किसान भाई आप जानते है की कृषि में हरित क्रांति लाने वाला महान व्यक्ति कोन थे?

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Hamare Desh Bharat Me Harit Kranti Kab Aur Kisne Shuru Ki

हमारे देश भारत में हरित क्रांति कब और किसने शुरू की (Hamare Desh Bharat Me Harit Kranti Kab Aur Kisne Shuru Ki)

प्रसिद्ध कृषि विज्ञानी एम.एस.आर. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के प्रथम जनक के रूप में जाना जाता है। 1960 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बंगाल में भयंकर सूखा पड़ा था। जिससे उन्हें बहुत आघात पहुंचा। उन्होंने 1944 में मद्रास कृषि महाविद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1947 में पढ़ाई के लिए दिल्ली गये। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा भी उत्तीर्ण की और भारतीय पुलिस सेवा मेंजुड़ गये। लगभग उसी समय उन्हें नेधरलेंड में जेनेटिक्स में यूनेस्को फ़ेलोशिप का प्रस्ताव मिला। तब स्वामीनाथन ने पुलिस की नौकरी छोड़कर नेधरलेंड जाने का फैसला किया। वे 1954 में भारत आये और कृषि कार्य में लग गये। गेहूं की बेहतर किस्में विकसित कीं। और 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष बने। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों की समस्याओं को समझें। उन्होंने सरकार को किसानों को फसल की कीमत का 50% यानी C2+50% मुनाफा देने का सुझाव दिया। आ हुई उनके बारेमे थोड़ी सी जानकारी चले जानते है पूरी जानकारी।

हमारे देश भारत में हरित क्रांति कब और किसने शुरू की (Hamare Desh Bharat Me Harit Kranti Kab Aur Kisne Shuru Ki)

हमारे देश में हरित क्रांति 1967 तक, सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्रों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया। और एम.एस.आर. स्वामीनाथन हरित क्रांति की शरुआत की थी।

एम.एस स्वामीनाथन का जीवन परिचय

एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था। वह एक कृषिविज्ञानी थे और कृषि वैज्ञानिक और प्रशासक थे। उन्होंने धान की उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में ज्यादा भूमिका निभाई थी। स्वामीनाथन ने विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर कार्य किया। और उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निदेशक1961-72 बनाया गया। आई.सी.ए.आर का महानिदेशक और भारत सरकार ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग का सचिव 1972-79 नियुक्त किया गया था।

एम.एस स्वामीनाथन को मिलने वाले अवॉर्ड की बात करे तो भारत का चर्वोच भारत रत्न 1954 में सबसे पहले मिला था। और पद्म श्री अवॉर्ड, पद्म भूषण अवॉर्ड और पद्म विभूषण अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। एम.एस स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये गए है। इसके अलावा उन्हें  एच के फिरोदिया पुरस्कार, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार और इंदिरा गांधी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

विश्व में हरित क्रांति

हरित क्रांति 1960 के दशक में नॉर्मन बोरलॉग द्वारा शुरू किया गया एक प्रयास था। इन्हें विश्व में हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1970 में नॉर्मन बोरलॉग को उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने के उनके कार्य के लिये नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत में हरित क्रांति का नेतृत्व मुख्य रूप से एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा किया गया।

हरित क्रांति के परिणामस्वरूप खाद्यान्न विशेषकर गेहूंँ और चावल के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। जिसकी शुरुआत  20वीं शताब्दी के मध्य में विकासशील देशों में हुई। उच्च उपज देने वाले किस्म के बीजों के प्रयोग के कारण हुई। इसकी प्रारंभिक सफलता मेक्सिको और भारतीय उपमहाद्वीप में देखी गई। वर्ष 1967-68 और वर्ष 1977-78 की अवधि में हुई हरित क्रांति भारत को खाद्यान्न की कमी वाले देश की श्रेणी से निकालकर विश्व  के अग्रणी कृषि देशों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया।

भारत में हरित क्रांति

1943 में भारत विश्व में सबसे अधिक खाद्य संकट से पीड़ित देश था। बंगाल में अकाल के कारण पूर्वी भारत में लगभग 4 मिलियन लोग भूख के कारण मारे गए थे। हालांँकि वर्ष 1947 में आज़ादी के बाद वर्ष 1967 तक, सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्रों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया। लेकिन देश की जनसंख्या वृद्धि खाद्य उत्पादन की तुलना में बहुत तीव्र गति से बढ़ रही थी।

भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने खाद्यान उत्पादन बढ़ाने हेतु तत्काल और कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया जिसकी परणिति हरित क्रांति के रूप में उभरकर सामने आई।

भारत में हरित क्रांति उस अवधि को संदर्भित करती है जब भारतीय कृषि अधिक उपज देने वाले बीज की किस्मों, ट्रैक्टर, सिंचाई सुविधाओं, कीटनाशकों और उर्वर के उपयोग जैसे आधुनिक तरीकों एवं  प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण  एक औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तित हो गई थी।

भारत में हरित क्रांति मोटे तौर पर गेहूंँ क्रांति है क्योंकि वर्ष 1967-68 और वर्ष 2003-04 के मध्य  गेहूंँ के उत्पादन में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई। जबकि अनाजों के उत्पादन में कुल वृद्धि केवल दो गुना थी। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1978-79 में 131 मिलियन टन अनाज का उत्पादन हुआ और भारत विश्व के सबसे बड़े कृषि उत्पादक  देश के रूप में स्थापित हो गया।

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