पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia) पालक की फसल हमारे देश में लगभग सभी राज्य में किशान करते है। पाकल का उत्पति स्थान ईरान माना जाता है। पालक अमरांथासियेइ प्रजाति से संबंध रखती है।
पालक की हरी सब्जी भी बनाई जाती है। इन के अलावा पालक का ज्यूस भी बनाया जाता है। पालक को सलाद के रूप में भी उपयोग में लेते है। पालक में आयरन एवं विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होता है
पालक एक सदाबहार सब्जी है। पालक का सेवन करने से मानव शरीर को कई प्रकार के फायदे होते है। पालक का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारी में राहत एवं कई बीमारी के सामने लड़ने की शक्ति भी प्रदान करते है। पालक पाचन तंत्र, बाल, आंखो, त्वचा, एवं दिमाग इन सब बीमारी में पालक बहु उपयोगी है।
पालक में से कैंसर रोधक, एवं ऐंटी ऐजिंग दवाई बनाने में भी उपयोगी है। पालक का सेवन करने से खून की कमी के मरीज को बहुत फायदा होता है।
पालक में कई प्रकार के पोषक तत्व एवं विटामिन ए, विटामिन सी, और फोलिक एसिड्स एवं कैल्शियम और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाए जाते है।
पालक के सेवन से आखो की रौशनी तेज होती है और रक्त परिभारमन भी तेजी से होता है। पालक का सेवन करने वजन भी कम किया जा शकता है और हड्डियों को भी मजबूत बनाते है। पालक के पतों में 90 प्रतिशत पानी मौजूद होता है
पालक की खेती आज कल हमारे देश में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट, तामिलनाडू, पश्चिम बंगाल कर्णाटक एवं गुजरात के कई विस्तार में पाकल की खेती किशान करते है और अच्छा मुनाफा भी प्राप्त करते है।
इस लिए आज के इस आर्टिकल में पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia) पोस्ट में पालक की फसल की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
पालक के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia)
पाकल की फसल चिकनी दोमट, और जलोढ़ मिट्टी में अच्छे से विकास करती है। पालक की खेती में जल निकास की अच्छी वयवस्था होनी चाहिए और पालक की फसल जीस मिट्टी में करे उस मिट्टी का पी एच मान 6 से 7 के बिच का होना अच्छा माना जाता है।
पालक लगाने के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?
पाकल की खेती में खेत तैयारी अच्छे से करनी चाहिए। पालक की खेती में दो से तीन बार गहरी जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। और आखरी जुताई से पहेले मिट्टी में गोबर की खाद डाल के मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए।
बाद में पाटा चलाके जमीन को समतल कर लेना चाहिए। इन के बाद बेड बना लेनी चाहिए या तो क्यारी बना लेनी चाहिए।
पालक की खेती शर्दी के मौसम में ज्यादा तर किशान करते है। पाकल की खेती ठंडा जलवायु में अच्छी विकास करती है। शर्दी के मौसम में पालक के पौधे अच्छे से विकास करते है और शर्दी में पड़ने वाला पाला पाकल के पौधे सहजता से सहन कर लेता है।
और अच्छे से वृद्धि होती है और जब गर्मी अधिक होती हे तब पाकल के पौधे की विकास रूक जाती है। पाकल के पौधे गर्मी के मौसम में अच्छे से वृद्धि नहीं कर शकता। इस लिए पाकल की खेती माध्यम तापमान में करनी चाहिए।
पालक की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
पालक की खेती में पालक की सवसे अच्छी किस्मे सेवॉय को माना जाता है। पाकल की और भी अच्छी किस्मे है
इन के नाम ज्योति पूसा, आल ग्रीन, पूसा पाकल, पूसा हरित, बनर्जी जाइंट, पूसा भर्ती, जोबनेर ग्रीन पंजाब ग्रीन, और पंजाब सिलेक्टिव, इस प्रकार पाकल की प्रसिद्ध किस्मे के नाम है। इन किस्मे के बीज बुवाई कर के किशान अच्छा मुनाफा कर शकते है।
सेवॉय : पाकल के इस किस्मे के पतों थोड़ा चिकना होता है। और इस चिकने पन के वजेसे पतों बड़े आकर्षित दीखते है। इस पाकल के पतों का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है। इस के पतों कई दिनों तक हरे और ताजे रहते है। इस किस्मे के पालक के पतों में ऑक्सालिक एसिड होते है। इस के पतों हल्के झुर्रीदार होते है
पालक की बुवाई कब करनी चाहिए?
