धान की फसल में रोग और कीट का उपचार (Dhaan Ki Fasal Me Rog Aur Kit Ka Upchar) : हमारे दश भारत के कई राज्य में किसान धान की खेती करते है इन में से झारखंड और बिहार राज्य में धान की खेती प्रमुख फसल के रूप में की जाती है। अगर अपने भी धान की खेती की है और अधिक बारिश के कारण कुछ रोग कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो आप को जल्द से जल्द इस रोग, कीट के नियंत्रण करना चाहिए ताकि उत्पादन अधिक और मुनाफा अधिक हो शके।
धान की खेती से किसान को अधिक उत्पादन के लिए किसान को कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए। धान की खेती में प्रमुख तीन प्रकार के कीट अटैक करते है इन का नियंत्रण समय के साथ करना चाहिए ताकि उत्पादन बंपर और कमाई अधिक हो शके।
आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम धान की फसल में रोग और कीट का उपचार (Dhaan Ki Fasal Me Rog Aur Kit Ka Upchar) के लिए कौन कौन सी दवाई का छिड़काव कर शकते है और धान की फसल को कैसे रोग और कीट रहित करें इन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।
धान की फसल में रोग और कीट का उपचार (Dhaan Ki Fasal Me Rog Aur Kit Ka Upchar)
धान की फसल में मुख्य कीट में तीन प्रकार के अधिक दिखाई देते है और इस कीट का अटैक बारिश के दिनों में अधिक देखने को मिलता है। इन में से एक है कैटर पिलर, स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर इन तीनो कीट का नियंत्रण किसान एक ही दवाई का इस्तेमाल कर के कर शकते है। और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर शकते है।
कैटर पिलर का अटैक : धान की फसल में बुवाई के बाद जब फसल 30 दिन की होती है और बाली आने लगे तब यह कैटर पिलर का अटैक धान की फसल में दिखाई देता है। यह कीट धान की फसल में बहुत नुकशान पहुंचते है। यह कीट धान के पौधे के पत्तो पर अटैक करते है और इस से पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अटक जाती है। इन की पहचान के लिए आप धान के पौधे के पत्तो की जांस करें। और पत्तो पर छोटे छोटे छेद दिखाई दे तो यह रोग का अटेक हो शुका है।
स्टेम बोरर का अटैक : धान की फसल में बुवाई के बाद जब फसल 25 से 30 दिन को हो जाती है तब पौधे की जड़ो में तना छेदक यानि के स्टेम बोरर का अटैक होता है। इन के पहचान के लिए आप पौधें के जो पत्तो सुख गई है इन्हे खींचकर कर शकते है। जब इस का अटैक होता है तब पौधे से खींचे पता बिना टूटे खींचा जाता है। इस से पता लग जाता है की इस धान की फसल में स्टेम बोरर का अटेक हो शुका है।
लीफ फोल्डर का अटैक : धान की फसल में तीसरा लीफ फोल्डर का भी अटैक दिखाई देता है। इस में पौधे के पत्तो को पूरी तरह कीट पत्तो को लपेट लेते है। और पतों पर ही इन के अंडे और चूजे होते है। यह अंडे में से बहार निकले चूजे पती के क्लोरोफिल को चूस लेते है। इन से पता सफ़ेद हो जाता है। और पतिया धीरे धीरे सुख जाता है। इन से धान की फसल में उत्पादन बहुत कम प्राप्त होता है।
धान की फसल में इस तीनो के नियंत्रण कैसे करें
धान की फसल में इस तीनो के नियंत्रण के लिए कृषि वैज्ञानिक ने एक दवाई का छिड़काव करनी की सलाह दी है। और इस दवाई के छिड़काव से तीनो प्रकार के कीडे नष्ट हो जाते है और फसल का अधिक उत्पादन और बंपर कमाई कर शकते है। इस के नियंत्रण के लिए किसान क्योराक्रोन नाम से जो दवाई आती है इन का इस्तेमाल कर शकते है। और इन का नाप एक लीटर पानी में 2 एमएल अच्छे से मिला के छिड़काव करें। इन के छिड़काव से सिजल्ट अच्छा मिलेगा। और धान की फसल रोग और कीट मुक्त हो जाएगी।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को धान की फसल में रोग और कीट का उपचार (Dhaan Ki Fasal Me Rog Aur Kit Ka Upchar) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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