गर्मी के मौसम में मूली की खेती कर के मात्र 30 दिवस में कमाई शुरू जाने तरीका

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now
Garmi Me Muli Ki Kheti

गर्मियों में मूली की खेती (Garmi Me Muli Ki Kheti) : किसान भाई मूली एक खाध जड़ो वाली सब्जी है। जो की क्रूसिफ़ेरी परिवार संबंधित है। यह उष्णकटिबंधीय और सयंमी क्षेत्र की फसल है। यह एक जल्दी उगने वाली और सदाबहार फसल है। इसकी खाध जेड विभिन्न रंगो जैसे सफ़ेद से लाल रंग की होती है। पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, और असम मुख्य मूली उत्पादन राज्य है। सबसे खास बात यह है। की मूली की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरुरत नहीं है। अगर आप भी मूली की खेती के बारे में ज्यादा जानकारी पाना चाहते है। तो यहाँ जाने की मूली की खेती कब और कैसे करे?

अगर आप भी मूली की खेती कर के अच्छी कमाई करना चाहते है तो यह आर्टिकल आप के लिए हेल्पफुल होने वाला है। इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से आप को मूली की खेती और मूली की विविध किस्में के बारे में अधिक जानकारी मिलने वाली है। इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

मूली के अंदर कई सारे गुणकारी तत्व पाए जाते है। जैसे के विटामिन बी6, कॉपर, मैग्नीशियम, और रिबोफ्लेविन, का मुख्य स्त्रोत है। इसमें एसकॉर्बिक एसिड और पोटेशियम भी भरपूर मात्रा में होता है। मूली के अंदर कई गिनकारी तत्व पाए जाते है। जो हमारे शरीर को लाभ होता है। तो चले जानते है की मूली की खेती कैसे होती है, कब होती है, ए सबकी पुरे पूरी जानकारी हम देंगे।

गर्मियों में मूली की खेती (Garmi Me Muli Ki Kheti)

मूली की खेती ठंड और गर्मियों के मौसम में की जाती है। मूली की खेती ठंड के मौसम में होती है ऐसी गर्मियों के मौसम में होती है। किसान भाई जब आप बीज का सायं करे तब आपको गर्मियों में अंकुरण होने वाला जीब बाजार से लेना होगा। इसके साथ साथ किसान भाई आपको तापमान का जरा ध्यान रखना होगा। मूली के बीज को अंकुरण होने के लिए तापमान 25 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। किसान भाई आप गर्मियों में मूली की खेती करना चाहते हो तो आपको पानी का खास ध्यान रखना होगा।

गर्मियों में मूली की खेती कैसे करें / मूली के लिए उपयुक्त मिट्टी

इसके लिए बलुई, भुरभुरी, रेतीली मिट्टी मूली की खेती के लिए बेहतर मानी जाती। है। कठोर और भरी मिट्टी में मूली का सही तरीके से विकास नहीं होता है। क्योकि इसकी जेड बहुत टेडी हो जाती है। किसान को बहेतर उत्पादन लेने के लिए मिट्टी का पीएच माना pH 5.5 से 6.8 होना चाहिए। किसान भाई मूली की खेती के लिए नमी वाली मिट्टी का इस्तेमाल करे। मूली के पौधे को गर्मियों में दिन में 2 बार पानी दे। अगर आप मूली को शुष्क वाली मिट्टी में अंकुरार करते हो तो हलाकि सिंचाई करना बेहद जरुरी है।

मूली की उत्तम वैरायटी

पूसा चेतकी : यह वैरायटी अप्रैल और अगस्त में बोन के लिए अनुकूलन है। यह जल्दी से पकने वाली वैरायटी है। इसका कम से कम उत्पादन 100 से 110 क्विंटल प्रति एकड़ मिलता है। और बीज का उत्पादन 5 क्विंटल प्रति एकड़ मिलता है।

पूसादेशी : यह किस्म उत्तरी मैदानों में बोने के लिए अनुकूल हैं। इसकी जड़ें सफेद रंग की होती हैं। यह किस्म बिजाई के बाद 50 से 55 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

उसा हिमानी : यह किस्म की बिजाई जनवरी-फरवरी महीने में शाम के समय करें| इसकी जड़ें सफेद और शिखर से हरी होती हैं| यह बिजाई के बाद 55 से 65 दिनों में कटाई के लिए तैयार होती हैं| इसकी औसतन पैदावार 160 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

पंजाबपसंद : यह किस्म की बिजाई मार्च के दूसरे पखवाड़े में शाम के समय करें| यह जल्दी पकने वाली किस्म है, यह बिजाई के बाद 45 दिनों में कटाई के लिए तैयार होती हैं| इसकी जड़ें लम्बी, रंग में सफेद और बालों रहित होती है| इसकी बिजाई मुख्य मौसम और बे-मौसम में भी की जा सकती है| मुख्य मौसम में, इसकी औसतन पैदावार 220 क्विंटल प्रति एकड़ और बे-मौसम में 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

मूली की खेती कैसे की जाती है

हमारे देश मूली की खेती अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मौसमों के अनुसार और अधिकांशतः उत्तरी मैदानी राज्यों में मूली की खेती की जाती है। ऊंची-नीची या पहाड़ी इलाकों को छोड़कर किसान किसी भी जमीन पर मूली की खेती कर सकते हैं। मूली की खेती के लिए जमीन को इस तरह से तैयार की जाती है कि पानी का बेहतर तरीके से निकासी हो।

मूली की खेती की विशेषता

मूली की खेती की एक खास विशेषता यह है कि इसकी फसल केवल दो महीने में तैयार हो जाती है। इसलिए आप एक से अधिक बार खेती का लाभ पा सकते हैं। इस प्रकार के पौधे को तैयार होने में 50 से 60 दिन लगते हैं। इसके पौधे एक फुट तक ऊंचे हो सकते हैं।

मूली की खेती के लिए होनी वाली बीमारियों का ध्यान रखें

मूली के पौधों में कई बीमारियां हो सकती है। मानसून के मौसम में महू रोग पाया जाता है। इस रोग के कीट बहुत छोटे होते हैं। जोपौधे की पत्तियों पर गुच्छे बनाते हैं और उसका रस सोख लेते हैं। पत्तियों का रंग पीला दिखाई देगा। अगर आपने समय पर बीमारियों की पहचान करके उपचार नहीं किया, तो उपज में कमी हो जाती है।

मूली की खेती के समय इन बातों का रखें ध्यान

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि फसल कोई भी हो, अगर आप खरपतवार पर नियंत्रण नहीं रखेंगे, तो फसल की पैदावार अच्छी नहीं होती है। इसलिए खरपतवार का ध्यान रखें। मूली की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए रासायनिक और प्राकृतिक, दोनों विधियां अपनाई जाती हैं। मूली के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक रूप से निराई-गुड़ाई की जाती है।

अन्य भी पढ़े :

आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को गर्मियों में मूली की खेती (Garmi Me Muli Ki Kheti) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

हमारे इस ब्लॉग ikhedutputra.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

इन सब की मदद से किसान खेतीबाड़ी से अच्छी इनकम कर सकता है। इस लिया आप हमारी यह वेबसाईट आईखेडूतपुत्रा को सब्सक्राब करे ताकि आप को अपने मोबाईल में रोजाना नई आर्टिकल की नोटिफिकेशन मिलती रहे। इस आर्टिकल के अंत तक हमारे साथ बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद।

इस लेख को किसान के साथ शेयर करे...

Leave a Comment