कश्मीरी लाल बेर की खेती ( Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) कश्मीरी लाल बेर एक फल का नाम है। कश्मीरी लाल बेर का पौधे 18 महीने के बाद फल देने लगते है।
बेर के पौधे पर जब बेर का फल आता है तब बेर का फल हरे रंग का होता है। और जब पौधे पर बेर पक जाता है तब बेर लाल रंग का हो जाता है। कश्मीरी लाल बेर की खेती ज्यादातर भारत में कश्मीर में की जाती है।
भारत के विविध राज्य में भी की जाती है वैसे के उतराखंड, हिमांचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश,महाराष्ट, राजस्थान, और गुजरात के कही जिलों में भी कश्मीरी लाल बेर की खेती करते है। कश्मीरी लाल बेर की खेती कर के किशान अच्छा मुनाफा भी पा शकते है।
कश्मीरी लाल बेर खाने में बहुत मीठा और थोड़ा खट्टा मीठा स्वाद का फल है। इस कश्मीरी लाल बेर के फल में विटामिन ए, विटामिन सी एवं पोटैशियम भरपूर मात्रा में मिलते है।
लाल बेर को एंटीऑक्सिडेंट का भंडार भी कहा जाता है। बेर खाने से कैंसर की कोशिका को बढ़ने से रोका जा शकते है। इस बेर को खाने से बढ़ता जाता वजन को भी कम किया जाता है।
कश्मीरी लाल बेर के पेड़ की शाखा बहुत विक्षित होती है और शाखा पर काटे भी कही सारे होते है। एवं इस पेड़ की पत्तिया चारे के रुप में भी उपयोग में हम लेते है।
कश्मीरी लाल बेर खाने से कई लिवर की बीमारी भी ठीक या राहत मिलती है। और पाचनतंत्र में सुधार करता है। और बात करे तो कैल्शियम और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में मिलते है।
आप के मनमे कही प्रकार के सवाल हो रहे होंगे कश्मीरी लाल बेर की (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) को लेकर इस लिए हम उसी सभी सवाल का जवाब लेकर हाजिर है
इसी लिए आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कश्मीरी लाल बेर की खेती कैसे करे, कौन कौन सी वेराइटी अच्छी है, तापमान एवं वातावरण और किसी जमीन में कश्मीरी लाल बेर के पेड़ उगाए जाते है।
इस बेर के पेड़ में लगने वाले रोग एवं कीट। रोग और कीट का क्या निवारण करे इस कश्मीरी लाल बेर की खेती के सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिल जाएगी। इस के लिए आपको इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा और बने रहे ना होगा।
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti in Hindi)
फल का नाम | कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) |
इस आर्टिकल का उदेश्य | किशान भाई ओ को खरबूजे की खेती में मदद मिले |
प्रसिद्ध वेराइटी | कश्मीरी लाल बेर, काजरी गोला, दण्डन, कैथली, गोमा कीर्ति, छुहारा, सेन्यूर-5, दण्डन,सेव |
बुवाई कब और केसे करे | जुलाई से लेकर मार्च के बीच करनी चाहिए, 5 मीटर का फासला रखे 12 किलो देशी खाद |
पौधे से पौधे की दुरी | 5 से लेकर 6 मीटर की दुरी रखे |
तापमान और वातावरण | ज्यादा 45°C तापमान और ठंड के मौसम में 0°C तापमान और ऊष्ण एवं उपोष्ण |
