जीरा की फसल में कालिया, चरमा, झुलसा इन सभी रोगो का नियंत्रण ऐसे करें

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Jeera Ki Fasal Me Kali Sharmila Ka Niyantran Kaise Kare

जीरा की फसल में काले चरमी या चुखारा का नियंत्रण कैसे करें (Jeera Ki Fasal Me Kali Sharmila Ka Niyantran Kaise Kare)

जीरा की फसल में कालिया, चरमा, झुलसा, इन का उपचार ऐसे करे

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जीरा की फसल में काले चरमी या चुखारा का नियंत्रण कैसे करें (Jeera Ki Fasal Me Kali Sharmila Ka Niyantran Kaise Kare) : हमारे देश में कई राज्य में किसान जीरा की खेती करते है और इन की खेती में अच्छा उत्पादन भी प्राप्त करते है। पर कई किसान भाई बता रहे है की जीरे की फसल एक जुगाड़ है। कई बार जीरे की फसल में लीला चर्म, कालिया, सुखारा, विल्ट इन सब के अटैक से सारी फसल बर्बाद हो जाती है और किसान का बहुत सारा नुकशान हो जाता है।

जीरा की फसल में काले चरमी या चुखारा का नियंत्रण कैसे करें (Jeera Ki Fasal Me Kali Sharmila Ka Niyantran Kaise Kare)

पर आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की जीरा की फसल में जब इन में से कोई एक रोग का अटैक दिखाई दे तो चरण इन का उपचार या रोकथाम के लिए जरुरी पगला लेना चाहिए। नहीं तो जीरा की फसल में उत्पादन कम और नुकशान अधिक भुगतना पड़ शकता है। इन का नियंत्रण करने के लिए कुछ दवाई का इस्तेमाल करेंगे और इन को दवाई का स्प्रे कर के जो सुख गई है वे तो ठीक नहीं हो शकता पर यह रोग आगे फसल में नहीं लगता और रूक जाता है।

जीरा की फसल में कालिया सुखरा लगने का कारण क्या है ?

जीरा की फसल में कालिया सुखारा लगने का मुख्य कारण यह फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरम स्पीसीज क्युमिनी फफूंद के कारण लगता है। यह फफूंद मिट्टी में होती है या जीरे के बीज पर भी पाई जाती है। इन के कारण जीरा का पौधा कई बार उगते समय सुख जाता है तो कई बार फसल जब 25 से 30 दिन की हो जाए तब भी सुख शकता है। पर इन का अटैक जीरा की फसल में कभी भी दिखाई देते है और पौधे सूखने लगते है।

जीरा की फसल किसान हर साल करते है तब पहले साल जीरे की फसल में थोड़ा थोड़ा कई कई जगह पर दिखाई देता है। पर जीरा की फसल चक्र नहीं चलाते और अगले साल फिर जीरा की फसल उस जमीन में करते है तन इस कालिया सुखरा का प्रकोप अधिक दिखाई देता है।

जीरा की फसल में यह फफूंद पहले पौधे की जड़ को और बाद में पौधे के तनो दोनों को अपनी जाल में जकड़ती है इन के कारण पौधे को मिट्टी से जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलता और कुछ ही समय में पौधा सुख के नष्ट हो जाता है।

जीरा में कालिया लगने से क्या होता है ?

जीरा की फसल में यह कालिया, चरमा, झुलसा यह रोग बड़ी तेजी से आगे बढ़ते है और फसल को बर्बाद कर देता है। इन का अटैक जब भी दिखाई दे तब तुरंत किसी योग्य दवाई का छिड़काव कर के इन रोगो को आगे बढ़ने से रोक शकते है।

जीरा की फसल में इस फफूंद का अटैक शुरूआती समय में ज्यादातर दिखाई देता है। पर यह कालिया रोग ज्यादातर जब पौधे बड़े हो जाए और फूल खिलने लगे और दाने बनने शुरू हो जाता है तब इन का अटैक होता है। तो पौधा पूरी तरह से सुख जाता है। और दाने भी जैसे जला दिए है उस प्रकार नष्ट हो जाते है। उत्पादन कम प्राप्त होता है।

जीरा की फसल में कालिया रोग का नियंत्रण कैसे करे ?

