नमस्ते किशान भाइयो आज के इस आर्टिकल में मेथी की खेती में लगने वाले रोग (Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog) की सारी जानकारी मिल जाएगी। और मेथी के पौधे की उचाई 1 फीट से 1.5 फीट तक की होती है। मेथी की फसल को लिग्यूमानस परिवार से संबंधित पौधा है।
मेथी की फसल हमारे देश के कई राज्य में उगाते है। इन में से राजस्थान, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, एवं गुजरात इन सब राज्य में मेथी की फसल को किशान बड़े पैमाने में उगते है और अधिक मुनाफा भी प्राप्त करते है।
मेथी का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है। मेथी के हरे पतों की सब्जी भी बनाते है। मेथी के दाने में औषधिक गुण भी मौजूद होता है। मेथी के दाने कई दवाई में एवं अचार बनाने में मसाला के रूप में और सौन्दर्य प्रसाधन में मेथी के दाने उपयोग में लेते है।
मेथी के दाने में विटामिन ए, विटामिन बी, और विटामिन सी, पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। इन के अलावा मेथी के दाने में सोडियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिंक, फॉस्फोरस, पोटैशियम, और भी कई तत्व एवं मिनरल्स मौजूद होते है। मेथी के हरे पतों खाने से रक्त सुद्ध होता है और कोलैस्ट्रोल को कम करते है।
मेथी के पतों को सूखा के चूर्ण बना के डायबिटीज की बीमारी वाले मरीज को सेवन करने से काफी फायदे होते है। मेथी के इस चूर्ण का सेवन पेट संबंधी बीमारी में काफी फायदे होते है। इस प्रकार मेथी के हरे पतों एवं पतों को सूखा के चूर्ण और मेथी के दाने इस प्रकार बहुत उपयोगी है।
आज के इस आर्टिकल में मेथी की खेती में लगने वाले रोग (Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog) एवं इस रोग एवं कीट का नियंत्रण कैसे करे, मेथी की फसल को अनुरूप वातावरण एवं तापमान, मेथी की खेती कैसी मिट्टी में करनी चाहिए।
एवं मेथी की खेत तैयारी और मेथी की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे कौन कौन सी है। मेथी की खेती में सिंचाई कब करनी चाहिए। मेथी की फसल एक हेक्टर में करे तो कितना मुनाफा किशान प्राप्त कर शकते है। बात करे तो मेथी की खेती की संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के अंत तक आप को मिल जाएगी। इस के लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
मेथी की खेती को उपयुक्त मिट्टी कैसी होती चाहिए ?
मेथी सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जाने वाली फसल है। लेकिन मेथी जीस मिट्टी में उगाई उस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ ज्यादा होना चाहिए। मेथी के पौधे की अच्छी विकास एवं अधिक उपज के हेतु मेथी की खेती बलुई दोमट एवं रेतीली मिट्टी में करनी चाहिए।
मेथी की खेती जीस जमीन पर करे उस जमीन का पि एच मान 5.5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए। मेथी की खेती में जमीन की जल निकास अच्छी होनी चाहिए। ज्यादा पानी भराव मिट्टी में मेथी की खेती अच्छी से नहीं होती और उपज एवं पैदावार में काफी नुकशान होती है
मेथी की खेती में खेत तैयारी में दो से तीन बार गहरी जुताई करे और मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। और आखरी जुताई से पहेले एक हेक्टर में 12 से 15 टन देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर डाले और पाटा चलाके के जमीन समतल करलेनी चाहिए। इन के बाद क्यारी बना के मेथी की खेती करनी चाहिए।
मेथी की खेती में जलवातु एवं तापमान कैसा होना चाहिए ?
