जीरे की खेती करने का सब से सरल तरीका (Jeera Ki Kheti Karne Ka Sabse Saral Tarika) जीरे की उन्नत किस्में के बीज की बुवाई किसान नवंबर महीने में मुख्य खेत में कर देते है। और जीरे की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर के किसान लाखो रुपए का मुनाफा करते है।
जीरे की फसल मसाला प्राप्त करने के लिए की जाती है। जीरे का मसाला में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। जीरे का इस्तेमाल कई सब्जी में किया जाता है इन के बिना सब्जी का स्वाद फीका लगता है। इन के अलावा इन को भूनकर पावडर बना के छाछ, दही, लस्सी आदि में इस्तेमाल किया जाता है। जीरा एक ऐसा मसाला है जो किसी भी सब्जी में इस्तेमाल करने से स्वाद और टेस्ट बढ़ जाता है। इन के अलावा जीरे की खेती आज कल अच्छी कमाई के लिए भी जीरे की खेती किसान करते है। क्यों की जीरे की बाजारी मांग साल भर बनी रहती है और बाजारी भाव साल 2023 में तो 20 किलोग्राम का 10000 से लेकर 13000 तक पहुँच गई थे। किसान बधु ने जीरे की उन्नत किस्में की बुवाई कर के लाखो रुपए का मुनाफा किया था।
जीरे की खेती करने का सब से सरल तरीका (Jeera Ki Kheti Karne Ka Sabse Saral Tarika)
जीरे की खेती से अच्छा उत्पादन और अधिक कमाई करनी है तो किसान को कई बातो का ध्यान रखना चाहिए और इन की खेती का सब से सरत तरीका के बारे में भी थोड़ा ज्ञान होना बेहद जरुरी है। बात करे तो किसान को जीरे की उन्नत किस्में से लेकर मिट्टी, बुवाई, सिंचाई, खाद, कटाई तक की सामान्य जानकारी होनी चाहिए। तो आई ए जानते है संपूर्ण जानकारी।
जीरे की खेती के लिए मिट्टी हल्की या दोमट अधिक उपजाव मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। और मिट्टी का जल निकास अच्छा होना चाहिए। इन मिट्टी के जीरे की फसल आसानी से विकास कर लेती है। और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त होता है। इन के उन्नत किस्में के बीज बुवाई से पहले खेत की तैयारी अच्छे से करे। खेत को दो से तीन बार गहरी जुताई कर के इन में एक हैक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद डाले और पट्टा चलाके जमीन को समतल करे ताकि सिंचाई के समय कोई जल भराव की समस्या ना रहे और जीरे में जल भराव होने से फसल बर्बाद हो शक्ति है।
जीरे की खेती के लिए तापमान की बात करे तो 20℃ से 30℃ तक का अच्छा माना जाता है। इन की फसल की अच्छी विकास के लिए 24℃ से 28℃ तक का सब से अच्छा माना जाता है। न्यूतम तापमान 10℃ तक का सहन कर शकता है और अधिकतम तापमान 30℃ तक का इन से अधिक तापमान जीरे की फसल को प्रभावित कर शकता है।
जीरे की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?
