अर्ली गन्ने की प्रजातियां (Early Ganne Ki Variety) : हमारे देश के कई किसान गन्ने की फसल पर निर्भर है। और गन्ना चीनी उत्पादन का भी प्रथम स्त्रोत है। हमारे देश के कई राज्य में किसान गन्ने की विविध किस्म की खेती करते है। जैसे की महाराष्ट्र, उतर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्य में गन्ने की खेती की जाती है।
गन्ने की कई ऐसी भी किस्म है जो साल भर उगाई जाती है। आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आप गन्ने की टॉप 5 किस्म के बारे में बताएंगे और इन की क्या है खासियत इन के बारे में भी जानेंगे। इस लिए आप को हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना है।
गन्ने की टॉप 5 वैरायटी
ये है गन्ने की टॉप 5 किस्में में जो बंपर पैदावार के लिए जानी।जाती है। CoLk 12207 अर्ली, सी.ओ.एल.के – 14201, सी.ओ.एस – 17231, सी.ओ – 18121, सी.ओ – 13235 यह गन्ने की किस्म के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
(1) सी.ओ.एल.के – 14201 गन्ने की हाइब्रिड वैरायटी (14201 Sugarcane Variety)
सी.ओ.एल.के – 14201 (14201 Sugarcane Variety) पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बिक्रीके लिए पुरे भारत में इसकी मांग है। भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति से परामर्श के बाद यह किस्म जारी की है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव पंकज यादव द्वारा जारी की गई थी।
सी.ओ.एल.के – 14201 गन्ने की वैरायटी का विकास उत्तर प्रदेश के लिए किया गया है। इस किस्म का गन्ना मध्यम आकार का मोटा व हल्के पीले रंग का होता है। जिस की उत्पादन की क्षमता 95 से 105 टन प्रति हेक्टेयर होती है। इस वैरायटी के गन्ने में शर्करा की मात्रा 18.60% है। और पोल 14.55% होती है।
(2) सी.ओ.एस – 17231 गन्ने की हाइब्रिड वैरायटी (COS-17231 Sugarcane Variety)
सी.ओ.एस – 17231 (COS-17231 Sugarcane Variety) गन्ने की यह वैरायटी एक रोगरोधी है। जिस पर लाल सड़न रोग का कोई असर नहीं पडेगा है। इस वैरायटी लंबाई और मोटाई वाले गन्ने का उत्पादन मिलेगा है। साथ में अच्छी पेड़ी उत्पादन क्षमता के कारण सी.ओ.एस 17231 वैरायटी का गन्ना किसानों की जेबें भरने में भी मददगार साबित होगा। जिस की उत्पादन की क्षमता 95 से 105 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
(3) सी.ओ – 18121 गन्ने की हाइब्रिड वैरायटी (CO-18121 Sugarcane Variety)
महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में अपना प्रभुत्व फिर से हासिल करने के लिए गन्ने की नई किस्में विकसित करने की कोशिश कर रहा है। पुणे स्थित वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित ‘सी.ओ 18121’ (CO-18121 Sugarcane Variety) नामक गन्ने की वैरायटी के प्राथमिक परीक्षणों को 12.60% से 13.10% के बीच रिकवरी दर और 155 टन प्रति हेक्टर की उत्पादकता के साथ आशा जनक माना जा रहा है। जो कि लगभग 25 टन से अधिक है। अनुसंधान संस्थान के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि केंद्र द्वारा विकसित पिछली वैरायटी है।
(4) सी.ओ – 13235 गन्ने की हाइब्रिड वैरायटी (CO-13235 Sugarcane Variety)
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ जे सिंह ने बताया कि एक गन्ना वैरायटी को विकसित होने पर लगभग 10 साल का समय लगता है। 13235 गन्ना प्रजाति एक बेहतरीन रोग रोधक और बंपर पैदावार देने वाली वैरायटी है। इस वैरायटी से किसानों की औसत उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर होती है। साथ ही इसकी व्यवसायिक शर्करा उपज भी 11.55% पाई गई है। जो बहुत अच्छा माना जाता है।
(5) CoLk 12207, अर्ली
गन्ने की इस किस्म की खेती हमारे देश के इन राज्य में अधिक होती है। जैसे की पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम आदि राज्य में गन्ने की यह किस्म अधिक लोकप्रिय है।
गन्ने की इस किस्म की खेती किसान ने एक हैक्टर जमीन में की है तो 75.43 टन तक का उत्पादन प्राप्त होता है। जो गन्ने की आम किस्म से 15 प्रतिशत अधिक है। गन्ने की इस किस्म जब 10 महीने की होती है तब 17 प्रतिशत शुगर और 14 प्रतिशत पोल पाया जाता है। इस किस्म के कटाई करने के बाद फुटाब भी अधिक पाए जाते है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को अर्ली गन्ने की प्रजातियां (Early Ganne Ki Variety) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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