खाद कौन सा और कितना डाले | खाद देशी सड़ा हुआ गोबर और एक खड़े में 12 किलो |
आने वाले रोग | ब्राउन रोट सेब, नाशपाती, आलूबुखारा, चेरी, छाछया, पाउडरी मिल्डयू , चूर्णी फफूँद, |
एक हेक्टरमे उपज | एक हेक्टेयर में 500 पौधे लगा सकते हैं |
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मिट्टी की पसंदगी
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) के लिए मिट्टी हल्की दोमट होनी चाहिए और ऐसी मिट्टी में सब से ज्यादा अच्छी उपज मिलती है।
कश्मीरी लाल बेर के पौधे की बुवाई जीस जमीन में करे उस जमीन का P.H 0.6 से 6.8 के बिच्च का होना चाहिए। जमीन की जल निकासी अच्छी ही चाहिए एवं ज्यादा पानी भराव जमीन बेर के पेड़ के लिए अच्छी नहीं है।
हल्की दोमट मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों खुबज ज्यादा प्रमाण में होते है। इस मिट्टी में विस्तृत श्रृंखला सहन करने की समता होती है। दोमट मिट्टी में जीवाश की प्रमाणिकता खुबज अच्छी होती है।
बलुई मिट्टी में अगर आप बेर की खेती करना चाहते है तो आपको अच्छे से देशी खाद दाल के कर शकते है। और पाथराल मिट्टी, खाराश वाली, ज्यादा नमक वाली मिट्टी, अवं हल्की लवणीय मिट्टी, इस तरह की सभी जमीन में कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) आप कर शकते है।
तापमान और वातावरण
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) ज्यादा तापमान एवं ज्यादा ठंड दोनों मौसम में की जाती है। कश्मीरी लाल बेर के पेड़ ज्यादा 45°C तापमान को भी सहन कर शकता है।
ठंड के मौसम में 0°C तापमान को भी सहन कर शकता है इस बेर को कम द्रुतशीतन घंटों की जरूरत पड़ती है। इस लिए भारत के कई राज्यों में कश्मीरी लाल बेर की खेती की जाती है।
बेर की खेती ऊष्ण एवं उपोष्ण जलवायु दोनों में की जा शक्ती है। इस का कारण हे की बेर के पेड़ कम पानी मिलने पे भी अच्छे से वृद्धि कर शकते है। बेर के पेड़ पर वर्षा ऋतु में फूल बहुत एते है और वर्षा ऋतु के बाद भी फूल आते है। कश्मीरी बेर के फल ज्यादा तापमान होने से पहले ही पक जाते है।
बेर की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
(Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) इस लाल बेर एक अच्छी किस्मे है। और भी कई बेर की वेराइटी (किस्मे ) है। दण्डन, कैथली, गोमा कीर्ति, छुहारा, सेन्यूर-5, दण्डन,सेव, काजरी गोला, उमरान, काठा, टीकड़ी, इलायची, इन में से किसी भी बेर की खेती आप कर शकते है और अच्छी उपज भी ले शकते है।
कश्मीरी लाल बेर : इस बेर दिखने में एप्पल बेर की तरह गोल अंडे आकर का नहीं होता ए बेर एप्पल बेर से थोड़ा लम्बा होता है और इस का रंग कच्चा हरे रंग का और पक जाने पे लाल रंग का दीखता है। इस बेर में विटामिन ए, और विटामिन सी भरपूर मात्रा में मिलते हे और पोटैशियम भी मिलते है। इस कश्मीरी बेर की उपज भी अच्छी मिलती है।
बेर का पेड़ कैसे लगाया जाता है?
