सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती (Singhare Ki Vaigyanik Kheti) : किसान भाई रायबरेली के किसान ने सर्दी का अमृत मानी जाने वाली सिंघाड़े की खेती शुरू की है। ये सिंघाड़े कई बीमारियों के लिए बेहद फायदे मंद होते है। सिंघाड़े की खेती से कम लागत में अधिक आमदनी हो जाती है। एक बीघे के तालाब में सिंघाड़े की खेती की लागत 10 से 15 हजार रुपये तक आती है। और इसके एवरेज में 3 से 4 लाख रुपिया की आमदनी हो जाती है।
किसान बदलते समय के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है। पहले किसान पारंपरिक खेती पर निर्भर रहते थे और पसंद की पारंपरिक फसलें उगाते थे। लेकिन अब किसान आधुनिक खेती कर रहे हैं। कई किसानों ने पारंपरिक खेती पूरी तरह छोड़ दी है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के किसान भी अब पारंपरिक खेती छोड़कर सिंघाड़े की खेती करने लगे हैं। सिंघाड़े की खेती गंदे पानी में की जाती है। इसलिए मवेशियों और अन्य जंगली जानवरों द्वारा सिवेट की फसल को नुकसान पहुंचाने का जोखिम कम होता है। वर्तमान समय में किसान सिंघाड़े की खेती कर कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं।
सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती (Singhare Ki Vaigyanik Kheti)
किसान जलभराव वाली जमीन में भी खेती कर के अच्छी कमाई कर शकते है। सिंघाड़े की पानी भराव जमीन में खड्डे तैयार कर और डंडे एक मीटर की दुरी पर गाड़ के सिंघाड़े के पौधे की रोपाई करे। हमारे देश भारत में बिहार राज्य में सिंघाड़े की खेती किसान बड़े पैमाने में करते है।
सिंघाड़े की खेती तालाब, छोड़े गड्ढों और जीस जगह पानी भरा रहता है उस जगह पर बड़ी आसानी से सिंघाड़े की खेती कर शकते है। इन की खेती के लिए ऐसी जगह की पसंदगी करे जीस जगह पर 2 से 4 फिट पानी भरा रहता है। ऐसी जमीन में सिंघाड़े की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर के अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त होता है और इन उप्तादन से अधिक कमाई के साथ बंपर मुनाफा प्राप्त होता है।
सिंघाड़े खाने के फायदे ?
किसान भाई सिंघाड़े अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर और थायराइड जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है। सिंघाड़े में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। सिंघाड़े का सेवन मूत्र संक्रमण से बचाता है। सिंघाड़े अपच और मतली जैसी समस्याओं को ठीक करता है। चूंकि सिंघाड़े ग्लूटेन मुक्त होता है। इसलिए इसका सेवन बख्त के दौरान किया जाता है। सिंघाड़े में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है। जो भोजन को ठीक से पचाने में मदद करता है।
सिंघाड़े की खेती करके रामानंद के अनुभव।
रायबरेली जिले के शिवगढ़ इलाके के बंकागढ़ गांव के किसान रामानंद भी पिछले कई सालों से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। किसान रामानंद ने बताया कि एक बीघे जमीन में सिंघाड़े की फसल तैयार करने में करीब 10 से 15 हजार रुपये की लागत आती है। और 6 महीने में लागत की तुलना में 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है। किसान ने बताया कि पहले वह एक बीघे में सिंघाड़े की खेती करते थे। लेकिन अब वह 10 से 12 बीघे के तालाब पर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। यह फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है और अच्छा मुनाफा देती है। सिंघाड़े लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
सिंघाड़े पैदा करने वाले किसान रामानंद कहते हैं कि आलू, धान, मक्का, गेहूं और गन्ना की खेती अब लाभदायक नहीं रही। पारंपरिक खेती पहले से भी ज्यादा कठिन हो गई है। पारंपरिक फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से बचना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सिंघाड़े जैसी फसलों की खेती काफी फायदेमंद होती है। बरसात का मौसम शुरू होते ही सिंघाड़े को जून-जुलाई में लगाया जाता है। इस पौधे को फल देने में 3 महीने तक का समय लगता है। सिंघाड़े फल केवल नवंबर से जनवरी तक उपलब्ध होता है। सिंघाड़े की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
किसान ने कहा, सिंघाड़े का उपयोग उपवास में भी किया जाता है। सिंघाड़े का सेवन कच्चा, भाप में पकाकर और आटे के रूप में भी किया जा सकता है। लोग सिंघाड़े की सब्जी और अचार भी बनाते हैं। इसलिए सिंघाड़े की बाजार में मांग भी बहुत अधिक है।
सिंघाड़े की बाजारु भाव
किसान भाई सिंघाड़े की कीमत की बात करें तो सिंघाड़े अपने शहर में 60 से 70 रुपये प्रति किलो बिकता है। लेकिन किसान रामानंद रायबरेली के अलावा लखनऊ, कानपुर, फैजाबाद के बाजार में भी सिंघाड़े बेचते हैं। इन बाज़ारों में किसान सिंघाड़े को अच्छे दामों पर बेचता है और अच्छा मुनाफा भी कमाता है।
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