लौकी की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार कैसे करे (Lauki Ki Fasal Me Lagne Wale Rog Avn Kit Ka Upchar Keise Karen)
लौकी की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार इस प्रकार करे के अधिक उत्पादन प्राप्त कर शकते है
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लौकी की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार कैसे करे (Lauki Ki Fasal Me Lagne Wale Rog Avn Kit Ka Upchar Keise Karen) : लौकी लगाने से किसान को ज्यादा मुनाफा मिल सकता है और वह कौन से ऐसे पांच टिप्स हैं जिन्हें अपना के किसान भाई ज्यादा उत्पादन और ज्यादा भाव में अपनी लौकी को भेज सकते हैं।
लौकी की खेती कहां की जा सकती है। लौकी की खेती लगभग पूरे भारत में की जा सकती है। लौकी के फसल चक्र की बात करें तो वह मात्र 90 से 100 दिन का होता है। मतलब 3 महीने के अंदर आप की फसल तैयार भी हो जाती है और उसकी लड़ाई होने के बाद आप अगली फसल भी लगा सकते हैं तो इसी तरह से कई किसान 1 साल में तीन तीन लौकी की फसल ले लेते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं। लौकी को साल में 3 बार लगाया जा सकता है तो सबसे ज्यादा मुनाफा या उत्पादन लेना है तो वह सही समय कौन सा है।
किसान भाइयों का मानना था कि 2 जून या जुलाई के महीने में लौकी लगाई जाती है। उससे ज्यादा उत्पान भी होता है और ज्यादा मुनाफा भी किसान भाइयों को मिलता है। इसके अलावा आप जनवरी या फरवरी महीने में और सितंबर से अक्टूबर के महीने में भी लौकी लगा सकते हैं। लेकिन उस टाइम जो है आप की फसल का उत्पादन जून-जुलाई की फसल की तुलना में कम रहता है। अब बात करते हैं बिज को लगाने का तरीका तो लोग की को कई तरीके से लगाया जाता है। एक तो पारंपरिक तरीका जिसमें जो भी है, वह छिड़क दिया जाता है या कुल काट के लगाया जाता है, दूसरा होता है, बेड बनाकर तीसरा होता है मचान विधि मचान विधि
लौकी की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?
अगर आप भी लौकी की खेती करने के साथ ही अच्छी उपज प्राप्त करना चाहते हैं तो अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा आदि की खेती कर सकते हैं.
लौकी की फसल में रोग एवं कीट
लौकी की फसल में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटैक करते है। इन का नियंत्रण करना बेहद जरूरी है इन ही तो उपज में बहुत फर्क पड़ शकता है। और इस खेती में इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है। डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew), डैम्पिंग ऑफ (Damping Off), बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot), सेप्टोरिया लीफ स्पॉट (Septoria Leaf Spot), वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium Wilt), एंगुलर लीफ स्पॉट (Angular Leaf Spot), कुकुम्बर मोजेक वायरस (Cucumber Mosaic Virus), फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt), रूट रोट (Root Rot)
लौकी की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार कैसे करे (Lauki Ki Fasal Me Lagne Wale Rog Avn Kit Ka Upchar Keise Karen)
लौकी की फसल में जब पौधे पर फूल आने लगे तब कई सारे रोग एवं कीट अटैक करते है इन का उपचार आप इस प्रकार से कर शकते है। जो निचे बताया गया है।
डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
पौधे में पानी देते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
लौकी के पौधे के आस पास हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए पौधे की खराब पत्तियों की प्रूनिंग करें।
पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
लौकी के पौधे को पूर्ण सूर्यप्रकाश वाले स्थान पर लगाएं।
लौकी के पौधों के आस पास हवा का प्रवाह ठीक तरह से बनाये रखने के लिए, पौधे के अधिक घने भाग वाली पत्तियों की प्रूनिंग करें। प्रूनिंग के प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणु मुक्त करें।
लौकी के पौधे को अधिक पानी देने से बचें, अर्थात जब मिट्टी सूखी हुई दिखे, तभी पौधे को पानी दें।
पौधे की समय-समय पर कटाई-छटाई करते रहें, जिससे पौधे के आसपास हवा का प्रवाह बना रहे।
डैम्पिंग ऑफ (Damping Off)
वर्टिसिलियम विल्ट रोग की प्रतिरोधी किस्म को लगाएं।
खरपतवार को कम कर, इस रोग के जोखिम को कम करने के लिए लौकी के पौधे की मल्चिंग करें।
वर्टिसिलियम विल्ट रोग की प्रतिरोधी किस्म को लगाएं।
खरपतवार को कम कर, इस रोग के जोखिम को कम करने के लिए लौकी के पौधे की मल्चिंग करें।
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot)
लौकी के पौधे को गार्डन में, पर्याप्त धूप वाले स्थान पर लगायें।
इस बीमारी से बचने के लिए लौकी के पौधे को अधिक बार पानी देने से बचें।
सेप्टोरिया लीफ स्पॉट (Septoria Leaf Spot)
इस रोग से संक्रमित पौधे को गार्डन से हटा कर नष्ट कर दें।
पौधों पर पानी डालते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को लौकी की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट का उपचार कैसे करे (Lauki Ki Fasal Me Lagne Wale Rog Avn Kit Ka Upchar Keise Karen) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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