छुहारा की खेती कब और कैसे करे|खजूर की खेती | Chuhara Ki Kheti | Khajur Ka Ped

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छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) : छुहारा को हम खजूर के नाम से भी जानते है। भारत में छुहारा की खेती कई राज्यों में किशान करते है।

गुजरात, राजस्थान, सिन्ध, पंजाब, केरला और तामिलनाडू इन सभी राज्यो में छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) बड़े पैमाने पे किशान करते है। छुहारा में कई विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते है।

जैसे की कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन,बोरॉन, मिनरल्स एवं पोटेशियम भरपूर मात्रा में मिलते है। छुहारा खाने से लेकर दवाई तक उपयोगी है। आम देखे तो हृदय, कब्ज और दस्त जैसी बीमारी वाले लोगे के लिए छुहारा बहुत उपयोगी माना जाता है।

छुहारा इन के आलावा कई रोग के दवाई में एवं कई मिठाई में भी उपयोग में लेते है। छुहारा के पेड़ नारियल के पेड़ जैसे दीखते है। और छुहारे की पेड़ की उच्चाई 15 से 20 मीटर की होती है और कई पेड़ तो 20 से 25 मीटर का भी होता है।

छुहारा के पेड़ से रस निकाल कर हम नीरा भी बनाते है। छुहारा पेड़ की पतिया मे से हम जाडू भी बनाते है और सफाई काम के उपयोग में लेते है।

छुहारा में विटामिन ए, भी भरपूर पाया जाता है और गर्भावस्था लाभ, ऊर्जा बढ़ोतरी, संक्रमण इलाज, मधुमेह में सहायक, इन सब में भी लाभ दायक है। इस के अलावा त्योहारी एवं सामाजिक कामो में भी छुहारा हमें बहुत उपयोगी होता है।

बात करे तो छुहारा को एक ड्राई फ़ूड भी कहते है। अगर आप नियमित छुहारा को खाते है हो आपको बहुत फायदा होगा।

छुहारा को खाने से कैंसल, डायबिटिष एवं डाइजेशन जैसी गंभीर बीमारी में भी राहल रहती है। इस लिए मानव शरीर के लिए छुहारा बहुत उपयोगी है।

Chuhara Ki Kheti

इस लिए आज के दौर पर छुहारे की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है। इस लिए आज हम आप सब किशान भाईयो को छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) कब और कैसे की जाती है।

इस आर्टिकल में हम छुहारा की खेती को लेकर सभी सवाल के जवाब आपको मिल जाएगे। जैसे की छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) के लिए कैसी मिट्टी पसंद करे। छुहारा के पेड़ (Khajur Ka Ped) को कैसा तापमान एवं वातावरण अनुकूल आता है।

छुहारा के प्रसिद्ध किस्मे (वेराइटी ) कोन कोन सी है। छुहारा की देखभाल एवं सिंचाई। छुहारा में लगाने वाले रोग या कीट। और छुहारा की खेती एक हेक्टर में की जाये तो उपज कितनी मिलेगी। इन्हे बाजार में बिकने से छुहारे का भाव 2023 में अच्छा मिला है

इस के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी आप को इस आर्टिकल में मिलेगी और इस माहिती के लिए आपको इस आर्टिकल में अंत तक बने रहे।

Table of Contents

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) Overview

फल का नामछुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti)
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को छुहारा की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीजामली, खुनेजी, धनामी मेल, मेडजूल ,मदसरीमेल और भी है
बुवाई कब और केसे करेबुवाई दो तरीके से की जाती है बीज और प्रसिद्ध किस्मे के पौधे लेकर
पौधे से पौधे की दुरी20 फिट से 25 फिट रखनी चाहिए
तापमान और वातावरण30℃ से लेकर 40℃ तापमान और उष्ण एवं गर्म तापमान
खाद कौन सा और कितना डालेखाद में सड़ा हुआ गोबर एवं तुरिया जरूरत के अनुसार
लगने वाले रोगदीमक, सफ़ेद कीट, लाल कीट, और पक्षि
एक हेक्टरमे मुनाफा एक हेक्टर में से 12 लाख से 14 लाख का मुनाफा हो शक्ती है
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छुहारा की खेती | Chuhara Ki Kheti | Chhuhara Ki Kheti Kahan Hoti Hai | खजूर से छुहारा कैसे बनता है | खजूर और छुहारा का पेड़ एक ही होता है क्या | खजूर और छुहारा के पेड़ में अंतर | Khajur Ka Ped

