मात्र 2 महीने में लाखों रुपए की कमाई इस प्रकार करे खेती की शुरुआत

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Turai Ki Ageti Kheti

तोरई की अगेती खेती (Turai Ki Ageti Kheti) : तोरई की खेती को लाभकारी खेती या तो बड़ी कमाई वाली खेती में गिना जाता है। तोरई की खेती किसान तीनो मौसम में कर शकते है। और अच्छा उत्पादन भी प्राप्त कर शकते है। तोरई की बाजारी मांग अधिक होने से इन के भाव भी मार्केट में ज्यादा मिलते है।

तोरई एक नकदी फसल मानी जाती है। इन के पौधे लता बेल के रूप में विकास करता है। और इन के बीज की बुवाई के बाद 2 महीने में फल की तुड़ाई शुरू हो जाती है। इन की खेती अगेती कर के अधिक उत्पादन प्राप्त कर के अच्छी कमाई कर शकते है।

तोरई की सब्जी बनाई जाती है और यह खाने में बड़ी स्वादिष्ट लगती है इन के साथ सेहद के लिए भी काफी फायदेमंद है। इस लिए किसान इस तोरई की खेती से अच्छी कमाई कर शकता है। इस समय कई किसान भाई परंपरागत खेती को छोड़कर सब्जी की खेती की तरफ अधिक ध्यान दे रहे है क्यों की सब्जी वर्गी फसल में किसान को अच्छी कमाई के साथ अधिक मुनाफा होता है।

आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल में हम आप को तोरई की खेती से कैसे अधिक उत्पादन प्राप्त करें और इन की खेती कैसे की जाती है इन सभी बाते पर विस्तार से जानेंगे इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

तोरई की अगेती खेती (Turai Ki Ageti Kheti)

तोरई की खेती आमतो बारिश के मौसम में अधिक होती है पर इन की खेती मैदानी विस्तार में फरवरी महीने में से मार्च महीने तक और जून महीने से जुलाई महीने तक की जाती है। तोरई की खेती अगेती करने से अधिक आमदनी होती है। तोरई की खेती के लिए माध्यम और भारी मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। इन की खेती ककरीली मिट्टी में भी अच्छे से कर शकते है। पर दोमट मिट्टी में नहीं करनी चाहिए।

तोरई की खेती आप अधिक जल भराव वाली मिट्टी में ना करे इन के पौधे को जल भराव से जड़ गलन जैसे रोग लगते है। और पौधा नष्ट हो जाता है इस लिए इन की खेती आप अच्छे कार्बनिक पदार्थ वाली और जल निकास अच्छा हो इस मिट्टी में करे। और तापमान की बात करें तो 25℃ से 35℃ तक का अच्छा माना जाता है।

तोरई की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?

तोरई की उन्नत किस्में कई सारि है। जैसे की कल्याणपुर चिकनी, अंकुर लतिका, घिया तोरई, काशी दिव्या, पूसा स्नेहा, सरपुतिया, पूसा सुप्रिया, इन से भी तोरई की उन्नत किस्में है। जो अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है। इन की खेती में बीज बुवाई के बाद 60 से 70 दिन में पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है। और एक हेक्टर में से तक़रीबन 100 से 150 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।

तोरई के बीज की बुवाई कैसे करें?

तोरई के बीज की बुवाई आप मेड में 1.5 से 2 फिट की दुरी पर करें तो सब से अच्छा रहेगा। इन की खेती नाली विधि से करेंगे तो सब से अच्छा माना जाता है। और इस की नालिया 50 सैमी और चौड़ाई 30 से 40 सैमी गहरी रखनी है।नर्सरी में इन के पौधे आप पहले आप तैयार कर शकते है।

तोरई की खेती में खाद उर्वरक

तोरई की खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर के आप एक हेक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन गोबर की खाद डाले और इन खाद को अच्छे से मिट्टी में मिलाने के लिए ट्रेक्टर की मदद से रोटावेटर चला दे। तोरई की खेती में इन के अलावा आप नाट्रोजन 40 किलोग्राम और फास्फोरस 40 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम की दर से डाले। और नाट्रोजन की आधी मात्रा आप तोरई के पौधे जब 35 से 40 दिन का हो जाए तब डाले और मिट्टी से अच्छे से ढक देना है।

तोरई की खेती में सिंचाई आप मिट्टी की नमी देख के करे। गर्मी के दिनों में पानी की जरुरत तोरई के पौधे को अधिक होती है पर बारिश के दिनों में बहुत कम सिंचाई की जरुरत होती है इस लिए आप तोरई की खेती में सिंचाई मिट्टी की नमी देख के करें। इस प्रकार आप तोरई की खेती कर के अच्छा उत्पादन के साथ अच्छी कमाई हो जाती है।

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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को तोरई की अगेती खेती (Turai Ki Ageti Kheti) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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