इस तकनीक से तोरई की खेती करेंगे तो लागत कम और मुनाफा अधिक होगा। 

तोरई एक बेल वाली सब्जी वर्गी फसल है, तोरई की खेती हमारे देश भारत में कई राज्य में किसान करते है। 

# 7 

मिट्टी की पसंदगी : तोरई की अधिक उपज और अच्छी विकास के लिए कार्बनिक पदार्थो वाली उपजाव मिट्टी की जरुरत होती है। 

# 6 

जलवायु : तोरई के बेल और फल की अच्छी विकास के लिए आर्द्र और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है, ठंड के मौसम सहन नहीं कर पते। 

# 5 

तापमान : तोरई के पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से विकास करते है, पर फूल और फल के लिए 30°C से 35°C तक के तापमान की जरूरत होती है

# 4 

उन्नत किस्में : तोरई की यह किस्मे की बुवाई करेंगे तो बंपर पैदावार मिलेगी, उर्मिला, लतिका, अनीता आदि उन्नत किस्मे है। 

# 3 

बुवाई : इस की बुवाई खरीफ मौसम एवं जायद मौसम में की जाती है, खरीफ में जून या जुलाई और जायद में मार्च या में महीने में करते है। 

# 2 

तुड़ाई : तोरई के बीज बुवाई के बाद 75 से 85 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। 

# 1