राजमा की खेती कैसे करे ताकि अधिक उत्पादन प्राप्त हो शके | Rajma Ki Kheti

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दोस्तों, इस लेख मे हम राजमा की फायदेमंद खेती के बारे में देखेंगे जिनसे आप सभी फसल से ज्यादा कमाई कर पाएंगे तो चलिए देखते है (Rajma Ki Kheti) राजमा की प्रॉफिटेबल खेती के बारे में।

Rajma Ki Kheti
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Table of Contents

राजमा की आम जानकारी एवं लाभ

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) : राजमा की हम सब्जी बनाके ज्यादा तर आहार के रुप में खाते है। कही लोग तो रजमा के दाने की दाल भी बना के आहार में लेते है। राजमा एक दलहन श्रेणी में आता है।

राजमा के दाने में काफी पोषक तत्व, विटामिन, मिनरल्स एवं अन्य घटक भी भारी मात्रा में पाए जाते है। राजमा एक शाकाहारी खाद्य पदार्थ है। राजमा की सब्जी खाने में स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक भी मानी जाती है।

राजमा की सब्जी खाने से हम मानव शरीर को कई प्रकार के लाभ होते है। इन के अलावा शरीर का वजन कम करने में मदद मिलती है। और शरीर में मौजूदा हड्डियां मजबूत बना के का कार्य भी करते है।

राजमा की बात करे तो हृदय रोग होने से बचाता है एवं रक्त (लोही) शुद्धिकरण भी करता है। राजमा का सेवन कर के शरीर में कई पोषक तत्व एवं विटामिन और कई प्रकार की बीमारी वाले मरीज को भी ठीक होने में मदद गार होता है।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) पहाड़ी एवं ठंडे इलाके में ज्यादा करते है। राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) हमारे देश में कई राज्यों में की जाती है। इन में से हिमालय के पहाड़ी विस्तार में ज्यादा राजमा की खेती करते है।

इस के आलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, ओडिसा, यूपी, बिहार, हरियाणा गुजरात, एवं कर्नाटक के कई विस्तार में राजमा की फसल उगाते है और अच्छी मात्रा में उपज भी लेते है।

किशान भाई। अच्छी मांग और भारी उपज के कारण राजमा की बाजार में दाम भी अच्छी मिलती है। इस लिए किशान आज के वक्त में राजमा की खेती कर के बड़े पैमाने में मुनाफा करते है।

राजमा में पाये गये पोषक तत्व की बात करे तो कार्बोहाइड्रेट, आहार फाइबर, प्रोटीन, ऊर्जा, जैसे पोषक तत्व मिलते है। और विटामिन में विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन के, फोलेट, थाइमिन, और नियासिन जैसे विटामिन मिलते है।

मिनरल्स की बात केरे तो सोडियम, फास्फोरस, पोटेशियम, आयर, और कैल्शियम एवं मेग्नेशियम जैसे मिनरल्स मिलते है और अन्य घटक में पानी मिलता है। इसी लिए तो राजमा को पोषक तत्व का राजा माना जाता है।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) इस लिए दिन प्रति दिन हमारे देश में बढाती जाती है। अगर आप भी राजमा की खेती करना चाहते है तो आप सही आर्टिकल पर आये है।

राजमा की खेती के बारेमे आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बहुत कुश जानने को मिलेगा। जैसे की राजमा की खेती केसी मिट्टी में करनी चाहिए, राजमा की प्रसिद्ध किस्मे (वेराइटी) कौन कौन सी है।

राजमा की खेती को तापमान एवं जलवायु कैसे उचित है, राजमा की खेती में आने वाले रोग एवं कीट और कीट एवं रोग के नियंत्रण, जरुरी खाद कोनसा देना होगा और कितना देना होगा।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) एक हेक्टर में की जाये तो कितनी उपज मिलती है, राजमा की तोड़ाई कब करनी होगी। ऐसे कही सवाल आप के मन में राजमा के बारे में चल रहे होंगे।

इस लिए आज आप के सभी सवाल के जवाब ले कर हम हाजिर है। और राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) के लिए सभी माहिती मिल जाएगी। इस के लिए आपको इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना होगा।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) Information

