नील की खेती है एक अच्छी कमाई का जरिया जाने कैसे करे
नील का निर्माण
सब से पहेले भारत
में ही हुआ था, निल का पौधा जमीन के लिए बहुत लाभदायक होता है।
# 7
मिट्टी की पसंदगी :
नील ली खेती के लिए
बलुई दोमट मिट्टी
सव से अच्छी मानी जाती है और
जल निकासी
भी अच्छी होनी चाहिए।
# 6
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जलवायु :
नील की खेती में लिए
उष्ण
और
शीतोष्ण जलवायु
में अच्छे से विकास करती है, इन के पौधे ज्यादा बारिश में अच्छे से वृद्धि करते है।
# 5
खेत तैयारी :
नील की खेती के लिए दो से तीन बार
गहरी जुताई
करे बाद में अच्छे से सड़ी गोबर की खाद डाल के ज़मीन को
समतल करले
# 4
रोपाई :
इस की रोपाई बीज द्वारा की जाती है और सिंचित जगहों पर
अप्रैल
के महीने में की जाती है, और असिंचित जगहों पर
बारिश
के मौसम में की जाती है।
# 3
खरपतवार :
नील खेती में दो से तीन गुड़ाई की जरूरत होती है, इन की पहेली निदाई गुड़ाई बुवाई के बाद 25 दिन बाद केरे।
# 2
कटाई :
नील के पौधे बीज बुवाई के बाद
90
से
120 दिन
में उपज देने के लिए तैयार हो जाती है, बाद में इन पौधे की कटाई करे।
# 1
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