हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश भारत में कपास की खेती (Cotton Ki Kheti) कई सारे राज्य में की जाती है जैसे की महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्य में किसान Kapas Ki Kheti करते है।
कॉटन की खेती को कई लोग तो सफ़ेद सोने की खेती भी कहते है। कॉटन में से रुई, बीज, का उपयोग बहुत होता है। जैसे की रूई मे से कापड (वस्त्र) एवं बीज में से तेल निकला जाता है और इस तेल का उपयोग विविध सब्जी बनाने में करते है।
इस लिए तो कपास की मांग बाजार में बहुत रहती है। ऐसे में कपास की खेती कर के किसान अच्छी उपज कर शकते है। और उपज के साथ साथ अधिक कमाई भी प्राप्त कर शकते है।
कपास की खेती खरीफ मौसम में किसान करते है। हमारे कृषि विभाग ने कॉटन की खेती इस तकनीक से करे तो एक एकड़ मे से 100 से 125 टीला उत्पादन प्राप्त कर शकते है। इस तकनीक को हर किसान बंधू को आजमाना चाहिए।
आज के इस आर्टिकल में कॉटन की खेती से जुडी सभी बात का विस्तार से वर्णन करेंगे। कपास की खेती में अधिक उपज लेने के लिए इस आर्टिकल के अंत तक हमारे साथ जरूर बने रहे।
हमारे देश भारत में खरीफ मौसम का आगमन हो चूका है। इस लिए भारत के सभी किसान बंधू ने विविध फसल की बुवाई भी शुरू कर दी है। इन में से विविध राज्य में विविध फसल की बुवाई किसान कर रहे है।
भारत में खरीफ मौसम में कॉटन (कपास), मूंगफल, सोयाबीन, आदि फसल की खेती किसान बड़े पैमाने में करते है और अधिक उत्पादन के साथ साथ अधिक मुनाफा भी प्राप्त करते है।
आप भी कपास की खेती में एक एकड़ में से 100 से 125 टीला उत्पादन प्राप्त कर शकते है
कपास की खेती में ज्यादा उत्पादन लेने के लिए किसान को इन बातो का ध्यान रखना चाहिए। जैसे की कॉटन के बीज की बुवाई से पहेले मिट्टी को दो से तीन बार गहरी जुताई कर लेनी चाहिए।
गहरी जुताई के बाद पाटा चलाके जमीन को समतल कर लेना चाहिए। बाद में कतार में कपास की बुवाई करनी चाहिए। कपास की खेती में कतार से कतार की दूरी 4.5 फिट की रखनी चाहिए।
कपास की खेती में से अधिक उपज के लिए बलुई मिट्टी या काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। और इस मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 6.5 के बिच का अच्छा माना जाता है।
कॉटन की खेती में 15°C से 35°C तक का तापमान में अच्छे से विकास होता है और कपास की फसल इन से अधिक तापमान में भी अच्छे से वृद्धि कर शकते है।
कपास के बीज की बुवाई अच्छी बारिश हो जाने के बाद ही करनी चाहिए। और कपास में खाद भी अच्छी बारिश हो जाने के बाद करे कॉटन की खेती में खाद इस प्रकार के डाले।
जैसे की साड़ी गोबर की खाद, वर्मीकम्पोष्ट, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, यूरिया, डीएपी, एसएसपी, इस प्रकार के खाद योग्य समय में पर्याप्त मात्रा में डालनी चाहिए।
कपास की खेती में खरपतवार भी योग्य समय पर करना चाहिए। ताकि कपास के पौधे की वृद्धि अच्छे से हो शके।
कपास की खेती में इस तकनीक का उपयोग करे
कपास के बीज जून महीने में खेत में किसान बुवाई करते है। कपास की खेती में से अधिक उपज लेने के लिए कपास के बीज बलुई दोमट मिट्टी में या काली मिट्टी में अच्छे से विकास होता है।
कपास की खेती में सिंचाई योग्य समय पर करनी चाहिए इन के अलावा जब कपास की फसल में कोई रोग या कीट का अटेक दिखाई दे तो योग्य दवाई का छिड़काव कर के कपास के पौधे को इन रोग एवं कीट से मुक्त करना चाहिए।
कपास की खेती में पहेली सिंचाई 30 से 45 दिन बाद करनी चाहिए। ज्यादा सिंचाई करने से उपज नहीं बढ़ती पर जब सिंचाई ज्यादा करते है तो पानी का निकास अच्छे से नहीं होता बाद में जड़ गलन जैसे कई रोग कपास की फसल को ग्रसित कर लेते है।
कपास की खेती में सिंचाई टपक विधिसे करे तो सब से अच्छा है क्यों की टपक विधि से सिंचाई करने से कपास के पौधे के आसपास ही सिंचाई होती है। और खरपतवार भी बहुत कम होता है।
कपास की खेती में बारिश के कारण बहुत जल भराव हो जाता है तब यूरिया खाद का इस्तेमाल करना चाहिए यूरिया एक अकड़ में 20 किलोग्राम तक का डाल शकते है।
आज के ज़माने में कपास की अधिक उपज के लिए कई किसान हाई डेनस्टी प्लानटिंग सिस्टम (HDPS) तकनीक का भी उपयोग करते है।
हाई डेनस्टी प्लानटिंग सिस्टम (HDPS) इस तकनीक से खेती करने से खर्च थोड़ा बढ़ता है पर खर्च के साथ साथ उपज में बहुत बढ़ोतरी देखने को मिलेंगी।
इस तकनीक में जहा 4 से 5 बीज पैकेज की जरुरत होती है व्ही 6 से 8 बीज के पैकेज की आवश्यकता होगी एक अकड़ में इस तकनीक से खेती करे उत्पादन एक अकड़ के हिसाब में आप को तीन अकड़ जितना उत्पादन प्राप्त होगा।
इस तकनीक से एक अकड़ में से तीन अकड़ की उपज मिलेगी तो उत्पादन भी अधिक होगा और उत्पादन के साथ साथ किशन को मुनाफा भी तीन गुना ज्यादा मिलेगा।
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FAQ’s
भारत में कपास उत्पादन में प्रथम राज्य कौन सा है?
भारत के कई राज्य में कपास की फसल किसान करते है पर कपास उत्पादन में प्रथम स्थान गुजरात राज्य का है।
कपास की पैदावार कितनी होती है?
कपास की पैदावार विविध किस्मे और किसान की महेनत पर निर्भर है। कई किसान 20 से 30 टीला तो कई किसान को 40 से 50 टीला भी प्रत्येक बीघे में से उत्पादन मिलता है
कपास की खेती कौन से महीने में बोई जाती है?
कपास की खेती मई महीने में अच्छी बारिश हो जाने के बाद ही करनी चाहिए
सारांश
नमस्ते किशान बंधू इस आर्टिकल के माध्यम से आपको कपास की खेती (Cotton Ki Kheti) इन के बारे में बारीक़ से जानकारी मिली होगी।
कपास की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज कितनी प्राप्त कर शकते है। और कॉटन की खेती में कौन कौन से खाद और कितना देना चाहिए। इन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।
कपास की खेती में ए आर्टिकल आप को बहुत हेल्पफुल होगा। उम्मीद रखते है की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद भी आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
कपास की खेती (Cotton Ki Kheti) इन आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद