हमारे देश भारत में कई पतों वाली सब्जियों की खेती किसान करते है इन में से एक लाल चौलाई (Red Amaranth) की खेती इन को इस लोग लाल साग (Lal Saag) के नाम से भी जानते है। इन की खेती हमारे देश भारत में इन की खेती कई राज्य में होती है गुजरात, राजस्थान, उतर प्रदेश, बिहार, झारखंड, आदि राज्य में इन की खेती किसान बड़े पैमाने में करते है और कम लगत में अधिक कमाई करते है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की लाल साग की खेती कैसे होती है (Lal Saag Ki Kheti Kaise Hoti Hai) इन के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त करेंगे।
लाल साग में विटामिन ए, विटामिन सी, खनिज और कई पोषक तत्व भी पाए जाते है जो मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होते है। लाल साग की खेती करने के लिए किसान को रखना चाहिए इन बातो का ध्यान। जैसे की मिट्टी की पसंदगी, खेत तैयार, तापमान और जलवायु, उन्नत किस्में के बीज की बुवाई, सिंचाई और कई रोग एवं कीट से इन फसल को बचाना चाहिए।
लाल साग की खेती कैसे होती है (Lal Saag Ki Kheti Kaise Hoti Hai)
लाल साग की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। जमीन का पीएच मान 6 से 7.5 तक के बिचका होना चाहिए
खेत तैयारी में दोसे तीन बार गहरी जुताई कर के मिट्टी को अच्छे से भुरभुरी करले बाद में इन मिट्टी में अच्छे से गोबर की खाद मिला दे और पट्टा चलाके जमीन समतल कर लेनी चाहिए। और बाद में क्यारिया तैयार करले।
तापमान और जलवायु की बात करे तो न्यूतम तापमान 10℃ और अधिकतम तापमान 35℃ तक का अच्छा माना जाता है। लाल साग की फसल सम शीतोष्ण और शीतोष्ण जलवायु की फसल है जो ठंड के मौसम में अच्छे से वृद्धि करती है। और अच्छा उत्पादन देती है।
लाल साग की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?
लाल साग की उन्नत किस्में हमारे कृषि वैज्ञानिक ने कई सारि विकसित की है इन में से कुछ किस्में का नाम इस प्रकार के है। पूसा किरण लाल साग, पूसा लाल चौलाई, इंडो अमेरिकन अमरनाथ, कोयंबटूर 1, 2, पूसा कीर्ति किस्म, इन के आलावा भी कई सारी किस्में बाजार में मौजूद है। इन में से जो किस्में आप के तापमान और जलवायु के हिसाब से अनुकूल है इन किस्में की बुवाई आप कर शकते है।
बीज की बुवाई और बीज उपचार
इन उन्नत किस्में की बुवाई एक एकड़ में करनी है तो 1 किलोग्राम से लेकर 1.25 किलोग्राम तक की ही आवश्यकता होगी इन से ज्यादा इन के बीज ना बोए। और बुवाई करते समय आप 5 किलोग्राम रेट लेकर इन रेट में एक किलोग्राम बीज को अच्छे से मिला के बुवाई करे तो सही डिस्टेंट पर बीज की बुवाई होती है। इन बीज की बुवाई आप छिड़का विधि से भी कर शकते है।
लाल साग की फसल कतार में की जाती है और कतार से कतार की दुरी 20 सैमी तक की रखनी चाहिए और पौधे से पौधे की दुरी 5 सैमी की रखनी चाहिए ताकि अच्छे से पौधा वृद्धि कर शके और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर शके।
बुवाई से पहले बीज उपचार जरूर करे ताकि शुरूआती समय में कोई रोग या कीट अटैक ना कर शके और बीज अच्छे से अंकुरित हो जाए इन के बीज उपचार के लिए UPL Saaf पावडर का 3 ग्राम और Thiamethoxam 2 मिली एक किलोग्राम बीज को उपचारित करे।
इन के बीज बुवाई के बाद 20 से 25 दिन में संपूर्ण रूप से कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इन के पतों की कटाई आप दो से तीन बार कर शकते है। पर मार्किट भाव अच्छा है तो इन के पौधे को जमीन से उखाड़कर दूसरी बार फसल तैयार कर शकते है।
लाल साग की खेती करने का सही समय क्या है?
लाल साग की खेती किसान साल भर कर शकते है जैसे की ठंड को मौसम में सितंबर महीने से दिसंबर महीने तक और गर्मी के मौसम में जुलाई महीने से अगस्त महीने तक और बारिश के मौसम में फरवरी महीने से मार्च महीने तक का समय सब से अच्छा माना जाता है। इस समय अधिक किसान लाल चौलाई की खेती करते है।
बीज बुवाई के साथ करे इन खाद का इतेमाल
लाल साग की उन्नत किस्में के बीज बुवाई करने से पहले बीज के साथ एक एकड़ के हिसाब से 2 से 2.5 टोली अच्छे से सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिला दीजिए और इन के अलावा एसएसपी 15 किलोग्राम, यूरिया 15 किलोग्राम और जिप्सम 20 किलोग्राम बुवाई के साथ प्रयोग करना चाहिए।
चौलाई साग में सिंचाई
चौलाई साग की फसल में बहुत सिंचाई की जरूरत नहीं होती है इन की खेती आप ने गर्मीं के मौसम में की है तो सिंचाई की जरूरत अधिक पड़ेगी पर शर्दी के मौसम में 4 से 5 सिंचाई करने से फसल अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इन की फसल में तीन से पांच दिन के अंतर पर हल्की सिंचाई करे और ज्यादा पानी भराव नहीं होना चाहिए।
लाल साग की फसल में रोग एवं कीट नियंत्रण
लाल साग की फसल में सर्दी के मौसम में रोग एवं कीट बहुत कम अटैक करते है पर गर्मी के मौसम में इन का प्रकोप रहता है। इन की फसल में पावडरी विल्ट, जड़ सड़न, हरी इली, लाल इली, इन कीट और फंगस के प्रकोप के नियंत्रण करने के लिए आप बुवाई के बाद 14 से 17 दिन बाद Bayer Antracol 40 ग्राम और UPL Lancergold 40 ग्राम इन दोनों को 15 लीटर मानी में अच्छे से मिला के एक छिड़काव करे।
लाल साग की उपज और कमाई
लाल साग की फसल किसान ने एक एकड़ जमीन में की है तो 50 से 65 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। और लाल साग की बाजारी मांग अधिक रहती है इस लिए इन के बाजारी भाव भी अच्छा मिलता है। एक किलोग्राम के 40 से 60 रुपए तक के रहते है पर 20 रुपए किलोग्राम सामान्य रहेंगे। इस हिसाब से एक एकड़ में से एक लाख बिस हजार तक की कमाई होगी पर इन में से दस हजार लगत में जोड़ देंगे तब भी एक लाख दस हजार तक का मुनाफा किसान को बड़ी आसानी से हो शकता है। और इन की फसल कम समय यानि के 20 से 25 दिन में अच्छे से पक जाती है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को लाल साग की खेती कैसे होती है (Lal Saag Ki Kheti Kaise Hoti Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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