सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है|सबसे ज्यादा पैदावार वाली सोयाबीन की किस्मे की जानकारी |Soybean Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai

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आज के इस आर्टिकल में हम सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है (Soybean Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai) और सोयाबीन की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करेंगे।

Soybean Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai

सोयाबीन की फसल एक तिलहनी फसल है। सोयाबीन हमें कई प्रकार से उपयोगी पदार्थ है। सोयाबीन में कई विटामिन और पोषक तत्व भारी मात्रा में मौजूद होता है।

सोयाबीन के दाने में अधिक मात्रा में तेल भी मौजूद होता है। सोयाबीन की सब्जी भी बनाई जाती है। सोयाबीन मानव शरीर को मजबूत बना ता है और कई दवाई बना ने में भी उपयोग होता है।

सोयाबीन में विटामिन डी, विटामिन बी, फास्फोरस, मेग्नेशियम, कैल्शियम, फायबर, जिंक, फोलेट, इस प्रकार के विटामिन और पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है,

सोयाबीन खाने से कई बीमारी का इलाज और कई बीमारी में रहत मिलती है जैसे की इन में एंटी ऑक्सीडेंट्स होने के कारण कैंसर जैसी गंभीर रोग के इलाज में काफी मददगार होता है।

सोयाबीन खाने से मानसिक संतुलन ठीक होता है और दिमाग भी तेज होता है। सोयाबीन में कैल्शियम, और फायबर होने के कारण हड्डिया भी मजबूत होती है।

सोयाबीन की खेती हमारे देश भारत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, एवं गुजरात के कई विस्तार में आज सोयाबीन की खेती किसान करते है।

सोयाबीन का रिसर्च सेंटर मध्य प्रदेश के इंदौर में है। भारत में सब से ज्यादा सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश राज्य में किसान करते है और बंपर पैदावार भी प्राप्त करते है।

सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है

सोयाबीन की खेती में तगड़ी उपज के लिए इन बातो का ध्यान देना चाहिए सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की पसंदगी, योयाबीन की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है।

सोयाबीन की फसल को अनुरूप जलवायु और तापमान, सोयाबीन की फसल में कौन कौन से रोग एवं कीट अटेक करते है। सोयाबीन की खेती एक हेक्टर में करे तो कितनी उपज प्राप्त कर शकते है।

बात करे तो सोयाबीन की खेती के बारे में आप के मन में कई प्रकार के सवाल चल रहे होंगे पर इन सभी सवाल के जवाब आप को इस आर्टिकल के अंत तक मिल जाएंगे।

सोयाबीन की फसल की संपूर्ण जानकारी के लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत एक बने रहे

सोयाबीन की खेती के लिए कौन सी भूमि उपयुक्त है?

सोयाबीन की फसल दोमट मिट्टी में अच्छे से विकास करती है और उपज भी अच्छी प्राप्त होती है। सोयाबीन की खेती जीस मिट्टी में करे इस मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बिचका होना अच्छा माना जाता है।

सोयबीन की फसल में जल निकास अच्छा होना चाहिए। सोयाबीन की खेती ज्यादा तर जून से जुलाई महीने में किसान करते है। सोयाबीन की खेती में गर्म एवं नम जलवायु की आवश्यकता होती है।

सोयाबीन की खेती में 20°C से 38°C तक का तापमान सहन कर शकते है। और 20°C से 30°C तक का तापमान सोयाबीन की फसल के लिए अच्छा माना जाता है।

सोयाबीन की कितनी किस्में होती हैं?