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) करने से पहले इस बेरकी बुवाई के बारे में आपको जानना बेहद जरुरी है। इस बेर की बुवाई 8 बाई 8 या 8 बाई 10 के माप से खड्ढा खोद के बुवाई करे।
इस की बुवाई मार्च या अप्रिल या जनवरी की फरवरी मास में बुवाई की जाती है। अगर आप एक अकड़ में कश्मीरी लाल बेरकी बुवाई करे तो कम से कम एक अकड़ में 45 से 50 हजार का खर्च्च होता है।
और मुनाफे की बात करे तो एक अकड़ में से 2 से 2.5 लाख का मुनाफा किशान पा शकता है। और इस बेर के पौधे से 15 से 20 साल तक आप अच्छी उपज भी ले शकते है। बेर के पौधे को बुवाई के लिए एक खड्ढा खोदना होगा।
इस खड्ढे की साइज 1.5 फीट गहरी और इस खड्ढे में वर्मीकम्पोस डाले या देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर एक खड्ढे में 10 से 12 किलो डाल के मिट्टी से खड्ढे को अच्छे से दबा दे। बाद में बेर के पौधे की साइज के खड्ढा करे और बेर की बुवाई कर शकते है। बुवाई के बाद 10 से 12 महीने बाद उपज देने लगते है
इस बेर की खाशियत ए है की वे खाने में बहुत स्वादिस्ट और मीठे होते है। सभी बेर की तरह इस बेर में भी विटामिन ए, विटामिन सी, भारी मात्रा में मिलेगी।
इस बेर को कच्चा भी खाने से बड़े स्वादिस्ट लगते है पक जाने पे तो लाल रंग के हो जाते है और खाने में बहुत मीठा और थोड़ा खट्टा मीठा लगता है। और इस बेर की बाजार में आने वाले सभी बेर से अच्छी दाम मिलती है।
इस बेर का पौधा या पेड़ गर्मी या ठंड दोनों मौसम में सहन सील है। और उपज में भी अच्छी वेराइटी मानी जाती है।
बेसल डोज बुवाई कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) के समय एक हैक्टर में SSP(सींगल सुपर फोस्फेट) =150 किलोग्राम: MOP(मीरोस ओफ पोटास 65%)=50 किलोग्राम: DAP(डाय अमोनियम फोस्फेट 46%)=90 किलोग्राम: ओर गोबर कि खाद 2 ट्रोलि इन सब खाद को मिलाकर जमीन मे दीजीए।
कश्मीरी लाल बेर की देखभाल कैसे करें
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) में बेर की देखभाल अच्छे से करनी चाहिए नहीं तो बेर के फल में कही कीट अटैक करते है और सारे बेर के फल बना बिगाड़ देते है।
और उपज में भी किशान भाई को बहुत गिरावट देख ने को मिलेगी और किशान को भारी मात्रा में नुकसान भुगतना पड़ शकता है। इस लिए कश्मीरी लाल बेर की खेती में जब बेर के पौधे या पेड़ पर फल आने लगते है या ए गये है तब जरुरी दवाई का छिटकाव करना चाहिए।
कश्मीरी लाल बेर की खेती में सिंचाई एवं खाद भी डालना चाहिए। और खरपतवार कर के बेर के पौधे को सवत्स रखना चाहिए।
अगर आप सही वक्त पर खरपतवार नहीं करते तब तो पौधे पे कही रोग या कीट अटेक कर के पौधे को या फल दोनों को नुकसान पहुचाते है इस लिए खरपतवार नियंत्रण जरुर रखे और सही वक्त पर अच्छा खाद भी जरुर देते रहे।
सिंचाई (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti)
