मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) कर के कम समय में ज्यादा मुनाफा कर करते है। इस मूली को हम सब सलाद बना के खाते है और इस मूली के पतों की सब्जी भी बनाते है। मूली एक ऐसा कंद हे उसके पतों एवं मूल दोनों को खाते है।
मूली के पतों हरे रंग के और इस के मूल सफ़ेद रंग के होते है। मूली में विटामिन बी 6, कैल्शियम, मैग्नीशियम,और कॉपर भारी मात्रा में मौजूद होते है। इस के आलावा एस्कोर्बिक एसिड एवं कोलिक एसिड और पोटेशियम भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते है।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) आम तो रबी के मौसम में अच्छी होती है। इस मूली की खेती उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय दोनों विस्तार में की जाती है।
मूली को खाने से मानव शरीर में कई फायदा भी होता है। इन में से पेट में कब्जियात और गैस जैसी समस्या में काफी रहत मिलती है। और पथरी से पीड़ित मरीज को मूली को खाने से काफी रहत मिलती है। मूली की खेती हमारे देश भारत में कई सारे राज्य में की जाती है।
इन में से पश्चिम बंगाल, उतर प्रदे, हरियाणा, असम, बिहार, पंजाब, और गुजरात के कई सारे विस्तार में किशान करते है और अच्छी उपज के साथ अच्छे पैमाने में मुनाफा भी करते है।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) कम समय में यानि के बुवाई के 45 से 55 दिन में मूली पक के तैयार हो जाती है इस के बाद कई बड़ी बड़ी होटलो और छोटे मोठे ढाबे पे मूली को आचार (सलाद) के रूप में खाने को देते है।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) कैसे की जत्ती है, मूली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, मूली की फसल को तापमान एवं जलवायु, मूली की प्रसिद्ध वेराइटी या उन्नत किस्मे कौन कौन सी है, मूली की खेती के लिए सही समय, मूली की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट, इस रोग एवं कीट के नियंत्रण (उपचार) के लिए कौन कौन सी दवाई का इस्तेमाल करना होगा।
मूली की फसल एक हेक्टर में की है तो कितनी उपज मिलेगी और मूली की खेती में कितना खर्ष होगा और कितना मुनाफा मिलेगा किशान को, इस आर्टिकल में बात करे तो मूली की खेती के बारे में जो भी सवाल आप के मन में होगा इस सवाल के जवाब आप को इस आर्टिकल के माध्यम से मिल जाएगे।
बात करे तो मूली की फसल की सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिलेगी और इस के लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना होगी।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) Overview
फसल का नाम | मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) |
इस आर्टिकल का उदेश्य | किशान भाई ओ को मूली की खेती में मदद मिले |
प्रसिद्ध वेराइटी | पूसा चेतकी, पूछा हिमानी, जापानीज सफ़ेद, पंजाब पसंद और भी है |
बुवाई कब और केसे करे | सितंबर यतो जनवरी माह में और पहाड़ी विस्तार में अगस्त माह में कतरे है |
पौधे से पौधे की दुरी | दुरी 5 सै.मी 6 सै.मी |
तापमान और वातावरण | 4℃ से लेकर 20℃ और ठंड जलवायु |
खाद कौन सा डाले | यूरिया, एस एस पी, और देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर |
आने वाले रोग एवं कीट | माहु रोग, चेपा, बालदार सुंडी, मुरझाना, झुलसा रोग, काली भुंडी |
एक हेक्टरमे उपज | एशियाई प्रजातियों की उपज एक हेक्टर में से 270 से लेकर 310 क्विंटल |
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मूली की खेती में उपयुक्त मिट्टी और तैयारी कैसे करे ?