पालक की फसल साल के किसी भी महीने में की जा शक्ति है। लेकिन पाकल के पौधे की अच्छी विकास के लिए पाकल के बीज को अगस्त या दिसंबर महीने में बुवाई करनी चाहिए।
पालक की खेती साल में जनवरी, फरवरी, जून, जुलाई, और सितंबर महीने में कर शकते है। और इस महीने में बुवाई कर के अच्छे मुनाफा प्राप्त कर शकते है
पालक की खेती में लगने वाला रोग एवं कीट नियंत्रण कैसे करे
पालक की खेती में कम रोग एवं कीट अटेक करते है। पर जब पालक के पौधे पर कोई रोग एवं कीट का अटेक दिखाई दे तरत योग्य दवाई का छिड़काव कर के पालक के पौधे को उस रोग एवं कीट से मुक्त करना चाहिए। पालक के पौधे में इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है।
इन में चेपा, पतों पर धब्बे, जड़ गलन, धब्बे और झुलसा रोग इस प्रकार के रोग एवं कीट दिखाई देते है
- चेपा : इस कीट के कारण मुख्य फसल के पतों ऊपर की दिशा में मोड़ जाते है। और पतिया पीले रंग की हो जाती है या दिखती है। इस कीट का मुख्य कार्य है पतिया में रस है वही रस को चूस लेते है। इस कारण पतिया ऊपर की दिशा में मोड़ जाती है।
- नियंत्रण : इस कीट के नियंत्रण के लिए हमे ए उपचार करना होगा थाइमैथोक्सम 5 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा। और इस छिटकाव के बाद 10 से 15 दिन में डाइमैथोएट 10 मि.ली. + टराइडमोरफ 10 मिली दोनों को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा।
- एन्थ्रेक्नोज : पालक की खेती में एन्थ्रेक्नोज रोग लगता है तब फसल की पतिया पर भूरे धब्बे दिखाय देते है। ए रोग कलेटोट्रीचम लगेनरियम फफूंदी के माध्यम से फैलता है। इस रोग लगाने से पातीय धीरे धीरे जमीन पर गिरने लगाती है।
- नियंत्रण : इन रोग के उपचार में हम ऑमिस्तार टॉप (AMISTAR TOP) अजॉक्सिटोबिन 18.2% डब्ल्यू / डब्ल्यू +डायफेनोकोनाजोल 11.4% डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 16 लीटर पानीके साथ 20 मिली मिलाके छिटकाव कीजिए। और एन्थ्रेक्नोज रोग से फसल को मुक्त करना चाहिए।
- पतों पर धब्बे : इस बीमारी की पैथोजेनिक बीमारी भी कहते है। इस का अटेक मुख्य तवे पौधे के पतों पर होता है। इस के कारण पौधे के पतों पर छोटे छोटे छिद्र और पतों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और धीरे धीरे पौधे के सारे पते गीर के नष्ट हो जाते है
- नियंत्रण : इस रोग के नियंतरण में हम दीथेन एम 45 0.3 % एवं कोटफ 10 मि.ली 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
- थ्रिप्स : इस कीट की वजे से पौधे के पतों जमीन की तरफ मुड़ ने लगती है और बाद में धीरे धीरे पौधे से गिरने लगती है।
- नियंत्रण : इस किट के उपचार में हम बायार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम मिला के छिटकाव करना चाहिए।
- हरी सुंडी : इस सुंडी से पालक के पौधे को ज्यादा नुकशान होता है। इस सुंडी का कार्य है पौधे के ताजे हरे और नाइ अंकुरित पतों को खाते है। और पौधे का विकास रूक जाता है।
- नियंत्रण : इस हरी सुंडी के नियंतरण में हम यूपीएल कम्पनीका उलाला फलेको मिड 50% SG 7 से 8 ग्राम 16 लीटर पानी के साथ 15 दिन में दो से तीन छिटकाव करना चाहिए।
- जड़ गलन : इस रोग के लगने का मुख्य कारण है सक्लेरोशिअम रोलफसाई इन के कारण लगते है। इस बीमारी से पाकल के पतों पर फंगस दिखाई देते है। और पालक के पौधे के पतों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और पतों धीरे धीरे सुख के पौधे से गीर जाते है।
- नियंत्रण : इस के नियंत्रण में हम BASF का सेर्कडीस प्लस में फ्लुक्सापायरोक्साड 75 G/L और डाइफेनोकोनाजोल 50 G/L इस का मान 30 ML 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए इन से अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा।
पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? | (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia)
पालक की फसल में खाद देना बेहद जरूरी है। पालक के पौधे के अच्छे विकास के लिए पाकल की खेती में खाद भी अच्छे से देना चाहिए।
पालक की खेती में अच्छे से सड़ा गोबर, बर्मीकम्पोष्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, यूरिया, और एसएसपी, इस प्रकार के खाद पाकल की फसल में देना चाहिए। पाकल की खेती एक हेक्टर में करे तो खाद इस प्रकार से देनी चाहिए।
साडी गोबर एक हेक्टर में 13 से 15 टन मिट्टी में मिला देनी चाहिए। नाइट्रोजन 80 किलोग्राम फास्फोरस 60 किलोग्राम पोटाश 40 किलोग्राम और यूरिया 170 किलोग्राम और एसएसपी 170 किलोग्राम एक हेक्टर के हिसाब से पाकल की खेती में इस प्रकार खाद दे शकते है।
पाकल के पतों की पहेली तोड़ाई के बाद खाद देना चाहिए एवं दूसरी तोड़ाई के बाद खाद देना चाहिए और तीसरी तोड़ाई पर खाद देना चाहिए। पाकल की खेती में नाइट्रोजन की आवश्यकता ज्यादा होती है।
पालक में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
पाकल की खेती में खरपतवार नियंत्रण योग्य समय पर करना चाहिए नहीं तो पालक के पौधे की विकास रोक जाता है और कई रोग एवं कीट भी अटेक करता है और पालक की उपज में भी बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी इस लिए पालक की खेती में निदाई गुड़ाई योग्य समय पर करनी चाहिए।
जब निदाई गुड़ाई खुरपी से की जाए तो मिट्टी को हवा मिलती है और पालक के पौधे अच्छे से उस मिट्टी में विकास करते है इन के अलावा रासायनिक दवा पायराजोन 1 किलोग्राम या 1.12 किलोग्राम एक एकड़ में उपयोग में लेना चाहिए।
पालक की सिंचाई कब करें?
