तरबूज और खरबूजा की वैज्ञानिक खेती|तरबूज की खेती कब और कैसे की जाती है|Tarbuj Ki Kheti

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तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) हमारे देश भारत में कई राज्य में की जाती है। इन में से राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, कर्णाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात के कई विस्तार में तरबूज की खेती किशान बड़े पैमाने में करते है और अच्छी उपज के साथ अच्छा मुनाफा भी करते है।

तरबूज की खेती फल के रूप में की जारी है। तरबूज की खेती गर्मी के या ग्रीष्म ऋतु में की जाती है। तरबूज की खेती में कम समय कम खाद और कम लगत एवं कम पानी की आवश्यकता होती है। इस लिए आज कल तरबूज की खेती पुरे भारत में बड़े पैमाने में किशान करते है

तरबूज की कई सारी प्रसिद्ध किस्मे है इन के बीज की बुवाई कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त कर शकते है तरबूज के ऊपरी हिच्छा हरा रंग के होते है और पक जाने पे अंदर का हिच्छा लाल रंग के हो जाता है।

तरबूज बेल वाली फसल है। तरबूज खाने में बड़ा स्वादिष्ट होता है। तरबूज में 90% प्रतिशत पानी मौजूद होता है। इन के अलावा मिनरल, प्रोटीन, एवं कार्बोहाइड्रेटस भी भरपुर मात्रा में पाए जाते है। तरबूज गर्मी के मौसम में खाने से शरीर में पानी एवं रक्तचाप दोनों को समतोलन रखता है।

Tarbuj Ki Kheti

आज के इस आर्टिकल में तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) कब और कैसे की जाती है। इस के बारे में सम्पूर्ण माहिती आप को इस आर्टिकल में मिल जाएगी। आप के मन में जो भी सवाल है तरबूज की खेती के बारे में इस सभी सवाल के जवाब आप को इस आर्टिकल में अंत तक मिल जाएगे।

तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, तापमान एवं जलवायु, प्रसिद्ध किस्मे, तरबूज के बीज की बुवाई, तरबूज की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट, इन रोग एवं कीट का उपचार या नियंत्रण कैसे करना चाहिए, तरबूज की खेती एक हेक्टर में की है तो कितनी उपज होगी और कितना मुनाफा कर शकते है किशान।

बात करे तो तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) की सम्पूर्ण माहिती मिल जाएगी। इस के लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना होगा। धन्यवाद

Table of Contents

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) Overview

फसल का नामतरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti)
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को तरबूज की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीशुगर बेबी, दुर्गापुरा केसर, पूसा बेदाना, अर्का ज्योति
बीज बुवाई कब करेदिसंबर माह से मार्च माह औरमार्च और अप्रिल
बीज से बीज की दुरी1.5 फिट से 2.5 फिट की दुरी
तापमान औरजलवायु तापमान 20°C से 30°C
खाद कौन सा और कितना डालेखाद में सड़ा हुआ गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश
लगने वाले रोग एवं कीट एन्थ्रेक्नोज, चेपा और कीड़ा, फल की मक्खी, और भी है
एक हेक्टर मे उपज 900 से लेकर 1000 क्विंटल उपज प्राप्त होगी
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Tarbuj Ki Kheti |Tarbuj Ki Kheti Ki Jankari | Tarbuj Ki Kheti Kab Ki Jaati Hai | Tarbuj Ki Kheti Kab Hoti Hai | Tarbuj Ki Kheti Kab Karen | Tarbuj Ki Kheti Kaise Kiya Jata Hai | Tarbuj Ki Kheti Ki Sampurn Jankari

तरबूज की खेती में मिट्टी की आवश्यकता और तैयारी

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में की जा शक्ती है। लेकिन अच्छी उपज एवं ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के हेतु तरबूज की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में तरबूज की फसल अच्छी वृद्धि करते है।

तरबूज इन में आने वाले फल भी अच्छे से विकास करते है। तरबूज की खेती जीस मिट्टी में करे इस मिट्टी का जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। और जमीन का P.H मान 5.5 से 7 के बिच होना चाहिए। तरबूज की खेती अच्छी उपजाऊ मिट्टी में करनी चाहिए।

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में खेत तैयारी में 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। जमीन की आखरी जुताई से पहेले एक हेक्टर में देशी खाद में अच्छे से सडा गोबर 12 से 15 टन मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए।