हमारे देश भारत में सोयाबीन की कई साडी किस्मे हे पर इन में से जो सोयाबीन की उन्नत किस्मे है उस का नाम कुछ इस प्रकार के है। NRC 2, NRC 12, NRC 47, NRC 7, जे.एस 93.05, जे.एस 20.34, एमएसीएस 1407, प्रतिष्ठा 20.34, पंजाब 1, SL 525, SL 744, एमएसीएस 1407, SL 958, आदि सोयाबीन की किस्मे है।

इन किस्मे की बुवाई एक हैक्टर में की है तो इस प्रकार उत्पादन प्राप्त कर शकते है।

सोयाबीन किस्मे नाम सोयाबीन की अवधि सोयाबीन की उत्पादन
केडीएस 726 90 से 110 दिन में पक के तैयार हो जाती है 35 से 45 क्विंटल
जे. एस-33595 से 100 दिन में पक के तैयार हो जाती है 30 से 35 क्विंटल
जे.एस. 20-2990 से 95 दिन में पक के तैयार हो जाती है 25 से 30 क्विंटल
प्रतिष्ठा90 से 100 दिन में पक के तैयार हो जाती है 20 से 30 क्विंटल
एमएसीएस 140790 से 110 दिन में पक के तैयार हो जाती है 35 से 49 क्विंटल
जे.एस. 93-0580 से 95 दिन में पक के तैयार हो जाती है 20 से 30 क्विंटल
एन.आर.सी-790 से 100 दिन में पक के तैयार हो जाती है 30 से 35 क्विंटल
एन.आर.सी-1295 से 100 दिन में पक के तैयार हो जाती है 25 से 30 क्विंटल
सोयाबीन की इस किस्मे की बुवाई मध्य प्रदेश में सब से ज्यादा होती है और इस किस्मे की बुवाई कर के किसान अच्छा मुनाफा भी प्राप्त करते है

सोयाबीन की खेत तैयारी

सोयाबीन की खेती में एक से दो बार गहरी जुताई करनी चाहिए। बाद में पट्टा चला के जमीन को समतल कर लेना चाहिए। आखरी जुताई से पहेले योग्य मात्रा में खाद भी डाल के मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए।

सोयाबीन की फाल की बुवाई बारिश हो जाने के बाद ही करनी चाहिए। सोयाबीन के बीज कम बारिश में नहीं बोना चाहिए। सोयाबीन की खेती एक हेक्टर में करनी है तो इस प्रकार करे।

सोयाबीन के उन्नत किस्मे के बीज की बुवाई

सोयाबीन की फसल की बुवाई पंक्ति में की जाती है। सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए बेड पहेले तैयार करना चाहिए बाद में इन बेड पद्धति में सोयाबीन में दाने की बुवाई करनी चाहिए।

इस प्रकार बेड में बुवाई करने से अधिक बारिश में भी सोयाबीन के पौधे अच्छे से विकास कर शकते है और पौधे के आस पास ज्यादा पानी भी नहीं रहता वे आसानी से खेत के बहार निकल जाता है।

सोयाबीन की खेती में ज्यादा पानी भराव से कई प्रकार के रोग एवं कीट भी अटेक करते है और पौधे को रोग ग्रस्त कर देते है। बाद में उपज में भारी गिरावट देखने को मिलेगी।

सोयाबीन के बड़े दाने है तो एक हैक्टर में 85 से 95 किलोग्राम की मात्रा रख शकते है और जब सोयाबीन के दाने छोटे है तो 65 से 75 किलोग्राम एक हेक्टर के दर से बोया जाता है।

इस प्रकार बुवाई करने से सोयाबीन के प्रत्येक पौधे को जरुरी मुजब हवा और पर्याप्त मात्रा में सूर्य प्रकाश भी मिलता है। और पौधा अच्छे से विकास करता है।

सोयाबीन के पौधे को जरुरी पोषक तत्व और हवा पानी मिलने से पैदावार भी अधिक मात्रा में प्राप्त होती है।

सोयाबीन की खेती कतार में करना चाहे तो कतार से कतार की दुरी 40 से 60 सेमी की रख शकते है। और बीज से बीज की दुरी 4 से 5 सेमि की रखनी चाहिए।

सोयाबीन में खाद कब डालना चाहिए?

