रासायनिक खेती छोड़कर ऑर्गनिक खेती में सफल हुवा आसाम का किशान

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now
Rate this post

दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको रासायनिक खेती छोड़कर ऑर्गनिक खेती कैसे करे (Rasayanik Kheti Chodkar Organic Kheti Kaise Karen) या ऑर्गनिक खेती की जानकारी देंगे वो भी एक सफल किशान की जुबानी देने वाले किशान के कहने के मुताबिक जानकारी देंगे।

Rasayanik Kheti Chodkar Organic Kheti Kaise Karen

रासायनिक खेती छोड़कर ऑर्गनिक खेती में सफल हुवा आसाम का किशान

किशान भाई आप तो जानते है की भारत दुनिया का 2.4 % जमीन का हिच्छा रखता है और 18% जनसंख्या वाला देश है हाल की जनसंख्या की बात करे तो भारत की 136 करोड़ जनसंख्या है। इस तरह बढ़ती हुई जनसंख्या और पानी के स्त्रोत कम होने के कारन ऑर्गेनिक खेती की ओर जाना हितावह है।

दोस्तों आज हम आपको आसाम राज्य के गोलपारा जिल्ले छोटे से गांव धोनुभंगा के किशान होमेन राभा की बात कर रहे है। होमेन राभा कहते है की आजकल तो फल के नाम पर ज़हर खा रहे है इसीलिए मेने सोचा की मै ज़हर मुक्त खेती ही करूँगा।

दोस्तों होमेन राभा को पहले तो कई दिक्क्तों का सामना करना पड़ा जैसे की बाजार में जितना दाम मिलाना चाहिए उतना दाम मिलता नहीं था। होमेन राभा कहते है की हमारे यहाँ बीमार होने पर फल खाना कहते वह फल नहीं रासायनिक खाद और ज़हरीली पेस्टिसाइड के ज़हर वाले है।

में एक शिक्षित नागरिक होने के कारन अपने फायदे का न सोचते हुए मेने ज़हर मुक्त खेती करनी चालू की इसी लिए उन्होंने केले का ऑर्गनिक बगीचा लगाया।

अन्य भी पढ़े : बैंगन की खेती मे से कैसे लाखो की कमाई करे

होमेन राभा और उनके साथी केले के बगीचे को अपने बच्चे की तरह देखभाल करते है। वो अपने घर में ही वर्मीकम्पोस्ट यानि खेचुए खाद बनाते ओर उसी जैविक खाद से ही ऑर्गेनिक खेती करेते है।

दोस्तों धोनुभंगा के किशान एक तरफ केले के पेड़ कट जाए तो दूसरी तरफ केले के पेड़ तैयार हो जाते है और एक बीघे में 250 से 300 पेड़ आते है फसल उगने पर राज्य सरकार एक पौधे के 300 रूपया मिलता है।

धोनुभंगा का ए इलाका चारो ओर से जंगल से घिरा हुवा इसीलिए यहा हाथी का झुंड निकलता है और यहाँ केले के बगीचे को हानि पहुँचता है फिरभी वो हिम्मत नहीं हारे और अपने केले के बगीचे को बचाने में दिनरात कड़ी सुरक्षा करते है। हाथी खेती को जितना हानि क्यू ना पहुँचावे फिरभी होमेन राभा नाराज नहीं होते क्युकी हाथी को भी इस जगह रहने का पूरा अधिकार है।

दिनभर की थकान दूर करने केलिए वो रात को नाचगाना का कार्यक्रम भी रखते है। ताकि अपना मनोरंजन भी हो और अपने केले का बगीचे की सुरक्षा हो।

होमेन राभा को आसाम कृषि विभाग से 2017 और 2018 को एक उधमिक किशान तोर पे सम्मानित किया गया है। उनको सरकार की तरफ से राजस्थान भेजा गया था वह के रेगिस्तान में किया गया खेतीबाड़ी देख ने केलिए।

राजस्थान में रगिस्तान में खेती देखके बहुत ही प्रेत्साही हुवे और कहने लगे की अगर वो रेगिस्तान में खेती कर शकते है तो हम क्यों नहीं।

होमेन राभा कहते है की मई बहुत ही भाग्यशाली हूँ क्युकी एशिया का सबसे बड़ा केले का मार्केट दरंगीरी इस क्षेत्र में ही है। वहा से हर रोज कई सो ट्रक बहार केले की भेजी जाती है।

वेजिटेबल ग्रोवर सोशायटी जैसा उद्यमिक दल और होमेन राभा जैसा किशान आगे बढ़ते रहेंगे तो हमरे किशानो को होशला मिलता रहेगा। अगर हिम्मत और लगन के साथ आगे बढ़ते रहेंगे तो हम अपना शीना फुलाके कह शकेंगे की हम किशान है हम भी देश की शान और सम्मान है।

यह भी पढ़े : किसान को लखपति बनना हे तो यह खेती करे

दोस्तों होमेन राभा आज जैविक खेती करने की आसाम में मिशाल है।

दोस्तों क्या आप जानते है की दरंगीरी में एक महीने का कितना टर्नओवर है ? में आपको बताता हु दरंगीरी में एक माहिने का 4 से 5 करोड़ का सिर्फ एक महीने का केले का टर्नओवर है और एशिया का सबसे बड़ा केले का बाजार है।

दोस्तों भारत केले उत्त्पादन में अव्वल नंबर पर है जो एक साल मे लगभग 30 लाख टन केले का उत्त्पादन करता है।

केले के उत्त्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश चीन है। जो हर साल लगभग 10 लाख टन केले का उत्त्पादन करता है।

केले के उत्त्पादन में तीसरा सबसे बड़ा देश इंडोनेशिया है। जो हर साल लगभग 7 लाख टन केले का उत्त्पादन करता है।

इस लेख को किसान के साथ शेयर करे...

Leave a Comment

buttom-ads (1)