :इस किट के उपचार में हम बायार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • भुंडी : इस कीट के कारण बहुत नुकशान होता हे रजनीगंधा के पौधे में इस कीट का मुख्य कार्य हे इन पौधे की सखा को और नई अंकुरित पतों को कहते है और नष्ट कर देते है।
  • इस के उपचार में : इस के नियंत्रण में हम कोरोमंडल कंपनी का साइपरकिल 25 % ई.सी. साइपमेंथ्रिन 25 ई.सी. 35 मिलीग्राम + फेन्डल 50 % E.C इस का मान 40 मिलीग्राम 16 लीटर पानी में मिलके छिटकाव करना चाहिए।
  • टिड्डे : इस किट का अटेक रजनीगंधा के पौधे पर आने वाले पतों एवं फूल दोनों को खाते है और नुकशान पहुचाते है इस के नियत्रण जल्द से जल्द करनी होगी।
  • इस के उपचार में : फेन्डल 50 % E.C इस का मान 40 मिलीग्राम + शिव कंपनी का उत्तम इमिडाक्लोप्रिड 70 % W/G 10 ग्राम दोनों को अच्छे से 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • कली छेदक इली : इस कली छेदक इली पौधे पर लगने से पौधे की पतों एवं फल दोनों को नुकशान पहोचाता है। और फूलो को नुकशान पहुंचाते है
  • इस के उपचार में : इस हरी इली के उपचाई में हम एक्यूरेट कम्पनी का अटैक प्लस इमामेकेटिन बेंजोएट टेक्नीकल्स 2.00% W/W बलायक 33.00% W/W मिथाइल पाईरोलीडॉन 28.70% W/W 20 से 25 ऐ मेल 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।

रजनीगंधा के फूल की उपज एवं तोड़ाई कब करे ?

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में फूलो की तोड़ाई कम से कम बुवाई के 90 से 115 दिन के बाद आती है और इस के फूल की तोड़ाई दो से तीन फूल पूरी तरह से खिल जाए तब इस के डंडी को चाकू (चपु) की मदद से काट के तोड़ाई करनी चाहिए।

रजनीगंधा की खेती में पहले साल में उपज कम से कम एक हेक्टर में से 4.5 से लेकर 5 लाख की तोड़ाई हो शक्ती है। और दूसरे साल एक हेक्टर में से 8.5 से 10 लाख की उपज प्राप्त कर शकते है और इस के बाद इस दे ज्यादा उपज प्राप्त होती है फूलो की तुडाई के बाद फूल को डंडी से अलग की जाती है और इस फूल की पंखुड़ी को साव में सुखाई जाते है

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FAQ’s

Q-1. रजनीगंधा के पौधे बुवाई के बाद कितने दिन में फूल देते है ?

Answer : रजनीगंधा के पौधे बुवाई के बाद 90 से 115 दिन में कुल देते है

Q-2. रजनीगंधा के फूल से क्या क्या बनाते है ?

Answer : रजनीगंधा के फूल में से तेल, माला, गजरा, तोरण, वेणी, और कई धुप सली (अगरबत्ती) में भी उपयोग में लेते है

Q-3. रजनीगंधा की प्रसिद्ध किस्मे कौन कौन सी है ?

Answer : रजनीगंधा की प्रसिद्ध सिस्मे प्रज्‍जवल, अर्थ डबल, रजत रेखा, धारीदार, एकहरा इन के अलावा और भी उत्तम किस्मे है

Q-4. रजनीगंधा की खेती कैसी मिट्टी में करनी चाहिए ?

Answer : रजनीगंधा की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में करने से अच्छी उपज एवं अच्छी वृद्धि करती है

Q-5. रजनीगंधा की खेती कब करते है ?

Answer : रजनीगंधा की खेती फरवरी से मार्च माह में शुरू हो जाती है और कई विस्तार में जून और जुलाई माह में भी करते है

सारांश

नमस्ते किशान भइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा और रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए।

रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे एवं रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

इस लिए ए आर्टिकल आपको रजनीगंधा की खेती (Rajniganda Ki Kheti) करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भाइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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