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी में विविध वेराइटी की बुवाई करते है। लेकि अच्छी उपज के लिए मूली की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में करते है। इस की अच्छी उपज और अच्छा विकास के लिए जल निकासी भी अच्छी होनी चाहिए।
जीस मिट्टी में मूली के बीज की बुवाई करे इस मिट्टी के P.H मान 5 से 7 के बीच में होना चाहिए।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) के लिए खेत तैयारी या मिट्टी की तैयारी में एक से दो बार गहरी जुताई करनी चाहिए और जमीन को भुरभुरी बना ने के लिए ट्रेक्टर की मदद से रोटावेटर चला के जमीन को अच्छे से भुरभुरी बना देनी चाहिए।
आखरी जुताई से पहेले अच्छे से साड़ी गोबर एक हेक्टर में 12 से 15 टन मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए।
मूली की खेती में तापमान और जलवायु
मूली के पौधे को ठंड जलवायु में अच्छे से विकास करते है। मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में बीज अंकुरित के लिए 18℃ से 20℃ तापमान में अच्छे से होते है। मूली की खेती में पौधे के अच्छे विकास के लिए 5℃ से 15℃ तक का तापमान अच्छा होता है।
मूली के पौधे 4℃ से लेकर 20℃ तापमान सहन कर शकते है। इस के पौधे शर्दी के मौसम में अच्छे से विकास करते है। और ज्यादा गर्मी के मौसम में मूली के पौधे अच्छे से विकास नहीं करते। मूली के पौधे शर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला सहन कर शकता हे।
मूली की उन्नत किस्में एवं उनकी विशेषताएं
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में प्रसिद्ध किस्मे कई सारी है इन में से पूसा चेतकी, पूछा हिमानी, जापानीज सफ़ेद, पंजाब पसंद, पंजाब सफ़ेद मूली 2, पूसा देशी, पूसा रेशमी, अर्का निशांत, इन के अलावा भी कई सारी मूली की प्रसिद्ध किस्मे है इन प्रसिद्ध किस्मे के बीज की बुवाई कर के मूली की फसल से अच्छी उपज प्राप्त कर शकते है।
- पूसा चेतकी : इस प्रसिद्ध किस्मे को किशन अप्रैल या अगस्त माह में बुवाई करते है। इस किस्मे की ख़शयत है जल्द पक के तैयार हो जाती है। इस किस्मे की खेती ज्यादा तर पंजाब के विविध क्षैत्र में किशान करते है। इस के जड़ नर्म और सफ़ेद रंग की होती है। इस किस्मे के जड़ मध्यम लम्बी होती है। इस की पैदावार एक हेक्टर में से 260 से 265 क्विंटल तक की होती है
- जापानीज सफ़ेद : इस प्रसिद्ध किस्मे को किशान नवेंबर यतो दिसंबर माह में इस किस्मे के बीज मुख्य खेत में बुवाई करते है। इस किस्मे को जापान द्वारा हमारे देश में लाया गया है। इस की उपज एक हेक्टर में से कम से कम 400 क्विंटल तक की होती है
- रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड : इस किस्मे की बुवाई के बाद 30 से 35 दिन में पक के तैयार हो जाती है। इस किस्मे को जल्द पक ने वाली किस्मे है। इस किस्मे के जड़ो सफ़ेद और लाल रंग के होते है।
- पूछा हिमानी : इस प्रसिद्ध किस्मे की बुवाई किशान जनवरी या तो फरवरी माह में करते है और इस किस्मे की बीज बुवाई के समय ज्यादा धुप नहीं होनी चाहिए। इस किस्मे के पौधे के पेतो हरे रंग के और जड़ सफ़ेद रंग की होती है। इस किस्मे की बुवाई के बाद 55 से 60 दिन में पक के तैयार हो जाती है। इस किस्मे के उपज एक हेक्टर से 260 से 265 क्विंटल तक की होती है