जीरा की फसल में इन सभी रोगो का नियंत्रण या रोकथाम करने के लिए आप जीरा के उन्नत बीज की बुवाई के समय ही एक हैक्टर के हिसाब से ट्राइकोडर्मा गोबर की खाद और नीम की खली इन दोनों को मिक्स करे और 2 से 2.5 किलोग्राम एक हैक्टर के हिसाब से जमीन में अच्छे से मिला दे बाद में जीरा के बीज की बुवाई करें।

जीरा की फसल में जीस किसान ने इन दोनों का इस्तेमाल किया है इन की जीरे की फसल में यह रोग लगने का चांस कम दिखाई देता है। और जब यह रोग जीरा की फसल में दिखाई दे तब इन के नियंत्रण आप इस प्रकार कर शकते है।

जीरा की खड़ी फसल में जब यह रोग दिखाई देता है तब आप 1 किलोग्राम यूपीएल का साफ पावडर और 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा इन दोनों को अच्छे से मिला के आप एक हैक्टर जमीन में सिंचाई कर शकते है। इन के अलावा आप यूपीएल साफ पावडर, NPK 19:19:19, अजाडीरेक्टिन, और कुछ टॉनिक इन सभी को मिला के छिड़काव कर शकते है।

जीरा की फसल में कालिया, चरमा, झुलसा के सामने कौन सा फंगीसाइड का छिड़काव करे।

जीरा की फसल में कालिया सुखारा, चरमा, झुलसा इन सभी प्रमुख रोग की रोकथाम के लिए आप इस प्रकार के फंगीसाइट का छिड़काव कर शकते है। और यह फंगीसाइट का रिजल्ट भी शानदार देखने को मिलेगा। यह फंगीसाइट थोड़ा महंगा है पर इन का रिजल्ट जीरा की फसल में बढ़िया दिखाई देता है।

हम सब ने कई बार सुना है की जो सीज बाजार में सस्ती बिकती है वे अच्छी क्वालिटी की नहीं होती और जो अच्छी क्वालिटी की है वे कभी सस्ती नहीं मिलती। इस प्रकार यह दवाई भी थोड़ी भारी है पर इन का रिजल्ट अच्छा मिलता है।

`इन में जो यह दवाई बता रहे है इन को आप जब जीरा की फसल में बुवाई के बाद जब फसल 40 से 45 दिन की हो जाए तब एक छिड़काव करे और यह एक छिड़काव के बाद 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करना है। इन में जो यह 4 दवाई का नाम बता रहे है इन इ से आप किसी एक का छिड़काव करना है।

  • 1 : इन में जो पहले नंबर पर है इन का नाम है। पीकोक्सिस्ट्रोबिन 22.52% W / W एस सी जो 16 लीटर पानी में 20 मिली अच्छे से घोल के छीडकाव कर शकते है।
  • 2 : मटीराम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% WG इन को आप 16 लीटर पानी में 20 मिली अच्छे से घोल के छीडकाव कर शकते है।
  • 3 : क्रेसॉक्सिम मिथाइल 44.3% W / W इन को आप 16 लीटर पानी में 20 मिली अच्छे से घोल के छीडकाव कर शकते है।
  • 4 : टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइक्लोक्सिस्ट्रोबीन 25% WG इन को भी 16 लीटर पानी में 20 मिली अच्छे से घोल के छीडकाव कर शकते है।

यह जो दवाई का टेक्निक बताया है इन में से कोई बी एक दवाई का चुनाव कर शकते है। और इन का जीरा की फसल में छिड़काव कर के अच्छा रिजल्ट मिलेगा।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को जीरा की फसल में कालिया चुखारा का नियंत्रण कैसे करें (Jeera Ki Fasal Me Kaliya Sharma Ka Niyantran Kaise Karen) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

हमारे इस ब्लॉग ikhedutputra.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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