लोबिया एक सब्जी वर्गी फसल है जो हमारे देश के कई राज्य में इन की खेती किसान करते है। लोबिया का दलहन फसल में एक मत्वपूर्ण स्थान है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की लोबिया की खेती कैसे की जाती है (Lobia Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai) और इन की उन्नत किस्में कौन कौन सी है बात करे तो लोबिया की खेती के बारे में बहुत कुछ जानेगे।
लोबिया की खेती (Lobiya Ki Kheti) किसान फरवरी महीने से लिकर अक्टूबर महीने तक कर शकता है। इन का उपयोग हरी फली का सब्जी बनाने में और दाने प्राप्त करने के लिए और पौधे चारे के लिए और खेती में हरे खाद के लिए करे है। लोबिया में प्रोटीन, कैल्शियम, और फास्फोरस अधिक मात्रा में पाए जाता है। इन के अलावा वसा, आयरन, फायबर, एंटीऑक्सीडेन्ट, थायमीन, राइबोफ्लेविन, आदि पोषक तत्व मौजूद होते है। जीस मिट्टी में लोबिया की फसल करते है उस मिट्टी की उर्वरक बढ़ जाती है और जमीन की उपजाव शक्ति बढ़ जाती है।
लोबिया की फसल से अधिक कमाई के लिए किसान को इन बातो का ध्यान रखना चाहिए। जैसे की मिट्टी की पसंदगी, तापमान और जलवयू , लोबिया की उन्नत वैराइटी के बीज की बुवाई, खाद और सिंचाई आदि बातो का ध्यान रखना चाहिए। तब जाकर लोबिया की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। और किसान अच्छी कमाई कर के अपनी किस्मत बदल शकता है।
लोबिया की फसल में मिट्टी की पसंदगी
लोबिया की फसल आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में कर शकते है पर इन के पौधे की अच्छी विकास के लिए और फलियों की अधिक पैदावार के लिए आप इन की फसल रेतीली मिट्टी, दोमट मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। पर जीस मिट्टी में इन की फसल करे उस मिट्टी का जल निकास अच्छा होना चाहिए। और जमीन का पी.एच मान 6 से लेकर 8 के बिच का अच्छा माना जाता है।
लोबिया की खेत तैयारी कैसे करे
लोबिया की खेत तैयारी में दो से तीन बार गहरी जुताई करे और जब मिट्टी भुरभुरी हो जाए तब पाटा लगा के जमीन को समतल करे ताकि सिंचाई के समय को जल भराव जैसे समस्या का सामना ना करना पड़े। इन के बाद आप लोबिया के उन्नत किस्में के बीज की बुवाई कर शकते है। इन के बीज की बुवाई फरवरी से लेकर मार्च महीने तक और जून से जुलाई महीने में कर शकते है।
तापमान और जलवायु
लोबिया की फसल के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। इन की फसल के लिए गर्म मौसम सब से उपयुक्त माना जाता है। पर ज्यादा गर्मी पड़ने पर पौधे और पौधे पर लगी फलियों दोनों को नुकशान पहुंचाती है। इन के पौधे ज्यादा सर्दी के मौसम में अच्छे से विकास नहीं कर शकता है। इन के बीज बुवाई के बाद बीज अंकुरित होने के लिए 20°C तक का तापमान अच्छा रहता है। और जब तापमान 30°C से 35°C तक का हो जाता है तब भी पौधे अच्छे से विकास कर लेते है। इन के पौधे को अच्छे से विकास करने के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है।
लोबिया की उन्नत वैराइटी (किस्में)
हमारे कृषि वैज्ञानिकोने लोबिया की कई सारी उन्नत किस्में तैयार की है। जो अलग़ अलग़ ऋतुमे इन के बीज की बुवाई कर शकते है और इन उन्नत किस्में का उत्पादन भी अलग अलग प्राप्त होता है। लोबिया की उन्नत किस्मे के नाम कुछ इस प्रकार के है। जैसे की अर्का गरिमा, पूसा ऋतुराज, पंत लोबिया, पूसा फाल्गुनी, पूसा कोमल, लोबिया 263, पूसा बरसाती, इन से भी अधिक उन्नत किस्में है पर इन किस्में के बारे में हम अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।
अर्का गरिमा : लोबिया की यह उन्नत किस्में खम्भे प्रकार की है। इन के पौधे की उचाई 2 से 3 मीटर की होती है। इन किस्में के बीज आप वसंत ऋतु में और बारिस के मौसम से मुख्य खेत में बुवाई कर शकते है। इन के बीज रोपाई के बाद तक़रीबन 40 से 45 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाते है। इन किस्में की एक हैक्टर में फसल की है तो 75 से 80 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
