सेम की उन्नत किस्में की बुवाई कर के किसान अच्छा उत्पादन के साथ अच्छी कमाई कर शकता है। हमारे देश भारत में विविध विस्तार ने अलग अलग जलवायु और भूमि के हिसाब से किसान कई सारी सब्जी वर्गी फसल की बुवाई एवं रोपाई करते है। और अधिक उत्पादन के साथ अच्छी कमाई कर के लाखो रुपए का मुनाफा प्राप्त करते है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की सेम की खेती कैसे होती है (Sem Ki Kheti Kaise Hoti Hai) और इन की उन्नत किस्में के बारे में भी बहुत कुछ जानेगे और बातसीत करेंगे।
हमारे देश भारत में सब्जियों की खेती नकदी फसल के रूप में किसान करते है। और सब्जी वर्गी फसल से किसान रोज आमदनि कर शकता है। हमारे देश के प्रगतिशील किसान बंधू हर प्रकार की सब्जी की खेती करते है। जैसे की करेला, तुरई, लौकी, बैंगन, भिंडी, लोबिया, फ्रेंचबीन, गाजर, मूली, मटर, राजमा, मिर्च, खीरा, टमाटर, आलू, बंदगोभी, सेम आदि सब्जी वर्गी फसल की खेती बड़े पैमाने में किसान करते है और लाखो रुपए का मुनाफा प्राप्त करते है।
देश के विविध विस्तार में विविध सब्जी की फसल किसान करते है पर आज जो हम बताने जा रहे है उस सब्जी वर्गी फसल का नाम है सेम की खेती (Beans Ki Farming) इन का सब्जी वर्गी फसल में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इन की खेती में लगत कम और मुनाफा अधिक है। इस लिए तो किसान इन की खेती कर के अधिक उत्पादन के साथ बंपर कमाई कर के लखपति बन जाते है। सेम की खेती में ज्यादा समय नहीं लगता यह 3 से 4 महीने का समय लगता है। बाद में 2 से 3 महीने तक हर रोज इन की फलियों की तुड़ाई कर के अच्छी कमाई कर शकते है।
सेम में कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते है जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। जैसे की प्रोटीन, वसा, आयरन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेटस, कैल्शियम, फायबर, थायमिन, मेग्नेशियम आदि पोषक तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते है। जो मानव शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होते है।
सेम की खेती से अधिक उत्पादन और अच्छी कमाई कर के अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए किसान को इन बातो का रखना चाहिए ध्यान। जैसे की मिट्टी की आवश्यकता, तापमान और जलवायु, सेम के उन्नत किस्में के बीज की बुवाई (रोपाई), बुवाई करने का सही समय और विधि, खाद और सिंचाई इन के अलावा सेम की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का नियंत्रण आदि बातो पर अच्छे से निगरानी रखनी चाहिए तब जाकर अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफा प्राप्त होता है।
सेम की खेती के लिए मिट्टी की आवश्यकता
सेम की खेती हल्की मिट्टी, दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी इन सभी प्रकार की मिट्टी में बड़ी आसानी से कर शकते है पर पौधे की अच्छी विकास के लिए चिकनी मिट्टी और बलुई रेतीली मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। पर जल निकास अच्छा होना चाहिए। और जमीन के पी.एच की बात करे तो 5.5 से 6.5 के बिच का अच्छा माना जाता है।
तापमान और जलवायु
सेम का पौधा समशीतोष्ण जलवायु में अच्छे से विकास करता है। इन के पौधे ठंड के मौसम में अच्छे से वृद्धि कर शकता है। और सेम की फसल में 15°C से लेकर 23°C तक का तापमान सब से अच्छा माना जाता है। इस सामन्य तापमान पर इन के बीज अच्छे से अंकुरित हो जाता है।
सेम की उन्नत किस्में
सेम की कई सारि उन्नत किस्में है जो हर किस्में के रंग अलग अलग और इन के आकर भी अलग अलग होते है। सेम की उन्नत किस्में के कुछ नाम इस प्रकार के है। जैसे की जवाहर सेम 53, पूसा अर्ली, रजनी, कल्याणपुर, काशी हरितमा, अर्का विजय, एचडी 18, पूसा सेम 2, 3, जेडीएल 053, बी.आर.सेम 11, एचडी 1 इन से भी सेम की अधिक किस्में है।
खेत तैयारी और बुवाई
खेत तैयारी में दो से तीन बार ट्रैक्टर की मदद से गहरी जुताई कर बाद में इन खेत की सड़ी गोबर की खाद और वर्मीकम्पोष्ट खाद डाले और पाटा चलाके जमीन को समतल करे। बाद में सेम की उन्नत किस्में के बीज की बुवाई क्यारी में की जाती है। और एक बात का जरूर ध्यान रखे की सेम की बीज बुवाई से पहले बीज को उपचारित जरूर करे।
सेम के बीज की बुवाई 1.5 से 2 फिट की दुरी रख के करे और बीज बुवाई के पास बांस बल्लियों का सहारा दे ताकि पौधा जमीन से थोड़े ऊपर रहे ऐसा करने से फसल में बहुत कम रोग एवं कीट अटैक करते है। पौधे का विकास भी अच्छा होता है। इन के बीज की बुवाई हमारे देश के पूर्वी विस्तार में अक्टूबर से नवंबर महीने में किसान करते है। और उत्तर पश्चिम विस्तार की बात करे तो सितंबर महीने तक बुवाई कर शकते है। और पहाड़ी विस्तार की बात करे तो जून महीने से जुलाई महीने तक की जाती है।
सेम की फसल में खाद
सेम की फसल एक दलहनी फसल है इस लिए यह फसल नाट्रोजन का स्थिरीकरण कर लेती है। फिर भी कुछ खाद देना बेहद जरुरी है पौधे की अच्छी विकास और उत्पादन में बड़ोतरी करने के लिए। इन की खेत तैयारी के समय देशी खाद और वर्मीकम्पोष्ट इन के अलावा रासायनिक खाद में नाट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश इन खाद की भी जमीन का परीक्षण कर के देना चाहिए। और बात करे तो 14 से 18 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करे
सेम की फसल से हरी फलियों की तुड़ाई
सेम की फसल में हरी फलियों की तुड़ाई विविध किस्में और बुवाई के अनुसार कर शकते है। पर आप की जान के खातिर बता दे की सेम की फसल में तुड़ाई बुवाई के बाद 4 से 5 महीने बाद हरी फलियों की तुड़ाई कर शकते है और यह तुड़ाई लगातार 3 से 4 महीने तक कर शकते है। सेम की फलियों की तुड़ाई अच्छी पूर्ण विकसित फलियों और कोमल फलियों की करनी चाहिए। तब बाजार में अच्छा दाम मिलता है।
सेम की फसल से उत्पादन और लाभ
सेम की उन्नत किस्में के बीज की बुवाई करने के बाद 100 से 150 दिन बाद पौधे से हरी फलियों की तुड़ाई कर शकते है। और इन की खेती किसान ने एक हैक्टर ज़मीन में की है तो 100 से लेकर 150 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। और यह उत्पादन आप की महेनत, जलवायु, और विविध किस्में पर निर्भर रखती है। और लाभ की बात करे तो सेम की एक किलोग्राम का बाजारी भाव 20 से 30 रूपए तक के होते है। इसी लिए इन की खेती एक बार से किसान को 2 से 3 लाख रूपए की कमाई होती है। और अच्छा मुनाफा होता है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को सेम की खेती कैसे होती है (Sem Ki Kheti Kaise Hoti Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
हमारे इस ब्लॉग ikhedutputra.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।
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