मिट्टी की पसंदगी और तैयारी

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) आमतौर पर रेतीली मिट्टी में की जाती है। क्यों की रेतीली मिट्टी में जल निकासी समता अधिक होती है। छुहारा की खेती के लिए मिट्टी में नमी सुखाने का गुण होना बहुत जरूरी होता है।

अगर आप छुहारा की खेती करना चाहते है तो जहा छुहारा के पेड़ की बुवाई करे वहा 1 से लेकर 10 फिट तक पाथरीली जमीन नहीं होनी चाहिए।

पथरीली जमीन पे छुहारा के पेड़ की जड़ अच्छे से पोषक तत्व नहीं ले शकते बाद में उपज भी अच्छी नहीं मिलती। छुहारा की खेती ज्यादा तर रेतीले मैदान या समुद के किनारे पर की जाती है।

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) के लिए जमीन तैयारी में गहरी जुताई करनी चाहिए। और गहरी जुताई के बाद पाटाचला के जमीन समतल कर लेनी चाहिए।

समतल के बाद खड्डा कर के योग्य प्रमाण में इस खड्डो में खाद डालकर बाद में छुहारा के पौधे की बुवाई करे। और जमीन के पी एच मान 7 से 8 के बिच होना चाहिए

छुहारा की फसल में तापमान और जलवायु

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) के लिए गर्म एवं उष्ण तापमान की आवश्यकता होती है। छुहारा के पेड़ को वृद्धि करने के लिए 28 से 32 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

जब तापमान 30 डिग्री हो जाता है तब छुहारा के पेड़ अच्छे से विकास करते है। इस छुहारा के पेड़ को ज्यादा ठंड बहुत नुकशान पहुंचाते है। इस लिए छुहारा की खेती आमतौर पर मरुस्थलीय जमीन पर की जाती है।

जलवायु की बात करे तो छुहारा के पेड़ को पानी की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। वे सुखी जमीन में भी अच्छे से अंकुरित होते है। और अच्छे से पैदावार भी देते है।

छुहारा की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में छुहारा की प्रसिद्ध किस्मे या उत्तम वेराइटी कई सारी है। इन में से जामली, खुनेजी, धनामी मेल, मेडजूल ,मदसरीमेल ,बरही और खदरावी इन वेराइटी मे से कोई भी किस्मे आप लेकर बुवाई कर शकते है।

छुहारा में रोग प्रति कारक शक्ति बहुत अच्छी होती है। और उपज भी ज्यादा मिलेगी। इस लिए जब छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) करे तब उत्तम वेराइटी के पौधे की ही बुवाई करे।

छुहारा की उन्नत वेराइटी के बारे में थोड़ा जानना आप के लिए बेहद जरूरी है। इस लिए इस प्रसिद्ध किस्मे की ज्यादा जानकारी निचे दी गई है।

जामली : छुहारा के इस बेराइटी में फल बहुत जल्दी आते है और इस फल के रंग सुनहरे पीला रंग का आता है। इस के फल में बीज छोटे होते है और खाने में स्वादिस्ट एवं बहुत मीठे लगते है।

छुहारा में के फल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन आदि तत्व पाये जाते है। और इस किस्मे के पेड़ से आपको 90 से 120 किलो तक का उपज मिलता है।