मेथी के पौधे ठंड जलवायु में अच्छे से वृद्धि करते है। और मेथी के पौधे में ठंड में पड़ने वाला पाला सहन करने की शक्ति अधिक होती है। मेथी की खेती में ज्यादा बारिश हानिकारक होती है। मेथी के पौधे कम बारिश वाले विस्तार में आसानी से उगाई जाते है और अच्छी उपज भी देते है।
मेथी की खेती में बीज अंकुरित होने के लिए 15°C से 25°C तक का तापमान अच्छा माना जाता है। मेथी के पौधे की अच्छी विकास के लिए 15°C से 20°C तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है। मेथी की खेती में इन से अधिक तापमान मेथी की फसल में नुकशान कारक होता है।
मेथी की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे कौन कौन सी है ?
मेथी की उन्नत किस्मे कई साडी है। इन में से कूच किस्मे के नाम इस प्रकार के है। कसूरी मेथी, लाम सिलेक्शन, एम एल 150, पूसा अर्ली बंचिंग, यूएम 112, राजेंद्र क्रांति, कश्मीरी, हिसार सुवर्णा, इन के अलावा भी मेथी की कई सारी प्रसिद्ध किस्मे है। इन किस्मे की बुवाई कर के किशान अच्छा मुनाफा और अधिक उपज प्राप्त कर शकते है।
मेथी की बुवाई कौन से महीने में की जाती है ?
मेथी के बीज की बुवाई अक्टूबर महीने में या नवम्बर महीने के पहेले सप्ताह में की जाती है। और कई पहाड़ी विस्तार में मार्च से मई महीने में करते है। मेथी के बीज की बुवाई से पहेले बीज उपचार करना अति आवश्कत है।
मेथी के एक किलोग्राम बीज का उपचार करने के लिए थीरम की मात्रा 4 ग्राम और कार्बेनडाजि़म 50% W / P की मात्रा 3 ग्राम लेकर करे। मेथी के बीज उपचार के बाद क्यारी में बुज हाथो से छींटे जाते है। 22 सैमी से 24 सैमी की क्यारी (पक्ति) रखनी चाहिए।
और बीज की गहराई 3 से 4 सै.मी रखनी चाहिए। मेथी की खेती अगर आप एक हेक्टर में करे तो बीज की मात्रा 55 से 58 किलोग्राम पर्याप्त है।
मेथी में कौन सा खाद डालना चाहिए ?
मेथी की फसल में खाद देना बेहद जरूरी है। मेथी की खेती में खाद सड़ा हुआ गोबर, वर्मीकम्पोष्ट, नाइट्रोजन फास्फोरस, यूरिया, पोटेशियम, एसएसपी, इस प्रकार के खाद देना चाहिए। मेथी के पौधे की अच्छी विकास के लिए एवं मेथी के दाने की अच्छी उपज के लिए।
मेथी की खेती एक हेक्टर के हिसाब से गोबर 12 से 15 टन नाइट्रोजन13, फास्फोरस 20, यूरिया 30, पोटेशियम 20 किलोग्राम की मात्रा से देना चाहिए।
मेथी की खेती में मेथी की अच्छी विकास के लिए। जब मेथी की बुवाई के बाद पौधा 16 से 21 दिन का हो जाये तब ट्राइकोंटानोल हारमोन 25 मि.ली. 16 लीटर पानी में अच्छे से घोल मिला के छिड़काव करे और NPK 19:19:19 का 80 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलके छिड़काव करना चाहिए।
इस के छिटकाव से मेथी की फसल तेजी से वृद्धि करती है। इन के अलावा ब्रासीनोलाइड 125 मि.लि एक हेक्टर के हिसाब से 370 लीटर पानी में मिला के 45 से 55 दिन के बाद छिड़काव करना चाहिए। इन से उपज में बड़ोतरी होती है।
खरपतवार कैसे नष्ट करें ?
मेथी की फसल में खरपतवार नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। इस खरपतवार से मेथी के पौधे अच्छे से विकास नहीं कर शकता बाद में उपज में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। मेथी की खेती में करपतवार दो प्रकार से नष्ट कर शकते है।
एक तो हाथो से खुरपी चलाके और रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के खरपतवार नष्ट कर शकते है। इन में से खुरपी सलाके निदाई गुड़ाई करनी चाहिए। रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कम से कम करे इन दवाई से जमीन और मानव शरीर को बहुत नुकशान होता है।
मेथी की खेती में सिंचाई कब करनी चाहिए ?
