गेहूं की यह वैराइटी देती है ताबड़ तोब उत्पादन जाने इन की खासियत

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now
Rate this post
Gehu Ki New Kism HI 1650 Ki Khasiyat

गेहूं की यह वैरायटी अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है।

गेहूं की नई किस्म HI 1650 की खासियत (Gehu Ki New Kism HI 1650 Ki Khasiyat) : हमारे देश के विविध कृषि संस्थान के कृषि वैज्ञानिक किसान को खेती से अच्छा उत्पादन मिले और अच्छी कमाई हो शके इस लिए अलग अलग समय पर विविध फसल के बीज कड़ी महेनत के बात तैयार करते है और किसान को उपलब्ध कराते है।

जब किसी फसल के बीज कृषि वैज्ञानिक कड़ी महेनत के बाद तैयार किया जाता है और अलग अलग मिट्टी और जलवायु में इन बीज का ट्रायल भी किया जाता है इन के बाद किसान को किसी कंपनी से पास से उपलब्ध कराया जाता है। इस साल गेहूं की एक ऐसी ही नई किस्म विकसित की गई है जो प्रतिकूल मौसम में भी अच्छा उत्पादन देती है।

गेहूं की यह HI 1650 किस्म की बुवाई जीस किसान भाई ने की थी उनको इस साल उत्पादन भी अधिक मिला है। इस लिए यह गेहूं की नई किस्म किसान के बिच अधिक चर्चा में भी है। जिन किसान भाई ने इस HI 1650 वैरायटी की बुवाई की थी इन्हे अच्छा उत्पादन भी मिला है पर अगले साल यह किस्म अधिक किसान को मिलेगी और गेहूं का उत्पादन भी अधिक प्राप्त होगा।

आज के इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की गेहूं की नई किस्म HI 1650 की खासियत (Gehu Ki New Kism HI 1650 Ki Khasiyat) और इस किस्म की बुवाई कर के कितना उत्पादन प्राप्त होता है इन सभी बाते जानने के लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक जरूर बने रहे।

गेहूं की नई किस्म HI 1650 की खासियत (Gehu Ki New Kism HI 1650 Ki Khasiyat)

गेहूं की नई वैरायटी HI 1650 के बीज की बुवाई हमारे देश के मध्य विस्तार के लिए तैयार की गई है। यह किस्म की बुवाई इस साल कर के कई किसान ने बीज भी तैयार किया है और अगले साल इस किस्म के बीज अधिक विस्तार में बोई जाने की संभावना है। गेहूं की यह नई किस्म HI 1650 को पूसा ओजस्वी के नाम से जानी जाती है।

गेहूं की यह HI 1650 हमारे देश के इन राज्य में अधिक उपयुक्त है ऐसा कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है। जैसे की गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उतर प्रदेश, उदयपुर इन सभी राज्य के किसान इस गेहूं के बीज की बुवाई कर के अच्छा उत्पादन प्राप्त कर शकते है। इन किस्म के बीज की बुवाई अधिक सिंचाई वाले विस्तार में नवंबर महीने में की जाती है। और एक हेक्टर के हिसाब से 60 से 70 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है पर यह गेहूं की उन्नत किस्म एक हेक्टर से 60 से लेकर 80 क्विंटल तक का भी उत्पादन दे शक्ति है।

गेहूं की इस किस्म की बुवाई आप एक हेक्टर में करना है तो आप को 100 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी। और इन के पौधे मध्य उचाई के होते है इस लिए तेज हवा और थोड़ी बहुत बारिश पड़ने से पौधे गिरते नहीं है। यह पौधे मोटे तने और माध्यम उचाई होने के कारण फसल जमीन पर गिरने की संभावना बहुत कम है।

गेहूं की यह HI 1650 वैरायटी के बीज मुख्य खेत में बुवाई के बाद 110 से 120 दिन में अच्छे से पाक के तैयार हो जाती है। इन के दाने लंबे और चमकीले कठोर होते है। इन के दाने का वजन भी अधिक होता है। इस लिए गेहूं की यह उन्नत किस्म अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है।

अन्य भी पढ़े :

आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को गेहूं की नई किस्म HI 1650 की खासियत (Gehu Ki New Kism HI 1650 Ki Khasiyat) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

हमारे इस ब्लॉग ikhedutputra.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

इन सब की मदद से किसान खेतीबाड़ी से अच्छी इनकम कर सकता है। इस लिया आप हमारी यह वेबसाईट आईखेडूतपुत्रा को सब्सक्राब करे ताकि आप को अपने मोबाईल में रोजाना नई आर्टिकल की नोटिफिकेशन मिलती रहे। इस आर्टिकल के अंत तक हमारे साथ बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद।

इस लेख को किसान के साथ शेयर करे...

नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

Leave a Comment