खुनेजी : छुहारा की इस वेराइटी के पेड़ बहुत धीमी गति से वृद्धि करते है। और इस वेराइटी के पेड़ पर आने वाले फल जल्द ही पक जाते है। इस छुहारा के पेड़ से थोड़ा उपज भी कम मिलते है। इस वेराइटी के फल लाल रंग के होते है। खेनेजी के पेड़ पर से उपज 60 से लेकर 90 किलो की उपज मिलती है

धनामी मेल : ए एक नर प्रजाति की वेराइटी है इस वेराइटी में आपको पहले फूल देखने को मिलेगा। और इन फूलो में परागकी मात्रा बहुत कम होती है। इस पराग मे से फल बननेको काफी वक्त लगताहै और फल जब एते है तब बहुत सारे आते है और खाने में बहुत मीठे एवं मधुर लगते है।

मेडजूल : इस वेराइटी के पेड़ पर फल थोड़े कम एते है और थोड़े देर से पकते है। इस किस्मे में फल का रंग नारंगी और पीले रंग के होते है। इस वेराइटी की खेती ज्यादातर मोरको के विस्तार में की जाती है इस वेराइटी के प्रतेक पेड़ से 80 से 120 किलो फल मिल शकते है

मदसरीमेल : इस वेराइटी के पेड़ में फल थोड़ा देर से आता है और फल खाने में बहुत मीठे होते है एवं प्रतेक पेड़ में फल की लगत भी थोड़ी कम देखने को मिलेगी। हर एक पेड़ पर 60 से 80 किलो की फल की उपज रहती है

बरही : इस वेराइटी के पेड़ की खेती बहुत लोगो ने की है। इस किस्मे को बहुत प्रसिद्ध किस्मे मानी जाती है और इस वेराइटी की खेती भी अच्छी एवं उपज भी ज्यादा देती है। इन वेराइटी के फल भी कम वक्त में आते है और पक ने में काफी वक्त लगता है

छुहारा खाने में भी बड़े स्वादिस्ट एवं मीठे लगते है। इस वेराइटी के पेड़ पर आने वाले फल लम्ब गोल आकर के होते है इस का रंग पीला होता है और उपज में 80 से लेकर 120 किलो प्रतेक पेड़ से उपज मिल शक्ति है।

खदरावी : इस वेराइटी के पेड़ की उचाई बहुत नहीं होती ए पेड़ छोटे कद के होते है। इस वेराइटी के फल पिले रंग के होते है। इस पेड़ की उचाई कम होने से पेड़ पर आने वाले फल को हम आसानीचे तोड़ाई करशकते है इस वेराइटी के पेड़ पर से आपको उपज 60 से 80 किलो तक की उपज मिलेगी।

छुहारे के पेड़ की बुवाई कब और कैसे करे?

छुहारा के पेड़ (Khajur Ka Ped) की बुवाई दो प्रकार से की जाती है। एक तो बीज की बुवाई करके और अच्छी वेराइटी के पौधे नर्सरी में से खरीद के बुवाई कर शकते है। जब आप बीज की बुवाई करते है तब बीज से पौधे अंकुरित होने में बहुत वक्त निकल जाता है।

छुहारा के बीज की परत बहुत कठिन होती है। इस लिए बीज से पौधे अंकुरित होने में वक्त लगता जाता है और फल आने में भी काफी वक्त निकल जाता है।

जब की छुहारा के पौधे की बुवाई करे तो पौधा वृद्धि भी जल्द करते है और फल भी जल्द देने लगते है। इस लिए जब भी छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) करना चाहो तब पौधे की बुवाई करे।

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) की बुवाई के लिए पहले तो गहरी जुताई करनी चाहिए। बाद में 3 ( तीन ) फिट से 4 ( चार ) फिट गहरा खड्डा करना चाहिए और 20 से 25 फिट की दुरी प्रतिक खड्डे की रखनी चाहिए।

खड्डे में सड़ा हुवा गोबर, कम्पोस्ट, और फोरेट, मिट्टी में अच्छे से मिश्रित कर के खड्डे को भर देना चाहिए और सिंचाई भी कर देनी चाहिए एवं 15 से 20 दिन बाद खड्डे में पौधे की बुवाई कर शकते है।