जीरे की उन्नत किस्में हमारे कृषि विद्यालय के वैज्ञानिको ने बहुत सारी विकसित की है। इन में से कुछ किस्में के नाम इस प्रकार के है। जे से की आर जेड 19 और 209, आर जेड 223, जी सी 4, रेमिन 5, दिनकर शिवराज, निधि जीरू 4 आदि उन्नत किस्में बाज़ार में उपलभद है और यह सब उन्नत किस्में बुवाई के बाद 100 से लेकर 130 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
जीरे की उन्नत किस्में की बुवाई करने का सही समय
जीरे की उन्नत किस्में की बुवाई किसान बंधू नवंबर महीने में पहले 15 दिन बाद शुरू कर देते है और नवंबर महीने की 30 दिन तक करते है कई किसान इन के बाद भी करते है पर सही समय जीरे की खेती के लिए नवंबर के 15 से 30 तक का माना जाता है। जीरे की फसल किसान एक हैक्टर जमीन में 12 से 15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। और जीरे के बीज को बुवाई से पहले उपचारित जरूर करे एक किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्वन्डाजिम से उपचारित करे। इन की बुवाई छिड़काव विधि से कर शकते है और कई किसान ट्रैक्टर की मदद लेकर भी जीरे के बीज की बुवाई करते है। पर छिड़काव विधि बेस्ट है।
जीरे की खेती करने का सरल तरीका
जीरे की खेती करने का सरल तरीका छिड़काव विधि है इन में जो क्यारी तैयार की है इन क्यारी में जीरे के बीज का छिड़काव कर के इन बीज को अच्छे से मिट्टी से ढक दे पर इस बात का भी ध्यान रखे की जीरे के बीज ज्यादा मिट्टी में गहरा ना हो जाए। नहीं तो बीज अंकुरित में दिकत हो शक्ति है। और इन की बुवाई कतार में भी कर शकते है। कतार से कतार की दुरी 30 सैमी की रखनी चाहिए और कतार में बुवाई करने के लिए आप सीड ड्रिल की मदद ले शकते है।
जीरे की फसल में कौन कौन से खाद और उर्वरक डाले
जीरे की खेती उन्नत तरीके से और फसल की अच्छी विकास और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कुछ खाद एवं उर्वरक डालना बेहद जरुरी है। जैसे की खेत तैयारी के समय एक हैक्टर के हिसाब से सड़ी गोबर की खाद 13 से 15 टन डालके मिट्टी में अच्छे से मिला दे इन के नाट्रोजन 30 किलोग्राम, फास्फोरस 15 किलोग्राम, और पोटाश 15 किलोग्राम, फाड़ा सल्फर 20 किलोग्राम, डीएपी 80 से 90 किलोग्राम यह सब खाद जीरे की खेती में सब से अच्छे उत्पादन के लिए डालना चाहिए। इन में से फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और नाट्रोजन की आधी मात्रा खेत तैयारी के समय मिट्टी में मिला दे बाकि नाट्रोजन जीरे की फसल 30 से 40 दिन की हो जाने के बाद सिंचाई के साथ देनी चाहिए।
सिंचाई कब करनी चाहिए।
जीरे की फसल में सिंचाई एक एहम भूमिका है। किसान को जीरे की फसल में सिंचाई का ज्ञान होना चाहिए नहीं तो सारि फसल बर्बाद हो जाती है और किसान को बहुत सारा नुकशान हो शकता है। जब जीरे के बीज की बुवाई हो जाए तब एक सिंचाई करे पर वे सिंचाई में पानी का बहाव तेज नहीं होना चाहिए। क्यों की जीरे के बीज मिट्टी में बहुत गहरे नहीं होते इस लिए सिंचाई के समय पानी का तेज बहाव के कारन बीज इधर उधर हो जाता है। एक सिंचाई के बाद जो बीज अच्छे से अंकुरित ना हो तो सात दिन के बाद दूसरी सिंचाई करे। बीज अच्छे से अंकुरित हो जाने के बाद 15 से 25 दिन के अंतर में सिंचाई करे। पर जब जीरे के पौधे पर अच्छे से फूल दिखाई देने लगे और फसल पक ने के समय पर सिंचाई बंध कर देनी चाहिए। नहीं तो सारी फसल बर्बाद हो शक्ति है।
जीरे की कटाई और कमाई
जीरे की विविध फसल बुवाई के बाद 100 से 130 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जीरे के पौधे भूरे रंग के हो जाए और बीज अच्छे से पक जाए तब इन के पौधे की कटाई कर लेनी चाहिए। इन के बाद इन कटे पौधे को धुप में सूखने के लिए रखा जाता है। बाद में थ्रेसर की मदद से पौधे से बीज को अलग कर के बोरियो में भंडारा कर शकते है। एक हैक्टर जमीन में से 7 से लेकर 8 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
जीरे की कमाई की बात करे तो जीरे की मांग साल भर बाज़ार में रहती है। इस लिए इन के एक किलोग्राम के भाव कम से कम 100 रुपए तक के तो मिलते है। और एक हैक्टर जमीन में जीरे की लगत की बात करे तो 30 से 35 हजार की लगती है। फिर भी 45 से 50 हजार की कमाई किसान बड़ी आसानी से प्राप्त कर शकता है। पर इन की खेती किसान ने 5 हैक्टर में की है तो कुछ ही महीने में लखपति बन शकता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को जीरे की खेती करने का सब से सरल तरीका (Jeera Ki Kheti Karne Ka Sabse Saral Tarika) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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