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) की सिंचाई की बात करे तो जब बेर के पौधे पर फूल फल आने लगते है तब बेर के पौधे को सिंचाई की आवश्कता बहुत होती है। क्यों की फूल को फल में बदल ने में काफी वक्त लगता है। और अच्छे फल पाने के लिए हमें पौधे को जरूरी खाद एवं सही वक्त पर सिंचाई करनी बेहद जरूरी है। इस लिए बेर के पौधे को 7 से 8 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए। अपने जीस जमीन में बेर के पौधे की बुवाई की हे वे जमीन अच्छी जल निकासी मिट्टी है और पानी भराव मिट्टी है सिंचाई जरुरत पड़ने पे ही करे अगर बारिश का मौसम चल रहा होतो जरुरत मुजब सिंचाई करे पानी भराव जमीन में घास फुस बहुत अंकुरित होते है। और बिन जरूरी घास मुख्य फसल को बहुत नुकशान पहोचते है।
खाद सिड्यूल कोन सा और कब
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) में खाद हम सड़े हुवे गोबर प्रतीयक पौधे पे 10 से 15 किलो के हिसाब से दे सक्ते है और भी खाद में DAP एवं पोटाष भी दे शकते है। जब बेर के पौधे पे फूल या फल आने लगते है तब खाद डालना जरुरी है और जब कटिंग के बाद बेर के पौधे अंकुरित होने लगते है तब भी खाद डालना चाहिए। कश्मीरी लाल बेर में निचे बताई की तरह खाद देना चाहिए।
- पहली खाद जब फसल 90 दिन की हो जाए तब कोई रासायनिक खाद डाल नहीं सिर्फ “गोबर कि खाद ” प्रति पौधे 5 किलोग्राम ओर “ह्यूमिक एसिड” प्रति पौधे 10 ग्राम मीक्ष करके जडो के पास दीजीए ओर पानी पिलाइए।ईस पौधे का विकास अच्छा होने लगता है।
- दूसरी खाद जब फसल 120 से 150 दिन की हो जाए तब प्रति एक हैक्टर में “URIA”=50 किलोग्राम और “माइक्रोन्यूट्रीयन्स”=10 किलोग्राम जडो के पास दीजीए ओर पानी पिलाइए।ईस पौधे का विकास अच्छा होने लगता है और पौधे में जरुरी माइक्रोन्यूट्रीयन्स मिलने पर पौधे में हरा भरा एवं कोई भी न्यूट्रीयन्स की वजह से पौधे में कमी नहीं आती।
- तीसरी खाद जब फसल 210 से 240 दिन की हो जाए तब प्रति एक हैक्टर में ” केल्शियम नाईट्रेट “= 30 किलोग्राम ओर “बोरान 20% SP”=1 किलोग्राम मीलाके पौधे की जडो के पास दीजीए ओर पानी पिलाइए। ईस खाद से पौधे में पीलापन ओर फलावरिंग गीर ने से बचायेगा।
- चौथी खाद जब फसल ” फलावरिंग स्टेज ” पर तब एक हैक्टर में खाद ओर पानी दोनो आवश्यक है
- “सागरीका दानेदार”30=किलोग्राम ओर “सल्फर 90%”= 12 किलोग्राम ओर “यूरिया” 60=किलोग्राम मिलाकर एक हैक्टर में जडो के पास दीजीए ओर पानी पिलाइए। ईस खाद से पौधे में फल और फूल से पौधा भर जाएगा ओर पैदावार में भी भारी बढ़ोतरी होती हैं।
लाल बेर की खेती में आने वाले रोग एवं कीट
(Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) कश्मीरी लाल बेर के पौधे पर आमतौर पर बहुत कम रोग लगते है। इस बेर के पौधे में बहुत अच्छी रोग प्रति कारक सम्ता होती है। बेर में लगने वाले रोग की बात करे तो कला धब्बा, फल सड़न, पावडरी मिल्ड्यू ,एवं कीट की बात करे तो फल मक्खी, फल सेदक, माइट, बॉलवर्म, हरा तेला, ए सब रोग और कीट ज्यादा तर बेर के पौधे पे देखने को मिलता है।
- कला धब्बा : इस रोग के कारण बेर के फल पर छोटे छोटे काले धब्बे दिखने को मिलता है। इस काले धब्बे की वजे से बेर को बाजार में जब बेचने जाते है तब दाम कम मिलता है।
- फल सड़न : इस रोग के कारण बेर के फल सड़ने लगते है।
- पावडरी मिल्ड्यू : इस रोग लगने से बेर के आस पास छछिया देखने को मिलेगा और फल पर सफेस पाउडर जैसी परत लगने लगाती है। और कच्चे फल जमीन पर गिर भी शकते है
- फल मक्खी : ए कीट फल पर ही अंडे देते है और अंडे मे से जब सुजा बहार निकल ता है तब वही सुजा फल में सेद कर के फलका गर्भ खाता है और फलको बिगड़ ता है