फसल का नामराजमा की खेती (Rajma Ki Kheti)
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को राजमा की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीपीडीआर 14, आईआईपीआर 96-4, मालवीय 137, अम्बर, उत्कर्ष, बीएल 63, अरुण
बुवाई कब और केसे करेराजमा की बुवाई पंक्तियों में करे
पौधे से पौधे की दुरीपौधे से पौधे की दुरी 10 सेंटीमीटर रखे
तापमान और वातावरण10℃ से 27℃ और
खाद कौन सा और कितना डालेखाद में सड़ा हुआ गोबर 15 से 20 टन एक हेक्टर में
राजमा में लगने वाले रोगजड़ गलन, माहु , पान कथिरी, थ्रिप्स, सफेद मक्खी, और कीट हरा तेला, हरी इली
एक हेक्टरमे उपज25 से 30 क्विंटल की होती है
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राजमा की खेती उपयुक्त मिट्टी और खेत की तैयारी

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) आम तो सभी मिट्टी में कर शकते है। लेकिन राजमा की फसल को अच्छी वृद्धि और ज्यादा उपज के लिए किशान को राजमा की खेती हल्की दोमट मिट्टी में करनी चाहिए।

क्यों की हल्की दोमट मिट्टी में जल निकाशी अच्छी होती है। और भारी चिकनी मिट्टी में भी राजमा की खेती कई किशान करते है और अच्छी उपज भी प्राप्त करते है।

जीस जमीन में राजमा की खेती करे उस जमीन का पी.एच मान 5 से लेकर 7 के बिच होना बेहद जरूरी है। क्यों की 5 से 7 का P.H मान राजमा की खेती के लिए अच्छा माना जाता है और इस प्रकार की मिट्टी में राजमा के पौधे बहुत अच्छी वृद्धि एवं उपज देते है।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) के लिए मिट्टी की तैयारी इस प्रकार करनी चाहिए की जैसे हम मुमफली की खेत की तैयारी करते है। इसी तरह हमें 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी होगी ट्रैक्टर के हल या कल्टीवेटर की मदद से गहरी जुताई करनी होगी।

मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए। और आखरी तुड़ाई से पहले सड़ा हुआ गोबर या कंपोस्ट एक हेक्टर में 10 से 15 टन डाल के मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए। इन के आलावा भी फास्फोरस, पोटाश, एवं नाइट्रोजन मिट्टी में मिला शकते है।

राजमा की खेती के लिए तापमान और वातावरण केसा होना चाहिए ?

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में उपयुक्त तापमान की आवश्यकता 10℃ से 27℃ के बिच का रहना जरूरी है। र्षाकालीन (बारिश) के मौसम में राजमा के पौधे अच्छे से वृद्धि करते है

उपज या पैदावार भारी मात्रा में मिलती है। राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) के लिए 5℃ या इन के नीचे का तापमान पौधे को हानि पहोसा शक्ता है। इस लिए 10℃ से लेकर 27℃ तक का तापमान राजमा की फसल के लिए अनुरुप होता है।

राजमा की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में ज्यादा उपज एवं अच्छा मुनाफा पाने के हेतु किशान को राजमा की प्रसिद्ध किस्मे (वेराइटी) की बुवाई करना बेहद जरूरी है।

अगर आप अच्छी किस्मे की बुवाई करेंगे तो आपको उपज तो अच्छी मिलेगी पर उपज के साथ साथ पौधे में कई रोग एवं कीट भी कई कम दिखने को मिलेगा।

राजमा की उन्नत किस्में की बात केरे तो राजमा की प्रसिद्ध किस्मे तो कई सारी है लेकिन इन में से कुश किस्मे का नाम इस प्रकार है। पीडीआर 14, आईआईपीआर 96-4, मालवीय 137, अम्बर, एच.यू.आर15, उत्कर्ष, बीएल 63, आईआईपीआर 98-5, अरुण और हूर इन के आलावा भी कई सारी किस्मे है राजमा की खेती की बुवाई के लिए।

  • पी.डी.आर 14 : इस किस्मे की राजमा के दाने लाल रंग का और चित्तीदार होते है। और दाने थोड़े बड़े साइज के होते है। कही लोग तो इसे उदय के नाम से भी जानते है। इस किस्मे में पैदावार 125 से लेकर 130 दिनों में पक के तैयार हो जाती है। और एक हेक्टर में से 35 से 40 क्विंटल की पैदावार होती है।
  • मालवीय 137 : राजमा की इस किस्मे के रंग गहरा लाल होता है। इस वेराइटी को तैयार होने में 110 से लेकर 115 दिन लगते है। और उपज में 30 से 35 क्विंटल तक हो शक्ती है।
  • अम्बर : इस किस्मे के दाने चित्तीदार और लाल रंग के होते है। इस किस्मे के पौधे जल्द वृद्धि करते है और उपज थोड़ी कम अति है। एक हेक्टर में से 20 से 30 क्विंटल तक की उपज आति है।
  • एच.यू.आर 15 : इस किस्मे के दाने सफ़ेद रंग के होते है। इस किस्मे को पक के तैयार होने में 120 से 130 दिन लगते है। एक हेक्टर में से 20 से 25 क्विंटल तक की उपज आति है।
  • उत्कर्ष : इस किस्मे के दाने गहरे लाल रंग के होते है। इस किस्मे को पक के तैयार होने में 125 से 130 दिन लगते है। एक हेक्टर में से तक़रीबन 20 से 30 क्विंटल तक की उपज आति है।
  • बी.एल. 63 : इस किस्मे के दाने भूरा रंग के होते है। इस किस्मे को पक के तैयार होने में 110 से 120 दिन लगते है। एक हेक्टर में से 15 से 20 क्विंटल तक की उपज आति है।
  • वी.एल. 125 : इस किस्मे की खेती ज्यादा तर उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी विस्तार में होती है। इस किस्मे के फल में 4 से 6 के बिच निकल ते है। इस बीज का वजन अच्छा होता है।

राजमा के बीज कब और कैसे बुवाई करते है ? (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) पंक्तियों में करते है। इस राजमा की प्रत्यक पंक्तियों की दुरी 35 से 45 सेंटीमीटर नी रखनी होगी। और बुवाई में राजमा के पौधे से पौधे की दुरी 10 सेंटीमीटर रख शकते है।

अगर एक हेक्टर के हिसाब से बीज की मात्रा 3 से 4 किलिग्राम काफी है। लेकिन राजमा के बीज की बुवाई से पहले बीज उपचार करना बेहद जरूरी है। बीज उपचार में आप 2 से 3 ग्राम थीरम को एक किलिग्राम में अच्छे से मिला के बुवाई करनी चाहिए।

इस राजमा के बीज थोड़े कठोर होते है इस लिए बुवाई के बाद अंकुरित होने में थोड़े दिन लगते है। राजमा के बीज बुवाई के बाद 15 से 20 दिन का वक्त लगते है

राजमा की खेत में देखभाल कैसे करनी चाहिए ? (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में देखभाल अच्छे से करनी चाहिए क्यों की अच्छी पैदावार या अच्छी उपज प्राप्त करने के हेतु हमे राजमा की फसल की देखभाल भी अच्छी करनी होगी। देखभाल में हमे जरूती खाद डालना चाहिए।

अगर कोई रोग या कीट से राजमा के पौधे ग्रचित हो जाये तो योग्य दवाई का छिटकाव कर के पौधे या फसल को रोग या कीट से मुक्त करना होगा। इस के आलावा सही वक्त पर जरुरियात मुजब सिंचाई करनी चाहिए।

राजमा की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे ? (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में खरपतवार नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है क्यों की राजमा की खेत में हम खरपतवार नियंत्रण नहीं रखते तो उपज कम प्राप्त होगी। अगर उपज कम प्राप्त होगी तो किशान को मुनाफा भी कम मिलेगा।

इस लिए खरपतवार सहि वक्त पर करना ही होगा। और राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में खरपतवार में हम खुरपी से या रासायनिक दवाई का छिटकाव एवं सिंचाई के माध्यम से खरपतवार कर शकते है।

लेकिन हम तो सारे किशन भाई को सुजाव देते है की किसी भी प्रकार की फसल हो उस में जो खुरपी से खरपतवार हो शक्ती है तो रासायनिक दवाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

जब की रासायनिक दवाई से जमीन की उपजाव शक्ती धीरे धीरे नष्ट हो जाती है। और 4 से 5 साल बाद इस जमींन में कोई बी फसल की बुवाई करे उपज थोड़ी कम ही मिलेगी।

इस लिए खुरपी से खरपतवार करना फसल एवं जमीन दोनों के लिए अच्छा माना जाता है।

खाद कब और कितना डालना चाहिए ? (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में योग्य समय पर खाद दाल के हम राजमा की उपज में बड़ोतरी कर शकते है। और किशान अच्छी उपज के कारण मुनाफा भी ज्यादा कर शकते है।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में आखरी जुताई से पहले 15 से लेकर 20 टन सड़ा हुआ गोबर या कम्पोस्ट अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए। इस के आलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, एवं पोटाश भी मिट्टी में मिला शकते है

