मूंग की फसल में रोग का नियंत्रण कैसे करे (Moong Ki Fasal Me Rog Ka Niyantran Kaise Kare) : किसान अगर आप भी गर्मी में मुंग की खेती कर रहे हो और अच्छा उत्पादन लेना चाहते है। तो आपको मूंग की फसल में रोग का नियंत्रण कैसे करे इसकी जानकारी आपके पास होनी चाहिए। क्योकि यह रोग आपकी फसल को बर्बाद कर देती है। मूंग की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट और उसका नियंत्रण कैसे करे इस की जानकारी हम इस आर्टिकल में देने वाले है। इस लिए इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
मूंग की फसल में रोग का नियंत्रण कैसे करे (Moong Ki Fasal Me Rog Ka Niyantran Kaise Kare)
किसान आप मूंग की खेती करते हे तो तो मूंग की फसल में रो लगते है। और रोग का नियंत्रण नहीं किया तो आपकी फसल को बर्बाद कर देती है। और आपको भारी नुकशान होता है। इस लिए आम आज आपको बताने वाले है की मूंगन की फसल में रोग का नियंत्रण कैसे किया जाता है। इस की पुरे पूरी जानकारी देने वाले है।
मूंग की फसल में लगाने वाले रोग (Diseases Affecting Moong Crop)
किसान भाई मूंग की फसल में लगाने वाले रोग और उसका नियंत्रण के बारेमे बताने वाले है इस लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना और इस के अंत तक बने रहे।
- (1) येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग)
- (2) पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल)
- (3) एन्थ्रेक्नोज (रुक्ष रोग)
- (4) चूर्णी फफूंदी रोग
(1) येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग) (Mung Bean Yellow Mosaic Virus)
किसान भाई येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग) मूंग की फसल में लगाने वाला रोग है। पीत छतरी रोग में पत्तिया का रंग पीला पद जाता है। पीत चितेरी रोग के कारण मूंग की फलियां पूरी नहीं आ पाती हैं, जिसके कारण मूंग का उत्पादन कम हो जाता है।
मूंग में संक्रमित पौधो में फूल और फलिया देर से आती है। पीत चितेरी रोग के लक्षण पौधो और फलियों ऍम दोनों पर दिखाई देते है। येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग) सफ़ेद मक्खी से फैलता है। यह रोग मूंग की फसल के अलावा गेंहू, सोयाबीन एवं अन्य फसलों में भी लगता है।
येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग) का नियंत्रण
रोग अवरोधी मूंग प्रजातियों का प्रयोग करें जैसे की एल.जी.पी-407, एम.एल-267 यह सब दवाई मूंग में प्रयोग करे। यदि यह रोग आपके खेत में लगा है तो खरपतवार और संक्रमित पौधे को निकालकर अलग कर लें और संक्रमित पौधे को नष्ट करें दे।।
पीत चितेरी रोग के लक्षण दिखते ही आक्सीडेमेटान मेथाइल 0.1% या डायमेथोएट 0.3% प्रति हेक्टर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर 3 से 4 बार छिडकाव करें। इससे मूंग की फसल में से येलो मोजेक वायरस (पीत चितेरी रोग) नष्ट हो जायेगा।
(2) पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल)
किसान भाई पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल) एक महत्वपूर्ण विषाणु रोग है। पर्ण व्यांकुचन रोग बीज द्वारा फैलता है। और कुछ क्षेत्रो में ये रोग सफेद मक्खी द्वारा भी फैलता है। इसके लक्षण फसल बोने के 3 से 4 सप्ताह में दिखने लगते हैं।
इस रोग में दूसरी पत्ती बड़ी होने लगती है। पत्तियों में झुर्रियां और मरोड़ पन आने लगता है। किसान संक्रमित पौधों को खेत में दूर से ही देख कर ही पहचाना जा सकता है। इस रोग के कारण पौधे का विकास रुक जाता है। जिससे पौधे में नाम मात्र की फलियां आती हैं। यह रोग पौधे की किसी भी अवस्था में अपनी चपेट में ले सकता है।
पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल) का नियंत्रण
पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल) से फसल को बचाने के लिए बुवाई के 15 दिन बाद या रोग के लक्षण दिखने पर इमिडाक्रोपिरिड का छिड़काव करे।
(3) एन्थ्रेक्नोज (रुक्ष रोग) (Anthracnose)
किसान भाई ऐंथ्राक्नोज (रुक्ष रोग) के कारण फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर असर पड़ता है। बता दे की उत्पादन में लगभग 30% से 60% की कमी आती है। इस रोग के कारण मूंग के पौधे की पत्तियों, तनों, फलियों और फूलों पर भूरे रंग के घाव नजर आते हैं।
एन्थ्रेक्नोज (रुक्ष रोग) (Anthracnose) यह रोग 26 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और बादल युक्त मौसम में इस रोग का प्रमुख कारण होता है। और जैसे जैसे तापमान बढ़ता जाता है यह रोग बहुत ज्यादा फैलता जाता है। यदि इसका प्रबंधन नही किया जाए तो यह फसल को बर्बाद कर सकता है।
एन्थ्रेक्नोज (रुक्ष रोग) का नियंत्रण (Anthracnose)
बुवाई से पहले बीजों को थीरम अथवा कैप्टान द्वारा 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज और कार्बेन्डाजिम 0.5 से 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करे।
ऐंथ्राक्नोज रोग के लक्षण दिखने पर 0.2 प्रतिशत जिनेब और थीरम का छिडकाव करें। आवश्यकता अनुसार व 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहे।इससे एन्थ्रेक्नोज (रुक्ष रोग) रोग बहुत जल्दी रुक जाता है।
(4) चूर्णी फफूंदी रोग (Powdery Mildew Disease)
किसान भाई चूर्णी फफूंदी (Powdery Mildew Disease) रोग में पौधे की पत्तियों के निचले हिस्से में छोटे छोटे सफेद धब्बे पड़ जाते हैं। जो बाद में एक बड़ा सफेद धब्बा बन हैं। रोग के बढ़ने के साथ ही ये सफेद धब्बे पत्तियों के साथ साथ तना, शाखाओं और फलियों पर फैल जाते हैं। चूर्णी फफूंद रोग गर्म और शुष्क मौसम में ज्यादा होते हैं।
चूर्णी फफूंदी रोग (Powdery Mildew Disease) का नियंत्रण
किसान भाई चूर्णी फफूंद रोग का प्रकोप ज्यादा होने पर आवश्यकता नुसार कार्बेन्डाजिम या केराथेन को पानी में घोल बना कर मूंग की फसल पर छिड़काव कर दे। चूर्णी फफूंद रोग के प्रकोप से पौधों को बचाने के लिए घुलन शील गंधक का इस्तेमाल करें। इससे चूर्णी फफूंदी रोग चला जायेगा।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को मूंग की फसल में रोग का नियंत्रण कैसे करे (Moong Ki Fasal Me Rog Ka Niyantran Kaise Kare) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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