चने की खेती से अधिक उपज के लिए किसान रखे इन बातो का ध्यान।

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चने की खेती हमारे देश भारत के कई सारे राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है। और अधिक उत्पादन प्राप्त कर के अच्छा मुनाफा भी करते है आज के इस आर्टिकल में हम आप को चने की खेती से अधिक उपज कैसे प्राप्त करे (Chane Ki Kheti Se bumper Upaj Kaise Prapt Kare) इन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

Chane Ki Kheti Se bumper Upaj Kaise Prapt Kare

चने एक दलहनी फसल है इन का उपयोग ज्यादातर दाल के रूप में किया जाता है। और जो बची फसल पशुआहार में उपयोग लिया जाता है। चने में अधिक मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाए जाता है। चने को दलहन फसल का राजा भी कह शकते है।

चने की खेती कर के किसान अच्छी कमाई कर शकते है। इन की अधिक उपज के लिए आप को कई सारि बातो का ध्यान रखना होगा चने की खेती ऐसे विस्तार में करे जहा वार्षिक बारिश 60 से लेकर 90 सैमी होता है। इस की खेती किसान शर्दी के मौसम में करनी चाहिए ताकि उत्पादन अधिक मिले।

चलते समय के अनुसार अब रबी फसल का समय ज्यादा दूर नहीं है। इस समय में किसान अपनी खेती में गेंहू, सौंफ, चने आदि फसल की बुवाई करते है और अच्छी मात्रा में उपज प्राप्त करते है। चने की खेती से अधिक उपज के हेतु किसान को अच्छे या उत्तम बीज की बुवाई करनी होगी, जब चने की खेती में कोई रोग एवं कीट अटेक करते है तब योग्य दवाई का छिड़काव करे और चने की फसल में जरूरियात मुजब सिंचाई भी करते रहे। किसान को फसल चक्र से खेती करनी चाहिए। और यह चने की खेती एक ऐसी फसल है जो कम समय में अधिक मुनाफा दे शक्ति है।

चने के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त होती है?

चने की फसल आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है पर चने के पौधे की अच्छी वृद्धि और पौधे से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इन की बुवाई दोमट मिट्टी में या रेतीली मिट्टी में करनी चाहिए। और जमीं का पी.एच मान की बात करे तो 6 से लेकर 7.5 के बिच का सब से अच्छा माना जाता है।

चने की फसल के लिए खेत तैयारी में भी दो से तीन गहरी जुताई करे और पाटा चला के जमीन को समतल करे और इन के उन्नत किस्मे के बीज को पंक्ति में बुवाई करे ताकि सिंचाई में और निदाई गुड़ाई में सरलता रहे और यह करने से चने की फसल में जब सिंचाई करनी होगी तब कोई दिकत ना हो। और अच्छे से फसल की सिंचाई कर शकते है।

चने की फसल में न्यूतम तापमान 15℃ तक का और अधिकतम 30℃ तक का अच्छा माना जाता है। इन से अधिक परमं चने की खेती (Chane Ki Kheti) को नुकशान पंहुचा शकता है। इन की फसल माध्यम तापमान में अच्छे से वृद्धि करती है और उत्पादन भी बंपर प्राप्त होता है।

चने की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए?

चने के उन्नत किस्में के बीज की बुवाई सिंचित विस्तार में और असिंचित विस्तार पर विविध समय पर किया जाता है। जहा सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है इन विस्तार में अक्टूबर या दिसंबर का महीना सब से अच्छा माना जाता है और जिस विस्तार में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है इन विस्तार में सितम्बर महीना या अक्टूबर महीना उपयुक्त माना जाता है।

चने के बीज की बुवाई करते समय इन का भी ध्यान रखे की बीज से बीज की दुरी 20 से 25 सैमी की रखनी चाहिए इस दुरी से बीज की बुवाई करने से उपज अधिक मिलती है और इन बीज की ज़मीन में गहराई 5 से लेकर 7 सैमी की रखनी चाहिए।

चने की सब से उन्नत किस्में कौन कौन सी है

हमारे देश भारत में चने की कई सारी उन्नत किस्मे हमारे देश के कृषि संस्थाने तैयार की है और इन उन्नत किस्में के बीज की बुवाई कर के किसान अच्छी मात्रा में उत्पादन और अधिक मात्रा में कमाई कर शकते है। चने की उन्नत किस्में के नाम कुछ इस प्रकार के है। जे से की इंदिरा चना, Gram 1137, जे. जी. 11, PBG 7, CSJ 515, जे जी के 2, ग्वालियर 2, उज्जैन 24, विजय, चने की इन से भी उन्नत वैराइटी है।

चने की देशी किस्में कौन कौन सी है?

