मसूर की टॉप 6 किस्में कौन सी है (Masoor Ki Top 6 Kism Konsi Hai) : किसान बंधू आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे की मसूर की यह कौन सी है टॉप 6 किस्में जो अधिक उपज के लिए जानी जाती है और इन की खेती कर के कितना उत्पादन प्राप्त कर शकते है और कितना मुनाफा होगा इन के बारे में बहुत कुछ जानेगे।
मसूर की दाल मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है। इन में कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है। इस लिए इन की बाजारी मांग साल भर बनी रहती है। इस लिए किसान इन की टॉप 6 किस्में की बुवाई कर के बंपर उत्पादन के साथ अच्छी कमाई कर शकता है। मसूर की फसल एक ऐसी फसल है जो सरसों या जौ की फसल के साथ मिश्रित बुवाई कर शकते है। इस प्रकार बुवाई करने से किसान को अच्छा लाभ मिलता है क्यों की सिंचाई और खाद की बचत होती है। किसान ने सरसों की फसल के साथ मसूर की बुवाई कर दी है तो सरसों के साथ मसूर की फसल को भी पानी और खाद मिल जाएंगा। और इस लिए किसान को लागत भी कम होती है।
मसूर की खेती में ध्यान रखने वाली बाते
मसूर की बुवाई रबी मौसम में अक्तूबर महीने से दिसंबर महीने तक की जाती है और यह समय मसूर की उन्नत बीज की बुवाई के लिए सही माना जाता है। मसूर की फसल आमतौर पर सभी मिट्टी में बुवाई कर शकते है पर हल्की दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। मसूर की फसल ठंड जलवायु में अच्छे से वृद्धि करती है पर पक ने के समय पर अधिक तापमान की जरूरत होती है। इन को 18℃ से लेकर 30℃ तक का तापमान सही रहता है।
मसूर की टॉप 6 किस्में कौन सी है (Masoor Ki Top 6 Kism Konsi Hai)
मसूर की आम तो कई सारी उन्नंत किस्में बाजार में मौजूद है पर आज के इस आर्टिकल में हम आप को केवल टॉप 6 किस्में के बारे में बहुत कुछ बताएंगे। जो अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है। और इन की खेती कर के किसान अच्छी कमाई भी करते है। मसूर की फसल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप को कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए।
मसूर की उन्नत किस्में के नाम कुछ इस प्रकार के है। पंत एल 639, एल एल 699, एल 4076, पूसा वैभव एल 4147, पंत एल 406, मसूर की यह उन्नत किस्में सब से अच्छी और अधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है।
पंत एल 639 : मसूर की यह उन्नत किस्में के बीज बुवाई के बाद 130 से 140 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाती है। और उत्पादन की बात करे तो एक एकड़ से 20 से लेकर 30 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। इस किस्में में उकठा रोग ना के बराबर लगता है।
एल एल 699 : मसूर की यह उन्नत किस्में जल्द पक के तैयार हो जाती है। बुवाई के बाद 130 से 135 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्में में फली छेदक, जड़ गलन, झुलसा रोग इन सब के सामने प्रतिरोधक है। और एक एकड़ से 6 से 7 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
एल 4076 : मसूर की यह किस्में की खेती हमारे देश के राजस्थान, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है। और इन के बीज बुवाई के बाद 120 से 130 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाती है। और एक एकड़ से 6 से 7 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
मलिका K 75 : मसूर की यह उन्नत किस्में बुवाई के बाद 125 से 130 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और एक एकड़ जमीन से 5 से 6 क्विंटल तक का उत्पादन होता है। इन की अधिकतम बुवाई गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, बिहार आदि राज्य में किसान करते है।
पूसा वैभव एल 4147 : मसूर की यह उन्नत किस्में की दाल में आयरन की मात्रा अधिक होती है। इन के दाने की साइज छोटी होती है। इन की खेती किसान सिंचित और असिंचित दोनों विस्तार में करते है। इन के बीज बुवाई के बाद 120 से 130 दिन में अच्छे से पक जाते है और एक एकड़ से 7 से 8 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
पंत एल 406 : मसूर की यह उन्नत किस्में बुवाई के बाद 140 से 150 दिन में अच्छे से पक के कटाई के लिए तैयार हो जाती है। और एक एकड़ से कम से कम 12 और अधिकतम 13 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है। मसूर की यह उन्नत किस्में रस्ट रोग के सामने प्रतिरोधक होते है।
मसूर की उन्नत किस्में की बुवाई कैसे करे
मसूर की खेती किसान एक हैक्टर जमीन में करना है तो अगेती बुवाई के लिए आप 30 से 35 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी पर पिछेती बुवाई करना है तो 40 से 45 किलोग्राम की आवश्यकता होती है। मसूर की बीज बुवाई से पहले बीज को 3 ग्राम थायरम या बाविस्टिन से एक किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करे बाद में ही बीज की मुख्य खेत में बुवाई करे। इन के अलावा आप 5 ग्राम rigiberium culture से भी बीज उपचारित करे बाद में बीज को अच्छे से सूखने के लिए छायादार जगह पर रखे जब बीज अच्छे से सुख जाए तब सीडड्रिल मशीन की मदद लेकर मुख्य खेती में बुवाई कर शकते है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को मसूर की टॉप 6 किस्में कौन सी है (Masoor Ki Top 6 Kism Konsi Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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