गन्ना बोने की सबसे अच्छी विधि कौन सी है? (Ganna Bone Ki Sabse Achi Vidhi Konsi Hai) : किसान गन्ने की खेती अलग अलग विधि से करते है इन में से सब से अच्छी ट्रेंच विधि को माना जाता है। गन्ने की खेती इस विधि से करने से लागत कम होती है और उत्पादन अधिक होता है। इन के अलावा सिंचाई में भी पानी की बचत होती है
हमारे देश उतर प्रदेश में गन्ने की खेती अधिक किसान भाई करते है। और हर साल गन्ने की खेती अधिक विस्तार में की जाती है। किसान अब गन्ने की खेती नई विधि से कर के कम महेनत, कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर के अधिक मुनाफा कर रहे है। उतर प्रदेश के पश्चिमी विस्तार को गन्ने का कटोरा भी कहते है।
गन्ने की खेती आमतौर पर परंपरागत विधि से करते है पर कई किसान वर्तमान समय में गन्ने की खेती ट्रेंच विधि से करते है। इस विधि से गन्ने की बुवाई करने से उत्पादन तो अधिक मिलता है पर सिंचाई में पानी क भी बचत होती है। ट्रेंच विधि में नाली खोदकर गहराई में गन्ने की बुवाई होती है। वर्तमान समय में हमारे देश के कई राज्य में किसान इस ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करते है और इन किसान बंधू का कहना है की इस विधि से गन्ने की बुवाई करने से काफी फायदा भी मिलता है। उतर प्रदेश में कई किसान गन्ने की बुवाई सामन्य विधि से आज भी कर रहे है। इन किसान को एक हेक्टर से 70 टन तक का उत्पादन प्राप्त होता है पर इस ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने से एक हेक्टर से 95 से 100 टन तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
गन्ना बोने की सबसे अच्छी विधि कौन सी है? (Ganna Bone Ki Sabse Achi Vidhi Konsi Hai)
हमारे देश के कई राज्य में किसान गन्ने की खेती बड़े पैमाने में करते है। इन मेसे कई किसान परंपरागत तरीके से करते है। पर गन्ना अनुसंधान संस्थान के द्वारा को अब नाली के साथ कूप विधि से भी बुवाई करने से ज्यादा उत्पादन और पानी की भी बचत हो जाती है। ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने के लिए 30 सैमी गहरी और 30 सैमी चौड़ी नाली तैयार करनी है। इन में एक ट्रेंच से दूसरे ट्रेंच के बिच 4 फिट की दुरी रखनी है। इन में आप बसंत कालीन गन्ने की बुवाई कर रहे है तो इस दुरी को कम कर शकते है।
ट्रेंच विधि में उर्वरक का प्रयोग कैसे करें?
ट्रेंच तैयार हो जाने के बाद आप पोटाश, यूरिया और डीएपी खाद का प्रयोग करें। इन में एक हेक्टर के हिसाब से पोटाश 100 किलोग्राम और यूरिया 100 किलोग्राम और डीएपी की मात्रा 130 किलोग्राम इन तीनो को अच्छे से मिला के तलहटी पर दाल देना है। यह खाद गन्ने की बुवाई के साथ डालने से बीज अंकुरित अच्छे से हो जाता है। इन के अलावा गन्ने की दूसरी विधि भी बहुत तेजी से प्रचलित हो रही है। इस नई विधि में गड्ढे के रूप में कूप तैयार करना पड़ता है। और इन कूप में गन्ने की बुवाई होती है। इस विधि में भी उत्पादन अधिक मिलता है और पानी की भी बचत होती है।
गन्ने की खेती में लागत कम और उत्पादन अधिक
हमारे एक किसान बंधू ने बताया की उन्होंने गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि से की थी इन में गन्ने के बीज भी कम लगते है और एक गन्ने की लंबाई 10 से 12 फिट तक की होती है। इस ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने से गन्ने की लंबाई अधिक और मोटाई भी काफी होती है। इसी लिए इस विधि से गन्ने की खेती करने से उत्पादन अधिक मिलेगा। किसान ने गन्ने की 0238 किस्म की बुवाई की थी जीस से उत्पादन अच्छा मिल रहा है। इस विधि से गन्ने की बुवाई करने से बंपर उत्पादन के साथ पानी की भी बचत होती है।
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