पूसा ऋतुराज : लोबिया की यह उन्नत किस्में अधिक तापमान के सामने अति संवेदनशील है। इन के पौधे पर लगी फलियों की लंबाई 20 से 25 सैमी तक की होती है। और इस किस्में की फसल एक हैक्टर में करे तो 75 से 80 क्विंटल तक की हरी फलियों का उत्पादन प्राप्त होता है।
पंत लोबिया : लोबिया की यह उन्नत किस्में के बीज रोपाई के बाद 55 से 60 दिन बाद हरी फलियों की कटाई कर शकते है। इस उन्नत किस्में की खेती कई किसान अगेती करते है। इस पौधे पर लगने वाली फलियों की लंबाई भी 1 से 1.5 फिट तक की होती है। और एक हैक्टर मे से 15 से 20 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
पूसा फाल्गुनी : लोबिया की यह उन्नत किस्में जल्दी पक के तैयार हो जाती है और एक हैक्टर में इस किस्में के बीज की रोपाई की है तो 50 से 60 क्विंटल तक की हरी फलियों का उत्पादन प्राप्त होता है।
पूसा कोमल : लोबिया की यह उन्नत किस्में के दाने बड़े और गूदेदार होते है। इस किस्में के बीज आप बसंत, ग्रीष्म, और बारिश तीनो मौसम में बड़ी आसानी से रोपाई कर शकते है और एक हैक्टर में से 100 से 120 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त होती है।
लोबिया की फसल अगर किसान एक हैक्टर में करना चाहते है तो इन उन्नत किस्में के बीज 25 से 30 किलोग्राम की जरूरत होती है। पर बीज मुख्य खेत में रोपाई करने से पहले बीज को थीरम का 2.5 ग्राम का नाप एक किलोग्राम बीज को उपचारित जरूर करे। लोबिया के बीज उपचारित करने से कई रोग और कीट की संभावना कम हो जाती है और बीज अंकुरित भी अच्छे से होता है।
खाद और उर्वरक और सिंचाई
लोबिया की फसल में खेत तैयारी के समय एक हैक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन अच्छे से सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिला दे इन के अलावा नाट्रोजन 30 किलोग्राम, फास्फोरस 50 किलोग्राम, और पोटाश 40 किलोग्राम एक हैक्टर के हिसाब से देना चाहिए। और बात करे तो सल्फर और जिंक भी डाल शकते है। और मिट्टी की नमी बनी रहे इस लिए योग्य समय पर सिंचाई भी करते रहे। पर जल भराव नहीं होना चाहिए। 10 से 13 दिन के अंतर में सिंचाई करनी चाहिए।
लोबिया की फसल में रोग एवं कीट
लोबिया की फसल में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटैक करते है और फसल और फलियों दोनों को नुकशान करते है। पर जब भी लोबिया की फसल में कोई रोग या कीट अटैक करे तब तुरंत योग्य दवाई का छिड़काव कर के इन का नियंत्रण करना चाहिए नहीं तो किसान को बहुत नुकशान भुगतना पड़ेगा।
लोबिया की फसल में अधिकतम इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है। जैसे की रोमिल सूंडी कीट, एन्थ्रेकनाज, तेला और काला चेपा, लीफ होपर, जैसिड, एफिड, माहु, बीज गलन और पौधों का नष्ट होना, जीवाणु झुलसा, लोबिया मोजैक, आदि रोग एवं कीट अटैक करते है।
कटाई और लाभ
लोबिया के उन्नत किस्में के बीज रोपाई के बाद 55 से 60 दिन में फलियों तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और उत्पादन की बात करे तो विविध किस्में के अलग अलग होते है और यह आप की महेनत पर निर्भर है। लोबिया का बाजारी भाव अच्छा होता है इस लिए इन की फसल से किसान अधिक कमाई कर के अपनी किस्मत बदल शकता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को लोबिया की खेती कैसे की जाती है (Lobia Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को लोबिया की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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