मेथी की खेती में सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता होती है। मेथी की फसल में बीज बुवाई के बाद एक सिंचाई करनी चाहिए अच्छे बीज के अंकुरित के लिए और इन के बाद जब मेथी के पौधे 25 दिन के हो जाए 45 दिन के बाद 85 दिन और 110 दिन में करनी चाहिए।
जब मेथी के पौधे में बीज बनने लगे तब योग्य समय पर सिंचाई करनी चाहिए नहीं तो मेथी के दाने की अच्छी पैदावार प्राप्त नहीं होती। इस लिए मेथी की खेती में इस प्रकार सिंचाई करे।
मेथी की खेती में लगने वाले रोग (Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog)
मेथी की खेती में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है और मेथी के पौधे को बहुत नुकशान करते है। इन रोग एवं कीट का योग्य समय पर उपचार करना चाहिए। नहीं तो उपज में किशान को भारी गिरावट देखने को मिलेगी।
मेथी की खेती में अधिक नुकशान और कम मुनाफा प्राप्त होगा। (Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog) इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है। जड़ गलन, चेपा, पतों पर सफेद धब्बे, पाउडरी मिल्ड्यू इस प्रकार के मेथी की खेती में लगाने वाले रोग एवं किट है।
जड़ गलन : इस रोग का अटेक पौधे के जड़ो में होता है। इस रोग के कारण पौधे की जड़ो गल के सड़ जाती है। जब इस रोग से पौधा ग्रस्त हो जाता है तब पौधे की जड़ो कमजोर हो जाती है बाद में पौधा जमीन में से जरूती पोषक तत्व नहीं ले पाते और धीरे धीरे पौधा सूखने लगता है और एक दिन सुख के नष्ट हो जाता है।
उपचार : इस रोग नियंतरण के लिए कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP एक हेक्टर दीठ एक किलोग्राम 400 लीटर पानी के साथ घोल मिला के पत्येक पौधे को 50 मिली ग्राम सिंचाई के माध्यम से देना चाहिए। और इस बीमारी से पौधे को मुक्त करना चाहिए।
चेपा : इस कीट के कारण मुख्य फसल के पतों ऊपर की दिशा में मोड़ जाते है। और पतिया पीले रंग की हो जाती है या दिखती है। इस कीट का मुख्य कार्य है पतिया में रस है वही रस को चूस लेते है। इस कारण पतिया ऊपर की दिशा में मोड़ जाती है।
उपचार : इस कीट के नियंत्रण के लिए हमे ए उपचार करना होगा थाइमैथोक्सम 5 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा। और इस छिटकाव के बाद 10 से 15 दिन में डाइमैथोएट 10 मि.ली. + टराइडमोरफ 10 मिली दोनों को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा।
पतों पर सफेद धब्बे : इस बीमारी की पैथोजेनिक बीमारी भी कहते है। इस का अटेक मुख्य तवे पौधे के पतों पर होता है। इस के कारण पौधे के पतों पर छोटे छोटे छिद्र और पतों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और धीरे धीरे पौधे के सारे पते गीर के नष्ट हो जाते है
उपचार : इस रोग के नियंतरण में हम दीथेन एम 45 0.3 % एवं कोटफ 10 मि.ली 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
पाउडरी मिल्ड्यू : इस रोग के कारण पतिया पर सफ़ेद रेखा दिखने को मिलेगी और इस रोग लगाने के कारण है विविध प्रजाति की फफूंदी और इस रोग का फैलाव वहिकाओ द्वारा होता है। इस रोग के कारण जेते फसल की पतिया सुख के गिरती है।
उपचार : इस रोग के कारण पतों के ऊपर नारंगी एवं पीले रंग के धब्बे दिखाय देते है। इस रोग से फसल को बचाने के लिए हमे खरपतवार नियंत्रण करना होगा और बिन जरूरी घास को निकाल देना चाहिए।
मेथी की फसल की कटाई कैसे करें ?