छुहारा की देखभाल कैसे करे

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में छुहारा के पेड़ की देखभाल अच्छे से करे क्यों की अच्छी उपज के लिए छुहारा के पेड़ की देखभाल भी अच्छे से करनी चाहिए।

नहीं तो उपज में किशान को भारि गिरावट देखने को मिलेंगी। और मुनाफा कम और नुकशान ज्यादा भुगतना होगा। इस लिए छुहारा के पोड पर योग्य समय सिंचाई एवं खाद और दवाई का छिटकाव करना बेहद जरुरी है।

छुहारा के पेड़ पर जब फल एते है तब कई किट एवं पक्छी भी छुहारा के फल खाने को एते है इस के लिए इन पक्छी एवं कीट दोनों से छुहारा के पेड़ का रक्षण करना चाहिए।

छुहारा की खेती में सिंचाई कब और कैसे करे

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) जयादातर अर्द्ध-शुष्क एवं गर्म विस्तार में छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) की जाती है और ऐसे ही विस्तार में छुहारा के पेड़ को अनुरुप विस्तार माना जाता है।

छुहारा की खेती में तापमान 30°C तक का अच्छा माना जाता है। छुहारा के पेड़ की एवं छुहारा के फल की अच्छी वृद्धि के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है।

छुहारा के पेड़ की सिंचाई 15 से 20 दिन के बाद करनी चाहिए। और जब ठंड का मौसम चल रहा हो तब तो जरूरत परमाने 1 से 3 बार ही सिंचाई करनी चाहिए।

छुहारा के पेड़ को सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता होती है। छुहारा के पेड़ गर्म मौसम में फल देने वाला पेड़ है। और बात करे तो जब छुहारा के पेड़ पर फल दिखने लगे तब एक से दो बार सिंचाई जरुर करे।

हम सब जानते है की फल जब भी किसी भी पौधे या पेड़ पर आने लगे तब सिंचाई की जरूरत अधिक होती है। छुहारा के पेड़ में सिंचाई कर के नमी बानी रहनी चाहिए।

खाद सिड्यूल कोन सा और कब देना चाहिए

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में छुहारा के पेड़ को खाद देना बेहद जरुरी है। जब की छुहारा के पौधे की बुवाई की तब और छुहारा के पेड़ पर फल आने लगे तब फल अच्छे एवं फल की वृद्धि के लिए खाद देना बेहद जरूरी है।

छुहारा के पौधे की बुवाई से लेकर 5 से 6 साल तक 20 से लेकर 30 किलो गोबर का खाद देना चाहिए। खाद डालने से छुहारा के पेड़ एवं फल दोनों की वृद्धि अच्छे से होती है।

छुहारा के पेड़ पर फल आने लगे तब खाद योग्य मात्रा में बढ़ा देनी चाहिए इस के इलावा भी खाद दाल शकते है। किसी अनुभवी किशान या बैज्ञानिक की सलाह के अनुसार यूरिया खाद की जानकारी लेकर यूरिया खाद भी जरूरी मात्रा में डाल शकते है।

छुहारा खाने के फायदे

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में छुहारा रोजाना खाने से हमारे शरीर में कई लाभ होते है। जैसे की विटामिन ए, विटामिन सी, खनिज, एवं कई बीमारी में भी उपयोगी है।

छुहारा रोजाना खाने से हृदय को प्रिय, श्वास, वायु ( कब्ज ), क्षय, रुचिकारक, आयरन, हड्डियों, वीर्यवर्द्धक, रक्तपित्त, बलदायक, संक्रमण, भूख, प्यास, दम, डायबिटीज, मूर्च्छा, बुखार, उलटी, इन सब में छुहारा का रोजाना उपयोग से काफी रहत मिलती है।