नाइट्रोजन एक हेक्टर में 100 से लेकर 110 किलोग्रेम में और फास्फोरस 50 से लेकर 60 किलोग्राम एवं पोटाश 25 से लेकर 30 किलोग्राम एक हेक्टर के हिसाब से दे शकते है।

नाइट्रोजन : नाइट्रोजन पौधे को वातावरण में से 80% किलता है और 4% पानी के माध्यम से मिलता है। इस के आलावा एक हेक्टर में हम 100 से 110 किलोग्राम नाइट्रोजन दे शकते है। नाइट्रोजन का मुख्य कार्य है पौधे या बेल अच्छे से वृद्धि करना।
फास्फोरस : हम एक हेक्टर में फास्फोरस 50 से 60 किलोग्राम दे शकते है। इस का माप जमीन की H.P मान के हिसाब से कम या ज्यादा दे शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे या बेल पर फूल की वृद्धि, फल की वृद्धि और पौधे में रोग प्रति कारक शक्ती बढ़ा देना। इस के आलावा भी ए तत्व कार्य करते है फल के आकर को बढ़ाता है।
पोटाश : हम एक हेक्टर में पोटाश 25 से 30 किलोग्राम दे शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे के जड़ो को विक्षित ता वृद्धि करना और कई रोग एवं कीट से पौधे को बचाते है। इस के कारण पौधे या बेल की जड़ मजबूती से जमीन के साथ जुड़ जाती है। पोटाश देने से पौधे की कोशिका की दीवारे मजबूत होती है और तने या बेल के कोष्ट की बड़ोतरी करते है।

सिंचाई कब करनी चाहिए ? (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में सिंचाई की आवश्यता बहुत कम होती है। ज्यादा सिंचाई या पानी भराव पर राजमा के पौधे अच्छे से वृद्धि नहीं कर शकते है। और उपज में भी भारी गिरावट देखने को मिलेगी।

इस लिए राजमा की खेती में 2 से लेकर 4 बार ही सिंचाई करनी चाहिए। 2 से 4 बार सिंचाई से राजमा के फसल पक के तैयार हो जाती है। राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में पहेली सिचाई बीज बुवाई के ठीक 15 से 25 दिन बाद कर लेनी चाहिए।

दूसरी सिंचाई एक निराई या गुड़ाई के बाद कर लेनी चाहिए और पौधे को जमीन के साथ मजबूती से जोड़ने के लिए थोड़ी मिट्टी पौधे की आस पास चढ़ा देनी चाहिए।

जब पौधे पर फूल अंकुरित होने लगते है तब फूल की मात्रा फसल में बढ़ाने के लिए और पौधे से फूल जड़ के गिरना जाये इस लिए। बाद में जब फूल में से फल बने तब फल की अच्छी वृद्धि के लिए

फल में रहे बीज की अच्छी वृद्धि के लिए एवं फल में मौजूदा बीज को सम्पूर्ण रुप से परिपक हो जाने के लिए सिंचाई करनी चाहिए।

राजमा की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट और उपचार (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में कई प्रकार के रोग एवं कीट लगते है। अगर इस रोग एवं कीट की बात करे तो जड़ गलन, माहु , पान कथिरी, थ्रिप्स, सफेद मक्खी, और कीट की बात करे तो हरा तेला, हरी इली, जैसे रोग एवं कीट राजमा की फसल में दिखाई देते है।

इन रोग एवं किट का सहि वक्त पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। नहीं तो राजमा की सारी फसल बरबाद करते है ए रोग एवं कीट। इस लिए सही समय पर योग्य दवाई का छिटकाव कर के राजमा के पौधे या फसल में लगाने वाले रोग एवं कीट से मुक्त करना चाहिए।