बाद में क्यारी या बेड तैयार कर के तरबूज के बीज की बुवाई कर शकते है। अच्छी जल निकासी के लिए पाट्टा चला के ज़मीन समतल कर लेना चाहिए। तरबूज की खेती में जल भराव अच्छा नहीं होता।

तरबूज की खेती में तापमान और जलवायु

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) को अधिक तापमान एवं शुष्क जलवायु सबसे अच्छा माना जाता है। तरबूज की खेती गर्मी के मौसम में और शर्दी के मौसम दोनों में की जाती है। किन्तु शर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला तरबूज के पौधे की वृद्धि अटका देता है।

तरबूज की खेती में तरबूज के बीज को अंकुरित होने में तापमान 20°C से 30°C तक का तापमान अच्छा माना जाता है। तरबूज की खेती में 15°C से 40°C तक का तापमान सहन कर शकते है इस के ऊपर का तापमान रतबुज के पौधे और फल दोनों के लिए नुकशान कारी होता है।

तरबूज की बेस्ट किस्मे

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) की कई सारी प्रसिद्ध किस्मे या उन्नत किस्मे है इन किस्मे की बुवाई करने से कम समय में पैदावार देते है और अच्छे से विकास भी करते है इस किस्मे के नाम कुछ इस प्रकार के है शुगर बेबी, दुर्गापुरा केसर, पूसा बेदाना, अर्का ज्योति, आशायी यामातो, न्यू हेम्पशायर मिडगट, अर्का मानिक, डब्लू 19,

  • शुगर बेबी : इस प्रसिद्ध किस्मे के बिज बुवाई के ठीक 80 से 95 दिन में इस के फल पक के तोड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। इस किस्मे के फल का वजन कम से कम 4 से 6 किलोग्राम के होते है। इस किस्मे के फल में बीज दर बहुत कम देखने को मिलेगा। और स्वाद में बहुत अच्छा होता है। इस किस्मे की खेती अगर आप एक हेक्टर में की है तो कम से कम 230 से 260 क्विंटल तक की उपज मिलेगी
  • दुर्गापुरा केसर : इस प्रसिद्ध किस्मे के शंसोधक राजस्थन में जयपुर के वि.वि. के सब्जी अनुसंधान केंद्र द्वारा किया गया था। इस किस्मे के फल का साइज बड़ा और हरे रंग के एवं धारिया भी हरे रंग की होती है इस किस्मे के फल का अंदर का गूदा केसरी रंग का होता है। इस फल का वजन 5 से 6 किलोग्राम के होते है।
  • पूसा बेदाना : इस उन्नत किस्मे के फल में बीज ना के बराबर होते है। इस के ऊपरी हिच्छा हरे रंग का और अंदर गूदा गुलाबी रंग का होता है और इस का फल खाने में बड्डा स्वादिष्ट होता है। इस किस्मे के फल 80 से 90 दिन में पक के तैयार हो जाते है।
  • अर्का ज्योति : इस प्रसिद्ध किस्मे का संशोधन भारतीय बागबानी बंगलौर संस्थान द्वारा किया गया है। इस किस्मे के फल का वजन 7 से 8 किलोग्राम का होता है। इस किस्मे के फल तोड़ाई के बाद अधिक दिन तक भंडारण भी कर शकते है। इस किस्मे की खेती अगर आप ने एक हेक्टर में की है तो उपज 340 से 360 क्विंटल तक की मिल शक्ती है।
  • आशायी यामातो : इस किस्मे की उत्पति जापान ने की है और इस किस्मे को जापान से लाई गई किस्मे है। इस किस्मे के फल वजन में भारी होता है एक फल का वजन 7 से 8 किलोग्राम का होता है। इस के सिलका के रंग हरा और धारीदार होता है। इस किस्मे के बीज छोटा होता है। इस किस्मे की खेती एक हेक्टर में की है तो 200 से 230 क्विंटल तक की उपज मिलेगी।
  • न्यू हेम्पशायर मिडगट : इस प्रसिद्ध किस्मे का नाम न्यू इंग्लैंड के काउंटी हैम्पशायर राज्य के नाम से इस किस्मे का नाम न्यू हेम्पशायर मिडगट रखा गया है। इस किस्मे के फल 6 से 7 किलोग्राम के होते है इस किस्मे के गुदा कनिदार होते हे। और खाने में बड़ा स्वादिष्ट होता है
  • अर्का मानिक : इस प्रसिद्ध किस्मे का अनुसंधान बेंगलोर में बागबानी संस्था द्वारा किया गया है। इस किस्मे की फसल में एन्थ्रेक्नोज, चूर्णी फफूंदी और मृदुरोमिल फफूंदी के सामने काफी प्रतिरोधक किस्मे है। इस किस्मे की उपज एक हेक्टर में से 55 से 65 टन की पैदावार मिलती है।
  • डब्लू 19 : इस प्रसिद्ध किस्मे को N.R.C.H द्वारा तैयार की गई किस्मे है इस किस्मे की खेती गर्म एवं शुष्क विस्तार में करते है। इस किस्मे को अधिक तापमान वाले विस्तार में बुवाई के लिए तैयार की गई किस्मे है। इस किस्मे में लगने वाले फल बहुत अच्छा और स्वाद में मीठा होता है। इस किस्मे की फसल कम समय में पक के तैयार हो जाती है इस किस्मे के फल 70 से 80 दिन में पक के तैयार हो जाते है इस किस्मे की खेती एक हेक्टर में की हे तो 45 से 55 टन तक की उपज मिलती है

तरबूज के बीज दर एवं बीज उपचार

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) बीज के बुवाई से पहले बीज उपचार करना बेहद जरूरी है।

तरबूज के बीज के उपचार में एक किलोग्राम बीज के लिए आप बाविस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% WP) 2 से 2.5 ग्राम लेके उपचार करे और कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL) 1 मिली एक किलोग्राम बीज के लिए उपचार करे।

बाद में कुछ समय तक इस बीज को छाव में सूखने के लिए रख दे बाद में सुख जाने पर इस बीज की बुवाई मुख्य खेत में करे। तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में बीज दर की बात करे तो एक हेक्टर में तरबूज के बीज 4.5 से 5.5 किलोग्राम बीज काफी है

तरबूज के बीज की बुवाई कब और कैसे करे?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में बीज की बुवाई बीज उपचार के बाद करनी चाहिए। तरबूज की खेती में बुवाई बीज की कर के की जाती है। तरबूज की खेती हमारे देश भारत में कई विस्तार में बड़े पैमाने में किशान करते है और अधिक मिनाफा भी प्राप्त करते है।

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) के लिए जमीं में गड्ढो खोदना पड़ता है। इन गड्ढो में देशी खाद प्रत्येक गड्ढे में 5 से 6 किलो मिट्टी में अच्छे से मिला के गड्ढो को भर देना चाहिए।

बाद में इन गड्ढो में बीज की बुवाई कर शकते है। तरबूज के बीज की दुरी 2 से 4 फिट की रखनी चाहिए। और तरबूज के बीज की मिट्टी में गहराई 1.5 सै.मी रखनी चाहिए।

तरबूज की खेती बेड बना के भी कर शकते है। बेड तैयार हो जाने के बाद मल्सिंग कर लेना चाहिए। मल्सिंग को पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना होगा।

इस के बाद पॉलीथीन में कुच्छ दुरी पर छोटे छोटे छेद कर देना चाहिए। इन से तरबूज के बीज अंकुरित होने पर जरूरी सूर्य प्रकाश मिल शके और पौधा अच्छी विकास कर शक्ति है

तरबूज की खेती में जल भराव अच्छा नहीं होता। इस लिए तरबूज की खेती में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।

तरबूज की खेती आम तो दिसंबर माह से मार्च माह तक की जाती है। ले किन तरबूज की खेती का उचित समय फरवरी माह के मध्य में माना जाता है। और कई विस्तार में तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) मार्च माह या अप्रिल माह में भी करते है।

तरबूज की फसल की देखभाल कैसे करे?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में देखभाल अच्छे से रखनी चाहिए। जब कोई रोग एवं कीट तरबूज की फसल में दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिटकाव कर के तरबूज के पौधे या बेला को इस रोग या कीट से मुक्त कीजिए।

इन के अलावा जब तरबूज के बेले में फल दिखाई दे तब उचित मात्रा में खाद देना चाहिए खाद में नाइट्रोजन, फस्कोरस, एवं पोटास योग्य मात्रा में देना चाहिए।

तरबूज के पौधे की और तरबूज के बेले में आने वाले फल की अच्छी विकास के लिए योग्य समय पर सिंचाई भी करनी चाहिए।

इस के अलावा तरबूज की फसल को खरपतवार नियंत्रण भी रखना चाहिए। इस प्रकार तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में देखभाल कर शकते है।

तरबूज की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है। तरबूज की खेती में खरपतवार नियंत्रण दो तरी के से कर शकते है। एक हाथो से खुरपी चला के और रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के। इन में से खुरपी चला के निदाई गुड़ाई करनी चाहिए।

जब तरबूज की फसल एक माह की हो जाए तब एक निदाई गुड़ाई करनी चाहिए और निदाई गुड़ाई हो जाने के बाद पौधे के आस पास मिट्टी सढा देनी चाहिए। इन से पौधा अच्छी विकास करता है और रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के खरपतवार नियंत्रण ना के बराबर करना चाहिए।

इस रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के जमीन का P.H मान कम हो जाता है और बाद में इस जमीन से उपज धीरे धीरे कम मिलती है। इस लिए खरपतवार खुरपी से ही करना चाहिए।

तरबूज की खेती में खाद सिड्यूल?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में योग्य समय पर खाद देने से तरबूज के पौधे का विकास होता है और पौधे पर अधिक मात्रा में फल भी लगते है और फल के अच्छे विकास भी होता है।

तरबूज की खेती में खाद में अच्छे से सड़ा गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस, एवं पोटाश अच्छी मात्रा में देना चाहिए। तरबूज की खेती में खाद सिड्यूल कुछ इस प्रकार दे शकते है

  • नाइट्रोजन : नाइट्रोजन पौधे को वातावरण में से 80% किलता है और 4% पानी के माध्यम से मिलता है। इस के आलावा एक हेक्टर में हम 70 से 80 किलो नाइट्रोजन डाल शकते है। नाइट्रोजन का मुख्य हेतु है पौधे या बेल की वृद्धि करना।
  • फास्फोरस : हम एक हेक्टर में फास्फोरस 35 से 40 किलो डाल शकते है। इस का माप जमीन की H.P मान के डालना चाहिए। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे या बेल पर फूल की वृद्धि, फल की वृद्धि और पौधे में रोग प्रति कारक शक्ती बढ़ा देना। इस के आलावा भी ए तत्व कार्य करते है फल के आकर को बढ़ता है।
  • पोटाश : हम एक हेक्टर में पोटाश 35 से 40 किलो डाल शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे के जड़ो को विक्षित करना और कई रोग एवं कीट से बचाते है। जब किसी भी पौधे या बेल की जड़ मजबूती से जमीन के साथ जुड़ जाती है। पोटाश देने से पौधे की कोशिका की दीवारे मजबूत होती है और तने या बेल के कोष्ट की बड़ोतरी होती है
  • 1) जब फसल 18 दिन की हो जाए तब पहली खाद मरिनो 2 लीटर +थायमेथोकझाम 250 ग्राम +20:20:20 एच-डी 800 ग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 2) जब फसल 24 दिन की हो जाए तब दूसरी खाद यूरिया 3 किलोग्राम +एग्रोमीन मेक्ष 2.5 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 3) जब फसल 27दिन की हो जाए तब 11:52:00 एच-डी + फरटिशोल 3 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 4) जब फसल 33 दिन की हो जाए तब तीसरी खाद 11:52:00 एच-डी 800 ग्राम + चेलामीन 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 5) जब फसल 38 दिन की हो जाए तब चौथी खाद” एकवाकल 2.5 लीटर बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 6) जब फसल 42 दिन की हो जाए तब 00:52:34 एच-डी + हाइड्रोप्रो गोल्ड 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
  • 7) जब फसल 46 दिन की हो जाए तब 00:52:34 एच-डी + एग्री प्रो 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 8) जब फसल 51 दिन की हो जाए तब एकवाकल 2.5 लीटर बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 9) जब फसल 56 दिन की हो जाए तब फरटिशोल 6 किलोग्राम + मरिनो 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
  • 10) जब फसल 60 दिन की हो जाए तब “कोंबीकेल 6 किलोग्राम + बोरान 20% 1 किलोग्राम पानी के साथ दीजीए
  • 11) जब फसल 64 दिन की हो जाए तब 13:00:45 एच-डी 800 ग्राम + हाइड्रो प्रो 2 लीटर पानी के साथ दीजीए।
  • 12) जब फसल 66 दिन की हो जाए तब 13:00:45 एच-डी 800 ग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 13) जब फसल 70 दिन की हो जाए तब 00:00:50 एच-डी 1600 ग्राम पानी के साथ दीजीए
  • 14) जब फसल 72 दिन की हो जाए तब 00:00:50 एच-डी 1600ग्राम पानी के साथ दीजीए।
  • 72 दिन की खाद सिडयुल देते ही आपकी फसल पक जाती है।ओर बड़े बड़े फल की कटाई करके आप नजदीकी बाजार में बेचने के लिए ले जा शकते है।

तरबूज की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट उपचार?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है और इस रोग एवं कीट का सहि समय पर उपचार या नियंत्रण नहीं किया जाए तो सारी फसल बर्बाद हो जाती है और किसान को बड़ी मात्रा में नुकशान भुगतना पड़ शकता है।

इस लिए जब कोई रोग या कीट का अटेक दिखे तब योग्य दवाई का छिटकाव कर के तरबूज की फसल को इस रोग एवं कीट से मुक्त करना चाहिए तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में ज्यादा तर इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है।

एन्थ्रेक्नोज, चेपा और कीड़ा, फल की मक्खी, कोड़ का रोग, बुकनी रोग, सफेद रोग, डाउनी मिल्ड्यू , अचानक मुरझाना, फ्यूजेरियम विल्ट, सुरंगी कीड़े इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है।

इस रोग एवं कीट के उपचार या नियंत्रण में इस दवाई का इस्तेमाल मरना चाहिए।

  • एन्थ्रेक्नोज : तरबूज की खेती में जब एन्थ्रेक्नोज रोग ए जाता है तब तरबूज की फसल में पटिया पर भूरे धब्बे दिखते है। ए रोग लगने का मुख्य कारण बहुत ठंड या ज्यादा बारिश का कारण है। ए रोग कलेटोट्रीचम लगेनरियम फफूंदी के माध्यम से फैलता है। ए रोग ज्यादा तर पुराने (वड्डे ) पति पर देखने को मिलेगा।
  • उपचार : एन्थ्रेक्नोज रोग का उपचार के लिए हम फसल में जो भी जंगली घास हे वे निकल दीजिए और दूसरा उपचार ऑमिस्तार टॉप (AMISTAR TOP) अजॉक्सिटोबिन 18.2% डब्ल्यू / डब्ल्यू +डायफेनोकोनाजोल 11.4% डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 16 लीटर पानीके साथ 20 मिली मिलाके छिटकाव कीजिए। और एन्थ्रेक्नोज रोग से फसल को मुक्ति दीजिए।
  • चेपा और कीड़ा : इस कीट के कारण पौधे की पाटिया पिले रंग की हो जाती है। इस कीट की कारण पाटिया में जो रस होता है वो रस कीट चूस लेते है इस कीट की वजे से पाटिया ऊपर की तरफ मोड़ जाती है
  • उपचार : इस कीट का नियंत्रण के उपचार करना है तो आपको थाइमैथोक्सम 5 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा। और इस छिटकाव के बाद 10 से 15 दिन में डाइमैथोएट 10 मि.ली. + टराइडमोरफ 10 मिली दोनों को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना चाहिए
  • फल की मक्खी : इस कीट से तरबूज की फसल को बहुत नुकसान होता है। मादा मक्खी ज्यादा तर फल पर अंडे देती है और अंडे से जब सूजे निकल ते है वे सूजे सीधे फल पर अटैक करते है। और फल के गूदा खाते है इस के कारण फल बहुत ख़राब होते है। इस लिए तरबूज की फसल से ऐसे सारे फल तोड़ या उखाड़कर के बहार फेक देनी चाहिए।
  • उपचार : इस प्रकार के किट दिखे तो तुरंत नीम सीड करनाल एकसट्रैट 50 ग्राम को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना चाहिए। और 8 से 10 दिन के बाद 2 से 4 बार मैलाथियॉन 40 मिली+100 ग्राम गुड़ 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगापानी।
  • बुकनी रोग : इस रोग का अटेक तरबूज में पौधे के पतों पर होता है। इस रोग से ग्रसित तरबूज के पौधे के पतों पर सफेद रंग के पाउडरी मिल्ट दिखाई देते है इस रोक के कारण पौधा प्रकाश संश्लेषण प्रकिया के बाधा होती है और पौधे का विकास एवं पैदावार भी रुक जाती है
  • उपचार : इस रोग के नियंत्रण में डायनोकेप 0.05% और गंधक 0.03% का उचित मात्रा में पानी में मिला के छिटकाव करना होगा इस के अलावा कार्बेन्डाजिम 0.1% की उचित मात्रा पानी में मिला के छिटकाव कर शकते है।
  • सफेद रोग : इस रोग से ग्रसीत पौधे के पतों पर सफ़ेद रंग के धब्बे दिखाई देते है। इस रोग के कारण पौधे से पतों जड़ जाते है और पौधे में लगे फल भी जल्द पक जाते है।
  • उपचार : इस रोग के उपचार में धुलनशील सल्फर को 30 ग्राम 16 पानी में मिला के दो से तीन बार छिटकाव करना चाहिए।
  • डाउनी मिल्ड्यू : इस रोग से ग्रसीत पौधे के पतों के निचले हिच्छे में ग़ुलाबी रंग के चूर्ण दिखाई देते है। इस के कारण पैदावार अधिक प्रभावित हो।
  • उपचार : इस के नियंत्रण में जाइनेब या मैंकोजेब की 0.03% सांद्रण की उचित मात्रा में पानी में मिला के तीन से चार बार छिटकाव करना चाहिए।

तरबूज की खेती में सिंचाई कब करे?

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में सिंचाई की आवश्यता कम होती है। तरबूज की खेती अगर आप ने नदी किरारे की है तो कम सिंचाई की आवश्यकता होगी।

गर्म एवं शुष्क विस्तार में तरबूज की खेती की है तो सिंचाई की आवश्यकता ज्यादा होगी। तरबूज के बीज की बुवाई हो जाने पर सिंचाई करनी चाहिए।

जब बीज में से पौधा अंकुरित हो जाए तब सिंचाई करनी चाहिए। तरबूज की फसल में जब तरबूज के पौधे या बेले बड़े हो जाए और इन बेले में छोटे छोटे फल दिखाई दे तब सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है।

इस समय तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में 5 से 7 दिन के अंतर में सिंचाई करनी चाहिए।

तरबूज की उपज एवं तोड़ाई|(Tarbuj Ki Kheti)

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में फल कम से कम 75 से 85 दिन में पक के तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। तरबूज के फल हरे रंग के होते है और जब वे हरे रंग से पीले रंग में बदल जाए तब समज लेना की वे फल पूरी तरा से पक के तुड़ाई के लिए तैयार हो गया है और इस फल की तुड़ाई कर लेनी चाहिए।

इस तरबूज के फल की तुड़ाई के बाद इस फल को किसी ठंडे स्थान पर रख देना चाहिए।

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) अगर आप ने एक हेक्टर में की है तो 900 से लेकर 1000 क्विंटल तक के फल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार उपज प्राप्त होने से मुनाफा भी भारी मात्रा में मिलेगा।

इस में मुनाफा तक़रीबन 9 लाख से 10 लाख का मुनाफा प्राप्त होगा इस में खर्च खेत तैयारी, बीज बुवाई, खाद, कीटनाशक दवाई, और फल तोड़ाई के लिए मजदुर की मजूरी इन सब में ज्यादा से ज्यादा 2 लाख से 3 लाख तक का खर्च लगता है

फिर भी मुनाफा अधिक रहता है इस लिए तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) किशान कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त कर शकता है

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FAQ’s

Q-1. तरबूज की फसल में फल कितने दिन में पक के तोड़ाई कर शकते है ?

Answer : तरबूज की फसल में फल 75 से 85 दिन में पक के तोड़ाई के लिए तैयार हो जाता है

Q-2. तरबूज के बीज की बुवाई कब करनी चाहिए ?

Answer : तरबूज के बीज की बुवाई फरवरी या मार्च माह के करनी चाहिए

Q-3. तरबूज की प्रसिद्ध किस्मे कौन कौन सी है ?

Answer : तरबूज की प्रसिद्ध किस्मे शुगर बेबी, दुर्गापुरा केसर, पूसा बेदाना, अर्का ज्योति, आशायी यामातो इन के अलावा और भी प्रसिद्ध किस्मे है

Q-4. तरबूज की खेती को कौन सा तापमान अनुरूप होता है ?

Answer : तरबूज की खेती को 20°C से 35°C तक का तापमान अनुरूप होता है

Q-5. तरबूज की खेती कैसी मिट्टी में करनी चाहिए ?

Answer : तरबूज की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में करने से पौधे की अच्छी वृद्धि होती है और पैदावार भी भारी मात्रा में प्राप्त होती है

सारांश

नमस्ते किशान भाइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में इस के बारे में बहुत कुछ जनने को मिलेगा और तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए।

तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे एवं तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

इस लिए ए आर्टिकल आपको तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भाइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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