किसान जैविक खेती करने से पहले इन 10 बातों का ध्यान रखे, वरना बाद में पछताना पड़ेगा।

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Jaivik Kheti Karne Ki Vidhi

जैविक खेती करने की विधि (Jaivik Kheti Karne Ki Vidhi) : दोस्तों प्राकृतिक खेती को हिंदी में जैविक खेती भी कहा जाता है। भारत में उपभोगत्ता तेजी से जैविक उत्पादो की मांग कर रहे है। बाजार में रासायनिक खेती से प्राप्त उत्पादो का क्रेज काम हो रहा है। कई किसान प्राकृतिक खेती की और बढ़ रहे है। आपको बता दे की प्राकृतिक खेती से उत्पादिक उत्पादन की कीमत बाजर में कई गुना ज्यादा होती है।

अगर आप भी जैविक की खेती कर के अच्छी कमाई करना चाहते है तो यह आर्टिकल आप के लिए हेल्पफुल होने वाला है। इस ikhedutputra.Com के इस आर्टिकल के माध्यम से आप को जैविक की खेती के बारे में अधिक जानकारी मिलने वाली है। इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

जैविक खेती करने की विधि (Jaivik Kheti Karne Ki Vidhi)

जैविक खेती में रासायनिक खाद, उर्वरक, कीटनाशक दवाई और खरपतवार नाशक दवाई इन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इन के सामने जिवास खाद पोषक तत्व यानि के गोबर की खाद, हरी खाद, जीवाणु कल्चर, वर्मीकम्पोष्ट, इस प्रकार के जैव नाशियों (बायो-पैस्टीसाईड) आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन से पर्यावरण नहीं प्रदूषण होता है और जमीन की उत्पादन शकती लम्बे समय तब तक बानी रहती है। और किसान को कई लाभ भी होता है।

जैविक फसलों

दोस्तों कई लोग के मन में कई सरे सवाल होते है। के जैविक खेती में कोण कोण सी फैसले उगाई जाती है। हम आपको बता दे की जैविक खेती में आप ज्यादातर फैसले उगाई जा सकती है। जैसे की चने, मक्का, गेहूं, मुंग ऐसे कई साडी फैसले उगाई जा सकती है। किसान एक बात पर ध्यान दे सकते है की जैविक खेती में बाजरा में किस फसल की अधिक मांग है।

अधिक मांग वाली फसलों का उत्पादन करके किसान अपनी फसलों के अधिक दाम प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन जैविक खेती करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। ऐसे में आइए जानते हैं जैविक खेती करने से पहले इन 10 बातों के बारे में।

जैविक खेती करने से पहले इन 10 बाते जानले

( 1 ) जिस रकबे में जैविक खेती की जाना है उस रकबे के पूर्ण क्षेत्र में जैविक खेती ही करना होगा। जैविक एवं अजैविक खेती एक साथ करना अमान्य है।

( 2 ) जैविक खेती के पूर्ण प्रक्षेत्र की मेंडो पर उपलब्ध कचरा एवं अन्य वनस्पतिक समुदाय को समाप्त करना अति आवश्यक है। क्योकि मेंडो पर उपलब्ध खरपतवारो के बीज खेतो में स्थानान्तरित हो जाता है।

( 3 ) जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रथम वर्ष गहरी जुताई करना भी एक कारगर उपाय है।

( 4 ) वर्तमान में भोई ऐसे जैविक खरपतवारनाशी नहीं है जिसके छिडकाव से खरपतवार का नाश किया जा सकता है। जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण का कारगर उपाय निदाई एवं खेतो की तैयारी है।

( 5 ) जैविक खेती शुरू करने से पूर्व प्रति हैक्टर 01 नाडेप एवं 02 वर्मी कम्पोस्ट के मान से तैयार करना चाहिए. यदि नाडेप कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट खेत पर तैयार नहीं किये गये तो जैविक खेती की लागत बढ़ जाती है तथा बाजार से कय की गई खाद महंगी एवं शुद्धता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है.

( 6 ) जैविक खेती में उपयोग में लाये जाने वाले जैविक कीटनाशक की तैयारी बोई जाने वाली फसलों के आधार पर एक महा पूर्ण करना आवश्यक है। हरी खाद सन, ढेचा, मुंग इत्यादि से तैयार की जाती है।

( 7 ) जैविक खेती लगातार तीन वर्ष तक करने से आदान की लागत घट जाती है तथा उत्पादन में कमशः बढ़ौतरी होती है। इससे यह मुख्य लाभ है कि यदि जैविक उत्पाद सामान्य बाजार मूल्य पर बेचा जावे तो भी लाभ की स्थिति रहती है।

( 8 ) नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट के भरने हेतु गोबर मुख्य कम्पोनेन्ट है। प्रति हैक्टर एक एक ट्राली नखन भी आवश्यक है।

( 9 ) जैविक खेती हेतु समस्त आदान खेत स्तर पर तैयार किये जाते हैं। इसी कारण जैविक खेती की लागत कम एवं लाभ अधिक होता है। उपरोक्त अनुसार कार्य करने पर जैविक खेती में सफलता हासिल हो सकती है।

( 10 ) तैयार किये गये नॉडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट हेतु एक निर्धारित कार्यकम तैयार किया जावे एवं भरने हेतु फसल अवशेष एवं कचरा की उपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुए स्रोतों को सूचीबद्ध किया जाना आवश्यक है।

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