भिंडी की फसल में प्रमुख रोग का उपचार (Bhindi Ki Fasal Me Pramukh Rog Ka Upchar) : किसान गर्मी के दिनों में अपनी आय बढ़ानेके लिए विविध जलवायु और मिट्टी में अलग अलग सब्जी लगाते है। जैसे की बैंगन, तोरई, लौकी, खीरा, करेला, भिंडी आदि सब्जी वर्गी फसल लगते है और अच्छी कमाई करते है।
गर्मी के मौसम में किसान कई तरह तरह की सब्जी खेत में लगा के अपनी आमदनी बढ़ाते है पर कई बार ऐसा होता है की फसल में कोई रोग और कीट का अटैक हो जाता है और फसल बर्बाद हो जाती है तब किसान को मुनाफा कम और नुकशान अधिक हो जाता है। इस लिए किसान को फसल में लगने वाले रोग और कीट से सावधान रहना है और जब भी फसल में कोई रोग या कीट का अटैक दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के फसल को बर्बाद होने से बचा लेना है और नुकशान भी नहीं होने देना है।
आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की भिंडी की फसल में प्रमुख रोग का उपचार (Bhindi Ki Fasal Me Pramukh Rog Ka Upchar) और होने वाले उत्पादन और कमाई सभी बाते पर विस्तार से जानेगें इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
भिंडी की फसल में प्रमुख रोग का उपचार (Bhindi Ki Fasal Me Pramukh Rog Ka Upchar)
किसान ग्रीष्मकालीन में भिंडी की खेती कर के अच्छा उत्पादन और अधिक कमाई करना है तो भिंडी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग का नियंत्रण सही समय पर नकारना बेहद जरूरी है। तब जाकर भिंडी की फसल से अधिक उत्पादन और अधिक कमाई कर शकते है। भिंडी की फसल में प्रमुख रोग और कीट की बात करे तो पीला शीरा मोजेक वायरस, पाउडरी मिल्ड्यू, आर्द्रगलन रोग, जड़ गलन, कटुआ कीट, सफेद मक्खी, फल छेदक इल्ली, आदि रोग और कीट अटैक करते है।
पीला शीरा मोजेक वायरस : भिंडी की फसल में यह रोग को यलो वेन मोजेक वायरस के नाम से भी जानते है। इस रोग का फैलावा सफ़ेद मक्खी से होता है। इन के अटैक से पौधे की पतियों पीली होने लगाती है और अधिक प्रभाव से फलिया भी पीले रंग की हो जाती है। और पौधे का विकास भी अटक जाता है।
पीला शीरा मोजेक वायरस नियंत्रण : इन के नियंतरण के लिए आप एक एकड़ के हिसाब से 65 ग्राम एसितामाइप्रिड 20 एसपी का छिड़काव करें। और यह छिड़काव आप 8 स 10 दिवस के अंतर में कर शकते है। इन के अलावा आप जब भी भिंडी की उन्नत किस्म के बीज की बुवाई करें तब इन बीज को इमिडाक्लोरपिड 5 ग्राम के दर से एक की किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
फल छेदक इल्ली का नियंत्रण :इन के नियंत्रण के लिए आप थियामेथोक्सम 1 ग्राम को 3 लीटर पानी में अच्छे से मिला के छिड़काव कर शकते है। इन के अलाव आप ईमामेकेटिन बेन्जोएट 1.9 % EC को 16 लीटर पानी में 20 मिली अच्छे से मिला के छिड़काव कर शकते है।
आर्द्रगलन रोग : भिंडी की फसल में यह रोग जब अटैक करता है तब पौधे का तना काला रंग का होने लगता है और धीरे धीरे सुख के नष्ट हो जाता है। और उत्पादन में बहुत फर्क पड़ जाता है। इन का फैलावा तब होता है जब वातावरण में आद्रता होती है। इन से भिंडी की फसल को बचाना है तो आप को थीरम 2 ग्राम का नाप एक किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। और पौधे से पौधे की बिच की दुरी भी उचित रखनी है। इन से हवाका आवागमन अच्छे से होता रहे। और जो पौधे इस से प्रभावित हो गई है इन्हे खेत से बहार निकाल दीजिए।
फल छेदक इल्ली : भिंडी की फसल में यह हरे रंग की इल्ली बहुत नुकशान करती है। जब पौधे पर फलिया लगने लगती है तब इस का अटैक अधिक दिखाई देता है और इन का नियंतरण जल्द से जल्द करना चाहिए नहीं तो फलियों में छोटे छोटे छेद कर के फलियों को बहुत नुकशान पहुँचती है और अच्छी क्वालिटी (गुणवत्ता) वाली भिंडी की फलिया नहीं प्राप्त होती है और मार्किट में इन के भाव भी कम आते है और किसान को बहुत नुकशान होता है।
जड़ गलन : भिंडी की फसल में यह रोग लगने से पौधे की जड़ सड़ने लगती है और पौधा धीरे धीरे सुख जाते है। यह रोग अधिक सिंचाई के कारण फैलता है इस लिए भिंडी की फसल में सिंचाई मिट्टी की नमी देख कर करें। इन के नियंत्रण के लिए आप बीज बुवाई करने से पहले इन बीज को बाविस्टीन 2 ग्राम का नाप लेकर एक किलोग्राम बीज को उपचारित करें। और जब फसल में कोई खरपतवार दिखाई दे तब जरूर खरपतवार नष्ट करें। और जलनिकास की अच्छी व्यवस्था करें।
पाउडरी मिल्ड्यू : भिंडी की फसल में इस रोग के अटेक से पौधे की पतिया और तना सफ़ेद रंग के धब्बे दिखाई देते है। इन के अधिक प्रकोप से पतिया पीली हो जाती है और पौधे से झड़ने लगती है। इन के नियंत्रण के लिए आप एक लीटर पानी के हिसाब से हेक्साकोनाजोल 5% ई.सी को 2 मिली इन के अलावा डीनोकैप 2 मिली या तो सल्फर 80% डबल्यूपी को एक लीटर में 3 ग्राम के हिसाब से मिला के 8 से 10 दिन के अंतर में छिड़काव करें।
भिंडी की फसल में जब आप कोई दवाई का छिड़काव करते है तब इन भिंडी की फसल में फलियों की तुड़ाई आप 1 दिन बाद करें इन से जो आप ने दवाई का छिड़काव किया है इन का असर थोड़ा कम हो जाता है। और भिंडी की फसल में इस प्रकार रोग और कीट का नियंत्रण कर के किसान बंपर उत्पादन के साथ लाखों रूपए की कमाई कर शकते है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को भिंडी की फसल में प्रमुख रोग का उपचार (Bhindi Ki Fasal Me Pramukh Rog Ka Upchar) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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