गन्ने की फसल में ज्यादातर इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है।
दीमक :
यह गन्ने की दोनो तरफ से अंदर चला जाता है और गन्ने की अंदर का हिच्छा खाकर मिट्टी भर देता है, बाद में पतियां सुख के लगती है।
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नियंत्रण :
गन्ने की फसल में जब भी यह दिखाई दे तब इमिडाक्लोप्रिड या क्लोरपाइरीफास की उचित मात्रा सिंचाई के साथ देनी होगी।
# 6
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लाल सड़न :
इस रोग को कई लोग रेड रॉट के नाम से जानते है, यह रोग गन्ने की फसल में लगने से गन्ने का अंदर का हिच्छा लाल और सफेद हो जाता है।
# 5
नियंत्रण :
गन्ने की फसल के रोपाई से पहले बीजो को कार्बेन्डाजिम या तो नम गर्म शोधक मशीन से उपचारित कर के बुवाई करे।
# 4
सफ़ेद गिडार :
यह रोग ज्यादातर बारिश के मौसम में लगता है, इन रोग से ग्रचित पौधे की पतिया खाकर सुख जाति है और पोधा नष्ट हो जाता है
# 3
नियंत्रण :
इन के उपचार के लिए मेटाराइजियम एनीसोपली की 1.50 किलोग्राम के हिसाब से सिंचाई के साथ 450 से 550 लीटर पानी के साथ दीजिए।
# 2
जड़ बेधक : गन्ने की फसल में यह सुंडी बड़े और छोटे दोनो पौधे पर अटैक करती है, और पौधे की अंदर जाकर गन्ने के पौधे की नुकसान पहुंचाती है।
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