सरसों की फसल में पैदावार बढ़ाने के तरीके (Sarso Ki Fasal Me Paidawar Badhane Ke Tarike) : नमस्कार किसान बंधू हमारे इस ब्लॉग ई खेडूत पुत्रा (i Khedut Putra) पर आप सभी किसान बंधू का तहेदिल से स्वागत है। और आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की सरसों की फसल में अधिक उत्पादन के लिए क्या करे।
सरसों की फसल अभी लगभग 2 महीने की हो चुकी है। और सरसों की फसल में हम ने पहेली सिंचाई की थी और उस समय जो खाद डाली थी इन का रिजल्ट भी अच्छा देखने को मिला है। और पौधे से कई साखा निकली है। और इन साखा के ऊपर बहुत फूल और इन फूलो से फलिया भी बहुत बननी स्टार हो चुकी है। पर इन सरसों की फसल में शर्दी के मौसम में लगने वाली बीमारी व्हाइट ट्रक से कैसे बचाए और कैसे अधिक उत्पादन प्राप्त करे एवं तेल की मात्रा भी 43 प्रतिशत किस तरह बढ़ाए इन के बारे में बहुत कुछ जानेगे। इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
सरसों की फसल में दूसरी सिंचाई कब करे?
सरसों की फसल 60 दिन की या इन से अधिक दिन की हो जाए तब दूसरी सिंचाई किसान कर देते है पर यह दूसरी सिंचाई करने का सही समय कई किसान भाई को नहीं पता होता और दूसरी सिंचाई कर के किसान सरसों की फसल में उत्पादन बढ़ने से बदले कम हो जाता है। सरसों की फसल में दूसरी सिंचाई अपनी जमीन को देख के करे। दूसरी सिंचाई करने से पहले आप अपनी मिट्टी और वातवर दोनों को देख के करेंगे तो उत्पादन अधिक मिलेगा और बीज में तेल की मात्रा भी बढ़ जाएंगी।
जब मौसम ठंडा हो और पाला बहुत पड़ता है तब आपसिंचाई ना करे या बारिश होने वाली है तब सिंचाई ना करे नहीं तो उत्पादन बढ़ेगा नहीं पर उत्पादन कम हो जाता है। और फसल में तना गलन जैसी बीमारी का प्रकोप भी दिखाई देगा। इस लिए सिंचाई करने से पहले मौसम केसा है वे बराबर देखे जैसे की अच्छी धुप निकली है तो सिंचाई जरूर करे नहीं तो दो तीन दिन बाद सिंचाई करे। पर मिट्टी में अच्छी नमी है और पौधे के जड़ में अच्छे से मिट्टी गीली है तो सिंचाई ना करे।
सरसों की दूसरी सिंचाई में खाद कौन से डाले?
किसान ने सरसों की फसल में पहेली सिंचाई के समय यूरिया, जिंक इन खाद का इस्तेमाल किया है और फसल के शाखा का ग्रोथ अच्छा हो रहा है और पौधे अच्छे से विकास कर रहे है तो कोई खाद डालने की जरूरत नहीं है। पर अभी भी सरसों की फसल अच्छे से विकास नहीं कर रही और बहुत फूल और फलिया नहीं दिखाई देते है तब आप दूसरी सिंचाई के साथ यूरिया और सल्फर दोनों को मिला के डाले और बाद में सिंचाई करे। इन से पौधे पर फूल अधिक खिलेंगे और फलिया भी बहुत बननी शुरू हो जाती है।
फलिया बड़ी और दाने में तेल की मात्रा कैसे बढ़ाए?
सरसों की फसल में पौधे पर जब फूल खिलते है और फूल में जब मधुमक्खी आती है और एक फूल से दूसरे फूल पर जाती है उसे परागण पोलीनेशन कहते है। इस समय आप बोरोन का उपयोग करे यह समय है सब से अच्छा बोरान का इन के साथ पोटाश, और नाट्रोजन इन में बोरोन एक लीटर पानी में 1 ग्राम, और एन. पी. के. 13.0.45 एक एकड़ में एक किलोग्राम के हिसाब से इन में आप को नाट्रोजन, पोटाश, और बोरोन तीनो मिल जाएंगा, इन को सिंचाई के साथ देनी चाहिए।
सरसों की फसल में व्हाइट रस बीमारी से केसे बचाए?
सरसों की फसल में जब पानी की मात्रा बढ़ जाती है और शर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला या बारिश होने के करना यह व्हाइट रस बीमारी लगने का खतरा रहता है। इन से सरसों के पौधे को बचाव करना बेहद जरुरी है नहीं तो सारि फसल बर्बाद हो जाती है और उत्पादन कम प्राप्त होता है और किसान को नुकसान बहुत होता है।
व्हाइट रस नियंत्रण : इन के उपचार के लिए आप कॉन्टैक्ट फांगिकिड़े एम 45 इन के अलावा नायर का antracol इन दोनों को अच्छे से पानी में मिला के छिड़काव करे। और जब सरसों की फसल में व्हाइट रस का अटैक ज्यादा दिखाई देता है तो आप टेबुकोना जॉन, या नीतियों या एमस्टोप इन का एक छिड़काव करे इन का रिजल्ट बढ़िया मिलता है
सरसों की फसल में इस तरीके से काम करने से उत्पादन अधिक मिलता है और फलियों में जो बीज मौजूद होते है इन बीज में तेल की मात्रा बढ़ जाती है। और उत्पादन अधिक मिलने से किसान को मुनाफा ज्यादा होता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को सरसों की फसल में पैदावार बढ़ाने के तरीके (Sarso Ki Fasal Me Paidawar Badhane Ke Tarike) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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