मेथी की फसल की कटाई विविध समय पर करते है। जब मेथी 20 से 30 दिन की हो जाए तब सब्जी बनाने के लिए करते है। और मेथी के बीज प्राप्त करने के लिए 85 से 100 दिन बाद करते है। इन के अलावा जब मेथी के पौधे के पतों हरे रंग से पीले रंग के हो जाए तब भी इस के फलियों की तुड़ाई करते है।
कटाई के बाद मेथी के पौधे की छोटी छोटी गठरी बना के धुप में सूखने के लिए रख दे जब 5 से 8 दिन धुप में रखे तब पूरी तरह से वे गठरी सुख जाती है बाद में उस गठरी को साफ कर के ग्रेडिंग कर लेनी चाहिए।
मेथी की फसल एक हेक्टर में करे तो उपज तक़रीबन 7 से लेकर 9 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त हो शक्ती है। और जब आप मेथी के पौधे की 3 से 6 बार कटाई करते है बाद में बीज की उपज लेते है तो उपज बहुत कम मिलेगी। अगर 3 से 6 बार मेथी के पौधे की कटाई की है तो उपज एक हेक्टर में से 1 से 2 क्विंटल तक की ही प्राप्त होती है
- अन्य भी पढ़े
- मटर में कौन सा खाद देना चाहिए
- मक्का की खेती की संपूर्ण जानकारी
- कपास की खेती में लगने वाले रोग
- मिर्च की खेती में कौन सा खाद डालें
FAQ’s
Q-1. मेथी के पौधे कितने दिन में तैयार हो जाता है ?
Answer : मेथी के पौधे 90 से 110 दिन में पक के तैयार हो जाती है
Q-2. मेथी की बुवाई कोन से महीने में की जाती है ?
Answer : मेथी की बुवाई अक्टूबर या नवम्बर महीने में और कई विस्तार में मेथी की बुवाई मार्च या मई महीने में की जाती है
Q-3. मेथी का स्वाद कैसा होता है ?
Answer : मेथी का स्वाद थोड़ा कड़वा और थोड़ा तीखा होता है
Q-4. भारत में सब से ज्यादा मेथी की खेती किस राज्य में करते है ?
Answer : भारत में सब से ज्यादा मेथी की खेती राजस्थान और गुजरात राज्य में किशान करते है और अच्छी उपज के साथ अच्छा मुनाफा भी करते है
Q-5. मेथी में कौन कौन सा गुन मौजूद होता है ?
Answer : मेथी में विटामिन ए, विटामिन बी, और विटामिन सी, पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। इन के अलावा मेथी के दाने में सोडियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिंक, फॉस्फोरस, पोटैशियम, और मेथी के दाने औषोधिक गुण भी बहुत है।
सारांश
नमस्ते किशान भाइयो इस आर्टिकल के माध्यम से आप को मेथी की खेती में लगने वाले रोग (Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog) एवं कीट और इन रोग एवं कीट के उपचार कैसे करे। इस के बारे में बारीक़ से जानकारी मिलेगी और मेथी की खेती के लिए कैसी मिट्टी की पसंदगी करनी चाहिए।
मेथी के पौधे को कैसा जलवायु एवं तापमान अनुकूल आता है, मेथी की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे कौन कौन सी है, मेथी के पौधे को कौन सा खाद एवं कब देना चाहिए, मेथी की खेती एक हेक्टर में करे तो कितनी उपज प्राप्त कर शकते है। बात करे तो मेथी की जानकारी इस आर्टिकल में सारी मिल जाएगी।
हमे पता है की ए आर्टिकल आप को मेथी की खेती के लिए बहुत हेल्पफुल होगा। और ए आर्टिकल आपको बहुत पसंद भी आया होगा इस लिए इस आर्टिकल को अपने संबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
3 thoughts on “मेथी की खेती में लगने वाले रोग | Methi Ki Kheti Me Lagne Wala Rog”