करेला की खेती किस प्रकार से की जाती है (Karela Ki Kheti Kis Prakar Se Ki Jati Hai)
करेला की खेती इस प्रकार से करे और अधिक उत्पादन के साथ बंपर मुनाफा पाए
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किसान सर्दी के मौसम में करेला की खेती कर के भयंकर उत्पादन प्राप्त कर शकते है और अधिक मंडी भाव पाकर बड़िया मुनाफा कर शकता है और अपनी आई में भी सुधर कर शकता है। और अपने परिवार जानो की हर समस्या का समाधान भी कर शकता है। किसान रबी सीजन में कई सारी सब्जी वर्गी फसल की खेती कर शकता है इन में से एक यह करेला की खेती किस प्रकार से की जाती है (Karela Ki Kheti Kis Prakar Se Ki Jati Hai) इन के बारे में आज बहुत कुछ जानेंगे।
जनवरी महीने में आप करेला की खेती इस तरीके से करते है तो आप को अच्छा उत्पादन और बंपर मुनाफा प्राप्त होगा तो आई ए इस ikhedutputra.com के इस आर्टिकल में हम करेला की खेती के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। जैसे की मिट्टी की पसंदगी, खेती की तैयारी, तापमान और जलवायु, खाद और सिंचाई, रोग एवं कीटइन का नियंत्रण, उत्पादन और तुड़ाई और आदि बातो पर विस्तार से जानेंगे और अच्छे से समझेंगे।
करेला की खेती किस प्रकार से की जाती है (Karela Ki Kheti Kis Prakar Se Ki Jati Hai)
करेला की खेती आप बेड तैयार कर के मल्चिंग कर के करेंगे तो सबसे अच्छा रहेगा। इन में आप को मेड बना के करेला की बेल को इन में मेड में अच्छे से विकास होता है और जब आप तुड़ाई करते है तब मेड के नीचे आप आसानी से चल शकते है और करेला की तुड़ाई बड़ी आसानी से कर शकते है और जो बेड तैयार है इन से सिंचाई करने में बहुत सरला रहती है।
करेला खेती के लिए मिट्टी कोनसी पसंद करें ?
करेला की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। इन की खेती में अच्छी विकास और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप बलुई दोमट मिट्टी, या जलोढ़ मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है। इसे किसी भी उपजाऊ मिट्टी में आप कर सकते हैं किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है इसके अलावा भूमि जो है वो उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए इसकी जो खेती कर रहे हैं उस मिट्टी का पीएच मान की बात करें तो 6 से 8 के बीच का पीएच मान अच्छा माना जाता है।
करेला की खेत में मिट्टी की तैयारी कैसे करें ?
करेला की खेती में आप दो से तीन बार गहरी जुताई करे और जो पुराणी फसल के अवशेष है इन्हे पूरी तरह से नष्ट करें। और मिट्टी जब अच्छे से भुरभुरी हो जाए तब आप को अच्छे से सड़ी गोबर की खाद एक हैक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन डाले और एक जुताई कर के मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए।
करेला की फसल के लिए अनुरूप तापमान और जलवायु
करेला की खेती के लिए उचित जलवायु यानी उपयुक्त जलवायु करेला की खेती में शुष्क और गर्म जलवायु की जरूरत होती है। गर्मियों के मौसम में इसकी पैदावार अच्छी प्राप्त होती है। किसान भाइयों इसके पौधे ठंड जलवायु को भी आसानी से सहन कर लेते हैं किंतु सर्दियों के मौसम में जो गिरने वाला पाला होता है पौधे को हानि पहुंचाता है।
करेले के पौधे सामान्य तापमान पर अच्छे से विकास करते हैं। किंतु बीज को अंकुरित होने के लिए 20℃ तापमान की आवश्यकता होती है। इसके पौधे को अच्छे से विकास करने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है
करेला की उन्नत किस्में कौन कौन से है ?
करेला की उन्नत किस्में आज के समय में कई सारी है। जैसे की कल्याणपुर बारहमासी, कोयंबटूर लॉग, पूसा विशेष, पंजाब 14, सोलन हरा, हिसार सलेक्शन, पूसा शंकर-1, से भी अधिक करेला की किस्में है। पर आप के पास के मार्किट में जो करेला की उन्नत किस्में के भाव अधिक मिलता है उस उन्नत किस्में की बुवाई करे ताकि आप को बाजार भाव अच्छा मिले और आप की कमाई भी अधिक प्राप्त हो शके।
करेला की बुवाई कौन से महीने में करें ?