- पंजाब पसंद : इस प्रसिद्ध किस्मे की खेती किशान मार्च माह में करते है। इस किस्मे जल्द पक के तैयार हो जाती है। इस किस्मे की बुवाई के बाद 35 से 45 दिन में पक के तैयार हो जाते है। इस के जड़ो के रंग सफ़ेद और इस में तंतु रहित मुलायम होते है। इस किस्मे की बुवाई शर्दी के मौसम में और गर्मी के मौसम दोनों में की जाती है और इस किस्मे की उपज अच्छी होती है एक हेक्टर में से तक़रीबन 340 से 350 क्विंटल तक की होती है
- पंजाब सफ़ेद मूली 2 : इस किस्मे को जल्द पक ने वाली किस्मे भी कहते है। इस किस्मे को एक हेक्टर में से पैदावार प्राप्त कर शकते है लगभग 580 से 590 क्विंटल तक की होती है
- पूसा देशी : इस किस्मे की खेती ज्यादा तर मैदानी विस्तार में करते है। इस किस्मे की जड़ सफ़ेद रंग की होती है। इस किस्मे की बुवाई के बाद 45 से 55 दिन में पक के तैयार हो जाती है।
- हिसार न. 1 : इस किस्मे की खेती उतर में मैदानी विस्तार में ज्यादा किशान करते है। इस किस्मे के जड़ सीधी एवं लम्बाई में अधिक होती है। इस जड़ के रंग सफ़ेद होते है। इस किस्मे के बीज को रोपाई या बुवाई के बाद 50 से 55 दिन में पक के तैयार हो जाते है। इस किस्मे की खेती अगर आप एक हेक्टर में करे तो 600 से 625 क्विंटल तक की होती है
- लाल मूली : इस मूली के कंद या जड़ लाल रंग के होते है और खाने में स्वादिस्ट होते है और सफ़ेद मूली से अधिक दाम भी मिलते है।
इस विधि से करें मूली की बुवाई
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) पहाड़ी विस्तार एवं मैदानी विस्तार दोनों में की जाने विली फसल है। इस की खेती एक हेक्टर में करे तो 10 से 11 किलोग्राम बीज की बुवाई कर शकते है। इस की बुवाई मेड़ो में और समतल दोनों में की जाती है।
मूली की खेती सितंबर यतो जनवरी माह में कर देनी चाहिए। और कई सारे पहाड़ी विस्तार में अगस्त माह में कतरे है। इस की खेती में बीज से बीज की दुरी 5 सै.मी 6 सै.मी की दुरी रखनी चाहिए। और कई किशान मूली के बीज का छिटकाव कर के भी करते है।
छिटकाव के तुरंत पाट्टा चलाके बीज को जमीन मिट्टी में धक् देते है बाद में सिंचाई कर देते है। इस की खेती गर्मी के मौसम एवं शर्दी के मौसम दोनों में कर शकते है। ज्यादा उपज या अच्छी पैदावार के लिए शर्दी के मौसम में मूली की खेती करनी चाहिए।
मूली की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में खरपतवार नियंत्रण दो से तीन बार करते है। मूली की खेती में निंदाई गुड़ाई दो प्रकार से कर शकते है। एक हाथो से खुरपी चला के और रासायनिक दवाई में पेन्डीमिथालिन दवाई का इस्तेमाल कर के भी खरपतवार नियंत्रण कर शकते है।
लेकिन किसी भी फसल में खरपतवार नियंत्रण में खुरपी का उपयोग कर के निंदाई गुड़ाई करनी चाहिए। रासायनिक दवाई के उपयोग करने से जमीन की ऊपजाव शक्ती कम होती जाती है। जमीन में मौजूदा P.H मान कम होने से कोई भी फसल बुवाई करे उस की उपज या पैदावार कम प्राप्त होती है।
इस लिए निदाई गुड़ाई कहती से करनी चाहिए। ज़मीन को हवादार बना ने के लिए खुरपी से निदाई गुड़ाई करनी चाहिए।
मूली की खेती में देखभाल कैसे करे ?
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में देखभाल में हम योग्य समय पर सिंचाई करनी होगी। मूली के फसल में रोग एवं कीट बहुत लगते है। और मूली की खेती में कोई रोग एवं कीट का अटेक दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिटकाव कर के मूली के पौधे को रोग एवं कीट मुक्त करना चाहिए।
वार्ना मूली की खेती में उपज कम और नुकशान ज्यादा मिलेगा। और नुकशान ज्यादा होने से मुनाफा भी कम मिलेगा। इस लिए मूली की खेती में देखभाल अच्छे से करनी चाहिए।
मूली की खेती में सिंचाई कब करनी चाहिए ?