चने की देशी किस्में के नाम कुछ इस प्रकार के है जो जी. एन. जी. 2171 (मीरा), जी.एन. जी. 1581 (गणगौर), आर. वी. जी . 202, इन के अलावा भी देशी चने की किस्में है। चने की देशी किस्मे जो देरी से किसान अपनी खेत में बुवाई करते है जी.एन. जी. 2144 (तीज), यह अच्छी किस्में है। और कबोली चने की उन्नत किस्में जी.एन. जी. 1969 (त्रिवेणी), जी.एन. जी. 1292 इन की भी और उन्नत किस्में है।

चने की फसल में लगने वाला रोग एवं कीट

चने की फार्मिंग (Chane Ki Farming) में जब पौधे पर फूल किलने की शुरुआत होती है और फूल में से चने बनने लगे तब कई प्रकार के रोग एवं कीट अटैक करते है और चने की फसल में ज्यादातर इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है। जैसे की दीमक, कुतरा सुंडी, लाल सुंडी, फली छेदक, उखटा रोग, मुरझाना, झुलसा रोग, सलेटी फफूंदी, कुंगी, सूखा, आदि रोग एवं कीट अटैक करते है और इस का उपचार जल्द से जल्द करे नहीं तो सारी सफल ख़राब हो जाती है और किसान को बहुत नुकशान भुगतना पड़ता है।

चने की खेती में जब भी कोई रोग या कीट दिखाई दे तब योग्य दवाई का सहि माप 15 लीटर पानी में अच्छे से मिल घोल के चने की फसल में अच्छे से छिड़काव करना चाहिए।

चने की खेती में खाद कौन सा डाले

हम सब अच्छे से जानते है की किसी भी फसल में अधिक उपज और फसल के अच्छे विकास के लिए योग्य समय पर खाद डालना चाहिए। जैसे की चने की फसल की खेत तैयारी के समय जब आप आखरी जुताई करते है तब अच्छे से सड़ी गोबर की खाद एक हैक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन डालनी चाहिए।

चने के पौधे की विकास के लिए जरुरी पोषक तत्व देना बेहद जरुरी है और यह पोषक तत्व सिंचाई के माध्यम से और पंप से छिड़काव कर के दे शकते है। इन के अलावा वर्मी कम्पोष्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस भी देना चाहिए। और यह एक हैक्टर में नाइट्रोजन 20 से 22 किलोग्राम और फास्फोरस 40 से 45 किलोग्राम दे शकते है।

चने की फसल में सिंचाई कब करे?

चने की में योग्य समय पर सिंचाई करनी चाहिए तब जाकर अधिक उत्पादन मिलता है। आम तो चने की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरुरत नहीं होती क्यों की इन की फसल शर्दी के मौसम में ज्यादातर किसान करते है और चने की फसल में ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 सिंचाई काफी है। इन के बीज बुवाई के बाद एक सिंचाई और बीज अंकुरित हो जाने के बाद एक सिंचाई बाद में जब चने के पौधे पर फूल लगने लगे तब एक सिंचाई और फूल में से जब चने बनने लगे तब सिंचाई इस प्रकार चार से पांच सिंचाई करे।

चने की खेती से कितना उत्पादन मिलेगा और क्या लाभ होगा

चने के उन्नत बीज की बुवाई के बाद 115 से 130 दिन में पूरी तरह से पक के तैयार हो जाती है। चने के पौधे के पते जब हरे रंग से हल्का पिले पड़े और पौधे पर लगे चने कठोर हो जाए तब इन के पौधे की कटाई कर लेनी चाहिए। चने के पौधे को कटाई कर के धुप में दो से तीन दिन तक अच्छे से सूखने के लिए रखा जाता है बाद में मशीन की मदद से इन पौधे को साफ कर के चने निकले जाते है और इन बीज को अच्छे से साफ हो जाने के बाद बोरियो में भर के रख दिया जाता है।

चने की उपज की बात करे तो इन का उत्पादन विविध फसल और आप की महेनत पर निर्भर रखता है। फिर भी आप की जान की खातर बता दे अगर चने की खेती एक हैक्टर जमीन में करे तो 15 से लेकर 20 क्विंटल तक की मिलती है। और इस उपज को मार्किट में बेचकर किसान भाई 70 हजार से 1 लाख रुपिए तक की कमाई कर शकते है और यह कमाई भी मार्किट के भाव पर निर्भर रखती है। कई बार मार्किट के भाव कम रहते है तो कई बार अधिक रहते है। इस लिए चने की फसल जब भी आप मार्किट में बेचने जाए तब एक बार मार्किट के भाव जरूर जानले ताकि आप को चने की उपज का अच्छा दाम मिले और आप को अच्छी कमाई के साथ अधिक मुनाफा मिले।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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