  • हृदय : छुहारा खाने से हृदय रोग की बीमारी दूर हो जाती है। इस छुहारा में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-एपोप्टोटिक और हाइपोलिपिडेमिक के गुण भरपूर मात्रा में मिलते है। इस के सेवन से हृदय में लोहिका परिभारमन तेजी से होता है और अटेक जैसी बीमारी से सुरक्षित रखते है
  • डायबिटीज : डायबिटीज एक बहुत गंभीर बीमारी है। इस बीमारीके मरीज को खाने पिने में बहुत सावधानी रखनी चाहिए। नई तो इस बीमारिकी कंट्रोल करना अति मुश्किल है। इस बीमारिको भी छुहारा के रोजाना सेवन करके कंट्रोल कर शकते है।
  • संक्रमण : छुहारे में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-ए, और विटामिन सी, खनिज भरपूर मात्रा में मिलते है। इस के अलावा मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण संक्रमण से बचने में खुबज उपयोगी साबित होते है
  • हड्डियों : शरीर की हड्डियों को भी मजबूत करते है। दूध एवं छुहारा दोनों को मिलाके पिने से शरीर की हड्डियों का दर्द भी कम किया जा शकता है छुहारा में छुहारे में मौजूद कैल्शयिम, सेलेनियम, मैग्नीज और कॉपर जैसे विटामिन पाए जाते है और इस तत्व की वजे से हड्डियों मजबूत होती है
  • आयरन : जब शरीर में आयरन की कमी होती है तब शरीर में थकान का अनुभव होता है। और शरीर में जब थकान का अनुभव होता है तब शरीर कमजोर भी हो जाता है। इस के लिए छुहारा का सेवन रोजाना करे तो लोही का सुधिकरण कर शकते है और आयरन की कमी को भी दूर कर शकते है
  • कब्ज (पेट में वायु) : अगर आप इस बीमारी से परेसान है तो आपको रोजाना गर्म पानी के साथ छुहारा के सेवन करना बेहद जरूरी है। इस के सेवन से शरीर में खोराक को पाचन करने वाले पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और बाद में जो भी खोराक आपने खाई है इसे पाचन करते है और कव्जे एवं वायु से मुक्ति दिला नेमे मदद रुप होते है

छुहारा खाने के नुकशान

इस तरह छुहारा रोज खाने से शरीर में कई प्रकार के लाभ होते है। पर सहि मात्रा में खाना चाहिए। इस का नुकशान में एलर्जी, उच्च मात्रा में चीनी, एवं भरपूर मात्रा में कैलरी पाए जाते है।

छुहारा के फल अधिक मात्रा में खाने से कई नुकशान भी भुगतना पड़ शकते है।

  • एलर्जी : छुहारा रोजाना अति मात्रा में खाने से एलर्जी आ शक्ति है। इस में मौजूदा सल्फाइट के कारण आंखो की संवेदनशीलता और आंखो से पानी बहना और नाक बहना जैसी एलर्जी हो शक्ति है
  • ज्यादा चीनी के वजेसे : हम सब जानते है की छुहारा में मौजूदा विटामिन एवं खनिज के कारण और चीनी की मात्रा भी अधिक होती है। डायाबिटीज के मरीज को छुहारा खाने से फायदे भी होते है और नुकशान भी होता है इस लिए डायाबिटीज के मिरिज को डॉक्टर की सला मुजब ही छुहारा का सेवन करना चाहिए।
  • केलेरी : छुहारा में भरपूर मात्रा में केलेरी होती है। एक छुहारा में तक़रीबन 50 से 60 केलेरी होती है। और ज्यादा केलेरी शरीर में वजन बढ़ने का काम करते है

छुहारा के पेड़ पर लगने वाले रोग एवं कीट

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में लगने वाले रोग एवं कीट की बात करे तो ज्यादा तर छुहारा के पेड़ पर फल आते है तब कही प्रकार के रोग, कीट, एवं पक्षियों के आक्रमण होते है।