सोयाबीन की फसल में खाद जमीन की जास परख कर के डालनी चाहिए। इन की खेती में सड़ा गोबर की खाद, वर्मीकपोष्ट, नाइट्रोजन, सल्फर, यूरिया, एसएसपी, फॉस्फोरस, पोटाश जरुरिया मुजब डाले।

सोयाबीन की फसल में से तगड़ी उपज के लिए इस प्रकार के खाद योग्य समय पर योग्य मात्रा में देना चाहिए। ताकि सोयाबीन के पौधे की अच्छी विकास होती है और सोयाबीन के दाने भी अच्छे से वृद्धि करते है।

सड़ी गोबर की खाद एक हेक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन डालनी चाहिए। वर्मीकम्पोष्ट 5 से 6 टन डालनी चाहिए। नाइट्रोजन 30 किलोग्राम, यूरिया 60 किलोग्राम और एसएसपी, फास्फोरस, एवं पोटाश योग्य मात्रा में डाले।

सोयाबीन की फसल में रोग एवं कीट

सोयाबीन की खेती में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है जैसे की सफेद मक्खी, तंबाकू सुंडी, काली भुंडी, पीला चितकबरा रोग, पतों पिले हो जाना, जड़ गलन जैसे रोग एवं कीट अटेक करते है।

जब इस प्रकार के रोग एवं किट अटेक करे तब योग्य दवाई का छिड़काव करे और सोयाबीन के पौधे को इन रोग एवं कीट से मुक्त करे वार्ना फसल के साथ साथ उपज भी कम प्राप्त होती है।

सोयाबीन की खेती में उपज

सोयाबीन की खेती में सोयाबीन के पौधे 80 से 120 दिन की अवधि रहती है। पर विविध किस्मे विविध समय पर होती है। सोयाबीन के पौधे जब परिपाक हो जाते है तब पौधे के पत्तो पीले हो जाते है।

सोयाबीन की खेती एक हेक्टर में करे तो विविध किस्मे की उपज भी कम और ज्यादा मिलती है। कई किस्मे की उपज 25 से 23 क्विंटल तो कई किस्मे की उपज 35 से 45 क्विंटल तक की भी मिलती है।

अन्य भी पढ़े

FAQ’s

सोयाबीन कौन से महीने में बोया जाता है?

सोयाबीन जून से जुलाई महीने में बोया जाता है

एक बीघा जमीन में सोयाबीन कितनी होनी चाहिए?

सोयाबीन की खेती में विविध किस्मे की उपज भी विविध प्रकार से प्राप्त होती है। पर एक बीघा जमीन में सोयाबीन 30 से 35 किलोग्राम की उपज भी प्राप्त होती है।

भारत में सोयाबीन कहां उगाए जाते हैं?

भारत में सोयाबीन की फसल मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, तेलगाना, कर्णाटक आदि राज्य में सोयाबीन की खेती किसान करते है और अधिक उपज के साथ अच्छा मुनाफा भी करते है।

सोयाबीन किस मिट्टी में उगाया जाता है?

सोयाबीन की खेती बलुई मिट्टी में सब से अधिक उपज देती है। और इस मिट्टी में जैविक तत्व भी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है।

सोयाबीन बोने से पहले कौन सा खाद डालें?

सोयाबीन बोन से पहले गोबर की खाद, यूरिया, एसएसपी, जिंक जैसे खाद डाले जाते है

सारांश

नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है (Soybean Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai) इन के बारे में बारीक़ से जानकारी मिली होगी।

सोयाबीन की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। इन के बारेमे भी बहुत कुछ जानने को मिला होगा। सोयाबीन की खेती कब और कैसे की जाती है इन के बारे में भी बहुत कुछ बताया है।

सोयाबीन की खेती एक हैक्टर में करे तो उपज कितनी प्राप्त कर शकते है। और सोयाबीन की खेती में कौन कौन से खाद और कितना देना चाहिए। इन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

सोयाबीन की खेती में ए आर्टिकल आप को बहुत हेल्पफुल होगा। उम्मीद रखते है की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद भी आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।

सोयाबीन की आपको सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है (Soybean Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai) में इन आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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