सूरन की खेती कब की जाती है? | Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

नमस्ते किशान भाईयो आज के इस आर्टिकल में सूरन की खेती कब की जाती है? (Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He) इन के बारे में बहुत कुछ जानेगे। सुरन को ओल के नाम से भी जाने जाते है। सुरन खाने में बड़ा स्वादिष्ट होता है।

सुरन एक ऐसी सब्जी हे की इसे कई दिन तक उसे स्टोर में रख शकते है और वे कई दिनों तक ताजा रहता है। सुरन की ऊपरी छिलका बहुत कठिन होता है इस लिए अंदर का गुंदा कई दिन तक ताजा और अच्छा रहता है।

सुरन की कई सारि उन्नत किस्मे हे इन में रंग भी विविध किस्मे के विविध होते है। सुरन के कंद के रंग कई गुलाबी, सफ़ेद एवं भूरे और काले रंग के होते है सुरन की ऊपरी त्वचा कठिन और मोटी होती है।

सुरन का उपयोग हम सब्जी बनाने में एवं अचार बनाते है और चटनी भी बनाते है। इन के अलावा भी सुरन में कई औषोधिक गुण होने के कारण कई दवाई में भी सुरन का उपयोग किया जाता है।

Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He
सूरन की खेती कब की जाती है? (Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He)

सुरन की खेती किशान गर्मी के मौसम में करते है। और गर्मी के मौसम में सुरन की फसल अच्छे से वृद्धि करते है। और इस के कंद भी अच्छे से विकास करते है। सुरन का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारी भी ठीक हो शक्ति है और कई बीमारी में राहत भी मिलती है।

सुरन का सेवन करने से इस प्रकार की बीमारी में फायदे होते है। जैसे की कैंसर की बीमारी, डायबिटीज की बीमारी, शरीर के वजन कम करने में, एवं पाचन तंत्र को मजबूत बनता है। और आँखो के बढ़ते नंबर को भी ठीक करते है। इन के अलावा भी कई सारे फायदे सुरन के सेवन करने से होता है।

सूरन की खेती कब की जाती है? (Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He)

सुरन की खेती बारिश के महीने में नहीं कर शकते सुरन की खेती बारिश में पहेले या बारिश के महिने के बाद करनी चाहिए। सुरन की खेती अप्रैल महीने में यातो मई महीने में ज्यादातर किशान करते है। सुरन की खेती में जल भराव या पानी भराव की अच्छी वयवस्था करनी चाहिए।

सुरन की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है और बलुई दोमट मिट्टी में सुरन के कंद अच्छे से विकास करते है। सुरन की खेती में दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए। और आखरी जुताई से पहेले अच्छे से सड़ा गोबर की खाद डाल के मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

सुरन की खेती वानस्पतिक तरीके से की जाती है। सुरन की खेती में जल भराव से कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है और सुरन की फसल को बहुत नुकशान करते है। सुरन की खेती में जल निकास की अच्छी व्यवस्था करनी चाहिए।

सुरन के बीज सुरन के कंद में ही मौजूद होता है। सुरन एक कंद वर्गी फसल है। इस लिए जब ज्यादा बारिश होती है तब इस के पौधे के जड़ो अच्छे से नहीं विकास कर शक्ति है और इस के पौधे में कंद के रूप में सुरन अच्छे से नहीं विकास कर शकते।

सुरन के कंद का छोटा छोटा टुकड़ा कर के मुख्य खेत में किशान बुवाई करते है। सुरन के टुकड़ा इस प्रकार से करे की हर एक टुकड़े में काली का एक या दो हिच्छा होना चाहिए तब जाके सुरन अच्छे से अंकुरित होता है।

सूरन की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है?

सुरन की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सवसे अच्छी मानी जाती है और जिस मिट्टी में सुरन की खेती करे उस मिट्टी को पहेले जास परख लेना चाहिए। तकि हमें भी पता चले की जीस मिट्टी में सुरन की बुवाई करना है उस मिट्टी में कौन कौन से तत्व मौजूद हे और कौन कौन से तत्व की कमी है।

सुरन की बुवाई जीस मिट्टी में करना है उस मिट्टी का पी एच मान 5.5 से 7.5 के बिच का होना बेहद जरूरी है। सुरन की खेती के लिए मिट्टी को दो से तीन बार गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। बाद में पाटा चला के ज़मीन को समतल कर लेना चाहिए। बाद में सुरन के कंद के छोटे छोटे टुकड़े की बुवाई कर नई चाहिए।

सुरन की खेती में तापमान एवं जलवायु

सुरन एक उष्ण एवं उपउष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल है। हमारे देश भारत में सुरन की खेती बारिश के पहेले और बारिस के बाद सुरन की खेती की जाती है। सुरन के पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए गर्मी की जरूरत होती है।

सुरन के कंद के विकास के लिए ठंड की जरूरत होती है। सुरन के कंद ठंड के मौसम में अच्छे से विकास करते है। सुरन की खेती में सुरन के बीज को अंकुरित होने के लिए 21℃ तक के तापमान की जरूरत होती है और सुरन के पौधे की अच्छी विकास के लिए 15℃ से 25℃ तक के तापमान अच्छा माना जाता है।

सुरन के पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से विकास करता है किंतु जब तापमान 35℃ तक का हो जाए तब तक तो सुरन के पौधे सहन कर शकते है लेकिन इन से अधिक तापमान में सुरन के पौधे अच्छे से विकास नहीं कर पता और कंद की वृद्धि भी रूक जाती है।

सूरन कितने प्रकार के होते हैं?

सुरन विविध प्रकार के होते है। सुरन की कई उन्नत किस्मे हे इन में कई किस्मे के सुरन के कंद के रंग सफ़ेद एवं गुलाबी तो कई भूरे और काले रंग के होते है। सुरन हमारे देश भारत में कई प्रकार के पाए जाते है। सुरन को कई लोग जिमीकंद के नाम से और कई लोग ओल के नाम से भी जानते है।

सुरन की उन्नत किस्मे इस प्रकार की है गजेंन्द्र एवं संतरा गाची और एम 15 इन के अलवा कौववयुर आदि सुरन की उन्नत किस्मे है। इन की बुवाई कर के किशान अच्छा मुनाफा कर शकते है।

सूरन कितने दिन में तैयार होता है?

सुरन के बीज की बुवाई के बाद 170 से 190 दिन के बाद पक के खुदाई के लिए तैयार हो जाते है। सुरन की बीज की बुवाई अप्रैल में की है तो दिसम्बर महीने में खुदाई के लिए परी पक हो जाते है। बात करे तो सुरन के बीज बुवाई के बाद 5 से 6 महीने के बाद खुदाई कर शकते है।

सुरन की खेती में खाद कौन सा डाले?

सुरन की खेती में खाद देना बेहद जरूरी है क्यों की सुरन के पौधे की अच्छी विकास एवं सुरन के कंद की अधिक उपज के लिए सुरन की खेती में खाद देना अति आवश्कत है। सुरन की खेती में इस प्रकार के खाद डाल शकते है।

सुरन की खेत तैयारी में अच्छे से साडी गोबर की खाद 12 से 15 टन और इन के अलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, एवं पोटाश, यूरिया, इस प्रकार के खाद सुरन की फसल में डालें जाते है।

सुरन की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज लगभग 75 से 85 टन तक की सुरन की पैदावार मिल शक्ति है। और सुरन की मांग बाजार में अच्छी होती है इस लिए सुरन के दाम भी अच्छा मिलता है। सुरन की खेती में कम लगत और अधिक मुनाफा है।

अन्य भी पढ़े

FAQ’s

Q-1. जिमीकंद कौन से महीने में निकाला जाता है?

Answer : जिमीकंद (सुरन) की बुवाई के बाद ठीक 5 से 6 महीने के बाद पूरी तरह से पक जाने के बाद निकला जाता है। अगर जिमीकंद (सुरन) की बुवाई अप्रैल के महीने में की है तो सप्टेम्बर या नवंबर महीने में निकला जा शकता है।

Q-2. सूरन की सब्जी खाने से क्या फायदा होता है?

Answer : सुरन की सब्जी खाने से कई प्रकार की बीमारी में रहत और कई बीमारी का इलाज भी किया जाता है। वैसे तो डायबिटीज, कैंसर, पाचन तंत्र को मजबूत बनता है। और आखो के इलाज के लिए भी सुरन फायदेमंद होता है। इन के अलावा भी कई बीमारी में सुरन मददगार साबित होता है।

Q-3. सूरन का दूसरा नाम क्या है?

Answer : सुरन का दूसरा नाम जिमीकंद के नाम से भी जाना जाता है और कई लोग सुरन को ओल के नाम से भी जानते है।

Q-4. सूरन में कौन सा विटामिन पाया जाता है?

Answer : सुरन में विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन सी, पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है इन के आलावा प्रोटीन, फाइबर और फोलिक एसिड भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते है। इसी लिए तो सुरन को औषोधिक दवाई में भी उपयोग किया जाता है।

Q-5. दिवाली के दिन सूरन की सब्जी क्यों खाते हैं?

Answer : दीवाली के दिन सुरन की सब्जी बना के खाना बहुत अच्छा माना जाता है। क्यों की कई लोगो का मानना है की सुरन की सब्जी दीवाली के दिन बना के खाने से पुरे साल भर सुखी और समृद्धि से भरा भंडार रहेगा। ऐसी मान्यता है इस लिए दीपावली के दिन सुरन की सब्जी बनानी चाहिए और खानी भी चाहिए।

सारांश

नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सूरन की खेती कब की जाती है? (Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He) इन के बारे में बारीक़ से जानकारी मिलेगी। और सूरन की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। इन के बारेमे भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

सूरन की खेती कब और कैसे की जाती है और सूरन की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज कितनी प्राप्त कर शकते है। और सूरन की खेती में कौन कौन से खाद और कितना देना चाहिए। इन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

सूरन की खेती में ए आर्टिकल आप को बहुत हेल्पफुल होगा। और ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद भी आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

इस लेख को किसान के साथ शेयर करे...

नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

3 thoughts on “सूरन की खेती कब की जाती है? | Suran Ki Kheti Kab Ki Jati He”

Leave a Comment