करेला की उन्नत किस्में की बुवाई आप बरसाती मौसम में मई महीने से जून महीने तक कर शकते है और सर्दी के मौसम में जनवरी महीने से फरवरी महीने तक करनी चाहिए यही समय करेला की खेती के लिए सब से अच्छा माना जाता है।
करेला की खेती में खाद और उर्वरक की मात्रा
करेला की खेत में किसान खाद और उर्वरक खेत तैयारी के समय कर लेते है। पर इन के बाद कौन से खाद और कितनी मात्रा में डाले इन के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। एक एकड़ के हिसाब से 300 किलोग्राम सुपर फास्फेट और 200 किलोग्राम यूरिया और 90 किलोग्राम पोटाश की मात्रा डाल के मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए। इन के अलावा आप ने वर्मी कम्पोष्ट और देशी गोबर की खाद तो अच्छे से देनी है।
करेला की फसल में सिंचाई कब करें ?
करेले के पौधे की सिंचाई तो करेले के पौधे को सामान्य सिंचाई की आवश्यकता होती है सर्दियों के मौसम में इसके पौधे को 10 से 15 दिन के अंतराल में तथा गर्मियों के मौसम में 5 दिन के अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही आपको सिंचाई करनी है
करेला की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट
करेले की पौधे में कई प्रकार की रोग एवं कीट अटैक करते है। उन रोगों को समझना और नियंत्रण करना यह सबसे प्रमुख कार्य होता है। और इसे जो किसान भाई समझ गए तो रोग आने से पहले ही उनको मालूम रहेगा कि हम इस तरीके से इसका नियंत्रण कर सकते हैं तो कोई दिक्कत नहीं होगा उनको करेला की खेती में तो ज्यादातर रेड बटल कीट रोग लगती है। करेला में इस किस्म का जो रोग होता है पौधे के ऊपर शुरुआती अवस्था में देखने को मिल जाता है।
यह कीट रोग पौधे के पतियों को खाकर उन्हें हानि पहुंचाता है तथा उस रोग की सुंडी जवरों को खाकर नष्ट कर देती है इस रोग से बचाव के लिए करेले के पौधे परकोई योग्य दावा का उचित मात्रा छिड़काव करना चाहिए दूसरा जो सबसे बड़ी समस्या होती है करेला की खेती में माहू रोग का यह माहू रोग कीट के रूप में पौधे पर अटैक करता है यह कीट आकार में छोटे और पीले हरे रंग के होते हैं
माहू कीट रोग पौधे की पत्तिया को रस चूस लेते है जो पौधा खराब कर देता है इस किस्म का रोग पौधे पर गर्मियों के मौसम में अटैक करता है इसकी रोकथाम के लिए साइपर मेथन की उचित मात्रा छिड़काव कर इस रोग का रोकथाम की जा सकती है।
पाउडरी मिलूड रोग इस किस्म का रोग एरी साइफ सिप एस्टियम नामक वायरस के कारण पौधे पर लगता है। इस रोग की प्रभावित होने पर पौधे की पतिया सफेद रंग की हो जाती है। जिससे कुछ समय पश्चात ही यह पत्तियां पीली पड़कर खराब हो जाती है। करेले की पौधे को इस वायरस से बचाने के लिए कैथरीन को उचित मात्रा का छिड़काव कर पौधे पर नियंत्रण किया जा सकता है।
उत्पादन और तुड़ाई
अगर किसान ने करेला की खेती एक एकड़ जमीन में की है तो विविध किस्में की उत्पादन भी थोड़ा बहुत फर्क होगा कई किस्में का उत्पादन अधिक तो कई किस्में का उत्पादन कम यह आप की पसंद की गई किस्में पर और आप की महेनत पर निर्भर रहता है। फिर भी आप की जान के खातिर एक एकड़ से 60 से 65 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
करेला की फसल में जब करेले की तुड़ाई करे तब आप किसी भी सप्पू या नुकीली वास्तु से कर शकते है। पर जब करेला की तुड़ाई करे तब करेला को थोड़ा डठल के साथ तुड़ाई करे ताकि करेला ख़राब होने की सम्भावन कम हो जाए और दूर मंडी तक आप पंहुचा शकते है तब भी ख़राब नहीं होगा और ताजा और हरा दिखाई देने से बाजार भाव अच्छा मिलेगा।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को करेला की खेती किस प्रकार से की जाती है (Karela Ki Kheti Kis Prakar Se Ki Jati Hai) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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