- फल सेदक : इस के कारण फल में छोटे छोटे सेद हो जाते है और बाद में फल जमीन पर गिर जाता है
- बॉलवर्म : इस कीट के कारण बेर के पौधे पर जो पतिया है वही पतिया खा जाते है और बाद में पौधा वातावरण मे से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रियी रुक जाती है और पौधा सूखने लगता है
- हरा तेला : इस तेले को हरा तड़ तड़िया भी कहते है इस के कारण बेर के पौधे में जो नई शाखा अंकुरित होती है तब ए तेला उसी अंकुरित शाखा को खाते है और बेर के पौधे को विक्षित होने नहीं देते
रोग एवं कीट उपचार
कश्मीरी लाला बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) बेर के पौधे पे जब कोई रोग एवं कीट अटेक करे तब योग्य दवाई का छिटकाव कर के बेर के पौधे को रोग या कीट मुक्त जरुर करे नहीं तो बेर के फल सड़ जाते है। बाद में उपज भी कम देख ने को मिलेगी इस लिए हमें जब बेर के पौधे पर कोई कीट या कोई रोग दिखे तब योग्य दवाई का छिटकाव जरुर करना होगा।
- कला धब्बा : क्रिस्टल कंपनी का बाविस्टिन कार्बेंडाजिम 50 %WP 40 ग्राम प्रति 16 लीटर पानीके साथ मिलाके छिटकाव कीजिए।
- फल सड़न : बायर कंपनी का ”इंट्राकोल ” प्रोपिनेब 70% 16 लीटर पानी में 40 ग्राम घोल मिलकर 15 दिन में दो बार छिड़काव कीजिए। फल सड़न रुक जाएगा।
- पावडरी मिल्ड्यू : एक्सेल कंपनी का ”स्वाधीन ”टेबुकोनाज़ोल 10% +सल्फर 63% WG 16 लीटर पानिमे 50 ग्राम घोल बनाकर पानीके साथ छिड़काव 15 दिन में दो बार कीजिए और टाटा कंपनी का ”टाटा कांटाफ ” हेक्सकोनाज़ोल 5% 16 लीटर पानी में 40 मिलिग्राम घोल बनाकर स्प्रे पम्प के माध्यम से 15 दीन में दो बार छिड़काव कीजिए।
- फल मक्खी : फल मख्खी में तो आप पहले ”फल मक्खी ट्रैप ” की सहायता ले शकते है एक हेक्टर में 30 ट्रेप लगा के फल मक्खी को रोका जा शकता है। और ”कोरोमंडल कम्पनी का ” फंडाल 50%” फेथोएट 50% EC इंसेक्टिसाइड 16 लीटर पानी में 40 मिलीग्राम घोल बनाकर 15 दीन में दो बार अच्छे से छिड़काव कीजिए।
- फल सेदक : फल सेदक इल्ली केलिए सीज़ेनटा कंपनी का ”अमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG फोर्मुलेशन 16 लीटर पानी में 10 ग्राम घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए और कोरोमंडल कंपनी का ”सायपरकिल 25% EC ” सायपर मेथ्रिन 25% EC फोर्मुलेशन 16 लीटर पानी में 40 मिलीग्राम घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए।
- बॉलवर्म : बॉलवॉर्म की रोकथाम के लिए एक्यूरेट क्रॉप केर कम्पनी का ” अटेक प्लस ” अमामेक्टिन बेंजोएट 1.9% EC को घोल बनाकर 16 लीटर पानी में मिलाके 15 दिन में दो बार छिड़काव कीजिए और कोरोमंडल कंपनी का ”सायपरकिल 25% EC ” सायपर मेथ्रिन 25% EC फोर्मुलेशन 16 लीटर पानी में 40 मिलीग्राम घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए।
- हरा तेला : हरा तेल की रोकथाम के लिए शिव केमिकल कंपनी का ”उत्तम ” इमिडाक्लोप्रिड 70% WG फोर्मुलेशन 16 लीटर पानी में 10 ग्राम मिलाके 15 दिन में दो बार छिड़काव कीजिए और और यू पी एल कंपनी का ”उलला ” फलकॉमिड 50% WG फोर्मुलेशन को 16 लीटर पानी में 8 ग्राम घोल बनाकर 15 दिन में दो बार छिड़काव कीजिए।
फ़्लाव रिंग स्टेज का छिटकाव
कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) में फ़्लाव रिंग स्टेज का छिटकाव बहुत मायने रखता है क्यों की जब बेर के पौधे पर फ़्लाव रिंग (फूल ) आने लगते है तब ए छिटकाव जरुर करे इन से फूल जमीन पर नहीं जड़ते और सभी फूल अंकुरित होके फल में बदल जाते है इस लिए ए छिटकाव जरुर करे। पेन्सी बायो वांग कम्पनी का ”दमन प्लस ”Tonic 5 मिलीग्राम और सीज़ेनटा कम्पनी का कुमान L 40 मिलीग्राम दोनों को 16 लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन में दो बार छिड़काव कीजिए। फ्रूट स्टेज में जीवगरो कंपनी का ”सियापटोन 10” 40 मिलीग्राम और बायो स्टेट कंपनी का ” रोक्को फंगीसाइड ” 40 ग्राम घोल बनाकर 16 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव कीजिए।
उपज एवं तोड़ाई
(Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) कश्मीरी लाल बेर का पौधा या पेड़ लगाने से ठीक 10 या 12 महीनों में फल देने लगता है। लाल बेर के पौधे पे पहले साल में उपज 10 से 20 किलो पर्त्येक पौधे पर आती है और दूसरे साल उपज बढाती जाती है 25 से 35 किलो एवं तीसरे साल 35 से 50 किलो जैसे हर साल उपज में आप को बड़ोतरी देखने को मिले गई। और एक हेक्टर के हिसाब में 4.5 से लेकर 5.0 लाख का मुनाफा कर शकते है। इस बेर की तोड़ाई आप हाफ पक जाने पे और अच्छे से पक जाने पे तोड़ाई कर शकते है। और बाजार में सभी बेर से इस बेर का दाम अच्छा होता है।
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सारांश
नमस्ते किशान भइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको कश्मीरी लाल बेर की खेती ( Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा और कश्मीरी लाल बेर की खेती में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे कश्मीरी लाल बेर की खेती(Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए। कश्मीरी लाल बेर की खेती के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे एवंकश्मीरी लाल बेर की खेती की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो कश्मीरी लाल बेर की खेती (Kashmiri Lal Ber Ki Kheti) के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा। इस लिए ए आर्टिकल आपको कश्मीरी लाल बेर की खेती करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बेहद पसंद आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद
FAQ’s
Q-1. कश्मीरी लाल बेर देख ने मे कैसे रंग का होता है ?
Answer : कश्मीरी लाल बेर देख ने में कच्चे हरे रंग का और पक जाने पे लाल रंग का दीखता है
Q-2. कश्मीरी लाल बेर के पौधे कब फल देने लगते है ?
Answer : कश्मीरी लाल बेर के पौधे बुवाई के ठीक 10 से 12 महीने के बाद फल देने लगते है
Q-3. कश्मीरी लाल बेर के पौधे की बुवाई कब करनी चाहिए ?
Answer : कश्मीरी लाल बेर की बुवाई जनवरी या फरवरी मास में करनी चाहिए
Q-4. कश्मीरी लाल बेर में कोन कोन सा विटामिन पाया जाता है ?
Answer : कश्मीरी लाल बेर में विटामिन ए, विटामिन सी, एवं कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाए जाते है
Q-5. कश्मीरी लाल बेर खाने में कैसे लगते है ?
Answer : कश्मीरी लाल बेर खाने में बड़े स्वादिस्ट और थोड़े खट्टे मीठे लगते है
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