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में सिंचाई की आवश्यकता बहुत कम होती है। मूली की खेती में गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिन के अंतर में और शर्दी के मौसम में 11 से 12 दिन के अंतर में करनी चाहिए। मूली की खेती में सिंचाई योग्य समय पर करनी चाहिए।
ज्यादा सिंचाई करने से मूली के जड़ कम बढ़ते है एवं जड़ में बाल (तंतु) बहुत निकल ते है और पतों की वृद्धि बहुत होती है। इस लिए मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में सिंचाई अच्छी मात्रा में करनी चाहिए।
मूली की खेती में कोन कोन से खाद डालना चाहिए
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में खाद में यूरिया, एस एस पी, और देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर एवं नाइट्रोजन, फास्फोरस, इस प्रकार के खाद मूली के खेती में डाल शकते है।
इस में एक हेक्टर के हिसाब से नाइट्रोजन 55 से 60 किलोग्राम और फस्कोरस 30 से 35 किलोग्राम और देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर 8 से 12 टन देना चाहिए अच्छी उपज के लिए।
- नाइट्रोजन : नाइट्रोजन पौधे को वातावरण में से 80% किलता है और 4% पानी के माध्यम से मिलता है। इस के आलावा एक हेक्टर में हम 55 से 60 किलो नाइट्रोजन डाल शकते है। नाइट्रोजन का मुख्य हेतु है पौधे या बेल की वृद्धि करना।
- फास्फोरस : हम एक हेक्टर में फास्फोरस 30 से 35 किलो डाल शकते है। इस का माप जमीन की H.P मान के डालना चाहिए। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे या बेल पर फूल की वृद्धि, फल की वृद्धि और पौधे में रोग प्रति कारक शक्ती बढ़ा देना। इस के आलावा भी ए तत्व कार्य करते है फल के आकर को बढ़ता है।
मूली की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट उपचार
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में कई सारे रोग एवं कीट अटेक करते है और मूली के पौधे को रोग एवं कीट ग्रस्त हो जाते है। जब पौधा रोग एवं कीट ग्रस्त हो जाता है तब उपज में भारी गिरावट देखने को मिलेगी बाद में किशान को भारी नुकशान होगा।
इस लिए जब मूली की खेती में कोई रोग एवं कीट का अटेक दिखे तब तुरंत योग्य दवाई का छिटकाव कर के मूली की फसल को रोग एवं कीट रहित कीजिए इस खेती में लगने वाले रोग में माहु रोग, चेपा, बालदार सुंडी, मुरझाना, झुलसा रोग, काली भुंडी और पत्ते की सुंडी, काली भुंडी का रोग, इस प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है इस इस के उपचार या नियंत्रण में इस प्रकार की दवाई का उपयोग करे।
- माहु रोग : इस रोग को मोलो रोग भी कहते है। इस रोग के कीट समूह में पौधे पर अटेक करते है और पौधे के पर छोटे छोटे काले रंग के कीट बड़ी मात्रा में दिखाई देते है। इस कीट का कार्य है पौधे के पतों में से रस चूस लेते है और पता पीले रंग के हो जाते है। इस रोग के लगने का कारण हे जलवायु परिवर्तन।
- नियंत्रण : इस रोग नियंतरण के लिए टाटा कंपनी का एपलोड बूप्रोफेज़िन 25% SC 16लीटर पानी में 35 मिलीग्राम मिलाके छिड़काव 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए।
- चेपा : इस कीट को मूली की फसल में गंभीर माना जाता है। इस कीट का अटेक मुख्य तवे नई अंकुरित पौधे या पौधे पक के तैयार हो जाने पर होता है।
- नियंत्रण : इस कीट के उपचार में मैलाथियॉन 50 E.C 15 मि.लीं ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए। 10 दिन के अंदर दो से तीन छिटकाव करना चाहिए।
- बालदार सुंडी : इस सुंडी को मूली की फसल में ज्यादा तर देखा जाता है और इस सुंडी को किसी भी वक्त लग शकते है। इस सुंडी को ज्यादा तर मूली के पौधे के पतों पर देखा जाता है और इस सुंडी का कार्य है पतों को खाना और पतों को छेड़ना। इस के कारण पतों के माध्यम से पौधा जरुरी प्रकास नहीं ले पता और पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
