येलो मोज़ेक वायरस इन सोयाबीन (Yellow Mosaic Virus In Soybean) : हमारे देश भारत में सोयाबीन की खेती कई राज्य में किसान बड़े स्तर पर करते है। सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से तेल प्राप्त के लिए की जाती है। यह एक तिलहनी फसल है। कई बार इन के भाव किसान को अच्छा नहीं मिलता है और सोयाबीन की फसल में रोग बीमारी का भी प्रकोप रहता है।
किसान को एक उम्मीद है की आगे चलके सोयाबीन का अच्छा मार्केट रेट मिलेगा और इसी उम्मीद को लेकर किसान ने इस साल भी अधिक विस्तार में सोयाबीन की खेती कर दी है। इस साल अधिक बारिश होने के कारण सोयाबीन की फसल में कई बीमारी और रोग का खतरा बढ़ गया है। कृषि कृषि वैज्ञानिकों का कहना है की इस साल सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस का खतरा अधिक है।
आज के इस ikhedutputra.Com के इस येलो मोज़ेक वायरस इन सोयाबीन (Yellow Mosaic Virus In Soybean) इन का नियंत्रण कैसे करे और सोयाबीन का अधिक उत्पादन कैसे प्राप्त करें इन के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त करेंगे इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
येलो मोज़ेक वायरस इन सोयाबीन (Yellow Mosaic Virus In Soybean)
सोयाबीन की फसल में जब पीला मोजेक वायरस का अटैक होता है तब सोयाबीन की फसल पीली दिखाई देती है और पत्तो पर छोटे छोटे छेद दिखाई देते है। इस साल बारिश अधिक हो गई है और अब मौसम साफ हो गया है। फिर भी सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग का प्रकोप शुरू हो गया है।
जीस किसान ने सोयाबीन की खेती की है इन किसान की चिंता और भी बढ़ रही है की इस साल भी सोयाबीन की फसल बर्बाद हो जाएगी और उत्पादन बहुत कम प्राप्त होने से नुकशान भी बहुत होगा। सोयाबीन की फसल कई खेतो में पीली दिखाई देती है इन का एक और भी कारण है जो अधिक बारिश होने के कारण खेत में से पानी का निकास अच्छे से नहीं हुआ है। और योलो मोजेक वायरस का फैलाव सफ़ेद मक्खी से होता है। जब सोयाबीन की फसल में सफ़ेद मक्खी दिखाई दे तब इन का जल्द से जल्द नियंत्रण करना चाहिए।
सोयाबीन की फसल में जब पीला मोजेक वायसर अटैक करता है तब सारी फसल पीले रंग की दिखाई देती है और पौधे पर लगी फलिया छोटे आकर की हो जाती है। फलियों में मोज़ेद दाने सिकुड़ जाते है।
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक के लक्षण
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस जनित रोग है और इन रोग लगने का मुख्य कारण सफ़ेद मक्खी है। जब सोयाबीन की फसल में कुछ पौधे पर पीला मोजेक वायरस दिखाई देता है तब आप को इन पौधे को जमीन से अगल कर के खड्डा खोद के इन्हे दबा देना है। इन हो यह सफ़ेद मक्खी इन पौधे पर बैठने से दूसरे पौधे पर बैठती है तब इन पोला मोजेक वायरस का फैलाव होता है और कुछ ही दिनों में पुरे खेत में पीला मोजेक वायरस का अटैक हो जाता है।
जब सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग लगता है तब पौधे के पत्तो पीले रंग के हो जाते है। और फलियों में मौजूद दाने भी सिकुड़ने लगते है। सोयाबीन की फसल में यह रोग शुरू आती समय ने अधिक लगने का खतरा रहता है। और पीला मोजेक वायरस के कारण पौधे की वृद्धि भी अटक जाती है। इस लिए सोयाबीन की फसल की अच्छे से देखभाल करें और समय के साथ इन का नियंत्रण करें।
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक से बचाव
सोयाबीन की फसल में जब भी पीलापन दिखाई दे तब आप को जो पौधे वायरस से संक्रमण हो गई है इन्हे जमीन से उखाड़कर नष्ट करे और मिथोएट, मेटासिस्टोक्स 500 से 600 ग्राम दवाई को 500 लीटर पानी में अच्छे से मिला है एक हैक्टर के दर से अच्छे से छिड़काव करें। और इस रोग के फैलाव करने वाली सफ़ेद मक्खी का खत्मा करने के लिए आप एसिटेमीपप्रीड 25% + बायफेंथिन 25% WG / (250 ग्राम एक हैक्टर) के दर से छिड़काव करें।
सोयाबीन की फसल में इन के अलावा भी आप थायोमिथोकस्म लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 125 मिली मात्रा एक हैक्टर के दर से छिड़काव कर शकते है। अथवा तो आप बिटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रड 350 मिली एक हैक्टर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
सोयाबीन की फसल में एक और दवाई है जो कारगर साबित होती है। प्लांटोंमाइसीन इस में स्ट्रॉपटोमाइसीनसल्फेट 9 % W/W, टेट्रासायक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 1 % W/W, और अन्य 90 % W/W होते है। इन है 16 लीटर पानी में 15 ग्राम अच्छे से मिला के छिड़काव करें इन का रिजल्ट बढ़िया देखने को मिलेगा।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को येलो मोज़ेक वायरस इन सोयाबीन (Yellow Mosaic Virus In Soybean) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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