छुहारा के पेड़ में लगने वाले रोग में दीमक मुख्य रोग है। इस के आलावा सफ़ेद कीट और लाल कीट और बात करे तो पक्षियों का आक्रमण इन सबसे छुहारा के पेड़ को बचाना चाहिए।

छुहारा के पेड़ पर ए सब दिखाई दे तब हमे उचित मात्रा में रोग एवं कीट के लिए जरुर दवाई का छिटकाव करना चाहिए और छुहारा के फल को जब पक्षियों का आक्रमण हो तब पेड़ के फल पर हमे थैली लगा देनी चाहिए।

छुहारा की खेती म निचे दीगई रोग एवं किट लगते है

दीमक : दीमक रोग छुहारा में पेड़ के जड़ो पर लगाने वाला रोग है। इस दीमक रोग से छुहारा के पेड़ की जड़ो कमजोर होजाती है। और जब किसी भी पेड़ की जड़ या छुहारा के पेड़ की जड़ो में कोई रोग लगता है तब पेड़ हो या पौधा धीमे धीमे सूखने लगता है।

क्यों की पौधा या पेड़ को जरूरी पोषक तत्व जमीन (मिट्टी ) में से जड़ो की मदद से ही मिलती है। जब जड़ो ही कमजोर हो जाती है तब तो पेड़ का सुख जाना निचित है

सफ़ेद और लाल किट : इस कीट का अटेक मुख्य तवे पेड़ के पतिया पर होता है। सफ़ेद या लाल कीट के आक्रमण से पेड़ के पतिया एवं कोमल शाखा से रस चूस लेते है।

और पतिया से पेड़ को मिलती वातावरण में से प्रकाश संश्लेषण प्रकिया रुक जाती है और पेड़ की पतिया धीरे धीरे पेड़ से जमीन की तरफ गिरने लगाती है। और एक दिन सारी पतिया पेड़ से गिर जाती है।

और हम सब जानते है की बिना पतिया पेड़ भी धीमे धीमे सूखने लगता है। इस कीट के अटेक केवल पतिया पर नहीं होता सफ़ेद एवं लाल कीट फल पर भी अटेक करते है

पक्षियों का आक्रमण : छुहारा के पेड़ पर जब फल आते है तब रोग, कीट, और पक्षियों का आक्रमण भी होता है। इस पक्षियों के आक्रमण से फल को बचाना होगा वरना किशान को भारी नुकशान भुगतना होगा और उपज में भारी गिरावट एवं मुनाफा भी कम मिलेगा।

छुहारा के पेड़ पर लगने वाले रोग एवं कीट उपचार

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में जब कोई रोग, कीट, या पक्षियों का अटेक (आक्रमण ) हो तब जरुर कोई न कोई उपचार करना ही चाहिए। नहीतो उपज अच्छी मात्रा में नहीं मिलेगी।

छुहारा के पेड़ में लगाने वाले रोग में दीमक एवं कीट में सफ़ेद कीट और लाल कीट एवं पक्षियों का आक्रमण इन सब के उपचाई निचे दी गई है

दीमक : जब भी छुहारा के पेड़ पर दीमक का अटेक हो जाता है तब क्लोरपाइरीफास 50% EC का उपयोग करना चाहिए। और क्लोरपाइरीफास को प्रतीयक एक लीटर पानी में दो मिली, मिलाके पेड़ के जड़ो में देना चाहिए। इस दवाई को 16 लीटर पानी में 35 से 40 मिली, घोल मिला के छिटकाव भी कर शकते है।

इस क्लोरपाइरीफास के मदद से गुलाबी सुंडी, तेला, चुरदा, एवं दीमक जैसे जमीन में रहने वाले कीट को भी आसानीसे नियंत्रण कर शक्ति है। इस क्लोरपाइरीफास का उपयोग इस के अलावा भी कर शकते है। कई फसल या फसल की उम्र एवं तापमान नियंत्रम के लिए क्लोरपाइरीफास का उपयोग करते है।

