मसूर की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान इस तरीके से बुवाई करे
मसूर एक दलहनी फसल है, और हमारा देश भारत मसूर की दाल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
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मसूर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। इन के अलावा लाल मिट्टी में भी अच्छे से वृद्धि होती है।
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मसूर के पौधे की अच्छी विकास के लिए ठंडे जलवायु की जरूरत होती है। पर पौधे जब बड़े होते है तब पक ने के लिए उच्च तापमान की भी जरूरत होती है।
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मसूर की उन्नत किस्में नरेन्द्र मसूर 1, टाइप 36, पूसा 1, पन्त एल 406, बी. 77, एल. 9 12, जे. एल. एस. 1, आदि उन्नत किस्मे है।
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मसूर खेत तैयारी में दो से तीन बार गहरी जुताई करे बाद में पाटा चला के ज़मीन को समतल करे बाद में उन्नत किस्मे के बीज की बुवाई करे।
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मसूर के उन्नत किस्मे बीज बुवाई करने समय अक्टूबर या दिसंबर महीना है और इन की बुवाई पोरा विधि से और क़तर में करे।
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मसूर की उन्नत किस्मे के बीज बुवाई के बाद 110 से 130 बाद पूरी तरीके से पाक के तैयार हो जाती है।
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