गुजरात के बोटाद जिले के पलियाद गांव के त्रिकमभाई ने शिमला मिर्च की खेती का सही समय (Shimla Mirch Ki Kheti Ka Sahi Samay) पर कर के बंपर उपज के साथ अच्छी कमाई भी की है। त्रिकमभाई ने अपनी खेत में पॉलीहाउस कर के हरे रंग, और लाल रंग के शिमला मिर्च के हाइब्रिड किस्में के पौधे की खेती की थी और उस खेती में लागत से 5 गुना ज्यादा कमाई की है।
तो आई ए जानते है की त्रिकमभाई ने इस शिमला मिर्च की खेती कैसे सफलता पूर्वक की और कितना उस खेती से मुनाफा प्राप्त किया है।
आज के जमाने में गुजरात के हर किसान शिमला मिर्च की खेती करना चाहते है पर उन्हें शिमला मिर्च की खेती की सही माहिती नही है इस लिया सफलता पूर्वक इस की खेती नहीं कर शकते और अधिक कमाई के बदले ज्यादा नुकसान होता है।
इस शिमला मिर्च के विविध किसने के बीज की नर्सरी में से पौधे खरीद के रोपाई कर के अच्छा खासा उत्पादन प्राप्त कर के एक बहुत बड़ी कमाई कर सकते है।
कई किसान तो शिमला मिर्च लाल रंग, हरे रंग, और पीले रंग, के मिर्च की खेती कर के अधिक मुनाफा कर रहे है। इस शिमला मिर्च की खेती कई किसान विविध तोरतरीके से कर रहे है। और हमारे कृषि वैज्ञानिक भी किसान को सलाह चुचन देते है की इस की खेती उन्नत तकनीक से करनी है तो पॉली हाउस में कर शकते है एवं मुख्य खेत में माल्शिंग बिछा के भी कर शकते है। इसी लिए आज के समय में यहां भी कई किसान शिमला मिर्च की खेती करते है और अधिक कमाई भाई करते है।
गुजरात राज्य के बोटाद जिले के पलियाद गांव के त्रिकमभाई भी इन किसानों में सामिल है। यह किसान पॉली हाउस में खेती करते है और अच्छा उत्पादन भी करते है। इस किसान की खेती देख के अन्य किसान भी इन से मुलाकात कर के सलाह चूचन लेकर उसी तोरतरीक अपना के शीमला मिर्च की खेती करना शुरू कर दिया है। और अपनी आमदनी को बढ़ा रहे है। त्रिकमभाई ने पॉली हाउस में शिमला मिर्च की खेती लगभग 850 से 900 वर्ग मीटर जमीन में कर रहे है।
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त्रिकमभाई ने हरे रंग, पीले रंग, एवं लाल रंग, के किस्में की खेती की थी और उस शिमला मिर्च की खेती 8 महीने तक का समय होता है इस की खेती में लागत 90000 के आस पास हुई थी और मुनाफा की बात करे तो इन से मुनाफा 350000 के आस पास हुआ था। शिमला मिर्च के फल पीले रंग के और लाल रंग के मिर्च के बाजरी दाम बहुत अच्छा मिलता है इन लिए एक किलोग्राम के दाम लगभग 150 से 190 तक का मिलता है। इसी लिए तो शिमला मिर्च की खेती में कमाई अच्छी होती है।
त्रिकमभाई ने बताया की शिमला मिर्च की खेती इस प्रकार से उन्होंने की थी।
इस किसान ने बताया की ड्रिप इरिगेशन विधि से शिमला मिर्च की खेती करने से बहुत लाभ होता है। हम ने देखा जिनकी ज्यादातर किसान मिर्च की खेती में पारंपरिक रूप से सिंचाई करते है इस प्रकार से सिंचाई करने से उपज कम मिलती है।
अगर किसान ड्रिप इरिगेशन विधि से फसल की सिंचाई करते है तब पानी की भी बचत होती है। और उत्पादन में बड़ोतरी देखने को मिलेंगी। मिर्च की खेती में अधिक उपज के लिए योग्य समय पर खाद या ऊर्वरक देना चाहिए इनके अलावा जब कोई रोग या कीट मिर्च के पौधे पर अटैक करते है तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के इन पौधे को उस रोग और कीट से मुक्त करना चाहिए। और खरपतवार नियंत्रण भी रखना चाहिए।
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शिमला मिर्च की खेती करनी है तो इन बातो का भी ध्यान रखना चाहिए।
शिमला मिर्च की खेती करनी है और अच्छा उत्पादन प्राप्त करना है तो जिस मिट्टी में मिर्च के बीज या पौधे की रोपाई करे इस मिट्टी का पी एच मान 5.5 से 6 के बीच का होना बेहद जरूरी है। शिमला मिर्च का पोधा न्युतम 10°C तक का तापमान सहन कर शकता है और अधिकतम 40°C तक का तापमान सहजता से सहन कर शकते है।
शिमला मिर्च के पौधे मुख्य खेत में बुवाई के बाद 75 से 80 दिन बाद उत्पादन देना शुरू कर देते है। और इस की खेती एक हैक्टर में की है तो 350 से 400 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त होती है।