सफ़ेद और लाल किट : जब इस किट का अटेक हो तब पेड़ के पतिया से रस चूस के पतिया तो कमजोर हो जाती है। लेकिन पेड़ पर कई विषाणु एवं बीमारी फैलाते है।

इस कीट के नियत्रण के लिए हमें डाइमिथोएट 30% IC 1 मिली, या एसीटामिप्रिड 20% SP का 16 लीटर पानी में 8 ग्राम मिलघोल के छिटकाव करना चाहिए

पक्षियों का आक्रमण : जब छुहारा के पेड़ पर फल आने लगते है और पक ने लगते है तब पक्षि बहुत अटेक करते है इस पक्षि के नियंत्रम के लिए हमे जाल या थैली लगाना चाहिए।

छुहारा की उपज एवं तोड़ाई

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) कर के आप अच्छा मुनाफा पा शकते है। इस की तुड़ाई तीन बार की जाती है एक दो बार जब पेड़ पर फल एते है तब कच्चा तोड़ाई के पिंड खजूर बनाया जाता है

और तीसरे बार पेड़ पर सुखंने के बाद तोड़ाई कर के छुहारा बनाया जाता है इस छुहारा के पेड़ 3 से 5 साल बाद फल देने लगते है। और बाद में हर साल दुगना फल देते है। इस छुहारा के पेड़ जयादा से ज्यादा 15 साल से 17 साल तक फल देते है।

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) छुहारा के फल की तोड़ाई हर साल दुगनी हो जाती है। छुहारा के पेड़ दस वर्ष में प्रत्येक पेड़ से 60 से 80 किलोग्राम उपज देते है।

और जैसी वेराइटी की प्रसिद्ध किस्मे के ऊपर ज्यादा तर निर्भर करते है अगर एक हेक्टर में छुहारा के पौधे की बुवाई की है तो 160 से लेकर 170 पौधे लगा शक्ति है। और इन पौधे को पेड़ में बदलने में काफी वक्त लगता है।

जब पेड़ की उम्र 15 से 16 साल की हो जाती है तब तो उपज में भी भरी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी तब एक पेड़ से आपको कम से कम 200 से 250 किलिग्राम की उपज मिलती है। और बाद करे तो उपज भी एक हेक्टर में से 12 लाख 14 का मिनाफा किशान कर शकते है

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सारांश

नमस्ते किशान भइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा और छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे।

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए। छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे।

छुहारा की खेती (Chuhara Ki Kheti) की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो छुहारा की खेती के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

इस लिए ए आर्टिकल आपको छुहारा की खेती करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बेहद पसंद आया होगा।

इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

FAQ’s

Q-1. छुहारा के पेड़ कितने साल में फल देते है ?

Answer : छुहारा के पौधे लगाने से 3 से 5 साल के बाद फल देते लगते है

Q-2. छुहारा की खेती के लिए अनुरुप वातावरण एवं तापमान केसा होना चाहिए ?

Answer : छुहारा की खेती के लिए उष्ण एवं गर्म वातावरण और 30℃ से लेकर 40℃ तापमान छुहारा की खेती के लिए अनुरुप माना जाता है

Q-3. छुहारा के फल खाने से क्या क्या फायदे होते है ?

Answer : छुहारा के फल में मौजूदा विटामिन ए, विटामिन सी, एवं खनिज भारी मात्रा में मिलते है इस लिए इस का सेवन रोजाना करने से बहुत फायदे होते है

Q-4. छुहारा के पेड़ पर लगाने वाले रोग एवं कीट कौन कौन से है ?

Answer : छुहारा के पेड़ पर लगने वाले रोग एवं कीट में दीमक, एवं सफ़ेद कीट और लाल कीट इस प्रकार के कीट एवं रोग लगते है

Q-5. छुहारा के पेड़ एक हेक्टर में बुवाई की है तो कितना मुनाफा हो शकता है ?

Answer : छुहारा के पीड़ एक हेक्टर में से 12 लाख से 14 लाख का मुनाफा हो शक्ती है

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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