- नियंत्रण : इस सुंडी के उपचार में हम क्विनालफॉस का 20 मिलीग्राम 16 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
- मुरझाना : इस रोग को ज्यादा तर बारिश के मौसम में देखा जाता है। इस रोग के कारण मूली की फसल में पत्तिया हरे से पीले रंग की हो जाती है। इस के कारण जड़ में फलिया लग जाती है। बाद में पौधे का विकास रूक जाता है।
- नियंत्रण : इस के उपचार में मैनकोजेब 30 ग्राम और कार्बेनडाज़िम 15 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
- काली भुंडी एवं पतों की सुंडी : इस सुंडी को पौधे की पतों पर दिखाई देते है। इस सुंडी के अटेक से पौधे की पतों पर छोटे मोटे सेड कर देते है और पतों को खाके पतों को पूरीतरह से नष्ट कर देते है। इस के कारण पौधे जरूरी खोराक नहीं ले पता और पौधा धीरे धीरे सुख के नष्ट हो जाते है।
- नियंत्रण : इस रोग नियंतरण के लिए यूपीएल कम्पनीका उलाला फलेको मिड 50% SG 16 लीटर पानी के साथ 8 ग्राम कर के 15 दिन में दो छिटकाव करे
मूली की खेती में उपज एवं कटाई कब करे ?
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में मूली की कटाई जे ते उन्नत किस्मे के ऊपर आधार रखते है। मूली की खेती में मूली की कटाई 40 से 60 दिन के अंतर में पक के तैयार हो जाती है। जब की मूली के पौधे छोटे होते है तब कटाई नाइ करनी चाहिए
मूली के पौधे पक के जड़ खाने लायक हो जाए तब मूली की कटाई करनी चाहिए। कटाई के बाद मूली को अच्छे स्वस पानी से साफ कर के बाजार में बिक ने को जाते है। मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में अच्छी पैदावार या ज्यादा उपज के लिए मूली की खेती में जरुरियात मुजब सिंचाई करनी चाहिए।
जब कोई रोग एवं कीट का अटेक दिखाई दे तब इस रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए योग्य दवाई का छिटकाव कर के पौधे को रोग मुक्त करना चाहिए।
तब भी उपज में बड़ोतरी होगी। प्रसिद्ध किस्मे की बुवाई एक हेक्टर में की गई है तो यूरोपियन प्रजातियों की उपज में 85 से 110 क्विंटल तक की मिलेगी और एशियाई प्रजातियों की उपज एक हेक्टर में से 270 से लेकर 310 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर शकते है
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FAQ’s
Q-1. मूली की खेती कैसी मिट्टी में करनी चाहिए ?
Answer : मूली की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में करनी चाहिए
Q-2. मूली की खेती कौन से माह में अच्छी होती है ?
Answer : मूली की खेती सितंबर यतो जनवरी माह में और पहाड़ी विस्तार में अगस्त माह में करनी चाहिए
Q-3. मूली की खेती में कैसा तापमान एवं जलवायु अच्छा माना जाता है ?
Answer : मूली की खेती में तापमान 4℃ से लेकर 20℃ और ठंड जलवायु अच्छा माना जाता है
Q-4. मूली की फसल में कौन कौन से रोग एवं कीट अटेक करते है ?
Answer : मूली की फसल में माहु रोग, चेपा, बालदार सुंडी, मुरझाना, झुलसा रोग, काली भुंडी और पत्ते की सुंडी इन के अलावा भी कई रोग एवं कीट अटेक करते है
Q-5. मूली की खेती में खाद कौन कौन से डाल शकते है ?
Answer : मूली की खेती में खाद यूरिया, एस एस पी, और देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर डाल शकते है
सारांश
नमस्ते किशान भइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा और मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए।
मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे एवं मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) की उपज एवं कटाई कैसे करे वैसे बात करे तो मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।
इस लिए ए आर्टिकल आपको मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भाइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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