  • जड़ गलन : इस रोग को लगने से पौधे की जड़ो सूखने लगती है और धीरे धीरे पौधा जमीन से
  • उपचार में : इस रोग उपचार में हम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP एक हेक्टर दीठ एक किलोग्राम 400 लीटर पानीके साथ घोल मिलके पर एक पौधे पीर 50मिली ग्राम पोधेकी जाड़मे सिंचाई करना चाहिए और छिटकाव भी कर शकते है।
  • माहु : इस कीट के वजे से पौधे का विकास या पौधे की वृद्धि अटक जाती है। जब इस कीट का अटेक पौधे या फसल में होता है तब पौधे पर माहु के माल के कारण पौधा चिकना होजाता है
  • उपचार में : इस कीट के उपचार में हम टाटा कंपनी का एपलोड बूप्रोफेज़िन 25% SC 16लीटर पानी में 35 मिलीग्राम मिलाके छिड़काव 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए।
  • पान कथिरी : इस कीट को आप पौधे की पत्तिया के निचले भाग में दिखाई देते है। इस के कारण पौधे के पतों कोकदवा जाते है।
  • उपचार में : इस कीट उपचार में हम जीवाग्रो मिटिगेट 5% EC और नागार्जुन का मेन्टल फिप्रोनील 7% + हेक्सीथाएजोक्स 2% SC 16 लीटर पानी के साथ 25 मिलीग्राम मिलके छिटकाव करे।
  • थ्रिप्स : इस कीट की वजे से पौधे के पतों जमीन की तरफ मुड़ ने लगती है और बाद में धीरे धीरे पौधे से गिरने लगती है।
  • उपचाई में : इस किट के उपचार में हम बायार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • सफेद मक्खी : इस सफ़ेद मक्खी के वजे से पौधे के पतों में मौजूदा रस चूस लेते है और पत्तिया धीरे धीरे सुख के पौधे से जमीन पर गिर जाती है।
  • उपचार में : इस सफ़ेद मक्खी के उपचार में हम बीएसेफ कंपनी का सैफीना एफीडोपायरोपेन 50% L DC 16 लीटर पानीके साथ 40 मिलीग्राम मिलाके छिटकाव करना चाहिए।
  • हरा तेला : इस हरा तेला पौधे पर लगने से पौधे की पतों एवं फल दोनों को नुकशान पहोचाता है। और पौधा धीरे धीरे वाइरस ग्रस्त हो जाता है
  • हरी इली : इस हरी इली के कारण पौधे में जो फूल एवं फल है इसे बहुत नुकशान करते है। इस हरी इली से उपज में भी हमे बहुत नुकसान होता है।
  • उपचाई में : इस हरी इली के उपचाई में हम एक्यूरेट कम्पनी का अटैक प्लस इमामेकेटिन बेंजोएट टेक्नीकल्स 2.00% W/W बलायक 33.00% W/W मिथाइल पाईरोलीडॉन 28.70% W/W 20 से 25 ऐ मेल 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।

राजमा की फसल से उपज (Rajma Ki Kheti)

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में उपज अच्छी मिलती है। और उपज विविध किस्मे के ऊपर निर्भर होती है। राजमा की खेती में उपज विविध तकनीक का उपयोग कर के बधाई जाती है।

एक हेक्टर में से 25 से 30 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर शकते है। राजमा की फसल को 100 से 115 दिन में पक के तैयार हो जाती है। और राजमा के मांग बाजार में बहुत है।

इस लिए कम समय में ज्यादा मुनाफा पाना चाहते है जोभी किशान भाई उसे राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) कर के अधिक समय में भारी मात्रा में रकम प्राप्त कर शकते है

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सारांश

नमस्ते किशान भाईओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए।

राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे एवं राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो

इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा। इस लिए ए आर्टिकल आपको कश्मीरी लाल बेर की खेती करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बेहद पसंद आया होगा।

इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

FAQ’s

Q-1. राजमा के पौधे कितने दिन मे पक के तैयार हो जाते है?

Answer : राजमा के पौधे 100 से 115 दिन में पक के तैयार हो जाते है

Q-2. राजमा की कौन कौन सी प्रसिद्ध किस्मे है?

Answer : राजमा की प्रसिद्ध किस्मे में पीडीआर 14, आईआईपीआर 96-4, मालवीय 137, अम्बर, एच.यू.आर15, उत्कर्ष, बीएल 63, अरुण, हूर इन के आलावा भी कई सारी प्रसिद्ध किस्मे हे

Q-3. राजमा की खेती के लिए जमीन (मिट्टी) किसी होना चाहिए?

Answer : राजमा की खेती के लिए जमीन (मिट्टी) हल्की दोमट और अच्छे जलनिकासी होनी चाहिए

Q-4. राजमा की खेती एक हेक्टर में करे तो बीज दर क्या होगा?

Answer : राजमा की खेती एक हेक्टर में करे तो 3 से 4 किलोग्राम के बिच का बीज दर होगा

Q-5. राजमा के बीज कैसे रंग के होते है?

Answer : राजमा के बीज विविध किस्मे पर विविध रंग के होते है। पर ज्यादा तर राजमा के बीज के रंग लाल होते है

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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