पाकल की फसल में नमी बनी रहनी चाहिए। पालक के पौधे को सिंचाई 10 दिन के अंतर में करनी चाहिए और पालक के पौधे को जल निकास की वयवस्था अच्छे से होनी चाहिए। पालक की खेती में सिंचाई योग्य समय पर करते रहना चाहिए।
पाकल के पौधे को सिंचाई की आवश्यकता अधिक होती है। और जब गर्मी की मौसम में पालक के बीज की बुवाई की है तो सप्ताह में एक बार सिंचाई जरूर करे मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए।
पालक की कटाई कब करनी चाहिए?
पालक के बीज के बुवाई के बाद 20 से 25 दिन के बाद पहेली कटाई के लिए तैयार हो जाते है। और जब पालक के पतों 15 से 30 सेमी के लम्बे हो जाए तब कटाई कर लेनी चाहिए।
इस के बाद पालक के पतों की कटाई 20 से 25 दिन के अंतर में कटाई करनी चाहिए। पालक की फसल में कटाई तीखे चाकू से करनी चाहिए और इस पालक की कटाई 5 से 6 बार कर शक्ति है
पालक की खेती एक हेक्टर में की है तो हरे पतों की उपज 85 से 95 क्विंटल तक की प्राप्त हो शक्ती है। इस पालक के पतों को बाजार में बेचकर अच्छे दाम भी प्राप्त कर शकते है।
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FAQ’s
Q-1. पालक कितने दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाता है ?
Answer : पालक 20 से 25 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाता है
Q-2. पालक की खेती कब और कैसे करनी चाहिए ?
Answer : पालक की खेती साल में किसी भी महीने में कर शकते है किंतु पाकल के अच्छे विकास एवं अच्छी उपज के लिए पालक की खेती दिसंबर माह में करनी चाहिए
Q-3. पालक के पौधे से बीज कैसे प्राप्त करें ?
Answer : पालक के पौधे से बीज प्राप्त करने के लिए पालक के पौधे को अच्छे से खाद एवं योग्य समय पर सिंचाई करनी चाहिए बाद में पालक के पौधे पर बीज प्राप्त कर शकते है
Q-4. पालक के बीज बुवाई के बाद कितने दिन में अंकुरित हो जाता है ?
Answer : पालक के बीज बुवाई के बाद 5 से 7 दिन में अंकुरित हो कर विकास करने लगते है
Q-5. पालक में कौन कौन से विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते है ?
Answer : पालक में कई प्रकार के पोषक तत्व एवं विटामिन ए, विटामिन सी, और फोलिक एसिड्स एवं कैल्शियम और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाए जाते है
सारांश
नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia) इन के बारे में बारीक़ से जानेगे और पालक की खेती के लिए कैसी मिट्टी की पसंदगी करनी चाहिए, पालक के पौधे को कैसा जलवायु एवं तापमान अनुकूल होता है।
पालक के बीज कब बुवाई करे, पालक की उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे के नाम, पालक की फसल में कौन कौन सा रोग एवं कीट अटेक करते है, और इन रोग एवं कीट के नियंत्रण कैसे करे और पालक के पौधे को कौन सा खाद एवं कब देना चाहिए,
पालक की खेती एक हेक्टर में करे तो किशान कितनी उपज प्राप्त कर शकते है।इस आर्टिकल में पालक की खेती की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी।
हमे पता है की ए आर्टिकल आप को पालक की खेती के लिए बहुत हेल्पफुल होगा। और ए आर्टिकल आपको बहुत पसंद भी आया होगा इस लिए इस आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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